क्या मोदी सिर्फ बनारस में लड़ रहे हैं ? क्या इसी एक सीट से सरकार का फ़ैसला होने जा रहा है । क़रीब चार सौ सीटों पर बीजेपी लड़ रही है । क्या वहाँ मोदी नहीं हैं । मोदी ने खुद से लड़ने के लिए साल भर का मौक़ा दिया । वो सितम्बर से अभियान पर हैं । सैंकड़ों रैलियाँ कर चुके हैं । विरोधियों के पास इतना लंबा वक्त था । मोदी ने प्रोपैगैंडा किया तो वे क्या कर रहे थे । उन्हें किसने रोका था जनता के बीच जाकर बताने के लिए । क्या वे गए । मोदी जीत के लिए नए नए गठबंधन बना रहे हैं और विरोधी आपस में लड़ने के लिए बेताब हैं । मोदी का लक्ष्य साफ़ है मगर विरोधी को पता नहीं कि पहले मोदी से लड़े या सपा से सीपीएम से या बसपा से या किसी से । विरोधी आपस में लड़ते हुए मोदी से लड़ने का स्वाँग रचा रहे हैं । क्या लेफ़्ट के लिए सोशल मीडिया नहीं बना है । मोदी का विरोध करने वाले सोये रहे । युवाओं को शुरू से ही नकारा बताने लगे । उनसे संवाद का प्रयास नहीं किया । अपने इसी आलस्य पर पर्दा डालने के लिए सब बनारस जा रहे हैं । कान खुजाते हुए ताल नहीं ठोकी जाती । सब लस्सी पीकर और पान खाकर चले आयेंगे ।
ज़ाहिर है मोदी विरोधियों के पास ठोस एजेंडा है नहीं । कम से कम मोदी कर तो रहे हैं कि मुझे मौक़ा दो मैं ये कर दूँगा या वो कर दूँगा । विपक्ष से कौन कह रहा है कि मुझे मौक़ा दो मैं मोदी से भी बेहतर कर दूँगा । विरोधियों को सुनकर जनता किसे चुनें । आप ग़ौर से देखिये मोदी से कोई लड़ ही नहीं रहा । कोई सरकार बनाने का दावा भी नहीं कर रहा है । उनके खेमे में कोई स्पष्टता या रणनीति नहीं है । विरोधी ख़ुद को नहीं जनता को धोखा दे रहे हैं ।
मान लीजिये मोदी बनारस से हार गए और उनकी पार्टी को बहुमत या क़रीब करीब मिल गया । आप नतीजों के दिन कवरेज और अगले दिन अख़बारों के पन्नों की कल्पना कीजिये । जो शख़्स जीत कर शपथ लेने जा रहा होगा उससे जुड़ी ख़बरें होंगी या उस एक सीट की ख़बर होगी जहाँ हार कर भी वह शपथ लेगा । बनारस की हार को दो लाइन जगह नहीं मिलेगी । हफ़्ते भर बाद कहीं विश्लेषण छप जाएगा । फिर बनारस की लड़ाई का क्या महत्व है । विरोध के नाम पर विरोध पर्यटन होने लगा है ।
इसलिए बनारस का महत्व उसी तरह और उतना ही सांकेतिक है जितना विरोधियों को राजनाथ सिंह सुष्मा स्वराज और मुरली मनोहर जोशी से उम्मीद है । विरोधियों में इतनी ईमानदारी तो होनी चाहिए कि वे कह दें कि मोदी नहीं जीते बल्कि हम ही नहीं लड़े । हम चाहते थे कि मोदी जीत जायें और विरोध भी दर्ज हो जाए । मोदी विरोधी अस्पष्टता के शिकार हैं । वे हास्यास्पद हो चुके हैं । इतनी मेहनत अगर वे अन्य सीटों पर करते तो नतीजा बदल सकता था । इन्हें इतनी चिंता थी तो क्यों नहीं ये लोग दिल्ली से सटे पश्चिम उत्तर प्रदेश के इलाक़ों में गए जहाँ समाजवादी और भाजपा के नेता आग उगल रहे थे । अमित शाह की ज़ुबान को लेकर हमले हो रहे हैं लेकिन कोई आज़म ख़ान को लेकर समाजवादी पार्टी को क्यों नहीं घेरता ।
इसलिए जो लड़ नहीं रहे थे वे बनारस जा रहे हैं ताकि दिखा सकें कि हम भी मोदी से लड़े थे । बनारस में सब हैं । हम भी हैं । बनारस हिन्दू विश्विद्यालय गया था । खूब बहस हुई छात्रों के बीच मज़ा आ गया । इस बात को लेकर नहीं कि मोदी जीतेंगे या नहीं बल्कि पूरे देश के मुद्दों को लेकर । शानदार कैम्पस है । लड़के लड़कियाँ भी सजग सतर्क । अच्छा लगा कि दिल्ली मुंबई के बाहर भी कुछ अच्छा है । कैम्पस के गलियारे चमक रहे हैं । कैंटीन लगता है किसी कारपोरेट का जलपान गृह है । चाय अच्छी लगी और कटलेट भी । देवी जी से मिला । वहाँ से लौटा तो कैम्पस में ही कोई नेता जी मिलने आ गए । दही लेकर । बेजोड़ दही ।क वहाँ से घाट पर गया तो सीढ़ियों पर मनीष सिसोदिया और आम आदमी पार्टी के कुछ कार्यकर्ता मिले । घाट पर उच्च स्तरीय नींबू की चाय पी गई । झटा झट फोटू खींच लिया गया । फ़ेसबुक पर शेयर हो चुका होगा ! तभी बीजेपी प्रवक्ता नलिन कोहली का फोन आ गया । तब तक अस्सी से पैदल चलकर दशाश्वमेघ घाट जाने का मूड बन चुका था । नाव ली गई और घाट पर गंगा की आरती की दिव्यता में समाहित हो गया । बनारस हो गया । इस पर बाद में लिखूँगा ।
32 comments:
लगता नही परिणाम और सर्वे कही आसपास होंगे..... सब बन्धुआ हो चले है....
kya sir ji BHU aaye toh thoda or andar aa jaate (IIT bhu me) hum bhi aap se mil lete.. Nalin kohali aaye the humare hostek me, ladko ne aise question pucche ki bapas chale gaye..
माफ किजीये.. हमारी हिंदी इतनी अच्छी नही. (हम पुणे से है..)
मोदीजीसे बनती नही| लेकीन ये जरूर है के उनके विरोधी बस back foot पे है|
गुस्सा इस बात का है के विरोधीयोने हमें जैसे granted लिया हो| काँग्रेस उमेदवार है जिनके बारे कुछ कहना ही बेकार है| कल सुबह वोट डालना है और अब तक यही confusion में है के मोदीजी के किस विरोधक को वोट दे .. जैसे बस इतनाही agenda हो| देश, विकास जैसे कुछ शब्द हो..और कुछ नही|
मोदी की हराने की हिम्मत अरविंद ने तो की है । नहीं तो ये भी सेफ सीट बन के रह जाती हर बार की तरह विपक्ष के बड़े नेता के साहमने कमजोर कैंडिडैट खड़ा करना ॥
और मोदी को हराने के लिए अरविंद का वहाँ से लड़ना भी इसलिए ज़रूरी है कि जो भाजपा 400 से ज्यादा सीटों से लड़ रही है वहाँ हर एक सीट पे कैंडिडैट की बात नहीं हो रही । कैंडिडैट के नाम से वोट नहीं मांगे जा रहे ॥ सब जगह मोदी के नाम से ही चुनाव लड़े जा रहे हैं ॥ ये व्यक्ति केन्द्रित राजनीति लोकतंत्र के लिए बिलकुल सही नहीं है ॥
कभी कभी आपका शो देख कर मुझे ऐसा लगता है कि आपके और आज के ज़मीनी सच के बीच में आपका इतने साल का तजुरबा आ रहा है ॥
माफ कीजिएगा मुझे जो लगा सो बोल दिया आपको अपना मान के ॥ किसी दिन अपने सालों के तजुर्बे को साइड पे रख कर धरातल को देखिएगा ॥ दुनिया नयी नयी सी लगेगी ॥
और मीडिया पर आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा ॥
पर इसका श्रेय भी मैं अरविन्द को ही दूंगा ॥ आज अरविन्द की वजह से अगर मीडिया को अपने अंदर झाँकने का मौका मिला है तो ज़रूर झांकना चाहिए ॥
अरविन्द ने लोगों को आवाज़ उठानी सिखायी ॥ लोगों के अंदर से आज डर निकलता जा रहा है ॥ खुल के बोलने लगे हैं लोग, पत्रकार सब ॥ बगावत करने लगे हैं ॥चाहे अभी फेस्बूक टिवीटर या ब्लाग पे ही सही॥ वरना आज से 1-2 साल पहले कौन हिम्मत करता था ऐसे ॥
और रविश जी आप को कुछ भाजपा ट्रोल्स ने फेस्बूक टिवीटर के कुछ गलत लिख दिया और आप अभी अपनी सेकुलर इमेज बनाने की कोशिश करने लगे ॥ जब भी अरविन्द की बात आती है कोई करता है आप उसको टाल देते हैं ॥ अपनी आत्मा की आवाज़ से सम्झौता मत कीजिए ॥ जो अच्छा है अंदर से आवाज़ आती है जिसके लिए उसके साथ ज़रूर खड़े होईये ॥
जय हिन्द ॥ वंदे मातरम ॥
इंकलाब ज़िंदाबाद ॥
Sir News overshadow ho jaayegi haarne ki iska matlab news hee nahi hai aur usja koi faayeda nahi hai yeh kahan ke baat hui? Operation Red Spider, Operation Janmabhoomi, operation Prime Minister, BJP-Congress foreign funding news saare news channel par nahi chali toh iska matlab yeh nahi ki woh news nahi hai aur rakhi sawant ki news chalne se woh news nahi ho jaati.
Sir
plz read this..
BJP volunteer VS AAP volunteer : A small Conversation
Interesting conversation at Sony World Junction today.
So I notice about half a dozen guys are handing out BJP pamphlet today. One of the guy gave me the pamphlet saying "Vote for Modi". I read through it and ask him "I thought Modi was contesting only from Vadodra and Varanasi, Is he contesting from Bangalore South too ?". He was first confused, then he says - "No, he's not". I asked him who is BJP candidate from Bangalore South ? He was silent, so another pamphlet guy who saw us in conversation came up to us. I asked him the same question, he said Ananth Kumar. I asked him why are you not asking the folks to vote for Ananth Kumar instead of Modi, afterall Ananth Kumar has been winning from this constituency for last 5 terms. No answer.
I proceeded to ask him who pays for these pamphlets. He was like "what do you mean". I repeated, who is paying for these pamphlets and that big hoarding (pointing to the Modi hoarding next to Taco Bell). He sees in that direction and asks which hoarding. (The lights of that hoarding were off, I had to point my fingers to show him the hoarding). He replies back - candidate pays. I told him that this particular hoarding costs upwards of 1L/month, and there are quite a few of these in whole of Bangalore, where is he getting all this money from? Who is paying for it? He got really pissed off now, and asked me "You're Aam Aadmi Party na, I know, I understand".
I tell him, "No, I'm not Aam Aadmi Party, but I do support them". I took out Nina Nayak's pamphlet from my bag, and gave it to him. Talked about her efforts towards welfare of children and women. He got impatient, so I said when you reach home, please do some research on her, and if you feel that Ananth Kumar is better than her, please vote for him, if you feel that None of these guys deserve to serve us for the next 5 years, please go for NOTA. As I started to walk away, he threw the pamphlet on the ground. I picked it up and kept it back in my bag, and told him "If you don't want it, just give it back. We've printed these pamphlets with our very own money, not by some industrialists investment money ! "
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रवीश जी क्या पॉलिटिकल पार्टी लीडर का चैनल में हिस्सा होने से खबर पे कोई फरक पड़ता है या फिर उनको सिर्फ TRP से ही मतलब होता है ?
मैं आपके प्रोग्राम को लेकर कोई सवाल नहीं उठा रहा ॥ जेनेर्ली पूछ रहा हूँ ॥
Wishful thinking: Can all the so called "secular" parties get together and field a common candidate in Varanasi(perhaps AK49)? Then the contest will be so interesting! Its not yet too late, is someone out there listening?
रवीश जी आपका ये लेख अच्छा नहीं लगा
शायद आप पूरा पॉइंट ही मिस कर गए मोदी के खिलाफ लड़ने का
आप स्वयं ही परिवर्तन की बात करते रहते हैं, तो यह कैसे भूल गए की मुद्दा परिवर्तन का है
मोदी जो भी हों , उनमे कुछ नया नहीं है
वो परिवर्तन की बात तो जरूर करते हैं , पर खुद उसी पुरानी सडी गली राजनीति का हिस्सा हैं
यह बात ज़ाहिर है की मै आप पार्टी की तरफदारी कर रहा हु
आपने कहा "मोदी विरोधी कार्यकर्ता उस कर्मकांड को पूरा करने का भ्रम पाल चुके हैं जिसे बनारस में कोई गंभीरता से नहीं लेता "
बात गलत नहीं है, पर क्या नज़रिअा बड़ा नहीं है यहाँ, बात देश की हो रही है , बनारस के पास एक मौका है
की उस "जाली परिवर्तन , जाली डेवलपमेंट, त्रिसन्कु मीडिया और करोड़ों रुपए के प्रचार " को निचा दिखने का
इससे बड़ी और क्या जीत हो सकती है बनारस की , क्या यह एक ठोस एजेंडा नहीं है
मोदी भलेहीं बनारस हारकर भी सरकार बना ले , पर राजनीति हिल जाएगी इस देश की, हरेक नेता भले वो समाजवादी हो आरजेडी अपने कम्फर्ट जोन से बहार आ जाएगा , उसकी जवाबदेही बन जगेगी , पॉलिटिसिस ऐशो आराम और सत्ता से काम से काम दो कदम आगे तो बढ़ेगी
क्या विडम्बना है की एक व्यक्ति विशेष पार्टी का मुकाबला करने के लिए लोग एक व्यक्ति को खुदा बनाने पर तुले हुए हैं। एक स्वेच्छाचारी मोदी का हराइये और उसी तरह के एक नए मोदी का बनाइये।
आपने बात पते की है मगर यह बात मिरचाइ की तरह लगने के बावजूद आम आदमी पार्टी के फैंस अंधभक्ति में चुनावी टूरिज्म पर चले ही जायेंगे। मोदी से जबरदस्ती चुनाव लड़ने की चाहत में अरविन्द मोदी की तरह ही घटिया और पाखंडी नेता बनते जा रहे हैं यह बात उनके इर्द गिर्द मंढारते तोता रटन्तों एवं उनके समर्थन में जुटे टर्र टर्र करते बेंगो को समझ नहीं आयेगी।
जितना पैसा आम आदमी पार्टी और उसके समर्थक बनारस में बहायेंगे अगर वह उसका एक तिहाई भी गुडगाँव में योगेन्द्र यादव को जिताने के लिए खर्च एवं मेहनत करते तो भारत को निश्चित एक सहज और सूझ बुझ वाला सांसद मिलता जो भाजपा के शाषण काल में ख़राब नीतियों को सहजता के साथ संसद में विरोध कर पाता और उनमें सुधार करवा पता। यह बात जग जाहिर है की अरविन्द की छमता नीति निर्माण में नहीं है और वह कभी भी एक काबिल सांसद या विधायक नहीं बन सकते भले कितने भी चुनाव जीत जायें; वह सिर्फ पीड़ा पर खड़ा हो कर ऊँचा बनने में माहिर हैं जो वह अभी बनारस में कर रहे हैं।
@shaswant gupta...very idiotic comment sir
Munnawar rana sahab ki shayri bahut Kuch kahti hai rajniti ke sadhrbh mein.kya rajniti mein sahityik badlav aa payega.
SIR JI Banaras ko itna discuss shayad pehle kabhi bhi nahi kiya gaya hai.
WAH WAH ELECTIONS!!!!!
रविश जी गुस्से में हैं. सही है. इस गुस्से में मुझे भी शामिल कर लीजिये. कोरी लफ्फाजी करने वाले एक तरह से नर्गिसियत का शिकार हैं. दिल्ली विधान सभा चुनाव के दौरान JNU कैम्पस में वामपंथ वालों ने मुझे ऐसे-ऐसे सिद्धांत और विशलेषण सुनाये कि मैं दंग रह गया.वो बीजेपी और कांग्रेस से अधिक आप को गाली दे रहे थे.उनके नाक के नीचे बहुत कुछ घटित हो रहा था लेकिन वो अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं पर अटके हुए थे.
और हाँ, बनारस के बारे में एक पुराणी कहावत है - 'राड़, सांड और सन्यासी' ये तीनो से बचे त सेवे काशी. आप काशी में है और इसपे गौर कीजियेगा. पता नहीं अब भी लागू होता है की नहीं.
बनारस तक पहुँच गए, मतलब कुछ दिनों मैं बिहार की बारी आनेवाली है।
कल का प्राइम टाइम बहुत ही बढ़िया था, अंत मे मुनव्वर राणा से बात करके आपने इस प्रोग्राम को चुनाव रिपोर्टिंग सीरीज मे बेहतरीन बना दिया।
सब पार्टियां और नेता, न चाहते हुए भी जाने-अनजाने में मोदी द्वारा तैयार चौसर पर खेल खेल रहे हैं । मोदी ने कोई विकल्प ही नही छोड़ा उनके लिये ।
y you have deleted some comments Ravish g ??
y some of the comments are deleted Ravish g ??
कोई विद्यार्थी परीक्षा की मन लगाकर तैयारी करे .... परीक्षा के काफी पहले से। दुर्भाग्य से , गलत रणनीति और तमाम कारणों से वह असफल भी सकता है !
पर , हर कोई यही कहेगा कि मेहनत किया , पर बेचारा फेल कर गया ! हालाँकि अधिकतर मामले में अपनी जमीन पर मेहनत करने वाला विद्यार्थी
अच्छा करता है ! आज आप यानी कोई भी नेता , दल मोदी को लाख गरिआये , कोसे पर मोदी काफी पहले से रैलियां कर रहे हैं। घूम -फिर रहे हैं।
सभी मोदी से ही लड़ रहे हैं। सभी 'सेकुलर' हैं , सिर्फ मोदी 'कम्युनल' हैं ? ''आपजी '' भी दिल्ली छोड़कर बनारस जीतने निकल पड़े हैं ! रायबरेली बहुत दूर है न इसीलिए ! मोदी ऐसे निशाने पर हैं मानों दस सालों से वे ही गुजरात से केंद्र सरकार चला रहे हैं। पिछले 50 सालों से जो हमारा पिछड़ापन है उसके जिम्मेदार मोदी ही हैं ? धर्मनिरपेक्षता की सबसे बड़ी कसौटी है मोदी विरोध। बुद्धिजीवी होने की सबसे बड़ी गारंटी है मोदी को हत्यारा साबित करना ? सुप्रीम कोर्ट से इत्तर मोदी पर फैसले दिए जा रहे हैं। '' सेकुलर '' खुद कोर्ट बन गए हैं ! जो वे कह दें वे ही सही ! नरेंद्र मोदी की बढ़त में 2002 से जारी बदनामियों , लांछनों से उपजी सहानुभूति की बड़ी भूमिका रही है। 1984 , गोधरा , मुजफ्फरनगर सबके लिए मोदी जिम्मेदार ?
''समुद्र संगम '' की धरती बनारस बनारस सिर्फ ब्राह्मण धारा ही नहीं , श्रमण परम्परा का भी केंद्र रहा है। बौद्ध , जैन , सिख , इस्लाम आदि को इससे अलग करना संभव नहीं है। मोदी हारें या जीतें वे स्वयं मुद्दा बन गए हैं। अगर वे प्रधानमंत्री बनते हैं तो सोनिया जी , राहुल , डॉ मनमोहन सिंह , नीतीश कुमार , दिग्विजय सिंह , मुलायम सिंह यादव , आजम खान , बेनीप्रसाद वर्मा आदि के प्रति आभार जरूर प्रकट करें। ये जितना नॉन -सेन्स टिप्पणी करेंगे वे बढ़ते जाएंगे। वे जितने नॉन सेंस टिप्पणी करेंगे हारते जायेंगे !
Bahot asan lagta hai is chunav ka natija batana, fir bhi jab tak natije aa na jaye hum kisi kalpanik dour me hi rahte hain. Jis prakar ka adhunikikaran is rajnitik khaas kar ke bjp ka prachar aaj banaras me dekhne ko mil raha hai sayad wo apne aap me ek naye dour ki or ishara karta hai, or isi raah pe chalte huye aaj ke pracharak ek banarasi kahwat ko sadhya karte hai "naya jaun chalawela, khoob horn bajawela". Fir bhi aapne banaras me modi ke prati deewangi to dekhi hogi wo bhi aisi janta se jo badlaw ki maang kar raha hai jo aaj tak is sehar ke har pehlun me mastmoula bana raha hai. Mai banaras ka hun, yaha modi ki leher nahi sunami si lag rahi hai, aisi stithi me khud ko sambhale huye hun ki kahi ud na jau.
haalanki mein congress fan nahi hun but fir bhi aaj ka congress rally pe PT kaafi achha tha...
आप लोग हंसा ग्रुप वालों से पैंसा लेकर मोदी के पक्ष में फर्जी सर्वे टी वी पर देते रहिये. और मोदी विरोधियों को उपदेश भी पलते रहिये, उन्हें ये करना चाहिए था उन्हें वो करना चाहिए था. हद दोगलापन है महाराज!
I am strong supporter of AAP.... first did not like Arvinds decision to fight Varanasi.... but looking at arrogance of Modi... felt this is important.... Modi Sarkar aane do, kyuki Harshwardhanji kehte hai bhagwan bhi nahi rok sakte...phir hum to insaan thehre... Par ek haar, unhe zameen par rakhegi.... darr rahega ki Junta advertising se nahi kharidi ja sakti...
@DelhiAgency .. Very impressive.. yahi haal jyadatar BJP samarthakon ka hai..usne question poochho to koi jawab nahi de payenge...bas baat baat pe modi ki rat lagate rahte hain
@Shashwat Gautam bada dukh hua ye sunkar ... khair yadav ji ne chunav mein jo bhi paisa kharch kiya ho uski wajah ye bhi hogi ki us samay AAP ke pas donations bahut kam the. Par iska matlab ye nahi hai ki varanasi mein paise ki ganga baha denge... Halanki AAP chahe to ye kar sakte hain..party fund se nahi..kejriwal ke campaign ko fund karne ke liye kai log taiyar hain.. lekin iske baad bhi Arvind wahan prachar mein itne paise kharch nahi karenge -- ye ek strategy hai.. agar woh bhi badi badi hoardings lagwayenge to Modi aur Kejriwal mein kya fark reh jayega... AAP wale gali gali jakar logon se milkar vote maang rahe hain ..log ke sawalon ka jawab de rahe hain... Kejriwal Modi banne ke liye banaras nahi gaye hain..ek ghamandi neta ka ghamand choor choor karne ke liye gaye hain... Aap agar banaras ke ho to wahan jake dekh lena ki woh kitna paisa kharch kar rahe hain... Yadav ji ko shayad paison ki kami rahi hogi kyunki AAP ke har candidate ko yahi problem hai..lekin paisa sab kuchh nahi hota..aasha hai aapki ichchha ki yadav ji saansad bane jaroor poori hogi... Arvind agar aapko vidhayak banne layak bhi nahi dikhte to mujhe bada afsos hai..
@DelhiAgency .. Very impressive.. yahi haal jyadatar BJP samarthakon ka hai..usne question poochho to koi jawab nahi de payenge...bas baat baat pe modi ki rat lagate rahte hain
सबसे बड़ा चोर और देशद्रोही तो अरविन्द केजरीवाल है ये अमेरिका और कांग्रेस का दलाल है .....इसकी वजह से कितने ही मासूम छोटी छोटी नौकरी करने वालो ने नौकरियां छोड़ कर दिल्ली में इसका साथ दिया पर इस गद्दार ने उनको ही अधर में लटका कर छोड़ दिया .....आज कईयों के पास दोनों टाइम खाना मिल जाये ऐसी व्यवस्था भी नहीं है ......क्या करे हमारे कुछ युवा मित्रों को सिर्फ सुनना आता है ....अगर कुछ पढने भी लगते तो शायद उनका ये हाल नहीं होता .....मोदी जी का विरोध करके वो दलाल सिर्फ खुद को लाइम लाइट में रखना चाहता है .....एक मनोविछिप्त सा सब पर आरोप लगाता है ......और जब खुद की बारीआती है तो भाग जाता है ....उन हजारो बेरोजगारों को केजरीवाल का बाप नौकरी देगा ?.....कम से कम मोदी जी की कथनी और करनी में फर्क तो नहीं है , इसस दलाल की तरह ....जो सबसे बड़ा प्रोफेसर है और सिर्फ येही सवाल पूछने का अधिकार रखता है ? देश के हित में सिर्फ एक ही बात है इस भगोड़े दोगले और लुटेरे कांग्रेसियों को रोकना है और देश के लिए अपने नरेन्द्र भाई मोदी जी को जिताना है......मेरी बात पर युवा वर्ग विशेष करके ध्यान दे और हो सके तो दिल्ली के उन मासूम बेरोजगार गरीब युवावों से मिलिए जिन्हें इसने अधर में लटका कर छोड़ दिया और भाग गया खुद मौज करने क्युकी इससे सिर्फ अपना हित साधना है और आम लोगो के नाम पर खास लोगो को मजा और मौज दिलाना है .....युवा भाइयों बहुरूपिये से सावधान....देश को बचाना है और मोदी जी को लाना है , प्रधानमंत्री बनाना है, एक नयी और खुशनुमा फिजा बनाना है I
kabhi kabhi lagta hai ki patrakar ki soch hamesha sahi nahi ho sakti hai .. aap hi kahte ho ki kisi ke fan mat baniye warna uski galtiya nahi dikhai deti hain... aapka sanket kejriwal ki taraf hi hoga aur aap shayad yahi kah rahe honge ki kejriwal banaras jeet bhi lein fir bhi kya ho jayega? Isse achchha hota ki AAP aur dusri seats pe koshish karti to kam se kam aur seats jeet leti.. lekin AAP and Kejriwal ka maksad ye nahi hai..woh safe seat nahi search kar rahe hain. agar kejriwal bhi safe seat search karenge aur unke waki neta bhi ..to fir kya fark reh jayega unme aur waki logon mein...
Jab Delhi mein chunav huye tab bhi logon ne yahi kaha ki Arvind koi safe seat se kyun nahi ladta..parinam sabke samne hai.. chalo maan liya ki parinam shayad delhi jaisa na aaye lekin arvind modi ki jaroor harayenge..ye khabar bhale akhbar mein bhi na chhape lekin BJP aur modi ko munh tod jawab mil jayega aur unhe apni aukat samajh mein aa jayegi.. aur fir ye indi ka aakhiri chunav nahi hai ..baad mein jab bhi chunav honge ..AAP chha jayegi...
farz kijiye ki Is chunav ke baad BJP ko 200-220 seats milti hain aur Modi banaras se haar jate hain.. gathbandan ki sakrar banegi jo kuchh din chalke fir gir jayegi.. uske baad jab chunav honge to AAP aur kejriwal ki kya reputation hogi.. aur us chunav ka parinam kya hoga...
Waise bhi AAP kis seat pe focus karti..Haryana mein rally ki, Punjab mein road show kiya, delhi mein kiya.. Karnataka aur maharashtra bhi gaye..waki jagahon se itni jyada asha bhi nahi hai aur itna time bhi nahi hai... Samajwadi party etc chhoti machhli hain agar BJP ko pachha diya sanketik roop se to log AAP ko seriously lenge aur uske baad SP etc ko koi nahi poochhega..just wait and watch.
Ravish Bhiya Pranam,
Sare comments padhkar ek baat to pata lagi ki TV channel se achchi bahas to is blog pe hoti hai. Aap jo kahna chahte hain wo mujhe to achhe se samajh aa raha hai aur wo 100% theek hai. Modi ji ne is election ko ek exam ki shakl de di hai, jiske baare mein utsukta sirf ye hai ki Modi ji Pass honge ya fail, pass honge to kitne numbers se. Unke saare virodhi unki is strategy mein achhe se trap ho gaye hain. Kejariwal sahab sab dhandha paani chhod ker (team ko lekar )banaras mein pahunch gaye hain. Bechaare Kumar vishwas kavita hi kar sakte hain "Aa ja we mahi tera rasta udeek diya" Kejariwal ji ko Amethi ya Raebareli jaane ka samay mil nahin pa raha hai. Yogendra yadav ji apni seat aasani se nikaal lete agar unhe thoda support mil jaata. Kejariwal ji ko ye sanket dena zyada zaroori lag raha hai ki unhone Modi ji ko haraya bajaay iske ki unki party kuchh zyada seats jeetkar Aam logon ki awaz sansad mein utha paati. Sochne wali baat ye hai ki Agar maanlen ki Kejariwal Banaras jeet gaye aur iske alawa koi seat Aap ko nahin mili to is sanket se kya bhala hoga iska jawab wahi behtar jaante honge. Ek aur cheez Aap ne confirm kar di hai ki Modiji ko haraana importent hai kyunki BJP ki sarkaar ban sakti hai Soniaji ya Rahul ji ko harakar bhi faayda nahin hai kyunki congress to ja hi rahi hai. Aur sabse importent baat Jo log kah rahe hain ki Modi ji ke prachaar mein Ambaani aur Adani ka paisa lag raha hai, mujhe unse shikayat hai, kyunki Modi ji ka prachaar sabse zyada, Beni prasad verma, Mulayam singh, Mayawati, Kejariwalji, Azam khan, Mamta Banerji, Nitish kumar, Rahul Gandhi, Sonia Gandhi, Kapil sibbal .............etc. khud kar rahe hain. To in sab logon ne bhi kya Modiji se paisa liya hai. Is election ko jeetne mein Modi ji ki sabse zyada sahayta SP, BSP, Congress, AAP jaisi vipakshi parties ne ki hai. Haalat ye hai ki agar kisi vipakhshi neta ko bukhaar bhi aa jaye to wo rally mein yahi kahta hai sab Modi ka kiya dhara hai. Aap ka aakalan bilkul sahi hai ki Modiji ne saare vipakshi netaon ki energy divert karke apne ooper kendrit kar li hai aur muft ka prachaar pa rahe hain. meri salah bhi yahi hai ki Modiji ko jeetne ke baad sabse pehla aabhar inhi logon ka prakat karna chahiye. Ek puraani kahawat hai na ' Badnaam honge to kya Naam na hoga". To sabhi tathakathit secular netaaon ko shubhkaamnaen ki wo apna Modi virodh (secularism)jam ke prakat karen aur baad mein sar peeten. baki to jo hai so haiye hai.
regards
Aapke kaafi chahne wale , Arvind ke samarthak hai...unhe shaayad ye sab sunkar achha na lage... Main bhi unme se ek hu.... Lekin, pehle Arvind ka Banaras se ladna mujhe betuka lag raha thha.... par Modi ne jis tarah BJP ko hijack kar liya hai.... lagta hai akele wohi chunav lad rahe hai.... Aise mein, Arvind ke ladne se Hitler ki Hitleri thhodi kam hogi!
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