मोदी विरोध का विकल्प मोदी

सोलह मई को मतगणना होने वाली है । अभी से सरकार को लेकर क़यास लगा रहे होंगे । यह एक सामान्य और स्वाभाविक लोकतांत्रिक उत्सुकता है । सब अपने अपने अंदाज़ीटक्कर को लेकर भाँजेंगे । मैंने कहा था न कि तीन सौ आएगी मैंने कहा था न कि मोदी वोदी की कोई लहर नहीं है । गठबंधन की सरकार बनेगी या मोदी प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे । 

किसी की बात सही होगी तो किसी की ग़लत । लेकिन ज़रा मुड़कर चुनाव को देखिये तो समझ आयेगा कि क्यों बीजेपी की सरकार बन रही है । मोदी का विरोध तो हुआ मगर मोदी का कोई विकल्प नहीं दिया गया । तथाकथित सेकुलर ताक़तें आपस में लड़ रही थीं न कि मिलकर बीजेपी से । खुद को एक मतदाता की जगह रखकर सोचिये । वो इस चुनाव में मोदी विरोध के नाम पर भाग लेता भी है तो वोट किसे दे । यह चुनाव बीजेपी को हराने के लिए नहीं था । यह चुनाव था हर हाल में कांग्रेस को हराने के लिए । मोदी ने शुरू से ही कांग्रेस पर इतना हमला किया कि कांग्रेसियों को यक़ीन हो गया कि जनता इस बार ख़िलाफ़ है ।  इसका मनोवैज्ञानिक असर यह हुआ कि सहयोगी कांग्रेस के साथ खुलकर आने से रह गए । आम मतदाता एक साथ दो राष्ट्रीय दलों का विरोध करते हुए अलग अलग  कई क्षेत्रिय दलों के साथ क्यों जायेगा । वोटर भी सरकार के स्थायीत्व को समझता है । उसका काम भी मोदी विरोधी दलों ने ही आसान कर दिया । कोई साफ़ विकल्प न देकर । 

दूसरी बात यह है कि इस चुनाव में कई क्षेत्रिय दल सोते रहे । शायद जानबूझकर ही ऐसा किया । हर मैदान को बीजेपी के लिए छोड़ दिया । जनता उनके मोदी विरोध की गंभीरता को समझ रही थी । सपा ने बनारस में अपने ही काम का प्रचार नहीं किया और नीतीश ने बिहार में । दूसरी तरफ़ मोदी ने न सिर्फ टीवी रेडियो और होर्डिंग को छाप लिया बल्कि हर बूथ पर संघ की मदद से कई स्तर पर प्रचार किया । बनारस में राजनीतिक कार्यकर्ताओं के साथ साथ गुजरात मुंबई और यूपी से व्यापारियों कारोबारियों को भी भेजा । जाति भाषा के हिसाब से मतदाताओं को टारगेट किया । इससे अगर तुलना करें तो मोदी विरोधी दल दिन में सपने देख रहे थे कि उनकी तरह मतदाता भी मोदी का विरोधी है । 

मोदी विरोधियों ने व्यापक स्तर पर सांप्रदायिकता का मुद्दा उठाने के बजाए गुजरात दंगों से जोड़े रखा । मोदी का विरोध करते तो मुलायम का भी करना पड़ जाता । किसी ने कहा कि व्यक्तिवादी राजनीति हो रही है जैसे मोदी न होते तो सामूहिक नेतृत्व वाली बीजेपी  बहुत अच्छी थी ! इनकी लड़ाई मोदी तक ही सीमित रह गई । मोदी ने अच्छी बुरी सरकार का सपना तो बेच ही दिया लेकिन उनके विरोधी क्या बेच रहे थे । कौन सा सपना बेच रहे थे । इस चुनाव में कांग्रेस को क्यों जीतना चाहिए यह बात तो कांग्रेसी भी दावे से नहीं कह पा रहे थे । तो किसके भरोसे मोदी विरोधी यह कहने का नैतिक साहस करते । सपा बसपा को क्यों जीतना चाहिए क्या ये कहने का नैतिक साहस कर सकते थे । मोदी के सामने उनके विरोधी निहत्थे और सुस्त पड़े रहे । 

राजनीतिक हमलों में भी तमाम दलों ने मोदी को वाकओवर दिया । जबकि मोदी ने एक एक बात का जवाब दिया और संदेश दिया कि वे सबको सुन रहे हैं । मोदी विरोधी हल्का विरोध कर चुप रहे । कोई लहर नहीं है टाइप । विकल्प के अभाव में मतदाता के एक बड़े वर्ग ने उनकी कमज़ोरियों और खराब बयानों, इंटरव्यू के दौरान प्रेस पर हावी होने की आदतों को नज़रअंदाज़ कर दिया । नतीजा यह हुआ कि हर चौक चौराहे और गाँव गलियों में आम मतदाता भी मोदी की तरफ़ से बहस करने लगा । तथाकथित सेकुलर दल मोदी के ख़िलाफ़ 'काउंटर नैरेटेवि' नहीं रच सके । इन बहसों में जो मतदाता मोदी का विरोध भी करना चाहता था उसके पास तर्कों की कमी थी । हर तबके का नाराज़ मतदाता बीजेपी की तरफ़ गया । हर दल से निकल कर बीजेपी की तरफ़ गया । यूपी विधानसभा की तरह नहीं हुआ कि सपा को हराने के लिए बसपा को जीताया और बसपा को हराने के लिए सपा को । इसलिए विरोधी मतों के बँटवारे के कारण भी बीजेपी के पक्ष में संख्या समीकरण ज़्यादा बना । बीजेपी ही एकजुट और भयंकर डिटेलिंग के साथ चुनाव लड़ रही थी । 

ऊपर से मीडिया ने अपना स्पेस लुटा कर मोदी के ख़िलाफ़ हर काउंटर नैरेटिव की धार को कुंद कर दिया । आम मोदी विरोधी मतदाता  निहत्था हो गया । अकेला पड़ गया । हर समय मोदी । ख़बर और विज्ञापन दोनों जगह । बहस के सवाल मोदी की तरफ़ से रखे और पूछे गए । मतदाता के मन में ऊपर से लेकर नीचे कर मोदी की परत जम गई । कई दलों ने अच्छी दलीलें दीं मगर नहीं दिखाया । मोदी के ब्लाग को ख़बर बनाया लेकिन नीतीश के फ़ेसबुक अपडेट को छोड़ दिया । कांग्रेस लचर तरीके से बहस में आई तो बीजेपी का हर बड़ा प्रवक्ता कम टीआरपी वाले चैनलों में भी तैयारी के साथ गया । कांग्रेस के बड़े नेता अंग्रेज़ी चैनलों में गए तो बीजेपी के हिन्दी चैनलों में । सपा बसपा के तो प्रवक्ता ही नहीं आए । 

इसलिए मोदी विरोध का विकल्प भी मोदी ही बन गए । अब अगर बीजेपी के ख़िलाफ़ मतदाताओं में ग़ुस्सा था और वो किसी को नहीं दिखा सिर्फ मोदी विरोधियों को दिखा तो सचमुच सोलह को ज़लज़ला आ जायेगा । बीजेपी हार जाएगी । और अगर हार गई तो अगली बार बीजेपी के उम्मीदवार को उनके ही घर वाले चंदा नहीं देंगे । प्रचार तंत्र का सारा तामझाम फ़ेल हो जाएगा और साबित हो जाएगा कि यह चुनाव मोदी नहीं बल्कि जनता लड़ रही थी । यह बताने के लिए कि वो व्यक्तिवादी राजनीति के ख़िलाफ़ है । वो राजनीति में पैसे के इस हद तक इस्तमाल के ख़िलाफ़ है । ऐसा है तो भारतीय राजनीति में नए सूर्योदय के स्वागत के लिए तैयार रहिए । जहाँ सब फ़ेल हो जायेंगे ।  अगर ऐसा नहीं है तो कभी लालू कभी मायावती कभी आप के बहाने मोदी विरोधी खुद को दिलासा न दें । खुद से यह सवाल करें कि क्या कोई मतदाता विकल्पहीन स्थिति के लिए वोट करेगा ? वो मोदी को हराने के लिए क्यों वोट देता और किसे देता । जब कोई लड़ेगा नहीं तो वो जीतेगा कैसे । जीतता वही है जो लड़ता है । 

69 comments:

Anupam said...

बहुत खूब! नितीशजी अलग तो हो गए, जानते थे सरकार बच जाएगी, पर अलग होकर क्या....??
जवाब जनता तो नही दे पाए|

एक तरफ जहां ममता, मुलायम, नितीश, नविन और करुना सभी ने महज अपने को पार्लियामेंट किंग मेकर के रूप देखना चाहा और मोदी विरोध तो किया पर बगैर किसी मेनिफेस्टो के| आखिर लोगों को भी जानकारी चाहिए ये संसद में केवल मोलजोल करेंगे या इनका कोई राष्ट्रीय एजेंडा भी है.

राहुल गांधी ने कांग्रेस वो नेत्रित्व दिया है जो बापू के अधूरे सपनो को साकार करने में कोई कसर नही रखेगी|

ऐसे में मोदी का मेनिफेस्टो जिसमे जमीनी तौर पर कोई भ्रस्ताचार, काले रूपये पर कोई जमीनी खांका नही खीचा गया है...एक मात्र विकल्प बचता है|

ध्यान देने योग्य बात ये भी है, मोदी ने अपने आप को बदला है, यदि आप उसके अर्नब के साथ हुए साक्छात्कार को सुनते है तो मॉडिफिकेशन साफ़ नज़र आता है| कम से कम २५% तो आपको वाजपेयी के विचारों की कोपी लगेगी| मोदी भी जानते हैं, उनके अलावा और कोई चेहरा बाकी दलों को लुभा नही पाएगा|

जहां तक बात मार्केटिंग की है तो आडवानी जी को अब तक २००९ के चुनाव की असफलता का कारण साफ़ पता चल गया होगा!

साभार
अनुपम

sourabh singhai said...

Shandar Aaj to Aap bhi bhayankar detailing. K saath likhe hain . Kal se wait kr raha tha..
Waise Aap ke ek Pichle mahine modi ko Jo khat likha tha us me ye bhi mana tha ki Socha Aap ki jeet k baad apko parts likhunga...
Waise Jo bhi ho MATLAB jeete chahe hare aap letter jarror likhiyega him to 16 k intezar Isliye hi kr rahe hain...
Regards

Suchak said...

This is the first time I closely watch election but feel that in this "Tu Tu - Me me" All the important point missed by all the parties...

This may happen all time but this time Its extreme conditions...Seems that no one have any Genuine Topic to discuss ...

All the time all Leaders Waste time to target Modi and Modi Waste all time to give them strong answers

Unknown said...

AAP ek bikalp tha Raveesh ji..par jab se wo muddon se bhatak kar,Ambani,Adani...bolne lage to wo apne biswasniyata hi kho diya...jaise anna ji..Par Modi ne har sawal ka samna kiya..unme ek aash dikhi janta ko...

Unknown said...

Aap ne Itna saaf suthra vivran diya hai kya kahe.chaliye dekhte hai 16 may ko kya chamatkaar hota hai.
Namskar.

Bornphilosopher said...

सही आँकलन किया है, आपने आम मतदाता और उसके अन्तर्मन का। सही अर्थों में , भारतीय राजनीति में , सशक्त , निश्छल नेताओं की कमी अभी भी दिखती है , मतदाता को विकल्प चाहिए !!!

Ashwani Kumar said...

Bahut dard ho raha h Ravish jo ko,Arvind Kejrieal PM ho jaayen to muskaan aa jaayegi,covered promotion kyu lagta h aapka blog smaj nai aata.Bol dijiye u want AAP.. U promoted AAP through your blog.Sir ab log pagal nahi h..sab smajhte h..

Modi PM nahi honge.. Dont worry!

Pawan Maru said...

सच कहा आपने किसी ने भी विकल्प देने की कोशिश नहीं की... पर इसके लिए भी काफ़ी हद तक मीडिया ज़िम्मेदार है... मीडिया ने मोदी को इतना दिखाया, इतना भुनाया की मोदी का चेहरा हर इंसान की खोपड़ी में फिट हो गया चाहे वो समर्थक हो चाहे विरोधी... सोते-जागते, उठते-बैठते, खाते-पीते, हंसते-रोते, काम करते-आराम करते यहाँ तक की हगते-मूतते हर वक़्त बस मोदी मोदी सिर्फ़ मोदी.... जैसे इस देश के लिए जीने-मरने का बस एक ही प्रश्न हो... मोदी या नो मोदी??
इस सब का नतीजा ये हुआ की समर्थक जो था वो अंधभक्त हो गया और विरोधी जो था वो इस हव्वे का शिकार हो कर या तो खामोश हो गया ये सोच कर की जो होता है होने दो... या फिर धुर-विरोधी होकर सारे प्रश्नों को भूल कर केवल मोदी विरोध की दुन्दुभी बजाने लगा जो केवल नक्कारखाने में तूती ही सिद्ध हुई.... खैर इस प्रश्न का जवाब तो १६ मई को मिल ही जाएगा परंतु प्रश्न ये है कि इन अंधभक्तों के दिमाग़ पे छाया हुआ ये जाल कब कटेगा?? अब ये भी मीडिया पर ही निर्भर करता है...

GOURAV KHANDELWAL said...
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GOURAV KHANDELWAL said...

वैसे विकल्प भी हम मीडीया के हिसाब से ही मानते है.....अगर गुजरात को इतना हाइलाइट किया तो वो मीडीया ने ही....देश की १०% वोटर भी कभी गुजरात नहीं गया होगा।....हालांकि मै तो गुजरात गया था और मुझे तो कोई खास बात वहा लगी नहीं।..सिवाय नदियो के जो कोई सरकार नहीं बनती कुदरत ने दिया है।....और जब लोग किसी 12th पास बाइ ग्रेअस को अपना संसद बना ले सिर्फ किसी सो कॉल्ड विकियास के लिये जिसकी परिभाषा शायद ही किसी को पता हो।....तो बात विकल्पो की रह ही नहीं जाती।......वरना विकल्प तो बहुत थे।............

naved gaus khan said...

salute to your observation.....

Unknown said...

Kya rajneete samjhaya hai sir,up ko samjhna mushkil hai lekin aapne samjh liya......great

aayushi verma said...

Integrity can never ever fail...

Bcoz

It's not a tactics..

It's always a faith...!!

Unknown said...

You are a sore loser. That's all. Now that mulayam, maya, lalu, congress, communists have proved themselves individually corrupt and inefficient, they should have joined together to provide an angel alternative, as per you. Remember this type of khichdi governments have been there in the past. India doesn't want them back.

It is only fair that since congress has been in power for 2 terms, someone else gets a chance.

All you pseudo sec/soc dinosaurs need to down shutters for a few years

Unknown said...

मीडिया पहला सकारात्मक मुद्दों को दिखाने से इनकार कर देगा. उसके बाद, वे सिर्फ नकारात्मक कोलाहल दिखाएगा. तब वे कोई सकारात्मक मुद्दों को उठाया गया है कि कहने के लिए हिम्मत करनी होगी. भाषण में नेताओं के सभी मुद्दों को उठाते रहे हैं. लेकिन मीडिया कोई दिलचस्पी नहीं थी. वे अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए sundbytes चाहता था. वास्तव में, इस बार मीडिया खलनायक था और मोदी सिर्फ एक footsoldier था.

Unknown said...

इस चनाव में यह तो होना ही था.विभिन्न पार्टिओं में यह सेक्युलर-कम्युनल विभाजन एक नाटक से अधिक कुछ नहीं. अब देखिये कांग्रेस के 100 से अधिक नेता बीजेपी से चुनाव लड़ रहे है. यह दोनों का पोल खोलता है. यहाँ तक की USA में भी Democrate को लिबरल republican कहा जाने लगा है. इस "उदारवादी अर्थतंत्र" की संकीर्ण राजनीति का दश और दिशा आने वाले 15-20 में तय होगी.

aayushi verma said...

Darasal is baar ladai partiyon ke beech thi hi nahi, ek taraf paisa tha , to doosri taraf patrakarita thi...?........paisa jeet gaya , patrakarita har gayi......!!

tapasvi bhardwaj said...

Ignoring AAP again....naye surodaye ke liye tyar rahiye....mujhe ye janne ka man h ki aazadi ke waqt logon ko kaisa feel ho raha hoga...shayad waisa hi jaisa hum sab ko 16 may ko hoga

Unknown said...

Mujhe lagta hai ,Is chunaav me BJP jeetegi, aur baki partiyon ki halat kharab ho jayegi. AAP ka banaras se strong hona use majboot karega. agle chunaav tak AAP baki partiyon congress, comunist, TMC, SP, BSP..se thoda-thoda vote lekar badi party ban jayegi, Jo hamare desh ke liye ek achcha sanket hai.

Nitin Shrivastava said...

रविश जी इस लेख मैं आपकी हताशा स्पष्ट दिखाई दे रही है. आप और आप जैसे वामपंथी कुबुद्धि वालों की चिढ स्वाभाविक है. सब क अथक प्रयासों का बाद भी आप मोदी को नहीं रोक पा रहे हैं.
वैसे इस लेख मैं आपने विश्लेषण सटीक किया है. मेरा मोदी विरोधियों से केवल १ सवाल रहा है. आपका विकल्प क्या है?? आप किसे वोट देना छह रहे हैं?? मुझे कभी जवाब नहीं मिला. केजरी समर्थ भी विस्वास से उनका समर्थन नहीं कर पा रहे थे. केजरी १ अच्छे विकल्प हो सकते थे किन्तु उन्होंने जल्दबाजी करी और अपने मुद्दों से भटक गए..उनके अंध समर्थक माने या ना माने उन्होंने अपनी नौटंकियों से अपने कई होने वाले मेरे जैसे समर्थकों को खो दिया.

Nitin Shrivastava said...

केजरीवाल जी की बिटिया आखिर कौन से बोर्ड की एज्जाम दे रही है की अभी भी उसका एज्जाम खत्म नही हुआ ?
क्योकि केजरी तो इतने ईमानदार है की उसका एज्जाम खत्म होते ही सरकारी बंगला खाली कर देते ..लेकिन वो तो अभी भी सरकारी बंगले में जमे है

Nitin Shrivastava said...

बनारस में 3 लाख मुस्लिम है , 4 लाख ब्राह्मण है , 2 लाख दलित 1 लाख यादव , और बकाया कोई कितना है कोई कितना है , आदि आदि ,

साफ़ साफ़ लिखा है और प्रचारित किया जा रहा है की सीधा तींन लाख मुस्लिम है , अरे मेरे दोस्तों अगर मुस्लिम तीन लाख है तो दस लाख से ज्यादा हिन्दू है , मीडिया ऐसा क्यों नहीं बताती , ....!!

बनारस के मित्रों जिस बार भी वोटरों की गिनती का ये ' भांड मीडिया ' स्टायल खतम हो गया अपना देश सुधर जाएगा

aj said...

U r in deep love with aap politics. But let me assure u dat u will b disappointed by d result. Aap has already wasted a chance to prove their politics in delhi

Unknown said...

sir to fir agli baar AK sarkar paakki

Unknown said...

sir to fir agli baar AK sarkar paakki

Vivek Garg said...

@Nitin srivastava bhaai always agree with your comments, ek dum sahi sawal poocha or ravish ji ki bhakti abhi kam nhi ho rahi AAP or Nitish k liye..

Pramod said...

'नमो भोंडा [मूर्ख] व गधा है। '' ''मोदी गधा और दंगा बाबू है. '' -ममता बनर्जी
ममता मोदी को शैतान और खतरनाक इंसान भी बता चुकी हैं।
मोदी 'झूठा' और 'फरेबी' है। --बहन कुमारी मायावती
समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी से बड़ा झूठा कोई नहीं है।
बेनी प्रसाद वर्मा , दिग्विजय सिंह , लालू प्रसाद यादव .... क्या -क्या कहते रहे हैं ---यह मत पूछिए ! नीतीश कुमार तो इतने बड़े ''सेकुलर '' हैं कि उन्होंने 'अस्पृश्यता ' को नया 'आयाम' दे दिया ! मोदी को लेकर वे इतने ''सेकुलरिया '' गए कि ''अंगेया '' देकर (भोज का न्योता देकर ) समस्त भाजपा कार्यकारिणी के लिए ''बीजे '' गायब कर दिए ! मोदी के कारण। अपने ऊपर भरोसा नहीं है तभी तो ! अरे , 2002 में ही गठबंधन तोड़ लेते तो असल 'मरद' माने जाते। वैचारिक रूप से नीतीशजी से कहीं ज्यादा ईमानदार लालूजी और पासवान जी हैं ! क्या यह यथार्थ नहीं कि मोदी उसी पार्टी के महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं , जिससे 16 -17 साल से आप जुड़े थे।
बीजेपी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए ) की ओर से पीएम उम्मीदवार गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के मामले में '' अति '' हो रही है। यत्र -तत्र -सर्वत्र।
'' मोदी बनाम सब'' की लड़ाई में सभी राजनीतिक दाल और नेतागण अतिवादी बर्ताव कर रहे हैं। भयानक,अमर्यादित टिप्पणियां की जा रही हैं। एक नयी तरह के वर्चस्ववाद एवम राजनीतिक अस्पृश्यता को जन्म दिया जा रहा है। कहें तो इस ''मोदी समय '' (!) में अतिवाद की गंगा बह रही है। आखिर , मोदी के मामले में ही 'डबल स्टैण्डर्ड' क्यों हो रहा है ? क्या एक मामले में सुप्रीम कोर्ट सर्वोच्च है और दूसरे मामले में 'आरोप' श्रेष्ठ है ? क्या कोर्ट और जांच एजेंसियों के फैसलों से इतर मोदी को अपराधी घोषित करना चाहिए ? मोदी अगर 'मौत के सौदागर हैं' , कातिल हैं , संविधान के विरुद्ध कार्य करते रहे हैं तो केंद्र सरकार द्वारा ऐसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री के पद से बर्खास्त क्यों नहीं किया गया ? देश का प्रधानमंत्री एक निर्वाचित मुख्यमंत्री को कातिल कैसे बता सकता है ? और अगर सचमुच ऐसा है तो आपकी भूमिका क्या होनी चाहिए ? गुजरात की जनता करीब 15 सालों से यदि एक कातिल को मुख्यमंत्री के रूप में झेल रही है तो क्या देश के PM और सत्ताधारी दल को बस प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाकर अपने उत्तरदायित्यों से मुक्त हो जाना चाहिए ?

Pramod said...

हमारे देश के बुद्धिजीवी तो और अपरिपक्व, 'अप्रासंगिक ' एवं अतिवादी नजर आ रहे हैं। पता नहीं,मोदी आ जायेंगे तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ेगा ? देश के सार्वजनिक बुद्धिजीवियों में से एक कन्नड़ लेखक प्रोफेसर यू आर अनंतमूर्ति ने अर्से पहले कह था कि मोदी अगर पीएम बनते हैं तो वे देश छोड़कर कहीं और वे बस जाएंगे ! हालाँकि , बाद में उन्होंने अपने अतिवाद को सुधार लिया ! एक टीवी बहस (NDTV)में 'काशी का अस्सी ' के चर्चित लेखक काशीनाथ सिंह ने 8 मई को कहा कि ''मोदी जीतेंगे तो काशी हार जाएगी।'' पूछने का मन कर रह है कि क्या मोदी किसी इतर व्यवस्था के तहत चुनाव लड़ रहे हैं। जनता जिताएगी तो ही जीतेंगे न ?
बनारस जैसे ''समुद्र संगम'' की नगरी जो ब्राह्मण ही नहीं , श्रमण धारा का भी प्रमुख केंद्र रहा है। तुलसी ही नहीं कबीर और रैदास को भी अपने पेटे में समेटे हुए हैं। भारतेन्दु से लगायत प्रेमचंद, आचार्य शुक्ल, प्रसाद, बिस्मिल्लाह खान जैसे मनीषियों की परम्परा जहां रही हो, उसे धर्म के चस्मे से मीडिया माध्यमों द्वारा खेला -ताना जा रहा है। गंगा -जमुनी संस्कृति की तान को किस चस्मे से देखा जा रहा है?
अरे भाई, मोदी या तो चुनाव लड़ने के योग्य हैं या नहीं हैं! क्या चुनाव आयोग ने कुछ नया प्रावधान कर दिया है कि मोदी ही बनारस से लड़ सकते हैं राहुल नहीं?
देश क्यों टुकड़ों में बंट जायेगा ? और मोदी जी आ जायेंगे भी तो अचानक 'अच्छे दिन ' नहीं आ जायेंगे ! 60 साल से व्याप्त समस्याएं अचानक नहीं खत्म हो जाएंगी ! दोनों ओर से घोर अतिवाद है। अति उत्साह में मर्यादाएं टूट रही हैं। सामान्य शिष्टाचार का भी ध्यान नहीं रखा जा रहा। क्या अगर भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में एनडीए को पूर्ण बहुमत हासिल हो जाता है तो मोदी पीएम बनने की पात्रता नहीं रखते ? या फिर एनडीए के बहुमत नहीं मिलने पर मोदी जबर्दस्ती पीएम बन जायेंगे ? लोग अगर बहुमत देंगे , सबसे बड़ी पार्टी बनाएंगे और संविधान के अनुसार उचित बहुमत मिल पायेगा तभी मोदी या कोई भी नेता पीएम बनेंगे, सरकार बनाएंगे। और कोई रास्ता है क्या ?
देश संविधान से चलेगा। किसी व्यक्ति के निजी एजेंडे (यदि असंवैधानिक है तो ) से देश नहीं चल सकता। हमारे देश के बुद्धिजीवी सबसे बड़े अतिवादी और पक्षपाती हैं। उनकी ''चुनी हुईं चुप्पियाँ '' कुख्यात है !सोनिया जी , राहुल जी , दिग्गीजी , मनीष तिवारी जी , कपिल सिब्बल जी , मणिशंकर अय्यर जी , बेनी प्रसाद वर्मा जी , नीतीशजी, बहनजी, लालूजी , 'आप '' जी और तमाम....'' जीयों '' को भी श्रेय जाएगा , अगर मोदी जी सचमुच पीएमजी बन जाते हैं तो ! हमें लगता है कि मोदीजी पीएम नहीं बनें तो दूसरों से ज्यादा जिम्मेदार वे खुद होंगे ! और बन गए तो इसके लिए उनको और इनको ही नहीं और 'अन्य' को बधाई दी जानी चाहिए

कमल said...

बिकुल सटीक बात कही आपने। विरोधी दल एक चेहरा देने मे नाकाम हो गए। राहुल गांधी को विकल्प के रूप मे देखना जनता को मुनासिब नहीं लगा और वही हाव भाव के धनी मोदी बाजी मार गये।
#DoingKamaal: मोदी कि हवा है क्या ? http://doingkamaal.blogspot.com/2014/04/blog-post.html?spref=tw

Unknown said...

Agar koyi ye samajh raha hai ki Modi ke aane se desh me chamatkaar ho jayega, to vo shayad galat soch raha hai.
Ha itna jaroor hoga ki sarkaar me bhrstachar congress ke mukabale bahut kam ho jayega.
Hume bas ek hi doubt hai ki modi ji private company par koyi nakel lagayenge bhi ya usko khula lootne denge.

Nitin Shrivastava said...

Babloo Ji

Fir batayiye aap k anusar chamatkar kaun karega???

Nitin Shrivastava said...

वाराणसी में ‪#‎AAP‬ नेता राजेश ऋषि को पुलिस ने मतदाताओं को पैसे बांटने के आरोप में हिरासत में |
..मैं तो छोटा आदमी हु जी मेरे पास सिर्फ ५०० रु

Unknown said...

@nitin
Mujhe apne desh me yesa koyi nahi dikhta hai jise poore biswaas se chamtakri leader kaha jaa sake. Jo micro level se system ko sudhar sake. K.W. me imman dari to hai, lekin unhe bhi kahi tik kar kuch karke pahale dikhana hoga phir unpar logo ko bharosa hoga. Tab tak Modi sarkar se hi kaam chalate hai.

Unknown said...
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Nitin Shrivastava said...

Babloo ji

Agreed... Modi best available option hain. Kejri ke imandari is debatable.
I expect mmodi ji kee sarkar bane toh mahboot aur stable bane so he can serve with his full capacity

Prabhat Sinha said...

रविश जी, आपको एक सलाह है। ये जो मोदी का एक भक्त है, खाकी निकर पहनता है , वो भी सिर पे, से आपको सावधान रहने कि जरूरत है। ये typical फ़ासिस्ट है जो बात के ज़वाब मे लात और गालि-गलौज की भाषा का प्रयोग करता है वो भी आपके ब्लॉग पे। मुझे तो इसकी भी सम्भावना लगती है कि कभी ये किसी तरह की हानि न पहुंचा दे आपको। आपके ब्लॉग पे वो Nitin Srivastav के नाम से कमेंट करता है और बहुत ही जूनून से आपको फॉलो करता है। बिलकुल ही नाथूराम के ख़ानदान का लगता है। देखते नहीं है कि कैसे गांधी जी कि हत्या क़ी याद धुंधलाते ही नाथूराम के भक्त गण हर तरफ़ कैसे उपलाने लगे हैं , और मोदी उनका नया अवतार है। जबतक गांधी जी की हत्या की याद करने वाली पीढ़ी जीवित थी तबतक ये खाकी निकर वाले चुहे के बिल मे घुसे हुए थे. इन चूहों से सावधान रहने की ज़रुरत है।

Unknown said...

अगर मोदी पी एम बनता है तो ये इस मुल्क की बटवारे केबाद दूसरी सबसे बड़ी बदनसीबी होगी मोदी की जीत झूठ की और अडानियों की दौलत की जीत होगी

aayushi verma said...

Breaking news
Nai sarkar ka gathan hote hi saare media houses 'prasar bharti' ke thahat laye jayenge ...!

Khabar pakar media mein modi.....I mean khushi ki lahar..!!

Kriti Kapri said...

Zabardast ! Aham Bramasmi! Modi ka vikalp bhi modi , modi ka virodhi bhi modi , modi swyam bhi modi , modi sakar hain nirakar hain .... ahankar hain

Unknown said...

Modi 2002 or Modi 2014 . Sach hum sub GAJNI hain. Aamir Ko Hats Off .....

Unknown said...

Great Ravish sir.. Nai last 6 month se apke har ek blog padh raha hu.. Your analysis is really great👍
Apke blog padh kar aisa lagta hai Ki Maine bhi journalist Ki padhi Ki hiti to achha hota.. Very interesting...

Unknown said...

You are hitting right at the point. Modi may have run a spectacular campaign, and we would know it’s impact in few days. But, the real question is how did that campaign register so well with an average voter. Lack of alternatives. Even if there was alternatives at few places, no one articulated it for the benefit of people.

Girte hain shahsawar hi maidan-e-jung mein. Woh tifal kya girenge jo ghutnon ke bal chalein

Chiranjeev said...

rarely anyone con narrate like this. this is too relevant observation. heads off to u man . and this is my first msg to you. i will wait your next post. JAI HO LOKTANTRA JAI HO BHARAT.

Annapurna said...

सर जी आप कहाँ हो कोई नई पोस्ट नहीं अच्छा नहीं लग रहा , आपका कल का प्राइम टाइम का ही इंतज़ार था koi तो इन एग्जिट पोल्स की लीला का कल्याण करे आज के समय लग तो ऐसा रहा है मानो ये देश अपना प्रधान मंत्री नहीं बल्कि १० रुपए की कोई नए फ्लेवर की मैग्गी खरीद रहा हो जैसा अक्सर होता ....मेरा मन्ना है की जितना पैसा मोदी में लगा उतना किसी प भी लगतअ yवो परधान मंत्री बन जाता ...खैर जो भी वो बस अब देखना है कु ये मोदी भख्तों को इनका हिस्सा कब मिलेगा ताकि ये भी अपनी ज़िन्दगी जी सके .......आप kehte है न बाकी तो जो है वो हैए है .....अपना ख्याल रखिये और कुछ कुछ लिखते रहिये अच्छा लगता है 

Niranjan Shrotriya said...

जनता क्या है?
एक शब्द…सिर्फ एक शब्द है:
कुहरा,कीचड़ और कांच से
बना हुआ…
एक भेड़ है
जो दूसरों की ठण्ड के लिये
अपनी पीठ पर
ऊन की फसल ढो रही है। (धूमिल)

Niranjan Shrotriya said...
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Manish Verma said...

मोदी जी को प्रधानमंत्री बनाने की बधाई .
४९ दिन बाद उनसे वो सवाल कौन पूछेगा जो अरविन्द से पूछे गए.
वैसे भी मोदी सरकार बनने के बाद अरविन्द की तरफ अगले ६ महीनो तक कोई ध्यान नहीं देगा. पता नहीं की अरविन्द पागल हैं या कोई समस्या है. इतना सब कुछ के बाद तो उन्हें अपने और परिवार के लिए कुछ अच्छा सोचना चाहिए और जनता को अपने हाल पर छोड़ देना चाहिए.
रही जनता के फैसले के अभिवादन की तो लालू, येदुरप्पा, फूलन, शिवपाल, अतीक, मुख़्तार जैसों को चुनने वाले ज़रूर राष्ट्रहित में ही सोचते होंगे. बड़ा बढ़िया justification है ऐसे मान्यवरों के चुने जाने का. जनता बड़ी समझदार है और ये सब जानती है. पता नहीं क्या जानती है?
इच्छा तो होती है की सारे कमेंट्स और वक्तव्य प्रिंट स्क्रीन करके सहेज लूं ताकि २०१९ में दिखा के पूछा जा सके. लेकिन किससे पूछेंगे.
सबसे समझदार तो अम्बानी और अदानी हैं. सही जगह लगाया है.

Nitin Shrivastava said...

@ Manish Verma

पता नहीं सब आपिये - सुतिये अभी भी किस गुमान में फिर रहे हे ...क्या वो अभी भी ये भ्रम में हे की देश की जनता बुद्धू हे जो सच और जूठ का भेद नहीं समजती ...और कुछ भेड़ बकरी की तरह सिर्फ हम ही सच्चे, देश भकत , गरीबो के मसीहा , और भरष्टाचार मुकत हे कहते बे बे बे करके एक गधे के पीछे चल रहे हे .

Manish Verma said...

@ नितिन
पिछले ६६ साल से तो समझदार थी ही. २०१४ में ज्यादा समझदार हो गयी देश की जनता. अब तो अच्छे दिन आ रहे हैं.

Manish Verma said...

या फिर पिछले ६६ साल से सब भरमा ही रहे थे एकाएक समझदारी आ गयी?

Nitin Shrivastava said...

@ Manish Verma
आप के अनुसार केवल दिल्‍ली मैं डिसेंबर मैं समझदार हुई थी ???

Anandita Raiyani said...

Last paragraph bahut achha laga ..asha to hai ki jaljala aayega... log achhe aur sachhe logo ko pasand karate hai .agar modi jitate hai...to marketing ke itihaas me unka naam amar ho jayega..aur dil me sawal bhi rahenge kya sachh me "satyamev jayate" hota hai ??ya ye sirf ek slogan hai aur kuchh nahi..

Manish Verma said...

@Nitin

दिल्ली दिसम्बर में समझदार हो गयी थी तभी तो भाजपा को सबसे ज्यादा सीटें दी थी.
ये बात और है की भाजपा ने जनता की समझदारी को दरकिनार किया और सरकार नहीं बनायीं.
कैसा डॉ. हर्षवर्धन आग नहीं झाग उगलते थे उस समय, भूल गए क्या.

Nitin Shrivastava said...

@Manish
Thn kejri should have continue as CM..He had many things to prove and to do..His lust forced him to resign and go after Modi.Pahle delhi ko sudhar lete itni jaldi kya thee?? Delhi ko ideal state bane dete fir national level par jaate..Why do you expect people of india to give him command of nation without any proven track record of governance?

aayushi verma said...

@manish ji
Janata ki samajhdaari vakai samajh se pare hoti hai. Bihar mein laloo ji ko chodne se le kar vapas unse judne ke khabron ke beech ekmatra uplabdhi unki jail yatra rahi.... phir samajh nahi aaya ki darasal sahi -galat , achche bure Ka wo kaun sa paimana hai jispar netaon ko maapkar ant mein janta itni mahaan aur buddhiman ban jaati hai.....

Bheedtantr ki bheed mein kisi kone mein akele khada hona bhi sukun hi deta hai.....

teacher4gujarat said...

Sahi bat kahi aapne,
Samvhalna gujarat ke ala officers ko jail me daldiya he ,

teacher4gujarat said...

Gujarat ki dark side media ne kabhi ujagar nahi ki usaka dukh he,
Gujarat me bhi kub..kub bhrastachar he,
Soch ne ki bat rahi desh ka kya hoga?

Unknown said...

wah...nitin bhai khile huye hai...........baki sab hile huye hai

Manish Verma said...

@ nitin
31 सीट ले कर के जब भाजपा की हिम्मत नहीं हुई बनाने की क्यों की वो जानते थे की कितना मुश्किल होगा जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना. मोदी भी फ्लॉप हो जाते २०१४ लोकसभा चुनावों में यदि दिल्ली में सरकार बना लेती भाजपा.
केजरी ने दबाव में ही सरकार बनायीं थी और ये कांग्रेस और भाजपा का दबाव था मीडिया के द्वारा. २७ विधायक ले कर के मीडिया का रोज़ रोज़ इम्तिहान देना जैसे की वो कोई जादूगर हैं.
सारे पुराने आईएस का ट्रान्सफर कर दिया केंद्र सरकार ने. भरमा कौन रहा है हम भी समझते हैं और् आप भी.
अब यही मीडिया या फेसबुक के फोलोवर क्या मोदी से पूछने का साहस रखेंगे के वो ५० दिन में क्या कर देंगे. या उनको पूरा ५ साल देके हिसाब लिया जायेगा.
अम्बानी की कंपनी का जो सब्सिडी की बात है, उसके लिए सब्सिडी का मतलब समझिये. सभी आयल कंपनियों और फ़र्टिलाइज़र कंपनियों को जो सब्सिडी का पैसा मिलता है वो भी गलत हो गया इस हिसाब से. फिर तैय्यार रहिये १०० रुपया का पेट्रोल और १४०० का गैस सिलिंडर के लिए.
रही बात प्रोवेन रिकॉर्ड की तो पिछली लोकसभा में कितने सांसद प्रोवेन क्रिमिनल रिकॉर्ड के थे, बहुत बड़ा डेटाबेस है इन्टरनेट पर.

Manish Verma said...

@ नितिन
यकीं मानिये मैं भी मोदी का ही समर्थक था दिल्ली चुनाव के पहले. लेकिन दिल्ली में सत्ता न मिलने पर जो बयानबाजी भाजपा ने की और पार्टी का अगुआ हो के मोदी ने जो समर्थन उन्हें दिया वो बड़ा ही निराशाजनक था.
२७ विधायको वाली आप को यदि बीजेपी सपोर्ट कर देती तो इससे क्या सन्देश जाता आप खुद आंकलन कर लीजिये. लेकिन ये होना नहीं था क्यों की नेताओं के अपने स्वार्थ आड़े आ जाते. मोदी और मनमोहन में कोई अंतर नहीं है जहाँ तक बात है आँख मूँद लेने की जब कोई पार्टी का निजी स्वार्थ हो.
चुनाव जीतने के लिए क्या ये ज़रूरी था येदुरप्पा और पासवान को साथ लेना. क्या जीतने के बाद उन्हें कोई छूट नहीं दी जाएगी? जैसा की पढने में आ रहा है की करीब १०० पूर्व कांग्रेसी भाजपा के टिकेट पर लड़ रहे हैं, अब वो स्वीकार्य कैसे हो गए. मोदी को ये कण्ट्रोल करना था. नहीं किया क्यों? ताकि वो सरकार बना सके देश की भलाई के लिए?

Nitin Shrivastava said...

Manish ji

No one supported BJP to form the government..Kajri himself made timeline to fulfill his promises..is he so Innocent that he is not aware without central support he cant fulfill all the promises?? Why he made promises he cant fulfill.
Why he expect all the red carpet gestures from opposition?

And on the issue of funding dont make yourself fool that he has not get funding from corporate like Jindal/bajaj/Ford and media support from IBN/AAj Tak and all the jourlist like Punya prasoon, Ravish, Ahsutosh. All anti modi forces and thrown heavy funding on him.

Nitin Shrivastava said...

Manish Ji,

I am not blind Modi supporter . I just see a ray of hope in Him.All the parties given ticket to criminals including AAP.IAS who given clean chit to Vadra got AAP ticket why? Yogendra Yadav played muslim card in Mevat saying my childhood name was Saleem and Salma was my sisters name, how he is different from others?
Ashutosh called himself GUPTA in chandni chowk area why?? i never herd his surname earlier.
AAp volunteers thrown stones on BJP office thn how they are different from others? can you dare to throw stones on Cong/SP office?
I dont expect answers from you on above points ..This is politics and this game is been playing on very high level we cant understand and as per my understanding kejriwal was a tool to divide anti cong votes.You can see his aggression on Bjp/ Modi. Any way lets hope next government do good work keeping in mind the poor people

Manish Verma said...

@ नितिन

टाइम लाइन देने का तो वेलकम होना चाहिए था. पिछले ६६ साल में किसी चीज़ का टाइम लाइन नहीं दिया गया था. हालत आपके सामने है. कहीं नौकरी करते होंगे तो पता होगा टाइम लाइन की क्या ज़रुरत होती है. हिम्मत चाहिए टाइम लाइन देने के लिए.
और केजरीवाल में ऐसा क्या था जो कोरपोरेट उसको फंडिंग करते. पत्रकारों के अपने निजी विचार भी हो सकते हैं, जिनका आपने नाम लिया उसने फौरी तौर पर आप पार्टी को कोई लाभ पहुचाया ऐसा देखने को नहीं मिला.
मीडिया हाउसेस जिनसे प्रचार का पैसा मिल रहा है उसे फायदा देंगे या आम आदमी पार्टी को ये आप खुद सोचिये. कभी खुद से पूछिए की इतना पैसा कहाँ से आया प्रचार के लिए.
आरटीआई के दायरे में खुद को लाने के लिए क्यों भाजपा या कांग्रेस तैयार नहीं हुई.
दागी सांसद मामले में क्यों सब एक हो गयीं.

Manish Verma said...

नितिन जी
मैं बनारस का रहने वाला हूँ और अपना पहला वोट भाजपा को ही दिया था. हमारे छेत्र वाराणसी कैंट की विधायकएस भी भाजपा की हैं. सन् ९० से एक बार छोड़ कर सभी सांसद भाजपा के ही रहे हैं. लेकिन यदि २००९ में मुख़्तार अंसारी ने बनारस से चुनाव नहीं लड़ा होता तो जोशी जी पक्का चुनाव हार जाते. इस बार तो हार तय थी.
इस बार बड़ी नेगेटीविटी से चुनाव लड़ा है भाजपा ने. कांग्रेस या भाजपा के विरोध को मोदी विरोध की तरह न देखा जाये ऐसी गुजारिश है.
कांग्रेस से रत्ती भर भी अलग नहीं है भाजपा ये अगले ५ सालों में साफ़ हो जायेगा.
अगले मनमोहन मोदी होंगे जिनकी नाक के नीचे सभी कुकर्म होंगे और वो कुछ नहीं करेंगे. ये समझौता पहले ही हो चूका है.

Nitin Shrivastava said...

Manish Ji,

Good to hear you are from Banaras..I am also from Banaras...
I have courage to say the shortcomings of Modi and i can except it..but it doesnt mean kejri can do some magic. As expected you have not replied on the questions raised by me in previous comments..As we are from same region we can understand the plight of our area state.
Kejri was cong ploy to divide anti cong vote but his eagerness backfired him

Abhijot said...

जिस तरह की हरकतें इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने की है ,उससे तो लगता है कि इसकी अर्थी तयार हो गई है . इसकी विश्वसनीयता बहुत कम हुई है ..आने वाला समय सोशल मीडिया का है .इलेकट्रानिक मीडिया का तो जनाजा उठाने वाले भी न मिलेंगे !

neeru jain said...

धर्मनिरपेक्षता बनाम सांप्रदायिकता की बहस झूठी है |जैन शास्त्रों में दो तरह की धाराओं का जिक्र आया एक परित- संसारी(अर्थात जिनका संसार(आवागमन ) छोटा हों गया है )और दूसरे संसारी (अर्थात जिनका आवागमन अभी बहुत बाकी है )| भारतीय
जनमानस में जो धर्मनिरपेक्षता के संस्कार लक्षित होते हैं ,वह वास्तव में परित -संसारी लोगों के ही अभिलक्षण है|
पार्टीबाजी और सत्ता के समीकरणों में उलझे राजनेता किस तरह धर्म -निरपेक्षता जैसे कमजोर मुद्दे पर एक हों सकते हैं ?
तो यह है कि बेशक राजनीति में यह बहस झूटी हों ,पर भारत में धर्म-निरपेक्षता का मुद्दा झूठा नही है|और विकल्पहीन होकर भी जनता अपने तईं इस मुद्दे को सुलझाने में सक्षम है |

niti shekhar said...

Its not expected to hv such biased view from a media person...either you leave media and join whatever political party you wish or have a neutral view point...otherwise nothing is wrong if you are called a "presstitue"...shame on you...thoo.

niti shekhar said...

Its not expected to hv such biased view from a media person...either you leave media and join whatever political party you wish or have a neutral view point...otherwise nothing is wrong if you are called a "presstitue"...shame on you...thoo.