मेरे मोहल्ले में एक चायवाला है । उसके यहाँ मिट्टी के खूसबूरत गिलासों में चाय और लस्सी बेचता है । गिलास की डिज़ाइन काफी ख़ूबसूरत और साफ़ सुथरी है । कुछ बर्तनों को शो पीस के लिए भी बेचता है । दस रुपये की चाय अच्छी है ।
सुंदर ! बचपन की बात है, जब घर के बर्तन (पीतल), आदि धातू को पिघलाकर मूर्ती बनाने वाले अक्सर हमारे मोहल्ले में आया करते थे। घंटों खड़े होकर उनकी जादूगरी देखा करता था। ये तस्वीर देखकर अचानक वो याद फिर ताज़ा हो गयी।
Sir lalu ji ne ek achcha kam kiya tha jo railway mein kulhar wali chai chaloo kiya tha par mmp (mamta malik pawan) ne lalu ke ish ek kaam ki bhi redh mar di
12 comments:
चाय का सोंधापन तो कुल्हड़ में ही आता है।
Surahi ki yaad dilwa di...
दस रुपये की चाय? इतने में तो दो टेम की भरपेट पेटपूजा हो सकती है बकौल सांसद महोदय..
सुंदर ! बचपन की बात है, जब घर के बर्तन (पीतल), आदि धातू को पिघलाकर मूर्ती बनाने वाले अक्सर हमारे मोहल्ले में आया करते थे। घंटों खड़े होकर उनकी जादूगरी देखा करता था। ये तस्वीर देखकर अचानक वो याद फिर ताज़ा हो गयी।
Sir lalu ji ne ek achcha kam kiya tha jo railway mein kulhar wali chai chaloo kiya tha par mmp (mamta malik pawan) ne lalu ke ish ek kaam ki bhi redh mar di
Sir
sayad 2050 mai kisi sangrlay mai ye meeti ke bartan rakhe milge
चलो लालूजी का शुरू किया गया काम कहीं तो चल रहा है।
KFi khubsurat glasses hai. Mumbai mai to gharo me bhi plastic cup me chai pite he.
Nice post on clay glass....would love to follow u.....please add a follower gadget on ur blog... Thank u
n
bhaiya apki ki yeh simpal bate bahut acchi lagti hai duniya sidhi lagne lagti hai
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