दोपहर, बारिश और कोलकाता का एक मोहल्ला

खिड़की से बारिश को देखे ज़माना हो गया । ज़माना तो अब टीवी में बारिश को देखता है । जो गर्मी से राहत  से शुरू होकर ट्रैफ़िक जाम और जलजमाव के आफ़त में बदल जाती है । अगले दिन बारिश में भींगती युवतियों की तस्वीरों से भरे अख़बार ( पहले भी बारिश की इन युवतियों पर लिख चुका हूँ ) । सबके अपने अपने मेघदूतम हैं । कालिदासों ने मिलकर बारिश का बेड़ागर्क कर रखा है । संवेदनाएँ भी फार्मेटेड खांचाबद्ध हो गई हैं । 


तो कोलकाता के अपने घर की खिड़की से बारिश की बूँदों को देखता रहा । पेड़ों की हरियाली और पेड़ों के नीचे घासफूस की मौज । याद नहीं गर्मी के बाद स्कूल खुलने पर मैदान कितने हरे भरे लगते थे । फ्लोरा-फोना । नज़दीक़ जाकर देखा तो सब के सब बावरे लगे । 


सड़कें भीग कर अलसा़़यी सी । ख़ाली सड़क है मगर बारिश से भरी हुई । छींटें उड़ती है । पतलून और साड़ी बचाये जाते हैं । चाय की तलब बढ़ जाती है । 


चलता रहता हूँ । एक गली की तरफ़ । कुछ लड़के लुडो खेल रहे हैं । काम से आराम का समय है । सब कुछ क्रिकेट या फ़ुटबॉल नहीं है यहाँ । कैरम और लुडो भी है । बिना टीवी और ब्रांड खिलाड़ी के । 


कोलकाता के मोहल्लों में हर दोपहर रविवार का नज़ारा होता है । ख़ाली सा । दिन का कोई तो वक्त ख़ाली होना चाहिए । काम करने वाले ज़िंदगी की शर्त पूरी करने जा चुके हैं । सड़कों पर कभी कभी छाता लिये माएँ दिखती है अपने बच्चों को ट्यूशन ले जाते हुए । ख़ाली सड़क पर भी रिक्शावाला हार्न बजा देता है । 


बारिश से उमंग है लेकिन यहाँ अलग अलग नलों पर दो बाल्टियों ने अपनी पोज़िशन ले ली है । हम भी तो ऐसे ही इंतज़ार करते हैं । पानी का । बारिश का । 

5 comments:

nptHeer said...

Aap se jalan ho rahi hai :)kya?:) ek to baarish 1hr hi dikhi fir a/c ka muh dekhte hai:-/ fir bill :) aur fir mujhe dar hai mujhe kolkata bhi achha lagne lagega :-/ my city best :) :p (wait..."tum shahar-e-mohabbat kahte ho...hum..." isko gazal main ginti nahin hun main) :p
:) greenary to hai WB main...lekin devlopment and poverty ke kandhon par baithi hui si lagi mujhe:( jo insaniyat ke naate fair nahin haina?
I wish greenary indipendent ho paaye:)
Enjoy your vacation :)and yes baarish bhi?:)

Unknown said...

Sir Mai wahi jise ap aj Building-o ke designs dekhte dekhte mile the. maine ye bat sabko batai aur sabse jyada khus mere pita hue.
Bus apse dubara milne ki chah hai . Aur apke koi kam ayu to meri khudkismati hai. waise to ye sahar bhi apka hai , par mai bhi yahi hu. koi jarurat ho to jarur bulayega. Banda apke thik bagal me hai...... Jayant Kumar Roy Marketing Manager-T.I.M.E Pvt Ltd- Email - jayantroy@live.in

mokshroopi said...

Hey ravish ji,

your blog is too good. your observation is also very good. bas aise hee ache ache blog padhne k liye dete rehena... :)

Thanks

प्रवीण पाण्डेय said...

जीता जागता शहर

Unknown said...

कोलकाता देखकर मजा आ गया है....धन्यवाद
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