मदन मंजरी नाम का नाटक है या शायद नाटक कंपनी । इस फ़िल्म में एक फ़िल्म पत्रकार भी है । जो रति के कमरे पर दस्तक देता है । जी मैं फ़िल्म पत्रकार हूँ और गीता जी से मिलना चाहता हूँ । मिथुन मना कर देते हैं । जब पत्रकार साहब पूछते हैं कि आप कौन है तो मिथुन अपना नाम बताते हैं संदीप आनंद । शहर के बड़े उद्योगपति का बेटा का ना है संदीप आनंद । नाम सुनकर ही पत्रकार का चेहरा खिल उठता है जैसे उसे कोई स्कूप मिल गया हो । फ़िल्म सचमुच दस्तावेज़ है । न्यूज़ से दिल भर गया है । हर वो चीज़ जो चैनलों की दुनिया से अलग है आकर्षित करती है । बिना पैराग्राफ़ बदले लिखने का जुनूँ शायद उसी विरक्ति से पैदा होती है । मिथुन और गीता वुडलैंड गार्डन कैफ़े से निकलते हुए पकड़े जाते हैं । अशोक कुमार एंबेसडर से उतरते हैं । तब के उद्योगपतियों की बड़ी कार । रति भोली भाली अभिनेत्री हैं । मशाल में पसंद आईं थीं । पहले की फ़िल्मों के हीरो जब अमीर बाप के बेटे बनते थे तब शाटन की नाइट शूट ज़रूर पहनते थे । समझ नहीं आया कि ये नाइट शूट ज़िंदगी में कब पहनना था जो नहीं पहन सके । चलता हूँ । चलते रहने के लिए चलते रहना ज़रूरी है । बारिश के बाद का आज का दिन अक्तूबर की किसी दुपहर जैसा है ।
9 comments:
फ़िल्में आह फ़िल्में
आपका साथ मिला तो लगता है अब आशा की किरण दिख गयी है.......... आप चलते रहिये हम भी आपके पीछे पीछे चले चलेंगे ..... प्रणाम
night suit ka chalan khatam hai raveesh ji aur ho bhi kyon na .. aaj kal nights ka colour ameer gharon men alag hota hai .. kapde kam aur zindgi jee lene ki laaasaa jyada ho gayi hai.. baaki waqt badalta rahta hai .. aur nazariya bhi ..
न्यूज से दिल भर गया है आपका इसलिए फिल्म देख रहें हैं सर....पर बताइए कहाँ बच पाये आखिरकार मिल गया न फिल्म पत्रकार आपको फिल्म में भी !
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन गूगल की नई योजना "प्रोजेक्ट लून"....ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
आज की ताज़ा खबर । ओसामा बिन लादेन फर्जी एन्काउन्टर मामले में NYPD ने CIA के डायरेक्टर को पूछताछ के लिए बुलाया है । मानवाधिकार संगठनों का आरोप है क़ि इस फर्ज़ी मुठभेड़ के तार बराक ओबामा से जुड़े हो सकते हैं। इस बीच लादेन की पत्नी ने अपने पति की बेगुनाही का दावा किया है।
ओह माफ़ कीजिएगा ये खबर सच नहीं हो सकती। वो अमेरिका है भारत नही।
(I watched prime time today)
थोड़ा बहुत समय चुराकर हम भी बैठ ही जाते हैं..अच्छी जो लगती हैं।
गुरु जी, आज कहाँ हो आप? ना प्राइम टाइम में आये और ना ही ब्लॉग पे ही आये हैं। सब खैरियत तो है गुरु जी।
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