पत्रकारों की लिखावट
ग़ाज़ियाबाद में नरेंद्र मोदी की रैली हो रही थी । वहाँ मौजूद पत्रकार उनके भाषण का नोट्स ले रहे थे । अचानक मेरी नज़र उनकी लिखावट पर पड़ गई । लगा कि फ़्रेंच में लिखा गया है मगर पत्रकारों ने कहा कि एक एक शब्द पढ़ लेते हैं । इसी बहाने यह भी बताना चाहता हूँ कि टीवी के पत्रकार तो नोट्स भी नहीं लेते । कुछ के पास अच्छे फ़ोन है तो उसी से साथ का साथ दफ़्तर ईमेल करते रहते हैं । कुछ तो वह भी नहीं । प्रिंट के सारे पत्रकार लिख रहे थे जबकि उनके दफ़्तर में कोई टीवी या बीजेपी की साइट पर मोदी के लाइव भाषण को लिख सकता है । पर अपना लिखा हुआ ही अपना होता है । खुद लिखने से बातों पर ध्यान रहता है ।
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13 comments:
जब भी कोई लाइव कांफ्रेंस देखता था, ध्यान हमेशा पूछने और जवाब देने वालों से ज्य़ादा लिखकर सुनने वालों पर रहता था । मैंने बहुत पहले ही मान लिया था इन लोगों कि कोई "सीक्रेट लैंग्वेज " है , जिसमें इतने फ़टाफ़ट लिख सकते हैं। लाइव । हमेशा कोफ़्त आती कि काश मैं भी क्लास में टीचर का कहा ऐसे ही फटाक से उतर लूँ कॉपी पर । बाद में शॉर्टहैंड के बारे में पता चला तो लगा सभी पत्रकारों के रिज्यूमे में ये "एसेंशियल क्वालिफिकेशन " वाले बक्से में आता होगा। ख़ैर , आज ये फ़ोटो देखकर लग रहा है, डॉक्टर लोगों को एक दूसरा व्यवसाय कड़ी टक्कर दे रहा है। हैंडराइटिंग के मामले में । बिना मशहूर/बदनाम हुए ।
अपने अपने 'शॉर्टहैंड'
इल्म कब बख्श देता इनायतें तहजीब
तालीम से जदोजहद से हासिल हैं तरक़ीब
read more at छुटता बंधन -10 http://atulavach.blogspot.com/
Nice click ravish sir.kal prime time is liye telecast nahi hua . modi ji ki rally dekh rahe the. Kuch Aur anubhav bhi bataiyega.kaisi hoti hai high profile netaon ki rally aur Unki hakikat.
आपने जिस किसी पत्रकार के नोट्स को उद्धृत किया है बिना किसी दुर्भावना और छमा याचना सहित एक चुटकुला याद आ गया.होम वर्क कि कॉपी में अध्यापक ने क्या लिखा है यह जानने ने के लिए विद्यार्थी ने पूछा सर ये क्या लिखा है अध्यापक ने उत्तर दिया मुर्ख "साफ़ साफ़ लिखा करो "यही तो लिखा है.
आपने जिस किसी पत्रकार के नोट्स को उद्धृत किया है बिना किसी दुर्भावना और छमा याचना सहित एक चुटकुला याद आ गया.होम वर्क कि कॉपी में अध्यापक ने क्या लिखा है यह जानने ने के लिए विद्यार्थी ने पूछा सर ये क्या लिखा है अध्यापक ने उत्तर दिया मुर्ख "साफ़ साफ़ लिखा करो "यही तो लिखा है.
SIR JI appreciate the work of the reporter it is really difficult to maintain the speed with the orator.
yeh dekhne se pehle mein sochta tha ki sirf Doctors ke hand-writing samjhna hi mushkil hai...
लिखकर याद रखना या याद रखकर लिखना, हम दूसरे के समर्थक हैं।
Ham bad dekh rahe hain sun rahe hain Jan rahe hain phir phi koi tabdeeli nazar nahi aati pata nahi kyun?
Modi ji k bhasan me sabkuch common hi hota hai ...bhaiyo aur bahno ..sahjada..congress party ..aur baaki galat history ..esme short hand ki kya jarurat hai ..kuch nya bole to alag baat hai ...aajtak maine ek bhi kaam ki baat nhi suni uske bhasan me ..lgta hai unki sabha me log ear phone se gasne sunte honge ...
7 APRIL का PRIMETIME देखा.......
गुडगांव का दलित युवक तथाकथित SOCIAL ENGINEERING के दर्शन करा गया...बोल ही नहीं सका फिर भी सारा सच बोल गया.....
जाती नहीं इसलिए जाति है.....!!
सहाफ़ियों की नैशनल डायरी
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