साहब, मैं वर्दी में खड़ा रह गया । मेरी पुलिस और राजनीतिक दल के लोग मिलकर मेरे भाई को मारते रहे । बहुत बुरी हालत कर दी । विपक्ष के लोग ? नहीं साहब, रूलींग पार्टी वाले । बहुत मारा । उसने कारण भी बताया मगर ध्यान से सुन नहीं सका । कहा कि साथ में तस्वीर भी है सर । मैं लेकर चलता हूँ । साहब के कारण कई पत्रकार आते हैं तो दिखाता हूँ मगर कोई छापता नहीं । मार कर हाथ पैर तोड़ डाले सब । वो कार की तरफ़ बढ़ा भी लेकिन साहब को आता देख मैंने सतर्क कर दिया । वह सहम गया । देख लिया जाता तो पता नहीं साहब उसके साथ क्या करता ।
मैं अपनी कार में बैठ कर निकल गया । रास्ते में उसका चेहरा याद आता रहा । पंजाब पुलिस का सिपाही । क़द काठी से इतना मज़बूत था कि दो चार को पटक तो सकता ही था । ऊपर से वर्दी भी थी । धीरे धीरे उसके चेहरे की विवशता और कंपकपाहट उभरने लगी । वो एक डरा सहमा सिपाही था । सिस्टम का मामूली पुर्ज़ा । राजनीतिक दल के लोगों के सामने खड़े होकर अपने भाई को पीटते देखने की विवशता को आप नहीं समझ सकते । वर्दी की विवशता कि वो सत्ता की ताक़त के आगे कितना मामूली महसूस कर रहा होगा ।
पंजाब राज्य पुलिस का वो सिपाही है । दिल्ली आकर किसी ने व्हाट्स अप पर वीडियो भेजा है । टीचर प्रदर्शन कर रहे हैं और राज्य के शिक्षा मंत्री और उनके गुंडे प्रदर्शनकारियों को पटक कर मार रहे हैं । भेजने वाले ने दावा किया है कि शिक्षा मंत्री हैं । मैं अपने स्तर पर सत्यापित नहीं कर सका । बस याद दिलाने को लिए लिख रहा हूँ कि प्रचार से सत्ता का चरित्र नहीं बदलता ।
20 comments:
Prachar to sirf ek madhyam hai Satta hasil karne ka. Ye log hi satta hasil karke bhul jate hain wo hamare apke jaise hi hain. Ek bar satta mili fir ek teacher unhe mamuli insaan lagta hai, ek constable, chahe wo kisi b police ka ho, apni seva me rahne wala ek mamuli aadmi lagta hai. Dukhad par satya.... Kash!!
आपने सही कहा था करोड़ो रुपये प्रचार पर फेंकने से अच्छा होता हमारी राजनीतिक पार्टीयां उन्ही रुपयो से कुछ गरीबो के लिए करती लेकिन यह बात ठीक वैसे हैं जैसे सामप्रदायिकता को धर्मनिरपेक्षता मे बदलना,
Sir ji congrats for the award
Sir ji congrats for the award
ravish ji. bahut bahut mubarak, hardik shubhakamnaye swikar kare.
Jo bhee likhtae hoo sir.....usmae sae hum log...us character ko doodhnae lagtae hai.............baki jo hai so hai yeh hai....
प्रिय रवीश जी,
आपको पुरस्कारों की ढेर सारी शुभकामनाएं.
घर में कई तरह के व्यक्तित्व हैं, कई तरह के ऱाष्ट्रीय
अंतराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजे जाते रहे हैं. लेकिन
यह एक सच्चाई है कि जब आपके नाम को किसी
पुरस्कार के लिए घोषित होते पढता या सुनता हूं तो
बहुत खुशी होती है. लगता यह है कि हमें यह पुरस्कार
मिला है. खासकर रामनाथ गोयनका से नवाजे जाने पर.
ईश्वर करे आपकी मेहनत और ईमानदारी का इसी तरह
आपको पुरस्कार मिलता रहे, और हम दर्शक खुश होते रहें.
धन्यवाद और पुनःश्च मुबारकबाद !
Yehi to system hai. Ravishji yeh sab log badhai kahe kee de rahe hai . Batayega . kal prabhat khabar me "Kamlesh singh ji " kee jagah aapka, Rashmiji ke agrah par gai per likha blog ek antral ke baad padha accha laga .
प्यारे रविश सर जी देश के वर्तमान हालत देख कर सच में आंसू आ जाते है सिर्फ में लिख नहीं रहा हु के आंसू आ जाते है वास्तव में आँखों से आंसू आते है. इन राजनेताओ ने क्या हाल कर रखा है देश का ?
हम पत्रकार वर्ग को तो साफ़ साफ़ सब सामने दीखता है तो दर्द ज्यादा होता है |
पता नही कब सुबह होगी यहाँ पर ?
चलिए सर आप अपना कार्य करे हम अपना करते है इस सुबह के इंतजार में |
कुछ पंक्तिया है सर भ्रष्ट लोगों के लिए
कोई अपनी टोपी तो कोई पगड़ी बेच देता है,
गर भाव मिले अच्छा तो एक जज भी अपनी कुर्सी बेच देता है,
तवायफ़ भी अच्छी है के वो सिमित है कोठे तक,
पुलिस वाला तो भरे चौराहे पर अपनी वर्दी बेच देता है,
जान दे दी एक वतन पर उन बेनाम शहीदों ने,
एक हराम खोर नेता इस वतन को बेच देता है
इमानदार लोगो के लिए दिल से सलाम
रविश सर धन्यवाद
आपका
मनप्रीत सिंह
कभी मौका मिला तो मिलेंगे जरुर
आपको पुरस्कारों की ढेर सारी बधाइयाँ। हम खाकसार दर्शक गण और टीम को याद करना आपका बड़प्पन बताता हैं।
१४-१६ घंटे ड्यूटी के बाद भी आज भी खास किस्म की बेगारी चालु है बदस्तूर। पुलिस मैन्युअल और रिफॉर्म्स में भी बहुत कुछ लिखा हैं , पर क्रियावन्न ?
पटना में बिहार मिलिट्री पुलिस की एक बैरक रेलवे स्टेशन में फुट over bridge के नीचे बनी थी। सोच लीजिए आरामगाह और फिर दिमाग़ी शकून।
धन्यवाद , मेरे विचार प्रवाह को नयी दिशा देने के लिए। लिखूँगा पुलिस नॉन-अफसर रैंक पर।
अभी अपनी चम्पारण की यादें और municipalities and Mohalla Sabhas पर सीमित हूँ at http://atulavach.blogspot.in/
Ravish sir, puraskaron k liye mubarak ad, itni sadgi se apne puraskar ko darsako ko samaprpit kar Diya... Apka sammaan aur badh gya... Chunavi sagram me jaha har Chanel, har reporter ek jaisi report dikha dikha paka rahe hai... Wahi apki report lagta hai bezubano Ki awaz lagti hai... Isi tarah muddon ko uthate rahe.. Ek baar fir mubarakbad...
Ravish sir sari kamiya system mein nahi hai Kuch had tak hum log bhi doshi hai.
Congrate
Congrate
में P .G . I. में काम करता हूँ | दिन में काफी लोगों से मिलना होता है , मेरे पास पंजाब कि जेलों से कई बार मरीज़ आते है | एक मरीज़ के साथ हमेशा २ पुलिस वाले होते है | देख कर यह बताना मुश्किल होता है पुलिस वाले मरीज़ को ले कर आये है या कैदी पुलिस को लेकर आया है | कुछ पल के लिए ही सही जैल से बहार आकर काफी खुश होते है वह, लेकिन जेल वापिस जाना पढ़ेगा, इसका का कोई मलाल भी नहीं होता उनके चेहरे पर |
इसी बीच एक कैदी फ़ोन नंबर माँगा तोह वह बोलता " साहब जेल का दूँ या अपना ? "
मैंने कहा "जेल में फ़ोन रखते हो !"
साथ खड़ा पुलिस वाला बोला "सर, पैसा दो , सब कुछ मिलता है वहाँ "
यह कहते ही कैदी अपने २ मोबाइल नंबर देता है और कहता चला कि " साहब अगर एक न मिले तोह दूसरा मिला लेना "
Bahot Khub manpreet bhai. Bahot acha sher maara hai
SIR JI really happy that you have stated the pain and the struggle , these policemen face.It is rightly said that "POWER CORRUPTS AND ABSOLUTE POWER CORRUPTS ABSOLUTELY".
But this power is given by us ,we are the responsible one behind the corruption in INDIA.
hanji ravish ji....woh hmaare sikhsa mantri sikander singh malooka hai...hai to woh shikhsha mantri magar sirf 10th pass hain :)
इन कुकृत्यों को उद्घाटित करने की विवशता न हो बस हममें।
Post a Comment