पिछले दस साल में हिन्दुस्तान बदला है । इस रास्ते के कई ढाबे प्रतियोगिता से बाहर भी हो गए । कारण एक्सप्रेस वे टाइप हाईवे के बन जाने से पराँठों के केंद्र के रूप में विकसित मुरथल के ढाबे ख़त्म भी हुए । आपको मथुरा और मुरादाबाद के रास्ते में मुरथल के पराठे वाले ढाबे दिखेंगे । सुखदेव ढाबा टिक गया । टिका ही नहीं पूरी तरह से बदल गया ।
अब यहाँ किसी हल्दीराम या बीकानेरवाले की तरह चहल पहल दिखती है । गाड़ियों का अंबार । फ़ाइव स्टार ढाबा है । बाथरूम की सफ़ाई किसी फ़ाइव स्टार की तरह है । हर तरह खाना है और खाने वालों का हुजूम । इतना कि तीन तीन हाल हैं खाने के । एक ख़ास आर्थिक स्केल के बैंड विथ में आने वाले लोग दिखे । जीवन को 'एन्जवाय' करने वाले । यहाँ की चहल पहल को देखकर लगता ही नहीं कि इस देश में कुछ नहीं हुआ है । पराठे और सफ़ेद मक्खन खाने वाले अब नाना प्रकार के व्यंजनों पर पैसे लुटा रहे हैं । फ़ाइव स्टार ढाबा होने के बाद भी चाय पीने का वही स्टाइल है । देग भर भर के चाय बन रही है ।
मनोरंजन भारती अपने बाबा का ढाबा के लिए यहाँ गए थे तो बता रहे थे कि सुखदेव ढाबा बनाने वाले अब भी उसी सादगी से वहाँ नज़र आ जाते हैं । उनका बेटा इंग्लैंड से पढ़कर आया है । सज्जन है और बिज़नेस को दूसरे मुक़ाम पर ले गया है । उन्होंने मनोरंजन को बताया कि हम बस लोगों की मांग और ज़रूरतों के हिसाब से बदलते रहे । उसका असर है यहाँ रूकने वालों की भीड़ ।
17 comments:
"सुखदेव ढाबा टिक गया । टिका ही नहीं पूरी तरह से बदल गया ।" शायद समय के साथ बदलते रहना ही उसके टिके रहना का कारन है। एक्सप्रेस वय के कारण आ सकने वाले इस बदलाव पर कभी ध्यान ही नहीं गया। आर्थिक , सामाजिक पहलू कैसे आपस में गुथे होते हैं। कितने ही अलग अलग तरह से !
Hua to bahut kuch hai par ye aap manmohan ji se puchiye ki logo ko dikhta kyu nhi....
Ravish Ji 10 saal mein bahut Kuch badla hai.agar ye badlaav Ka shrey koi rajnitik party Le to sahi nahi.is badlaav mein majdur se lekar sabhi hastiya shamil hai.
Waese sir bhrastachar or vikas ka bhi rishta to h.. Kucheko ka to bhala hua hi hoga.. Yunhi koi bhrashtachari nhi banta. Ek tarike se indian tendency ban gyi hai.. Paesa do kaam karwa lo.. Khaer jo log Hashiye par the wo to hashiye par hi hain.
SIR JI khushi ho rahi hai jan ke
INDIA progress kar raha hai.
THANK YOU for making us aware of this new change.
वाह, खाने में है दम।
किस कारण से टिक गया यह तो नही जनता लेकिन खाने-पीने के शोकीनो को सड़क पर कोई दिख जाए उसे डूबने नहीं देते और अगर एक चला गया तो सब पीछे आ ही जाते हैं. बाकी लोगो के आवा जाहि बदलाव सिखला ही देती हैं. लेकिन कहा नहीं जा सकता की मुर्गी पहले आई या अंडा -- इस सन्दर्ब मैं- बदलाव आया की लोगो के आने से बदलाव खुद आ गया. अछी पार्किंग शायद लोगो के आने से बनी होगी. हा यह ज़रूर हैं की मौके का इस्तेमाल सुखदेव & सन्स ने अछा किया --NITIN BHATIA, Belgium
इमारत तोह ज़रूर बड़ी हो जाती है लेकिन उसमे रहने वाले लोगों के दिल छोटे हो जाते है !
इनके पूर्वज जिस लगन और प्यार के साथ अपने मेहमानो के लिए खाना बनाते होंगे वह यह "बिज़नस" करने वाले क्या जाने |
Sir aaj ka prime time dekha
पसमांदा मुस्लिमों का कितना विकास?
aaj ke rajnitik mahol main ye ankhe kholne wala hai.
aisa lagta hai jab media ko gali di jaye to apka nam hatakar di jaye.
Sochta hoon Ravish ki Reporting hi kiya karo aap. ye Debate mat kiya karo usme kuch niklta nahi hai.
Kash koi ek dhang ka dhaba hill area main bhi Khol de, anyways Aajkal aapki reporting dekhne main maza aa raha hai.
Hi Mr ravish I m hemal from London nd really liked ur blog btw can u write something on oil price or p
oil petrol diesel
itni badi-2 gaadiya dekh k dar hi lagta hai.....baap re ....band dibbe ka jeena bhi kya.......aapka kal ka prime time dekha.....shama muje badi pasand aai....sochti hu in gaadi walo k yaha paida hoti to zarur doctor ban hi jati....padhai na chdni padti..
itni badi-2 gaadiya dekh k dar hi lagta hai.....baap re ....band dibbe ka jeena bhi kya.......aapka kal ka prime time dekha.....shama muje badi pasand aai....sochti hu in gaadi walo k yaha paida hoti to zarur doctor ban hi jati....padhai na chdni padti..
Kuch chijjen hain..jo shayd bharat se koi nai chin payega....rup..dasha...aakar bikar badal jaye...par pata nai.kyu sadgi tab bhi bararar rahti hai...unhi ka suchak hai ye "sukhdev dabha"....
Mauka mila to jarur jaunga....
Asli khana to India ke dhabo me hi milta hai. Mujhe Sukhdev dhaba jane ka mauka mila hai par tab mujhe uski value nahi pata thi.
Ab dhang ka indian khana nahi milta hai to sab miss hota hai.
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