नो टीवी डे , इ का है बे

हमारे इनबॉक्स में मेलर आते रहते हैं । इसके ज़रिये लोग अपने कबाड़ टीवी कार्यक्रमों या ग़ैर मीडिया इवेंट की जानकारी देते रहते हैं । मेलर सबसे अनुपयोगी प्रचार तंत्र है और संचार क्षेत्र मे लगे लोगों को व्यक्तिगत रूप से भेजा जाता है । ख़ैर मुद्दा ये नहीं है । 

तो क्या है । वो ये है कि हिंदुस्तान टाइम्स एक नया डे निकाल लाया है । नो टीवी डे । टीवी कम देखिये या मत देखिये की वकालत तो मैं भी करता रहा हूँ । ट्विटर के उन दिनों में और टीवी शो के दौरान भी । किसी ने सुना नहीं वर्ना तो जो है वो चली जाती । ख़ैर । टीवी सचमुच तंग करने लगा है । मैं तो पूरे महीने में इतना कम देखता हूँ कि आप यक़ीन नहीं करेंगे । तो मेलर के अनुसार हिन्दुस्तान टाइम्स एक जून को मुंबई में नो टीवी डे मनवा रहा है । मनाया जाना ठीक नहीं क्योंकि ऐसे इवेंट हम मानते नहीं बल्कि तरह तरह के प्रलोभनों के ज़रिये हमसे मनवाया जाता है । 

तो फ़्री के पास मिलेंगे और कई लोग यूँ भी जमा होंगे और नो टीवी डे मनवा दिया जाएगा । अच्छा क़दम है । टीवी में रहते हुए फ़ुल सपोर्ट । एक दिन नो पेपर डे भी मनवाया जाना चाहिए जिसमें हम पेपर के टायलेट पेपर बन जाने से मुक्ति का आह्वान कर सके । कूड़ा पढ़ने से अच्छा है शहर को देखो । टीवी के कारण हमारी शाम खराब हो रही है वैसे ही पेपर के कारण सुबह । अखबार में आधा घंटा लगाने से अच्छा है टहल आइये । पेपर मे भी बुराई है । वहां कोई दैनिक स्वर्ण युग नहीं छप रहा है । तुलनात्मक रूप से ज़रूर पेपर टीवी से बेहतर है । ख़ैर । ये तीसरा ख़ैर है । 

शहर तो देखना ही चाहिए । फादर्स मदर्स डे फ्रैंड्स डे  बिना बाप माँ दोस्त से मिले ही मनायें जा रहे थे क्या । लल्लुओं बिना इनसे मिले कार्ड किसको दे रहे थे ? पड़ोसी के डैडी को ? अब टीवी बंद कर इन तीनों से मिलने का डे आ रहा है । नो टीवी डे । 

इसदिन टीवी बंद कर आप मुंबई देखने के लिए घरों से निकलवाये जायेंगे तभी तो मनवाये जायेंगे । देख लीजिये कि एक जून को पूरी मंुबई टीवी बंद कर बाहर न निकल आए । फिर उसके बाद एक दिन कोई पेपर नो मुंबई डे मनवायेगा । शहर में न निकलने के लिए पास देगा कहेगा कि घर पर रहें और शहर को बचायें । नो मम्मी डे, नो हब्बी डे, नो वाइफी डे नो जीजू डे का भी स्कोप खुल रहा है । फ़्री का पास मिले तभी मनवाना वर्ना एकादशी द्वादशी क्या कम है हमारे पास । लेकिन एक बात तो है शहर में यूँ ही घूमना चाहिए । ज़रूरी है । 

4 comments:

tushar said...

kya koi aisa event bhi kabhi hoga " NO POLITICIAN DAY "

प्रवीण पाण्डेय said...

हमें तो वैसे देखने को नहीं मिलता है घर में।

nptHeer said...

Kisi akhbar wale se tan gai hai lagta hai :) upar se tv ka gussa aur vacation ka disturbance! !!! To blog achha likh diya :) vaise hamare mandir main hamlogon ko tv upwaas milte hai-jise tv ka 'vivek' kahte hai-no tv sahi nahin hai:-/ 'vivek' sahi hai-means yogyayogya ki pahchan-haina correct?say yes!

sleepyhead said...

टीवी में आजकल एकरसता सी हो गयी है , कितने भी नए चैनल आ जायें पर उस पुराने दूरदर्शन की तुलना कोई नहीं कर सकता जब रामायण आने पर पूरा मोहल्ला एक साथ बैठकर देखा करता था . बहुत छोटी थी मैं उस वक़्त पर यादें अभी भी है दादाजी की गोद मेरी पसंदीदा सीट हुआ करती थी . और इतना कुछ है करने को तो अब टीवी देखकर अकेले समय व्यर्थ करना सा लगता लगता है ..सही है नो टेलीविज़न डे मैं तो ख़ुशी से मनाऊंगी । :)