ख़ाली खेतों में लड़के देसी क्रिकेट खेल रहे हैं । उनकी पतलून अब धीरे धीरे रेडिमेड हो रही है । महानगर से बाहर शाम बची हुई है । बाग़ीचों तक में क्रिकेट की टीमें जुटी हुई हैं । खेती और क्रिकेट ये दो ग्रामीण पेशा हैं । नई बात कुछ नहीं कह रहा । बड़ी संख्या में खेत ईंट भट्टों में बदल दिये गए हैं । प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की सड़कें खुरदरी भुरभुरी होकर बची हुई हैं । जिन पर लोग चल ही रहे हैं । गाँव के गाँव उजाड़ लग रहे हैं । शाम होते ही उदारीकरण की औकात दिख जाती है । जब बिजली कहीं भागी हुई नज़र आती है ।
हावड़ा राजधानी अपने आप को स्मार्ट समझती है । रफ़्तार और समृद्धि की प्रतीक राजधानी धीरे धीरे चमक खो रही है । सुविधायें वहीं है । स्टाफ़ भी शालीन पर राजधानी को राजधानी हुए अब कई साल भी तो हो गए हैं । स्टाफ वही खाना सालों से खिला रहे हैं । घर का खाना जैसा लगता है । एक ही मेन्यू । राजधानी मार्डन से क्लासिक हो गई है । फिर भी इतने भ्रष्टाचार की ख़बरों के बीच रेल का अपना सिस्टम ठीक ठाक ही चलता है । सब काम करते हैं ।
4 comments:
Mera anubhav Rajdhani ke saath acha nahi raha. Bangluru Rajdhani Hyderabad se Bangluru 500 km pahuchane main 12 ghante leti hai.Bilkul Maja nahi aaya.
हमें कोई कहीं पहुँचा दे, पर रेल सबको घर तक छोड़ आयेगी रवीशजी। यात्रा की शुभकामनायें।
राजधानी के सफर से उब गये हो सर तो भोपाल आइयेगा । आपको इंदौर और महू के बीच डीजल इंजिन से चलने वाली छुक छुक गाड़ी की सैर कराएंगे ।
Sir,plz take a look. .
http://gauravwords.blogspot.in/
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