क्या आप इस भगवान को जानते हैं?
हरिद्वार गया था। वहीं पर ये भगवान मुझे मिले। किसके और किन प्रयत्नों से अवतरित हुए हैं,जानना चाहता हूं। बिल्कुल आधुनिक हैं। हिन्दू धर्म के संगठित न होने की सबसे बड़ी खूबी यही है कि कोई भी अपने को देवता घोषित कर सकता है। इस खूबी के कारण इस धर्म की जीवंतता दिलचस्प है। बिल्कुल आधुनिक लिबास में हैं। टाई और सूट पहने हुए हैं,परंपरा की तरह घोड़े की कान को पकड़े हुए हैं। किसी की भावना को आहत नहीं करना चाहता बल्कि किसी आकर्षक आधुनिक ईश्वर नुमा शख्स के अवतरित होने की सूचना दे रहा हूं। पूछ रहा हूं कि आप लोगों को जानकारी हो तो बताइयेगा। ईश्वर रूप में हैं या नहीं,ये नहीं कह सकता। आशीर्वाद की मुद्रा में संत लोग फोटू से लेकर मूर्ति बना लेते हैं। यह भी जानना चाहूंगा कि क्या ये संत हैं और अगर हां तो किस परंपरा में संत हुए हैं।
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18 comments:
मेरे लिए तो बिल्कुल नयी जानकारी है ये .. फिर लौटकर आती हूं .. विस्तार में कोई पाठक अवश्य जानकारी देंगे!!
मुझे तो ये करियर बाबा लग रहे हैं, प्रतियोगी परीक्षा और साक्षातकार से पहले इनका आशीर्वाद लेने वालों की भीड लगती होगी।
जय कैरियर बाबा की। जब हमारा कैरियर बनाने का वक्त था कहाँ थे?
घोड़े की कान को
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अपरंच कल्कि के आधुनिक पूर्वावतार है ये -आगे चलकर यही पूर्ण कल्कि में साकार हो जायेगें-नमन शठ नमन !
भाई, हम भी कोशिश में लगे हैं ब्लॉग परंपरा में संत होने की....संत क्या, जब लगे हैं तो भगवान ही हो लेंगे...कभी फोटू छाप देना तो चल निकलेंगे. :)
सुना है आप तो टी वी वाले हो..भगवान बना बिगाड़ सकते हो, मदद कर दिजियेगा जरा. :)
रवीश के कस्बे में
भगवान का झमेला
लगेगा अवश्य
अब यहां
टिप्पणियों का मेला
टाई सूट वाले
आधुनिक भगवान को
स्वयं अवतरित
होना होगा यहां।
जब राम और हनुमान मैनेजमैंट के फंडे सिखा सकते हैं तो राम, श्याम, हनुमान पेंट कोट में भी आ सकते हैं। कुछ नया करने की सूझी हो गई। जब हजारों साल बाद ये मूर्ति किसी को मिलेगी, अगर सलामत रही तो आज की दुनिया की यही तस्वीर भगवान हो गई। फिलहाल मैं तो किसी भगवान को मानता नहीं। मैं खुद भगवान हूँ. भगवा न। मतलब गेरुआ रंग नहीं।
आधुनिक सूटेड बूटेड बाबा, पर शायद साऊथ इंडियन लग रहे हैं।
यो तो भाई घणा मॉडरन जाहर दीवान लग रिया। वो बैट्ठे करे था चांदी की काठी पै।
ये देव धन के देवता यानी कॉरपोरेट सीईओ हो सकते हैं....हो सकता है आनेवाले सालों में किसी मंदिर में कुबेर की मूर्ति के बदले हम इन्हे ही पाएं! वैसे भी कहते हैं कि हिंदुओं ने बुद्ध की मूर्ति देखकर ही अपने देवताओं की मूर्ति गढ़ी थी-ये प्रेरणा भी कुछ ऐसी ही हो सकती है!
रवीश जी ~ अरविन्द जी ने सही कहा.
आप, अन्य अनेक भारतीय समान, नाम से तो हिन्दू लगते हो पर कर्म से पश्चिमी टूरिस्ट - काल यानी कलियुग के प्रभाव से...इस लिए बताना पड़ता है कि विष्णु के दशावतार माने जाते हैं, और हिन्दू मान्यता के अनुसार भगवान् किसी भी रूप में आ सकते हैं, स्वयं आपके भी...
कलियुग में विष्णु के अवतार को कल्कि-अवतार के नाम से पुकारा जाता है, और उनकी पहचान उनके सफ़ेद घोड़े से मानी जाती है, वैसे ही जैसे हर भगवान के अलग-अलग वाहन दर्शाए जाते हैं - शिवजी का वाहन नंदी बैल जैसे...जिसे आप मानचित्र में भी देखना चाहें तो ऑस्ट्रेलिया को देखिये (जो आजकल सुर्ख़ियों में है भारतीय विद्यार्थी के विरुद्ध व्यवहार के कारण - क्रुद्ध सांड जैसे) - वो आपको बैल के कटे सर सामान नज़र आएगा ;) उत्तरी अमेरिका को देखें तो वो विष्णु के वाहन गरुड़ सामान दिखाई देगा ;) आदि आदि...
जय भारत/ धरती माता की :)
रविश जी,पहले ही भगवानों की भरमार है...कोई बात नही...यह भी कहीं ना कहीं फिट हो जाऐगें...:))
"Ai insaan, maiN tujhi me ghusa aisa shaitan huN ki na jiuNga na jeene duNga."
mujhe to yeh Narayan Murthy baba lag rahein hain.......
बेहद नई जानकारी ... गजब निराली दुनिया ...
ravish bhaiya , ye corporate bhagwan hain. office ke boss ko anya bhagwano ki tarah logo ne sadak par utar feka hai taki inki kripa se unka kaam chal jai . ab samay bhi nahin raha ki promotion nahin hone par bajrang bali ko gali diya jai. logo ka gussa aur pyar dono isi corporate bhagwan par utarne wala hai.
Maine apne dada-dadi se sun hai ki koi KALKI bhagwan ka avatar hone wala hai.Vo ghode par sawar honge. magar unhone ye nahin bataya tha ki ve suit-boot me prakat honge.
CHALIYE EK AUR BHAGWAN HO GAYE.
PAHLE SE HI 33 CRORE THE . AB 33 CORE EK HO GAYE.
330000001.....HAHHA
kumbh ki aadhunikta ko hum inhi photos ke jariye samajh sakte hai... jaha 600 crore ka local bussiness sambhavit ho waha corporate look wale devta ki jarurat to padegi hi
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