मार्केटिंग के गुर सिर्फ मुंबई की विज्ञापन कंपनियों को नहीं आते । हिन्दुस्तान के क़स्बों शहरों से गुज़रते हुए एक से एक स्लोगन और सामान बेचने की तरकीब से टक्कर हो जाती है । आज़मगढ़ में एक दुकानदार ने अपने बोतलों को पेड़ पर ही टाँग दिया है ताकि दूर से ही दिख जाए । आसपास की दुकानों से लोहा लेने के लिए उसमें ऐसा किया क्योंकि उसकी दुकान भीतर है और सड़क पर लगे ठेलों के कारण ग्राहक की नज़रों से छिप जाने का ख़तरा है ।
11 comments:
Ye apne kaam mein MBA hai sir ji.
Bahut khub. Kam budget ka prachar.
जो दीखता है वो बिकता है....
Bahut hi badhiya presentation aaj ke prime time ki sir.
Shikhar rassi k sahare..
Shikhar rassi k sahare..
even if i am a passout of iima,i always stress on the marketing techniques we came across in tier3 cities and in rural areas as they they looks cheap and genuine.not like bizzare advertisments i came across on a everyday basis.
रविश जी
मैं पिछले 7 साल के लिए अपने ब्लॉग पढ़ रहा हूँ. तब से मैं हमेशा तुम्हारे साथ काम करने के बारे में सोचा है. मैं एक चर्चा के लिए अपना कीमती 30 मिनट का अनुरोध.
RAVISH JI NAMASKAAR...YUN MAIDAAN CHHORHNA THEEK NAHI LAGA....SHAYAD AAP STUDIO CHHORH KE SABATICAL PE CHALEY GAYEY HO.YA PHOTO PARYATTAN KAR KE MOOD THEK KAR RAHEY HO....MODI KA BARHTA PRABHAAV SEHEN NAHI HOTA YA....STUDIO ME SAAMNA NAHI KAR SAKTEY...APNEY EK KUNTHA GRASIT MODI VIRODH ME EK UMRA BITA DI..APKE NITISH JI TO KUCCHH NAHI KAR PAYE..APKO BAHUT HOPE THEE UNSEY..BHAAGO MAT..STUDIO ME VAAPIS A JAO..AUR MODI KO PM BANTA DEKHNE KI HIMMAT JUTEAO.... SAME ADVICE TO ABHIGYAAAN PRAKASH....UR CHANNEL BROTHER..NAMASKAAR
Keya bat hi niche sattu, upar cold drinks
मैं आजमगढ से हूँ, लेकिन बंगलोर में रह रहा हूँ। आपकी तस्वीर ने गांव की याद दिला दी। धन्यवाद!!
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