आज पश्चिम उत्तर प्रदेश के उन इलाक़ों में गया जिसे साठा चौरासी कहते हैं । साठा चौरासी साठ और चौरासी गाँवों के समूह को कहते है । इन गाँवों को तोमर और सिसोदिया राजपूतों का गढ़ माना जाता है । तोमर और सिसोदिया राजपूत हिन्दू भी हैं और मुसलमान भी । धर्म अलग होने के बाद भी दोनों के जातीय संबंध अद्भुत हैं । तोमर राजपूतों की पगड़ी मुस्लिम तोमर के गाँव से आती है जिसे हिन्दू राजपूत अपना चौधरी मानते हैं । इसी तरह सिसोदिया राजपूतों के यहाँ भी पगड़ी मुस्लिम सिसोदिया गाँव से आती है । मुस्लिम नामों के अंत में राणा, सिसोदिया और तोमर नाम सामान्य होते हैं । इसी क्षेत्र के तोमर महमूद अली ख़ां मध्यप्रदेश के राज्यपाल भी रहे हैं । चरण सिंह के ज़माने तक मुस्लिम राजपूतों का राजनीतिक प्रतिनिधित्व ठीक ठाक रहा मगर बाद में कम होता चला गया ।
साठा चौरासी यानी एक सौ चवालीस गाँवों के राजपूत ग़ाज़ियाबाद, बुलंदशहर और हापुड़ संसदीय सीट पर असर रखते हैं मगर ग़ाज़ियाबाद पर इनकी पकड़ ज़्यादा है । इस इलाक़े में राजपूतों के गाँव 32, 60 और 84 गाँवों के समूह में पाये जाते हैं । एक सज्जन ने कहा कि पूरे उत्तर प्रदेश में राजपूतों की ऐसी पट्टी नहीं है । ऐसा नहीं कि साठा चौरासी ने ग़ैर राजपूत उम्मीदवारों का समर्थन नहीं किया मगर यहाँ के लोग मानते हैं कि कोई राजपूत उम्मीदवार आता है और वो योग्य है तो झुकाव हो जाता है । इन गाँवों के बड़े बुज़ुर्ग मिलकर फ़ैसला करते हैं कि किस चुनाव में किसे वोट देना है । इसीलिए किसी भी दल का राजपूत उम्मीदवार यहाँ आते ही पगड़ी, टीका और तलवार पकड़ लेता है । इन गाँवों के दरवाज़े पर महाराणा प्रताप की विशालकाय प्रतिमा लगी होती है । यहाँ तक कि मुस्लिम तोमर के गाँवों के प्रवेश द्वार पर भी महाराणा प्रताप की मूर्ति बनी होती है । एक मुसलमान बुज़ुर्ग ने कहा कि महाराणा प्रताप हमारे बूढ़े हैं । हमारी शक्ल बदल गई है मगर नस्ल तो वही है ।
साठा चौरासी के एक गाँव के हिन्दू राजपूत ने बताया कि स्थानीय चुनाव में मुस्लिम और हिन्दू राजपूत मिलकर राजपूत उम्मीदवार के बारे में फ़ैसला करते हैं । संसदीय चुनावों में भी थोड़ी बहुत एकता रहती है मगर यहाँ दोनों के रास्ते अलग हो जाते हैं । राजनीति इनकी इस ताक़त को पहचानने लगी है इसलिए ध्रुवीकरण के बीज बोये जा रहे हैं । सदियों से मज़हब की दीवारों को पार कर अपने जातीय सम्बंधों और सरोकारों के बल पर जीने वाले इन लोगों के बीच मौक़ापरस्त राजनीति भेद पैदा करने लगी है । पहले कौन या ज़्यादा कौन टाइप के बहानों को लेकर मिथक गढ़ने की प्रक्रिया शुरू हो गई है ।
ग़नीमत है कि सामाजिक संबंध इतने गहरे हैं कि ये भेदभाव चुनाव तक ही सीमित रह पाता है । दुहेरा मुस्लिम राजपूत बहुल गाँव है । यहाँ मस्जिद और दुर्गा मंदिर साथ साथ हैं । क़रीब सौ साल से । मुसलमान ही मंदिर के रख रखाव का इंतज़ाम करते हैं । हिन्दू समाज की आबादी बीस पचीस परिवार की है । शान से हर घर के दरवाज़े पर मुसलमान और हिन्दू मुखिया के नाम लिखे हैं । गाँव वालों ने कहा कि देख लीजिये हम कैसे मिलजुल कर रहते हैं । हमारे लिए संबंध महत्वपूर्ण है संख्या नहीं । कभी कोई विवाद नहीं हुआ । साठा चौरासी इसी तरह अपनी गौरवशाली परंपरा बनाये रखे ।
Ravish Kumar
25 comments:
Ravish sir kabhi mere gau me bhi ana kerma muzaffarpur bihar tab pata lagegs ki bihar me jati hi chunav ka aadhar hai baki sab bematlab ki bat hai Dr. Anil panchayat shiksha bihar
रिपोर्ट का शुरआती अंश ही देख पाया । बाकी की जानकारी यहाँ पढ़कर मिली। अच्छा लगा सब सौहाद्र से मिलजुलकर रह रहे हैं। पर जब भी ऐसा कहता हूँ या किसी से सुनता हूँ तब हर बार मुज़फ्फर नगर की याद आ जाती है। वहाँ भी तो सदियों से दोनों पक्ष ऐसे ही सामाजिक /आर्थिक ताने-बाने से बंधे थे । फिर कैसे कुछ राजनैतिक/खुराफ़ाती मंशा रखने वालों ने इसे तार तार कर दिया। क्या जो पहले था वो बस एक ढांचा था जो आर्थिक /सामाजिक convenience पर टिका था ? जिसे एक लाठी ने चूर कर दिया? या बात कुछ और है। क्या सब कुछ फिर पहले जैसे ही ठीक हो जायेगा? अगर हाँ , तो बवाल को ज़रूर एक exception कहा जा सकता है। अगर नहीं , तो जो अब तक था वो क्या था ? क्यों था ? और जो हो गया है वो क्या है ? यहाँ से बैठे बैठे तो सवाल ही किया जा सकता है। मेरे पास कोई जवाब नहीं। ज़ाहिर है , सामाजिक विज्ञान पर शोध करने वालों ने इसपर अच्छे से लिखा भी होगा । मेरा ही पढ़ना रह गया है।
एकता का आधार यही रहे, खून तो वही है, सबको पता रहे।
अच्छा लगा कि जब सारे टीवी चैनल्स बनारस की गलियाँ दिखा रहे हैं आपने साठा चौरासी के पिलखुवा की गलियाँ जो अपेक्षाकृत ज्यादा खुली हैं कि सैर करवाई । ये धारणा भी पुख्ता हुइ की चुनाव जाति पर आधारित लड़े जाते हैं । साधुवाद ।
बाकी तो जो है सो हइये है....
सर मेने आपकी ये रिपोर्ट देखी और जो किसानो के लिए जो रिपोर्टिंग की वो भी शायद आप एक मात्र ऐसे journalist है जो ऐसी रिपोर्टिंग करते है और उसको प्राइम टाइम में ब्रॉडकास्ट करते है।you are excellent .आपसे एक रिक्वेस्ट है अगर आप ऐसी ही रिपोर्टिंग राजस्थान में करे खासकर टोंक सवाई माधोपुर दौसा जयपुर के लिए ।
रविश जी, सादर प्रणाम, आज आपका NDTV पे बनारस के ऊपर प्रोग्राम देखा। बिलकुल सही पकड़ने की कोशिश की आप ने बनारस को, (समझने की) । बनारस सिर्फ एक हिन्दू धर्म का केंद्र नहीं हैं, ये कबीर जैसे नास्तिक की भी धरती हैं, जो मरने के लिए काशी छोड़कर मगहर चले गये थे, पऱ कुछ दिनों से, और चैनल्स पे केवल इसे हिन्दुत्व से जोड़ा जा रहा था एक चैनल पे एंकर चिला रही की मोदी जी ने सॉफ्ट हिन्दुत्व को प्रोजेक्ट किया हैं इसलिए बनारस चुना हैं, तरस ही नही गुस्सा भी आ रहा था ऐसी घटिया एनालिसिस पे। एक खाटी बनारसी होने के नाते अपने विश्व के प्राचीनतम शहर की विरासत पे गर्व करते हुए, में इस बात को समझ नही पा रहा था की मेरा शहर कैसे, केवल हिंदुत्व की पहचान बन गया. कैसे केवल ये , मन्दिर का शहर हो गया। गौतम बुद्ध के, बनारस के सारनाथ में, दिए गये उपदेश को, रविदास जी के उपदेश को किसी भी एंकर ने बताया नही। बनारस की मस्जिदों और चर्च(बनारस में नॉर्थ इंडिया का सबसे बड़ा चर्च हैं ) के बारे में सब ऐसे मौन हो गये, जैसे की किसी ने उनके मुह पे टेप लगा दिया। ये तो रही पुरानी बाते, यदि आज की बात करे तो काशी हिन्दू यूनिवर्सिटी, तो आज देश की एक अग्रणी यूनिवर्सिटी हैं(एक मजेदार बात ये हैं की यहों के अति जागरुक अध्यापक जो अधिकांश चैनल्स पे गला फाड़ते नजर आयेगे, वो वोट नहीं देते हैं यूनिवर्सिटी कैंपस में आज तक, 15%से जायदा वोट कभी नहीं पड़ा, जब की अधिकांश के पास बड़ी कारे हैं और बूथ भी कैंपस में ही बनता हें) इसी तरह यहो डीजल रेल कारखाना (DLW)है, जहा भारतीय रेल के लिए, डीजल इंजन बनता हैं, यहों भी वोटिंग प्रतिशत बेहद कम रहता हैं(20 % से कम ), चाहे मोदी लडे चाहे जोशी। चैनल वाले तो ऐसा धर्म का तड़का लगा रहे हैं, जैसे हर बनारसी या तो कट्टर हिन्दू या कट्टर मुस्लिम हैं, गलतहैं ये। यहाँ भी मध्यम वर्ग रहता हैं, जिसके बच्चे US में हैं यूरोप में हैं बेहद नामी BHU-IT हैं , जो की IIT हो चूका हैं। AIIMS से भी बड़ा मेडिकल कॉलेज हैं ,कई मल्टीप्लेक्स हैं जिसमे बनारसी, पिज्जा खाते हैं।(दिखाया तो ऐसे जा रहा हैं , की हम बनारसी केवल पान खा के जीते हैं ) बनारसी लडकियों भी जीन्स पहनती हैं, लडको के साथ(चोरी छिपे) लडको के साथ मल्टीप्लेक्स जाती हैं, फैशन में कही से मेट्रो गर्ल्स से कम नही होगी।
अतः मोदी जी की जीत को(जो की तय हैं), हिंदुत्व के चश्मे से देखना बिलकुल गलत हैं। आप ने सही कहा मोदी जी ,यहाँ से जीत चुके हैं, उसका कारण सिर्फ मोदी जी की विकास पुरुष की छवि हैं। सपा बसपा की जाती राजनीती, यहाँ कभी जड नहीं जमा पाई क्योंकी, आजतक बनारस लोकसभ सीट से , सपा या बसपा को जीत नहीं हासिल हुई. और अनिल शास्त्री जो १९८९ में बनारस से जीते थे, वो भी भाजपा के सपोर्ट से जीते थे (ये वो बताते नहीं हैं , केवल अपनी राजनीती को चमकाने के लिए मोदी जी के खिलाफ बेसरा गान करते दिखाई पड़ते हैं). आप तो अति विद्वान् पत्रकार हैं , आप ने मोदी जी की भारी विजय को सूघ लिया हैं। गली गली में मोदी जी व्याप्त हैंं, इसका कारण, धर्म या जाती नहीं हैं, बनारस विकास से वंचित हैं और भ्रष्टाचार से ग्रसित हैं. जनता विकास पुरुष से, विकास की उम्मीद कर रही हैं। उसे सम्र्प्रदायिकता से कोई लेना देना नही हैं, वो तथाकथित धर्मनिरपेक्षिता का झंडा भी नही उठाना चाहता हैं, वो तो अपने पण्डे और उनके डंडे में मस्त हैं. उसने BJP को 1991 , 1996 , 1998, 1999 और 2009 में जीता चूका हैं. 3 विधयाक BJP के हैं, जिसमे श्री श्याम देव रॉ चौधरी (जो की बंगाली दादा हैं ) 7 बार से लगातार एक ही सीट वाराणसी साउथ से, BJP के टिकट से , जीत रहे हैं (वाराणसी साउथ में मुस्लिम पापुलेशन २५% से ज्यादा हैं ). उसी तरह श्रीमती ज्योत्सना श्रीवास्तवा जी, BJP के टिकट से ,4 बार से लगातार एक ही सीट वाराणसी कैंट से जीत रही हैं (उससे पहले उनके पति बीजेपी से इसी सीट से दो बार विधयाक रह चुके हैं. वाराणसी नॉर्थ से श्री रविन्द्र जायसवाल जी बीजेपी के टिकट से जीते हैं (यहॉ भी मुस्लिम पापुलेशन ३०% से ज्यादा हैं ). अब जातीय समीकरण भी देख लिय जाये 2 लाख पटेल हैं, 2. 5 लाख ब्राह्मण हैं, 2. 0 लाख बनिये हैं, 9 0 हजार भूमिहार हैं, 65 हजार राजपूत हैं, जो की बीजेपी का , अपना वोट बैंक हैं और इस बार पटेल और कुर्मी की पार्टी (अपना दल ) का विलय बीजेपी में हो रहा हैं तो पटेल वोट तो बीजेपी को ही मिलेगा (मोदी जी भी तो obc हैं ). सपा का खेल 2 . 5 लाख मुस्लिम और एक लाख यादव पे टिका हैं और बसपा 80 हजार SC /ST के भरोसे उतरती हैं. 90 हजार obc सपा और बसपा के साथ हैं। वाराणसी की सड़के टूटी हैं, भ्रष्टाचार इतना, की सड़क बनती हैं, तो 10 दिन में फिर टूट जाती हैं पर BJP के तीनो विधायक अपनी सेवा भाव के कारण लोकप्रिय हैं , बीजेपी के मेयर भी काफी एक्टिव हैं। श्री श्यामदेव 7 बार विधयाक होने के बाद भी गरीब हैं आज तक चार पहिया नही खरीद पाये। इनएक्टिव केवल जोशी जी थे जिन्हे जनता ने नकार दिया था. यहॉ तक की , ब्राह्मण बहुल मोहल्ले में भी उनकी , हूटिंग हो जाती थी। बनारस में केवल इस बात पे सट्टा लग रहा हैं की मोदी जी 2 लाख वोट से जीतेंगे या (सिर्फ) 1 लाख वोट से.
अच्छा लगा देख के लोग धार्मिक बांधों से ऊपर उठ रहे है , लेकिन जाति अभी भी एक कुटिल सच्चाई है , शायद आखरी पीढ़ी हो
Dear Ravish sir, I'm a Keralite and I used to follow almost every national news channels , both hindi and English . today I watched the video on YouTube “Gujarat Vs Gujarat - Prime Time - NDTV - Full - Ravish Kumar” nowadays I used to follow Arvind Kejriwal (why I mentioned it that I’ll say later) . Before AK and AAP I was an admirer of Narendra Modi as I heard lot about him - the source is media. When he won the election in Gujarat consecutively third time I decided it that this time its sure - people of Gujrat voted for development . Because in 2007 almost every media blamed MODI for “GODHRA” but MODI used to say about the developments which he brought to Gujrat . And he won, again when 2012 Election Happened , most of the Medias accepted it that Gujrat is far better than other 28 States while comparing the growth of developments happening in that state. And there was no strong noice against this arguments from Opposition Parties . And I also started dreaming (like most of youngsters in this country) that oneday Narendra Modi will become the PrimeMinister of India , because it’s the need of the country . Then came Anna Hazare and Arvind Kejriwal with India against Corruption . And People like me felt that – yes there are still some people (who don’t have the support of any political party and still they managed to make some wave in the society) who really wanted to change the system . But still my priority was MODI ..then Kejriwal made his own Party and show the traditional political parties that - look a common man can do all the things that these Heavyweights doing for years and (un)fortunately he came to power for 48 days then resigned . So many people says they ran away from the government . But I’m not believing so . And then Kejriwal went for Gujrat . Most of the political leaders and Medias want to show it’s as ‘publicity stunt’ by an immature man who only knows to agitate for every single thing .. Every single day when he were in Gujrat he used to cry – “there is no development in Gujrat - there is no development in Gujrat” as MODI and some of MEDIA’s saying . My mind was also not ready to accept his versions. But when I saw “Gujarat Vs Gujarat - Prime Time - NDTV - Full - Ravish Kumar” on youtube I shocked…!!!! The so called “GUJRAT MODEL” just a lie…
Matlab Paresh sahab ye hua ke banaras m pichle do dashko se har str par bjp hai or vikas se vanchit or bhrashtachar se grasit h?? Kamaal hai!!
Chaliye aap inne data diye hain to hamari taraf se badhai aapko. Ab to banaras ka vikas ho hi jaega lagta h..!!
Ravish Sir I am one of your biggest fan, especially when you do the Ravish Ki Report. आज जब मैंने साठा चौरासी का एपिसोड देखा तो आँखों से आंसूं आ गए क्योंकि ऐसी रिपोर्ट्स पर लगता है की भारत में पत्रकारिता नहीं मरी है . मै हॉलैंड में रहता हूँ और आपके एपिसोड रोज देखता हूँ. और बिना आपके एपिसोड को देखे सोता नै हूँ . जिस दिन आपका एपिसोड नै आता लगता है कुछ कमी रह गई आज के दिन में . याद है मुझे पिछले हफ्ते आपके एपिसोड कम थे. NDTV में सबसे अची चीज़ आपकी रिपोर्ट है. Thanks for putting this beautiful effort.
Ravish babu bahut badhiya tha satha chaurasi aur kisano wala prime time...lage rahye apne dhun me....
Pata ni aapka blog kyun padta hn....blog padne ke liye ya uske comments padne ke liye.kaafi samajhdaar log follow karte hain aapko
रवीश जी, कभी काशी हिन्दू यूनिवर्सिटी का प्रोफेसर आपके प्रोग्राम में , यदि गला फाड़े ,तो उससे ये जरुर पूछियेगा की, वो वोट क्यों नही देता हैं. मोदी जी की जीत को(जो की तय हैं), हिंदुत्व के चश्मे से देखना बिलकुल गलत हैं। आप ने सही कहा मोदी जी ,यहाँ से जीत चुके हैं, उसका कारण सिर्फ मोदी जी की विकास पुरुष की छवि हैं। सपा बसपा की जाती राजनीती, यहाँ कभी जड नहीं जमा पाई क्योंकी, आजतक बनारस लोकसभ सीट से , सपा या बसपा को जीत नहीं हासिल हुई. और अनिल शास्त्री जो १९८९ में बनारस से जीते थे, वो भी भाजपा के सपोर्ट से जीते थे (ये वो बताते नहीं हैं , केवल अपनी राजनीती को चमकाने के लिए मोदी जी के खिलाफ बेसरा गान करते दिखाई पड़ते हैं). आप तो अति विद्वान् पत्रकार हैं , आप ने मोदी जी की भारी विजय को सूघ लिया हैं। गली गली में मोदी जी व्याप्त हैंं, इसका कारण, धर्म या जाती नहीं हैं, बनारस विकास से वंचित हैं और भ्रष्टाचार से ग्रसित हैं. जनता विकास पुरुष से, विकास की उम्मीद कर रही हैं। उसे सम्र्प्रदायिकता से कोई लेना देना नही हैं, वो तथाकथित धर्मनिरपेक्षिता का झंडा भी नही उठाना चाहता हैं, वो तो अपने पण्डे और उनके डंडे में मस्त हैं. उसने BJP को 1991 , 1996 , 1998, 1999 और 2009 में जीता चूका हैं. 3 विधयाक BJP के हैं, जिसमे श्री श्याम देव रॉ चौधरी (जो की बंगाली दादा हैं ) 7 बार से लगातार एक ही सीट वाराणसी साउथ से, BJP के टिकट से , जीत रहे हैं (वाराणसी साउथ में मुस्लिम पापुलेशन २५% से ज्यादा हैं ). उसी तरह श्रीमती ज्योत्सना श्रीवास्तवा जी, BJP के टिकट से ,4 बार से लगातार एक ही सीट वाराणसी कैंट से जीत रही हैं (उससे पहले उनके पति बीजेपी से इसी सीट से दो बार विधयाक रह चुके हैं. वाराणसी नॉर्थ से श्री रविन्द्र जायसवाल जी बीजेपी के टिकट से जीते हैं (यहॉ भी मुस्लिम पापुलेशन ३०% से ज्यादा हैं ). अब जातीय समीकरण भी देख लिय जाये(जो बनारस में कभी प्रभावी नहीं रहा , आज तक सपा या बसपा का खाता खुल भी नहीं पाया हैं ) 2 लाख पटेल हैं, 2. 5 लाख ब्राह्मण हैं, 2. 0 लाख बनिये हैं, 9 0 हजार भूमिहार हैं, 65 हजार राजपूत हैं, जो की बीजेपी का , अपना वोट बैंक हैं और इस बार पटेल और कुर्मी की पार्टी (अपना दल ) का विलय बीजेपी में हो रहा हैं तो पटेल वोट तो बीजेपी को ही मिलेगा (मोदी जी भी तो obc हैं ). सपा का खेल 2 . 5 लाख मुस्लिम और एक लाख यादव पे टिका हैं और बसपा 80 हजार SC /ST के भरोसे उतरती हैं. 90 हजार obc सपा और बसपा के साथ हैं। वाराणसी की सड़के टूटी हैं, सपा और बसपा का, भ्रष्टाचार इतना हैं , की सड़क बनती हैं, तो 10 दिन में फिर टूट जाती हैं पर BJP के तीनो विधायक अपनी सेवा भाव के कारण लोकप्रिय हैं , बीजेपी के मेयर भी काफी एक्टिव हैं। श्री श्यामदेव 7 बार विधयाक होने के बाद भी गरीब हैं आज तक चार पहिया नही खरीद पाये। इनएक्टिव केवल जोशी जी थे जिन्हे जनता ने नकार दिया था. यहॉ तक की , ब्राह्मण बहुल मोहल्ले में भी उनकी , हूटिंग हो जाती थी। बनारस में केवल इस बात पे सट्टा लग रहा हैं की मोदी जी 2 लाख वोट से जीतेंगे या (सिर्फ) 1 लाख वोट से.
SIR JI this is an example from which the whole of the SO-CALLED CIVILIZED society should learn a lesson.
Khushi ho rahi hai ki main bhi UP se ho.
kash yehi soch har INDIAN ki dil me hoti.
maja aa gya sir aapne pt ko ravish ki report me badal diya hai aur humare liye es se badi khushi ki kya baat ho sakti hai...nice
maja aa gya sir aapne pt ko ravish ki report me badal diya hai aur humare liye es se badi khushi ki kya baat ho sakti hai...nice
Ravish sir Kal Ka prime time logo ko prerna deta hai.ki smaj mein jaha media hindu Muslim ko alag batati hai wahi us gaon mein masjid aur mandir ek sath hai . mandir Ka rakh rakhav Muslim karte hai . sharm aani chahiye aise logo ko jo muslmaan ko alag samajhte hai in logo se sikhe. Thanks sir u such a real hero of the nation.
मुसलमान बदल गए मगर मीडिया के कैमरों का मुसलमान आज तक नहीं बदला । उसके लिए मुसलमान वही है जो दाढ़ी, टोपी और बुढ़ापे की झुर्रियाँ के साथ दिखता है । इस चुनाव के कवरेज में मीडिया ने एक और काम किया है ।मोदी के ख़िलाफ़ विपक्ष बना दिया है । जैसे बाक़ी समुदायों में मोदी को लेकर शत् प्रतिशत सहमति है सिर्फ मुसलमान विरोध कर रहे हैं । पूरे मुस्लिम समुदाय का एक ख़ास तरह से चरित्र चित्रण किया जा रहा है ताकि वह मोदी विरोधी दिखते हुए सांप्रदायिक दिखे । जिसके नाम पर मोदी के पक्ष में ध्रुवीकरण की बचकानी कोशिश हो । Sahamt
Ravish Bhaiya Pranam,
Pahle to bahut badhai ki prime time phir se aap apni wali patrakarita per aa gaye wo parties ke logon ke saath bahas chhodkar. Ye hai wo cheez jo aapse janta chahti hai. Bahas to har channel pe 24 ghante hoti rahti hai per ye Kisaano ki samasya, Saatha chauraasi ye desh ki zaroorat hai. Kal ke programe mein jo sabse importanat cheez thi wo tha ek mithak ka tootna ki Hindu, Muslim ek doosre ke dushman hain. Apni rajdhani Delhi ke itne paas abhi bhi aise ilaake hain jahan Hindu aur Muslim achche se rahte hain. Aur wo gaon ki shaadi to aapne hit kara di. Ek baar phir dhanyawad. Lage raho Munna (Ravish)Bhai.
regards
Bahut achha laga ye blog parh kar
Bahut achha laga ye blog parh kar
excellent work sir. been watching ur show particularly the U.P. n chandigarh episodes were very moving. of all the news anchors and journalists i have been following u have become my favourite.
p.k
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