हय ए मोरे राम सवरिया रे
हो भोले जगिया आ हो राम
हाय हे राम
शिव का महिमा अपरंपार
औ लिखते कवि गए केतनी हार ,
शंकर पार्बती के नगद लागै बिबाह
हाय हो राम
भोले बाबा के रंग निराला
नारद जी जोग सधाये
नारद जी ने शिव जी से बोले
ब्याह कर लीजे लगन धराये ,
भोले बाबा बोले कि हम शादी न करब महाराज
हमरे न मकान बा न खाए के समान बा
नारद ने कहा कि महाराज लड़की तपिस्या में है
तो गौरा जंगल में करती तपिस्या
हमके दुल्हा मिले भोले दानी
कहे महाराज हम बियाह न करब
काहे महाराज, लड़की का व्रत चलता
जब तक भोला करेंगे न शादी
तब तक रहब हम नारी कुँआरी
सुनकर नारद की ऐसी कहानी
शिवजी मनवा में ख़ुशियाँ मनायें
शिवजी मनवा में ख़ुशियाँ मनायें
लिख कर देखने में गाना कितना सरल है । मगर सुनने में मज़ा आ जाता है । झाल मजीरा बज रहा है । ग़ज़ब का समां बाँधा है । संगीत की दुनिया अद्भुत । इसी में वजूद होता है हमारा । जिसकी धुनें कल्पनाओं को छेड़ती हैं और अल्फ़ाज़ अहसासों को । आपके भीतर एक दूसरी ही दुनिया बन जाती है ।
2 comments:
Sach me sir jii... apane lok geet aur sangeet ko sun kar mann vibhor ho jaata hai.... mann ko etana sakun milta hai...jise sabdo me byaan nahi kiya jaa sakta.....
सचमुच मन के तारों को झंकृत कर देती है संगीत!
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