चिट्टी आई है

  1. Ravish Sir kabhi Moka mile to meri kahani bhi padh dena TV pe, is jahreele chunaw main jaroori hai..


    अंजाना डर

    मैं एक हिन्दू हूँ और ये मेरी सच्ची कहानी है 
    मैं पैदा हुआ, मुझे नहीं पता था कि हिन्दू क्या है और मुस्लमान क्या है
    जब थोडा बड़ा हुआ तो स्कूल मैं पढ़ाया गया, हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई , आपस मैं सब भाई भाई. थोडा दिम्माग मैं आया कि अछा हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई कुछ होते हैं.
    थोडा और बड़ा हुआ, निबंद "एस्से" लिखा, कुछ लिखा हिन्दू मुस्लमान के बारे मैं
    कभी धरातल पे हमे अवगत नहीं कराया गया कि हिन्दू क्या है और मुस्लमान क्या है. इतना पता चल गया था कि हम मंदिर जाते है मुस्लमान मस्जिद जाते हैं.
    धीरे धीरे हमे ये अहसास दिलाया गया , किसी एक ने नहीं समाज ने (जाने अनजाने), कि मुस्लिम कोई हौवा है, मंदिर मैं आया तो पता नहीं क्या हो जायेगा.
    बाबरी टूटी, हम स्कूल मैं थे , न्यूज़ देखि, जयादा समझ नहीं आया, हमे जाने अनजाने बताया गया कि अच्छा हुआ हमने हिंदुओं कि जमीन वापस ले ली.
    कुल मिला के धीरे धीरे मेरे मन मैं एक अंजना से दूरी बना दी गयी मुस्लिम्स के लिए, और मैंने जयादा कभी सोचा नहीं. फिल्मे बनी थी नाना पटेगर वाली लेकिन समझ नहीं आती थी उस समय
    क्योंकि आप हिन्दू मेजोरिटी एरिया मैं रहते हो, तो अधिकतर दोस्त हिन्दू होते हैं, कभी कोई न्यूज़ मिलेगी दोस्त से मुस्लिम कि तो हेट स्पीच्च कि मिलेगे आपको. दूरियां और बढ़ेंगी 
    मैं इंग्लैंड आया जॉब मैं ट्रान्सफर होकर, काफी मुस्लिम्स से रूबरू हुआ , मेरे ऑफिस मैं "आई आई टी" का एक बंदा था " आईटी हेड Ekh….. Bari ... मैं उससे मिला , उसके साथ खाना खाया, मौज मस्त भी कि, धीरे धीरे और काफी लोगो से मिला. पता चला कि जो अंजाना डर दिल मैं था वो झूठा था
    अब ३४ साल का हुआ तो समझ आया कि पॉलिटिक्स का किया धरा है, ये फ़िल्म मैं ही नहीं असलियत मैं है.
    हिन्दू मुस्लिम आजादी से पहले एक थे, साथ मिलके लड़े थे, क्या कोई कारन है कि हिन्दू मुस्लिम आपस मैं बैर करें? अंग्रेज़ों कि लगायी आग है जिसमें आज राजनेतिक पार्टिया घी डाल रही है. 
    मेरा निवेदन है ऐसे घटिया पॉलिटिक्स को जड़ से उखाड़ के फेंक दो, दिल के अनजाने डर को निकाल दो.
    ये मेरी सची कहानी है और मैं एक आम आदमी हूँ, गवार नहीं हूँ, अनपढ़ नहीं हूँ, बेरोजगार भी नहीं हूँ, कुछ BJP वाले बोलते हैं ऐसा इसलिए पहले ही सफाई दे रहा हूँ .

    मेरा नाम रविंदर दहिया है

    ( दिलबाग चायवाला लेख में यह टिप्पणी देखी तो सोचा आपके नज़र कर दूँ )

39 comments:

Unknown said...

bahut khub

Unknown said...

Taali aur mej thapthapana alag-alag hain.

Deepesh Kumar said...

hmm.. hope you are a Aam Aadmi..
Note from AAM aadmi party...
Few lines of my poem :
आम आदमी आम आदमी
नारा रहा है गूंज आसमान में.....
मगर बदल नहीं रही तक़दीर
" आम आदमी " की
कॉंग्रेस ने कहा " उनका हाथ आम आदमी के साथ "
और
भाजपा ने कहा " उनका कमल है आम आदमी "
पर विवशता यही है कि
आज भी वहीँ है आम आदमी
कल तक था जहाँ खरा "आम आदमी "
आम आदमी आम आदमी
नारा रहा है गूंज आसमान में...
बदल रही हैं सरकारें
मगर फिर भी पलट नहीं रही तक़दीर
ठगा जा रहा
पग पग में "आम आदमी "
आम आदमी आम आदमी
नारा रहा है गूंज आसमान में...
बदल रही हैं तो बस पार्टियों की घोषणायें
सिकुर रहा "आम आदमी का संसार "
कहीं भूत के आयने में गुम ना जाये
अपना बेचारा " आम आदमी .....!"
http://jannayakdeepesh.blogspot.in/2010/02/blog-post.html
लेखक : दीपेश कुमार

MANPREET SINGH said...

काफ़ी अच्छा है खूब !!!
कुमार जी को भी धन्यवाद इस कहानी को टिपण्णी से यहाँ पर धरातल दिया...

raja said...

ravish Bhaiya Pranam,
Kal Chandigarh wala repeat tha. Abhi kahan ka daura hai. Hindu Muslim aam log to dil se kabhi alag the hi nahin ye to politicians ka hi failaya hai. Sach to ye hai ki ek bhookhe aadmi ko yadi aap hindu muslim samjhaayen to use geeta mein bh roti dikhegi aur quran mein bhi. Gharib ka koi dharm nahin hota uska to sirf Maqsad hota hai shaam ko bachhon ka bhookha na sone dena.
regards

Unknown said...

Kumar ji sadar pranam! Bahut khub.hume Garv karna chahiye ki ravish sir jaise patrakar ke madhyam se hum log jude hai . Dhanyawaad ravish ji.

Unknown said...

ravinder ji ne 1992 ka jikra kiya to yad aaya ki us samay karsevako ke liye paise aur bhojan hamare mohalle se bhi gaye the. na jane kaisa unmad tha . lagata tha sab pagala gaye hai, aaj sochne se bhi sharm aati hai ki ham bhi us me shamil the, mai tab 9th class me the, thoda bahut to samjh me aata hi tha par...........

CA Manoj Jain said...

रवीश भाई नमस्कार,
रवीश कि रिपोर्ट देखने का मन नहीं करता। हमारे देश कि हालत अब नहीं देखी जाती। ये जो आप दिखा रहे हो वो किसी से छुपा हुआ नहीं है।
लेकिन आजकल हमारे देश में विज्ञापन और जोरदार रैलियों के दम पर जनमत तैयार किया जा रहा है। जनता के असली मुद्दे अब चुनाव का हिस्सा नहीं रहे। काला धन वापस लाने वाली पार्टी , पाकिस्तान को मुह तोड़ जवाब देने वाली पार्टी को ही वोट देना है। हर गरीब/अमीर आदमी को यही मालुम है।

Unknown said...

Hello sir kabhi begusarai(bihar) ko v dekh ye apni nazar se hamare liye

Unknown said...

रवीश जी मैं आपका यह ब्लॉग अक्सर पढ़ता हूँ. मैं अपने कमेंट्स नहीं लिखता क्योंकि मेरी लेखन कला पर अच्छी पकड़ नहीं है। मझसे रहा नहीं गया यह देखकर कि आपके इस ब्लॉग का राजनीतिकरण होने लगा है। आजकल राजनीती से मन उचट सा गया है। आप सामाजिक सरोकार से संदर्भित विषय पर चर्चा करें तो ज्यादा अच्छा होगा। ....... आपका एक प्रशंसक।।।।

Rajeev said...

शुक्रिया!कही न कही ये कहानी हम सबकी है। बस जर्रोरत थोरा विश्वास जगानी की है मित्रता बढ़ानी की है तभी ये दूरिया कम हो सकती है।

CA Manoj Jain said...

Sir...dekho aapka ghar


http://mediadarbar.com/26327/a-report-from-village-oh-ravish-kumar-of-ndtv-by-shrijant-saurabh/

CA Manoj Jain said...

NDTV वाले रविश के गांव से श्रीकांत सौरभ की रिपोर्ट..

Read more: http://mediadarbar.com/26327/a-report-from-village-oh-ravish-kumar-of-ndtv-by-shrijant-saurabh/#ixzz2xM5AViaT

sourabh singhai said...

Sir bahut dino se kisi bade aadmi ko Koi Chitti nahi likhi post office ke babu hadtaal pr hain kya

Unknown said...

Ravish sir prime time ko best award milne per aapko bahut bahut mubarakbad.

goodan rishu said...

badhai ho sir

SeemaSingh said...

Congratulation !!!!!!!!!!

MANPREET SINGH said...
This comment has been removed by the author.
MANPREET SINGH said...

आदरणीय रविश सर सबसे प्रथम तो आपको मुबारक हो आपको हिंदी पत्रकारिता के लिए पुरुस्कार मिला है ||
कल कार्यक्रम में सर्वप्रिय जी ने पहले से काफ़ी परिपक्व तरीके से बोला , जिसे देख कर काफ़ी अच्छा लगा | वैसे क्या बात सर आप आज कल चुनाव के सम्बंधित कार्यक्रम करने जाते है और और विषयो में खो जाते है ?? वैसे विषय अच्छे है पर चुनावी मौसम है कृप्या राजनीती थोड़ी ज्यादा करिये सर ...
धन्यवाद
आपका प्रशंसक
मनप्रीत सिंह

teacher4gujarat said...

Agar sabhi padhe like yuvan yahi Sikh le to bahot accha he,
Aravindbhai dhanyavad aapko gali galoch karne vale kuch yuva is desh ke sikhle to acha he,
Mazanb nahi sikhata aaps me ber rakhana..par gatiya politics hi to jad he inki,

CS Sandeep Singh Chauhan said...

congrts sir,for best news anchor award(hindi)

Unknown said...

नमस्कार रविशजी और दहिया भाई का शुर्किया अपनी बात हमसे साझा करने के लिया...आजकल की राजनीतिक से मन उचट सा गया है समझ नही आता की क्या करे हर तरफ एक ही तरह के लोग एक ही तरह की बात | मन निराश होता जा रहा है कभी लगता था की नही यह सब एक दिन ठिक हो जाएगा लेकिन अब धिरे धिरे निराशा और गहरी होति जा रही है हलाँकी मन कहता की नही निराश वही होता है जो हार जाता फिर लगता है की जिते कब थे | फिर गाँव के उस चाचा की बात याद आति है "ईहे होत आईल बा आजले ईहे होत रही"

Unknown said...
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Unknown said...

रविश जी पुराणों में अर्धनारीश्वर की अवधारणा सुनी है. क्या आप मान सकते हैं की हमारे समाज में ऐसे भी लोग हैं जो आधे हिन्दू और आधे मुसलमान हैं.वे दोनों समाज का भोग हुआ ठोस अनुभव रखते हैं. कैसा होगा उनका अनुभव. कभी उनसे मिलिए. एक अलग अनुभव होगा.

Unknown said...

congratulation ravish.
kal to aap chha gye nt award show me aapke har show ko award mila aur award mila aapko aur yaha mere man me pata nhi kyu itni khushi ho rahi thi aisa lag raha tha jaise kisi bahut hi apne ko safalta ke unchi mukaam pe pahuchta dekh raha hu,,,raat ko acche se neend nhi aayi puri raat aapke baare me hi soch raha tha ek baar khud ko bura laga ki maine ek post pe jo nehru chandigarh aur kejriwal pe tha usme aapko uksane jaisa likha tha raat me bahut hi guilt feel hua...by the best of luck! am proud of you as a viewer!!

suman choudhary said...

बहुत बधाई सर , बेस्ट एंकर अवार्ड के लिए।

suman choudhary said...

बहुत बधाई सर , बेस्ट एंकर अवार्ड के लिए।

Unknown said...

SIR JI congratulations you took the night away.
Really happy ,may the almighty shower his blessings on you and every year you may even win more awards .
All the best.

suman choudhary said...

बहुत बधाई सर , बेस्ट एंकर अवार्ड के लिए।

suman choudhary said...

बहुत बधाई सर , बेस्ट एंकर अवार्ड के लिए।

Unknown said...
This comment has been removed by the author.
Unknown said...

Ravish ji Patrakarita chhodh dijiye. Rajdip Sardesai part 2 banane se acchha hai Ashutosh part 2 ban jaiye.

CA Manoj Jain said...

बधाई हो भाई आपको .....वैसे भी आप तो बिना अवार्ड के ही हमारे हीरो हो।

Unknown said...


SIR JI congrats to your team of NDTV as well.It takes a lot of pain and hard work to achieve such success.

pushpi said...

रवीश जी, उस युग की आपकी, हमारी और इससे आगे-पीछे की कुछ आठ-दस पीढि़यों की यही कहानी है । कट्टर से कट्टर हिंदू परिवार के मुखिया ने कभी उस युगीन बच्‍चों को यह नहीं सिखाया कि किसी मस्जिद, मजार या गुरुद्वारे के आगे शीष नहीं झुकाना है, आशीर्वाद नहीं लेना है । यह श्रद्धा हमारी ख़ून की रवानगी में है यानी वास्‍तविक संस्‍कृति में है । धर्म-स्‍थल कोई भी हो, शीष और हाथ स्‍वत: झुक और जुड़ जाते हैं ।
हां रोटी-बेटी के सम्‍बन्‍ध न होने के मूल कारणों में खान-पान, रहन-सहन आदि की संस्‍कृति का अंतर बेहद महत्‍वपूर्ण है ( इसे सीमित तौर पर मानसिक रूप से परिपक्‍व जोड़ों और परिवारों के खॉंचे में न देखकर पूरे विविध भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्‍य में देखा जाना चाहिए । एक शुद्ध शाकाहारी व्‍यक्ति से पूछिये कि उसे अंडे की गंध से क्‍या परेशानी होती है । फिर मछली, मॉंस की तो बात ही छोड़ दीजिये । आपके भी कई मित्र होंगे जिन्‍होंने धर्म यानी जीवन-पद्धति से जो कुछ बचपन से सीखा, जाना और उसी में इतना ढल गए कि मॉंसाहार वाले रेस्‍टाॅरेंट में वे भोजन भी नहीं कर सकते भले ही भूखे रह जाएं(यहां लंबे समय की मजबूरी में विकल्‍पहीनता के परिणामस्‍वरूप उपजी विवशता की बात नहीं है)।
यही बात किसी अन्‍य धर्म के मानने वाले भी कहते हैं । उनकी स्‍वच्‍छता और रहन-सहन की मूल अवधारणा अलग है और वे किसी और तरह की गंदगी या रहन-सहन के लिए दूसरे धर्म के लोगों का उदाहरण देते देखे जा सकते हैं ।
राजनीति ऐसी जीवन-पद्धतियों के बीच घुसकर उस खाई को अलग ही तरह का रूप दे देती है जिससे सभी धर्म के लोगों को यह आभासी खाई सत्‍य भी दिखाई देती है और भय या मरीचिका भी । तथाकथित विकसित और सभ्‍यतावादी लोग इस जीवन-पद्धति की विवशता, हाईजीन की मूल अवधारणा को सिर्फ़ अपने ही अनुकूल अनुभव की कसौटी पर कस कर पूर्णत: नकार देते हैं । एक बात और जो जनरलाइज़ करके लेना उचित होगा, जिसमें कुछ तथ्‍य तो है- कि सामान्‍य और वृहद् रूप से भारतीय परिवारों में ड्रॉइंग रूम यानी पुरुष और किचन यानी नारी के इन जीवन-पद्धति के मानकों के मायनों में कभी-कभी ज़मीन-आसमान का अंतर होता है ।

Unknown said...

I perceive that every bad thing is being done by politics.The reason of this hate can be found before independence special in Mugal Kal who destroy our education system and British ,later on give it new dimension for their purpose.We are being teach to respect the MONEY not the VALUE .

Unknown said...

Source Pakistan, or the Partition of India by Dr B R Ambedkar
Undivided India
Hindus 20.6 crore
Muslim 9.2 crore
Total population 30.83 crore
Muslim in Indian part 1.85 crore expected before partition by Dr Ambedkar

2012
Hindus
India 97.284 (80.6% of 121 crore) source census of India 2011
Bangladesh 1.268 crore source wikipedia
Pakistan 35 lakh sorce wikipedia
Total hindus in Indian subcontinent 98.29 crore
4.8 times as in 1935

Muslim
India 16.214 crore(13.4% of 121 crore) source census of india 2011
Bangladesh 14.102 crore source wikipedia
Pakistan 16.98 crore source wikipedia
Total muslim in Indian subcontinent 47.926 crore
Which is 5.14 times of 1935
Note : As 2011 census has no religion based data so calculted according to 2001


So hindus grow by 4.8 times and muslims by 5.21 in Indian subcontinent
But muslim in India grow by 8.764 times from 1.85 crore to 16.214 crore
Why? Its mine opinion
Bcoz of poverty ridden states of pakistan and bangladesh. And 1971 war lead to
Bangladesh refugees in India. And as poverty breeds population, state of Up and
Bihar are having highest population growth with high muslim population where hindu
Birth rate is also high.
Also Kerala with high muslim population has low birth rate among muslims also similar
To hindus of kerala.

I do not want to offend anyone.
Anurag

Unknown said...
This comment has been removed by the author.
प्रवीण पाण्डेय said...

कहाँ भेद है, हममें तुम में,
मन के उपजाये जाले।