इस शहर को देखने के लिए लगता है एक ही चश्मा बना है । जिस चश्मे से बनारस के घाट दिखते हैं, प्रदूषित और मरनासन्न गंगा जी दिखती हैं, बुनकरों और जुलाहों के बीच फ़र्क करने वाले सवालों के साथ पावरलुम दिखते हैं और कुछ लोग जो पान खाते चाय पीते भी दिखते हैं जो ख़ुद को जितना बनारसी होने का दावा करते हैं उससे कहीं ज़्यादा उस एक चश्मे से देखने वाला पत्रकार उनके बनारसीपन को उभारता है ।
बनारस हमेशा से तीर्थयात्रियों और पर्यटकों की निगाह से देखा जाने वाला शहर रहा है । दुनिया के किसी भी धार्मिक या पर्यटन महत्व वाले शहर के साथ ऐसा होता है । देखने वाला उस शहर की अन्य वास्तविकताओं को छोड़ उन्हीं प्रतीकों की अराधना में डूब जाता है जिनका मिनियेचर गली गली में बिक रहा होता है । पूरा पर्यटन तंत्र भी इन छवियों को एक कारोबार में बदल देता है । पोस्टकार्ड में छपी तस्वीरें सबके लिए प्रमाण बन जाती हैं । कोई इन तस्वीरों से पार जाकर उस शहर को नहीं देखता । साहित्य से लेकर रिपोर्टिंग तक में ये प्रतीक चेंपू टाइप के रूपक बन जाते हैं । आख़िर किस शहर में समोसे कचौरी की फ़ेमस दुकान नहीं होती । किस शहर में कोई प्रसिद्ध बर्फीवाला लस्सीवाला और नान वाला नहीं होता । अमृतसर जाकर भी छवियों के इस बारंबार पुनरउत्पादन से ऊब पैदा हो गई । नान और कुल्चे के अलावा भी तो कोई शहर होगा ।
किसी भी शहर में नदी या नहर के किनारे जाइये कुछ लोग डुबकी लगाते मिल जायेंगे । श्मशान घाट मिल जायेंगे । काशी इसलिए अलग है क्योंकि यह मोक्ष का मार्ग बताया गया है । इसका अपना सामाजिक धार्मिक इतिहास है । पर सारा काशी उन्हीं पोथी पतरों में बसता है ये तो नहीं हो सकता । जीवन के अंतिम समय में लोग मोक्ष प्राप्ति के लिए यहाँ आकर बसते रहे हैं । इस चाहत ने बनारस की कुछ कटु वास्तविकताओं को भी जन्म दिया है । विधवाओं की हालत और उनके क़िस्सों के बारे में आप जानते ही हैं ।
चुनाव के संदर्भ में टीवी और अख़बार ने इस शहर को श्रंगार रस में बदल दिया है । पोस्टकार्ड पर छपने वाली उन्हीं चंद तस्वीरों को बार बार दिखाया जा रहा है । जिनमें बनारस का नया विस्तार नहीं है । शहर और जीवन की विविधता नहीं है । ऐसा लगता है कि मीडिया वहाँ चुनाव कवर करने नहीं गया है । किसी धार्मिक उत्सव को कवर कर रहा है । मुद्दों और विचारधारा पर आस्था के प्रतीक हावी हैं । इस प्रक्रिया में आप उसी बनारस को जानते हैं जिसे पहले से जानते आये हैं । बनारस एक शहर के रूप में क्या चाहता है यह मुद्दा नहीं है । सारे कैमरे घाट पर चले जाते हैं । ऐसा नहीं है कि पूरा बनारस रोज़ घाट पर चला आता है । बनारस में ही कई लोग हैं जिन्हें घाट की तरफ़ गए महीनों हो गए होंगे । बनारसी सिर्फ घाट पर नहीं मिलते हैं । बनारस के उन गाँवों में रहने वाले बनारसी ही हैं जिनके पास कैमरे नहीं जाते । किसी को यह भी समझने का प्रयास करना चाहिए बनारस के गाँवों के लोग मीडिया और पर्यटन मंत्रालय की बनाई छवियों में अपनी छवि कैसे देखते हैं । बनारस के जीवन में अतिरिक्त और विशिष्ठ मौज मस्ती देखने वाले पत्रकारों को समझना चाहिए कि जीवन के प्रति मोह और त्याग, हताशा और आशा किसी और शहर में बनारस से कम नहीं है । बनारस है और रहेगा मगर बनारस का इतना रस मत निचोड़ों कि गन्ने की लुग्दी सूख जाए ।
45 comments:
सर यह किस्सा सिर्फ बनारस तक ही सिमित नहीं है सब शहर का ऐसा ही है , जैसे आपने चंडीगढ़ का दिखाया था - उस पहेलु को कोई मीडिया वाला नहीं दिखता जो वह के रहने वाले लोग रोज उससे गुजरते है , ऐसा ही हाला अहमदाबाद का है जो लोग बहार ऐ आते है वह चौड़ी सड़के और मॉल वाला अहमदाबाद दिखाते है , वह अहमदाबाद जो वाल सिटी है वह शायद ही कभी टी वी में दिखता है - वह की ट्रैफिक को लेकर कोई नहीं बात करता
बनारस इन दिनों सुर्ख़ियों में है....कल जब 'हिंदू' विश्वविद्यालय के छात्रों ने प्राइम टाइम में कहा कि यहाँ छात्रसंघ चुनाव पर प्रतिबंध है तो कथित लोकतंत्र का असली चेहरा सामने आया! बनारस कई नामी कलाकारों-लेखकों की कर्मभूमि रही है लेकिन उतने ही बदतर हालात शहर के हैं... मैं 2005 में 'पहल सम्मान' में बनारस गया था! तंग सड़कें, गंदगी, एक-दूसरे से रगड़ाती भीड़ और ट्रॅफिक जाम! इस सांस्कृतिक नगरी की पहचान क्या होगी वो तो भोले बाबा ही जानें लेकिन बनारस के बुनकरों की असली दशा अब्दुल बिस्मिल्लाह के चर्चित उपन्यास 'झीनी-झीनी बीनी चदरिया' को पढ़ कर जानी जा सकती है!
इतिहास में इतना बड़ा और भारी जनसैलाब से भरा हुआ रोड शो और नामांकन आज तक नहीं हुआ लगता है देश ने #मोदी को पप्रधानमंत्री मान लिया है..
क्रांतिकारी बहुत ही क्रांतिकारी जपने वाले आज तक के एंकर पुण्य प्रसून वाजपयी।
Accha vishleshan hai.ise dhyan se samjhna chahiye.
Theek kaha aapne Ravish, aaj ki patrkarita bhi aisi ho gayee hai jis prakaar ek naabina aadmi Braile lipi padta hai, aur usse kewal oobre hue akshar hi mahsoos hote hain, woh unke beech ki khaali jagah ko samaj nahin sakta, aaj ke jayadatar patrkaar bandhu bhi khabar ki hi khabar banate hain, jayada takluf nahin karte hain, kuch naya karne mein alag se mehnat lagti hai, uske liye koi tayaar nahin.
banaras ki baat kewal modi or modi ko milne wale comption ki wajah se ki ja rahi hai nahi to aaj bhi banaras ki koi baat nahi karta ki usi kya halat hai,wahan ki janta ki kya halat hai or sayad aap or baki media bhi banaras ke bare me nahi baat karte.
मोदीजी के नामांकन से पहेले जिस तरह से जन सैलाब उभरा था वह देखकर ही विरोधिओ के छक्के छूट गये औए चुनाव से पहेले ही उन्हे अपनी हार आंखो के सामने दिखाने लगी. बनारस नागरी पूरी तरह से मोदीमय हो छ्की और करीब ढाई किलोमीटर तक रास्ते पर कहीं लोगो के सिवा कहीं जगह ही नही दिख रही थी. मकानो के छत पर से लोग मोदीजी का स्वागत कर रहे थे और हर धर्म का समुदाय मौजूद था. अब मोदीजी को रोकना मुश्किल ही नही नामुमकिन है.
वाराणसी में मोदी के रोड शो में आई भीड़ देख कर अचानक बरनोल की बिक्री में तेज़ उछाल आया है और सारी बरनोल बिक गई है जिसको खरीदने में सबसे आगे खुजली और उसके समर्थक और कांग्रेस के नेता बड़ी सांख्या में है........ जैसे जैसे 16 मई नजदीक आ रही है बरनोल की डिमांड बदती जा रहा है.
हमें इंतजार था कि रवीश कुमार कब बनारस जाएंगे। और लोग कहेंगे,,अरे बनारस ऐसा भी दिखता है। (फेसबुक पर कुछ दिनों पहले आपके लिए किया गया एक पोस्ट)
रोजमर्रा की जरुरत का जद्दोजहद वनारस में भी उतना ही है जीतनी हर जगह,
काश मिडिया के तथाकथित महरहथी पत्रकारों को भी इसका सरोकार होता।
सिर्फ धार्मिक पूजाघरो के धर्माधिकारी, पुजारी, पुरोहित, ईश्वरीय दलाल और मौसमी नेताओ के स्वस्थ गुलाबी चेहरों को दिखाने से यंहा के आम जनता का समूचा भाव बताने वाले इन तथाकथित पत्रकारों (तीर्थयात्री) को धन्यवाद।
SIR JI it feels good that there is a different view of Banaras.
Beyond ghats , sarees and it's spiritual values,there is much more to be observed in Banaras.
ravish ji mai etna kahna chata hu ki bhu ko rajneeti ka maidan na bane kyuki allahabaad university ka hal jaisa aaj hai usko dekh aisa hi hai
टीवी और अन्य मीडिया माध्यमों में बनारस का चेहरा देख -सुनकर लगता है कि गंगा , घाट , मंदिर , गंगा आरती , सीढ़ी -संन्यासी और मोक्ष तले बनारस कहीं खो गया है। वहां की बुनियादी जो दिक्कतें हैं वह गौरव के बोझ तले बिला गयी हैं। बनारस की प्रतिरोध की जन संस्कृति और असहमति के साहस पर भी ग्रहण है !
विचार विभिन्नता पर खतरे -हमले हो रहे हैं। उस पर मौन प्रोत्साहन भी है।
बनारस की 'समुद्र संगम' संस्कृति को अनुकूलित किया जा रहा है। भू -माफियाओं ने प्राचीन तालाबों , मठों , घाटों पर कब्ज़ा कर लिया है। कहीं कुछ नहीं होता।
सार्वजानिक जगहों पर अतिक्रमण पर चहुंओर से चुप्पी है। क्या इसका कहीं कोई जिक्र है ?
जा कर थोड़ा घूम -घाम लीजिये भारतेंदु हरिश्चंद्र , आचार्य राम चन्द्र शुक्ल , देवकीनंदन खत्री , प्रेमचंद , प्रसाद के '' घर -दुवार '' संस्कृति की कितनी क़द्र 'सांस्कृतिक राजधानी' को है पता चल जाएगा !
ये लोग ब्रिटेन , स्पेन , बेनेजुएला , कोलंबिया में नहीं जन्में इसकी सजा भुगत रहे हैं ये लोग !
बनारस का बस एक -दो रंग दिखाया जा रहा है। साहित्यिक -सांस्कृतिक धरोहरों पर कुछ लोग ''अनादि '' काल से कुंडली मार कर बैठे हुए हैं।
बनारस के पांव की बिवाई किसी को नहीं दिख रही ? गंगा प्रदूषण के लिए कार्यरत तमाम ''बड़ी मछलियाँ'' गंगा को ही लील रही हैं। उनके खजाने मालामाल हैं। पर , गंगा बस मुद्दा बनकर ढोई जा रही हैं।
और गंगा आरती के सौंदर्य पर छहियाने के बजाय उसके पीछे का सांस्कृतिक -खेल , शोषण , मुनाफाखोरी , धार्मिक भ्रष्टाचार आदि को भी देखना चाहिए। जो सुन्दर है वह तो हइये है। पर जो असुंदर है उसके सौंदर्य पर भी तो कैमरा और कलम चलना चाहिए न।
KAL KA AAPKA PT KA 2ND EPISODE DEKH KE AANKHO ME AANSU AA GYE AUR SAHI BOLU TO KAL SAMJHA KI JOURNALISM AUR JOURNALIST KYA HOTE HAI AUR UNKI KYA VALUE HAI AUR UNKA KYA KAAM HAI....kya bolu dil se nahi chahta hu ki kisi ka blind supporter banu but aap me kucch to hai jo majboor karti hai..jo aapne kal dikhaya wo bakaiee me rulane wala tha aur sharm to un riporter ko karna chahiye aur sach me unke andar agar naitikta thodi si bhi bachi hai to unhe aayegi ki jis banaras ke ghat ganga ke upar wo apni trp roopi fasal kaat rahe hai us ganga ke itni bhayankar samasya ke liye unka bhi kucch duty banta hai..hat;s off to you!
इतिहास के खंडहरों में भविष्य के ईमारत के लिए इस्तेमाल किये जा सकने वाले ईंटो की तलाशने की हमें आदत सी हो गई है ,आम-जान के इस मानसिकता का भरपूर दोहन टी आर पी के रेटिंग पर लालायित रहने वाले मीडिया ने भरपूर किया। अकर्मण्यता का परिहार्य बन राजनीति का विश्लेषण ,उन्ही परिधि के इर्द-गिर्द किया जा रहा है जहाँ से बाहर निकलने की आवश्यकता न जाने कब से की जा रही है। बड़े-बड़े बाते करने के चक्कर में हम यह भूल जाते है जीवन की बुनियादी आवश्यकता किसी भी शहर और जगह के लिए एक सम्मान मायने रखती है। पत्रकारिता अब लहर के साथ चलने में आनंद का अनुभव कर रहा है जहाँ सिर्फ और सिर्फ उसकी अपनी आवश्यकता ही नजर आता है .....
Itne bade road show ke baad agar Modi ko munh ki khani pade to kya mana jaaye..ki jo log aaye the woh sab karya karta the ..aur dusare shaharon se laye gaye the..kyunki iske pahle bhi kai example hain jab rallies bahut badi ho jati hain lekin ek candidate nahi jeet pata..Delhi ki vidhan sabha mein modi ji pahli rally mein BJP ne bola ki 5 lakh log aaye the..chao maan liya..lekin result aaya to maloom laga ki jahan modi ji ne jyada stress diya wahin se BJP ke candidate haar gaye ....So is bar modi ki haar Kashi se pakki hai.
Ravishji, har purane shahar ka ek alag sa mizaz hota hai, par us mizaz ko samajhne ki salahiyat har kisi me nahi hoti. Banaras to ek pauranik shahar hai, dev bhoomi ka darza liye is shahar ke aas-paas ek roomaniyat bhara mahaul jo bana diya gaya hai, nagariko ki aakankshae uske bojh tale kahi dab si gayi hai. kahte hai camare ke nazar bahut paini hoti hai jis se kuchch bhi chhup nahi sakta, par agar camare ke lens ko bhi ek roomani parde se dhak diya jaaye to sachchai vahi dikhegi jo sach nahi hai. aapne jo ganga ke ghato ki dasha apne karyakram me dikhayee hai vo shayad hi kisi aur patrakar ke sangyaan me ho.
रवीश जी महीना भर से सब चैनल वाला ईकअही बनारस दिखा रहा था।कसम से चट गये थे। उसी घाट पर कोई एक नाव पर चार लोगो को बिठा कर चाटता था तो कोई चाय या पान की दुकान पर। कल आपकी बरखा दीदी भी एक नाव पर दो लोगों को बिठा कर चाट गयी। घाट सबने दिखाया पर वो घाट अंदर से खोखले हो रहे है ये आपने ही सबको दिखाया। इन घाटों के परे जो बनारस है वो दिखाने के लिये आई लव यू
Ravish Sir aap ne ganga pollution ki baat ki to aap se share karna chahta hu ki 2009 lok sabha chunav ka poora rukh mod diya tha joshi ji ne clean ganga k naam par us samay ye unka pramukh mudda tha ....ab joshi ji to wahan nahi lekin mudda abhi bhi wahi hai . ab modi ji ne clean ganga ka beeda uthaya hai...to ab apni vaadi ko yahi kahte hue viram deta hu ki shayad agle lok sabha me clean ganga mudda na ho....as he has been presented as only hope for india...
Ravish Sir aap ne ganga pollution ki baat ki to aap se share karna chahta hu ki 2009 lok sabha chunav ka poora rukh mod diya tha joshi ji ne clean ganga k naam par us samay ye unka pramukh mudda tha ....ab joshi ji to wahan nahi lekin mudda abhi bhi wahi hai . ab modi ji ne clean ganga ka beeda uthaya hai...to ab apni vaadi ko yahi kahte hue viram deta hu ki shayad agle lok sabha me clean ganga mudda na ho....as he has been presented as only hope for india...
aapka aaj ka prime time episode bhi iis pehlu ko dikhane aur samjhaane mein bahut safal tha. dekhkar dukh toh hua par achcha bhi laga ki there still is some good journalism around that endeavors for a social awareness and change in perception of the people (and not just for tv ratings)
गंगा की आरती तो लगभग जो भी बनारस गया देख ही लेता है .मगर आपका कैमरा तो बनारस के घाटों से दूर कच्चे मकानो ,नंग धडंग बच्चों और जिन्हे न तो मीडिया का कोई माध्यम देख रहा है और न कोई मतपत्रों से उत्पन्न विकाश पुरुष.
आपने पुरे चुनावी कवरेज में पंजाब से उ० प्रदेश तक हमारी सच्ची तस्वीर दिखाने का सहस किया बिना टीआरपी की चिंता किये .
तो फिर इस ब्लॉग पर आरती की जगह वे तस्वीरें क्यों नहीं ?
Thank you , good one . Isi tarah se alag aur sahi sochne ki khoobi aapko brand bana deti hai. You are a brand.Todays prime was the kind of prime time I expected. Chai aur paan ki dukan main to Barkha dutt daily hoti hain.
Banaras pichle 15 years se ja raha hoon koi badlav nahi dikhta. Shahar ateet se jakda hua hai. Koi nai soch nahi hai. Ganga ji ka Purbi kinara bilkul khali hai. Shahar ka extension vahan kyun nahi ho sakta. English time ka ek bridge hai. Azadi ke 67 year me ek naya bridge nahi bana sake.Allahabad me Naini Bridge banne ke baad Naini Area kafi teji se develop kar raha hai. Banaras me koi ring road nahi hai. Purane banaras me shops ke alawa kuch dikhta hee nahi hai. Banaran ke gali me BMW , gai , Bhais , Gobar ka kanda aur laghu sanka karte log sabka najara ek saath milega Ghar me toilet hone ke bavjood. Shahar 30-40 saal peece hai
आपके विचार अतुल्य हैं | अगर सारे पत्रकारों का यही विचार हो गया तो भारत में चंद समय में बदलाव आजाएगा |
exactly!Banaras sirf ghaat nhi hai .. aur kisi b shahar ko ek sanche me dhaalkar use waise hi dekhna hi hmari sbse badi bhool hai ,aur isme media aur hmare raajnetao ka bahut bada haath hai, kyu nhi Narendra Modi in villages ki baat krte hai ,q unke vaktavya sirf ganga maiya,weavers, B.H.U. tak hi seemit reh jaate hain... Jis Varanasi Me Modi itni hunkaar bhar rhe hai wahi k kai voters ko ye bhi nhi pata ki Modi ,KEjRi ,RAIetc waha k LS candidates hain...
inshallah koi din aisa bhi aye jab media aur hm sab kisi jagah ko ek hi chaSMe se DEkhna band Karein ...
Thanks 4 thiS reporting RaVish ji...
exactly!Banaras sirf ghaat nhi hai .. aur kisi b shahar ko ek sanche me dhaalkar use waise hi dekhna hi hmari sbse badi bhool hai ,aur isme media aur hmare raajnetao ka bahut bada haath hai, kyu nhi Narendra Modi in villages ki baat krte hai ,q unke vaktavya sirf ganga maiya,weavers, B.H.U. tak hi seemit reh jaate hain... Jis Varanasi Me Modi itni hunkaar bhar rhe hai wahi k kai voters ko ye bhi nhi pata ki Modi ,KEjRi ,RAIetc waha k LS candidates hain...
inshallah koi din aisa bhi aye jab media aur hm sab kisi jagah ko ek hi chaSMe se DEkhna band Karein ...
Thanks 4 thiS reporting RaVish ji...
Ravish Ji,
Banaras diniya ki prachin shahron me se ek hai.Modi bhi isi Banaras ko dekhna chate the.Unhe woh dikh gaya. Bhid vote mein tabdil hogi ya kapoor ki tarah garmi mein ud jagi ye to ane walah waqt batayega.
Ravishji,
Abhi bhi Bharat ka zyadatar hissa inhi gaon mein basta hai...aur yeh hi wo log hai jinke vote faisla karte hai ki Bharat ka bhaavi kiske saath hoga.....
Hum urban area wale..facebook aur twitter se age nahi badh paate. Badi Badi baatein wahi tak simit reh jaati hai.
Kal wala episode aur isse pehle wale episode dekh kar to laga ki sahi mein Do Bharat Baste hai...
Banaras ka hi nahi..yaha Gujarat ka bhi haal aisa hi hai.
Sarthak prastuti. Great job.
Ravish Bhaiya Pranam,
Benaras sirf ghat nahin hai, ye to sahi hai per har jagah kuchh aisi cheezen hoti hain jo us jagah ki pehchan banati hain aur use doosri jagahon se alag karti hain. Badhai aapko ki apne wo cheezen dikhai jo apke saath ke doosre prasidh patrakaaron ne nahin dikhai.Lekin ye cheezen to har shahar mein ek si hi hoti hain jaise traffic jam, paani, bijli ki samasya, manhgaai, pravaasi mazdooron ki pareshaani aadi. Ab jo cheez benaras ko ddosri jagahon se alag karti hai wo to iske ghat, Ganga aarti aur aadhyatmikta hi hai. Aur ye sahi hai ki hum manushya ek roopta pasand nahin karte hume kuchh alag hi achha lagta hai. Baaki to jo hai so haiye hai.
regards
काश पत्रकारिता जगत के सारे लोग आपकी तरह ही सोचते तो शायद सारे टेलीविज़न के चैनलों पर बनारस की चर्चा नावों पर न होके अलग अलग जगहों पर होती इस से बनारस की सही तस्वीर उनलोगों को मिलती जो कभी बनारस नहीं गयें लेकिन ऐसा नहीं होने से बनारस का असली स्वरुप लोगों से वंचित हो गया
Namaskar main ek aamchoor aadmi.....kyunki ab aam khas ho gaya hai....
har chunavon me mudda sirf ek do ya chaar netaon ke ird gird hi kyun ghumta hai....sabhi partiyon ke kendra me wo tabka kyun nahi hota jo bharat ki aabadi ka sabse bada hissa hai...........guru ji aapki report dekh ke bahut kuch seekhne ko mila sir.....dhanyawaad aapko.....dhanyavaad ki aap jaise reporter bhi hain iss media me........hats off to you guru ji
Namaskar main ek aamchoor aadmi.....kyunki ab aam khas ho gaya hai....
har chunavon me mudda sirf ek do ya chaar netaon ke ird gird hi kyun ghumta hai....sabhi partiyon ke kendra me wo tabka kyun nahi hota jo bharat ki aabadi ka sabse bada hissa hai...........guru ji aapki report dekh ke bahut kuch seekhne ko mila sir.....dhanyawaad aapko.....dhanyavaad ki aap jaise reporter bhi hain iss media me........hats off to you guru ji
Great job sir
Great job sir
Respected Sir,
I am from Varanasi, sir last time you showed some village site area, it was very nice experience for me. As I lives at city area, i.e. Kamalgarah, Jaitpura. Where no Media person wants to go. My ares is very backward and we are victim of BJP and non-BJP politics.
And Ghat area people are tradition BJP voter since last 20 years.
Thanking you for such mark able step towards the liberalization of out beloved nation.
Respected Sir,
I am from Varanasi, sir last time you showed some village site area, it was very nice experience for me. As I lives at city area, i.e. Kamalgarah, Jaitpura. Where no Media person wants to go. My ares is very backward and we are victim of BJP and non-BJP politics.
And Ghat area people are tradition BJP voter since last 20 years.
Thanking you for such mark able step towards the liberalization of out beloved nation.
NIRANJAN SHROTRIYA जी का कहना की bhu में छात्रसंघ चुनाव पर रोक है यह कैसा लोकतंत्र है... उन्हें यह समझना चाहिए कि विश्वविद्यालय पठन-पाठन की जगह होती है कोई राजनीति का अखाड़ा नहीं। इसी राजनीति की वजह से हमारे universities की यह हालत है। allahabaad university, patna university, kolkata university की यह हालत इसी राजनीति ने की है। पहले ये universities अपने research स्कॉलर के लिए दुनिया में जाने जाते थे और आज गुंडई के लिए। please bhu को ऐसा बनने से रोकिये।
UP के सभी महानगरों में बनारस सबसे गन्दा शहर है. यहाँ तक कि वेवाकपन की वह लोक-परंपरा भी ख़त्म हो गई जिसके लिए यह शहर मुझे पसंद था. इस शिव नगरी में कभी कबीर की बोली जाति थी.
Very rightly said Ravish ji, this is exactly what Modiji is also saying.........I God give him the courage and strength to deliver for Banaras.
Mai bhi wait kar raha tha, kab ravish kumar Varanasi jaaye, aur asli Varanasi ka face khul kar saamne aaye, jo bhi political party villages me jaa kar vote hasil karne me kamyab rahi, wo Varanasi jitegi, q ki ghaato per vote ni milte aur Kewal Varanasi city k votes se kuch ni hone wala, chahe kitni badi rally karta rahe, sab dhari ki dhari reh jayegi
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