इस देश में जब बनिया समाज की रैली में गांधी का पोस्टर टंग जाता है तो सरदार पटेल क्या चीज़ हैं ।
मोदी को कुर्मी सरदार पटेल की ज़रूरत है ।इसीलिए अहमदाबाद में नरेंद्र दामोदरदास मोदी सरदार पटेल की आदमकद मूर्ति बनाने जा रहे हैं । ताकि वहां से पटेल की मूर्ति पटना और बरेली में दिखे । अपनी पार्टी के लौह पुरुष से आज़िज आ चुके मोदी गाँव गाँव से लोहा मंगा रहे हैं । इसलिए नहीं कि सरदार की कोई राष्ट्रवादी छवि काम आएगी । इसलिए कि पटेल कुर्मी हैं । गोवा में चुनाव अभियान समिति का चेयरमैन चुने जाने के अगले दो दिनों में मोदी ने पहला काम यही काम किया । सरदार पटेल की आदमकद प्रतिमा बनाने का एलान किया । दो साल से मोदी इस योजना पर काम कर रहे थे । अचानक इसमें इतना व्यस्त हो गए कि आडवाणी को मनाने के लिए दिल्ली तक नहीं आए । अपने कार्यकर्ताओं से कहने लगे कि जाओ गाँव गाँव से गुजरात के हर घर से लोहा ले आओ । घर घर ये ईंट लाने की राजनीति से राम मंदिर नहीं बना सके तो क्या हुआ । कुछ नेताओं की मूर्तियाँ तो बन ही सकती है । लखनऊ में अम्बेडकर की आदमकद मूर्ति और पार्क और अहमदाबाद में कुछ नहीं । क्या मोदी को जातिवादी राजनीति का ज्ञान नहीं है ।
तो मित्रों नीतीश कुमार कौन हैं ? कुर्मी भी हैं । उन्होंने समाज के बड़े नेता सरदार पटेल की आदमकद मूर्ति बनाई ? मोदी कहेंगे मैं बनवा रहा हूँ । बिहार की रैलियों में इस मूर्ति का ज़िक्र खूब आयेगा । अमरीका के स्टैच्यू आफ़ लिबर्टी से भी ऊँची । जब बुधवार को पटना में शिवानंद तिवारी ने मोदी के इस क़दम पर हमला किया तो उसका एक मतलब यह भी होगा कि पहले से जवाब तैयार रखना । शिवानंद ने मोदी से सवाल किया कि आप कांग्रेस मुक्त भारत बनाने निकले हैं । पटेल भी तो कांग्रेस परंपरा के हैं । क्या संघ में कोई नेता नहीं जिसकी आदमकद प्रतिमा बन सके । यह सरल बयान नहीं है । मोदी को पटेल से प्यार होता तो आडवाणी को ही ख़ुश करने के लिए उनकी मूर्ति बना देते । लेकिन राजनीति में भक्ति नहीं मौक़ा बड़ा होता है ।
मोदी ने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा देकर ग़ैर कांग्रेस और कांग्रेस विरोधी राजनीति की ख़ाली होते तमाम छोटे छोटे प्लाट पर दावेदारी के लिए नारा दिया है । कांग्रेस विरोधी सपा बसपा आरजेडी अंत में कांग्रेस के ही काम आए । मोदी इसका लाभ उठाने की रणनीति पर चल रहे हैं । अपनी राष्ट्रीय पहचान को जातिवादी पहचान में घुलने दे रहे हैं । अचानक आप सुनेंगे कि मोदी बैकवर्ड हैं । बनिया हैं । बीजेपी मोदी के सहारे पिछड़े नेताओं को भी चुनौती देगी । सफल होगी कि नहीं मैं नहीं जानता । वोट बैंक से ऊपर उठ कर राजनीति करने का अपना दावा छोड़े वोटों के छोटे छोटे गुल्लक ढूँढने निकल रहे हैं ।
नब्बे के बाद कुर्मियों की हर रैली में सरदार पटेल का पोस्टर होता है । उपेन्द्र कुशवाहा जो कुर्मी-कोइरी युग्म बिरादरी के कोइरी प्रखंड के नेता हैं वे जब भी रैली करते हैं सरदार पटेल के पोस्टर से पटना को भर देते हैं । आजकल नीतीश से नाराज़ हैं । उनसे बाग़ी हो गए हैं । आने वाले कल में मोदी के काम आयेंगे । सरदार पटेल ने राजशाही को समाप्त कर रजवाड़ों को देश में मिलाकर एकता के प्रतीक बन गए । अब उनकी स्टैच्यू आफ़ यूनिटी की मूर्ति नीतीश के पाले से कुर्मियों को तोड़ने के काम आएगी । पर क्या कुर्मी इतनी आसानी से अपने सजीव नेता को छोड़ इतिहास के प्रतीक पर दिल लुटा देंगे ? या पटेल पोस्टर टाँगने के ही काम आते रहेंगे ? मोदी को लगता है कि जब वे बनिया- तेली समाज से आकर गुजरात में पटेलों के नेता बन सकते हैं तो बिहार में क्यों नहीं । देखते हैं । वैसे एक पाठक ने बताया है कि मोदी घांची समुदाय के हैं । बनिया नहीं है और गुजरात में जाति के आधार पर वोट नहीं होता ! कड़वा लेउआ पटेल सम्मेलन ! ख़ैर । गुजरात में नहीं होता होगा मगर बिहार में होता है ।
13 comments:
वाह, मान गये, किसने कहा कि भारतीय मस्तिष्क किसी से भी कम है। प्रयास नहीं करते नहीं तो १५-२० देशों के राष्ट्रपति हम निकाल ही सकते हैं यहाँ से।
sir ji..ab yeh clear hi kar dijiye...yeh kurmi , patel , kumar ,ka logic kya hai ?
my uncle said : Kumar who live in bihr,UP ,Hariyana are basicaly Gujarai...You also said that 400 years ago connection with this.
Started to read book : nitish and the rise of bihar....first 3-4 chapter sirf caste par hi hai...kuch samaj nahi aaya bandh kar di ...
what is the story of this castes?
Jatigat rajneeti hi humar bihar ka durbhagya tha, hai aur mujhe lagta hai humesha rahega.
Recently seen cast politics in Maharajganj Seat, very difficult to explain sick minded people in bihar.
"Sardar"film mein dekhiye ki kaise patel sardar bane Itihas mein rahne ke liye kitna kam karna padta.Shayad Gandhi ji Nehru parivar se jyada impress the isliye Sardar ke sath nyay nahin kar paye
रवीश जी नमस्कार, सबसे पहले मोदी जी कि जाति के बारे में. मोदी जी कि जाति मोध मोदी घांची वनिक हैं. जो कि गुजरात में तेली समुदाय हैं. घांची तेली एक पुरी तरह से वैश्य वनिक समुदाय हैं. लेकिन बहुत पिछडा हुआ हैं. चूँकि बनिए अधिकतर पैसे वाले होते हैं, इसलिए घांची बनियों को, अमिर बनिए, बनिया नहीं मानते हैं. घांची- तेली एक प्रमुख वैश्य जाति हैं. मोदी उप नाम वैश्यों के द्वारा ही प्रयोग किया जाता हैं. अब सरदार पटेल जी के बारे में, हमारे यंहा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गुज्जर समुदाय उन्हें गुज्जर मानता हैं. पूर्वी उत्तर प्रदेश में कुर्मी उन्हें कुर्मी मानता हैं. लेकिन सरदार पटेल कि जाति पटेल हैं. जो अपने आप को क्षत्रिय और वैश्य दोनों ही मानती हैं. पटेलो ने अपने साहित्य और वेब साईट पर अपने आप को वैश्य-बनिया माना हैं. उनका व्यवहार, संस्कृति सभी कुछ इन गुज्जर, कुर्मी जातियों से अलग हैं. यह एक प्रमुख वैश्य जाति हैं.
e bar vote modi ye ke dewal jai..
अच्छा लेख था। कुछ ज्यादा ही जाती सूचक शब्द थे आज कल सुनने को कम मिलता है इसलिए अटपटा लगा।
वैसे मैं तो पटेल को किसी जाति का नहीं मानता था। इस स्तम्भ के माध्यम से उनकी जाति भी जान ली। "सैम तुम बैकवर्ड हो" के बाद इस लेख के लिए आभार।
कूमीॅ रैली कर अपनी राजनिति चमकाने वाले नितीश कूमार आज बडी बाते कर रहे हैं़ unhe bhram hai bjp se hatka saare kurmi unko vote karenge.
एक कूमि
rastriya raajniti men apni jagah talashte kurmi samaaj ki majboori hain sardar patel... kabhi kabhi mujhe lagta hai ki kurmiyon ka "pateli karan" ho raha hai bihari kurmi gujrati kurmi se har tarahse alag hai lekin khud ko patel batane men garv ka anubhav karta hai.. kurmi apne aap ko chhoti jaati ka maante nahin hai aur badii jaati wale unko bada nahin mante aur is duvidha men aaj tak yadvon jaisa rajnaitik astitva nahin bana paye .. raveesh ji jaatiwadi politics ki vidambana hai ki hamare mahapurushon ka jateeya vibhajan ho gaya hai .. is par koi report bana dijiye hamari nayi public school educated young breed jaan paye ki jaati ka chakkar kitna gahra hai is desh men .....
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