बिजली आई है आई है बिजली आई है

सोचता हूँ अपना एक पावर प्लांट लगा लूँ । बिजली सरकार के बस की बात नहीं है । इनवर्टर और जेनरेटर ये दोनों झबरा कुत्ता की तरह दरवाज़े पर मिमियाते रहते हैं । इनके चलते कोई सो कैसे सकता है ।  बिजली के आने जाने में पंखा कूलर एसी सब एतना ढाईं ढिचुर करते हैं कि दिमाग़ ख़राब हो जाता है । ज़िंदगी के पैंतीस साल पंखे और कूलर में गुज़रे हैं । आराम से गर्मी कट जाती थी । एसी की लत नई है । पर ऐसी है कि लगता है इनके बिना प्राण निकल जाए । वैसे ये चलते कब हैं । गियर एक्सलेटर लेकर बैठ जाते हैं । अच्छा है एसी में ब्लोअर भी आने लगा है । कम से कम सर्दी में तो कुछ पैसा वसूल हो सके ।

कूलर इतना पानी पीता है कि इसको लेकर भी पर्यावरण की लघु चिन्ता होने लगी है । जब तक पाइप से पानी भरता है तब तक दो चार बाल्टी उलट आता हूँ ताकि टँकी जल्दी भरे । ग्रिल को ऊपर-नीचे, आड़ा-तिरछा करके हवा के रुख़ को बदलने का प्रयास जारी रहता है । इतनी मान मनौव्वल के बाद तो हवा को चुपचाप पीछे पीछे आ जाना चाहिए । 

तो गर्मी हाज़िर है । तापमान हेडलाइन है । बिजली डेडलाइन । कोई बिजली मत्री का इस्तीफ़ा तो माँगों भाई या फिर उनके घर ग़ाज़ियाबाद वाली लाइन जोड़ दो । जल्दी प्राइवेट जेनसेट ईयमआई पर मिलने लगेगा । मैं गर्मी से आतंकित नहीं हूँ । बिजली से हूँ । जो आती नहीं है । आती है तो आते ही चली जाती है । 


3 comments:

nimeshchandra said...

aap gujarat mai nahi hai ,isliye bijali ki baat kar rahey ho aur solar panel ki baat nahi kar rahey ho
solar panel power house se sasta padega

प्रवीण पाण्डेय said...

बिजली ने सुख अपहृत कर लिया है।

tushar said...

ha ha ha, uttam, sahi chitran