मिट्टी का गिलास



मेरे मोहल्ले में एक चायवाला है । उसके यहाँ मिट्टी के खूसबूरत गिलासों में चाय और लस्सी बेचता है । गिलास की डिज़ाइन काफी ख़ूबसूरत और साफ़ सुथरी है । कुछ बर्तनों को शो पीस के लिए भी बेचता है । दस रुपये की चाय अच्छी है । 

12 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

चाय का सोंधापन तो कुल्हड़ में ही आता है।

S. M. Rana said...

Surahi ki yaad dilwa di...

S. M. Rana said...
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संजय @ मो सम कौन... said...

दस रुपये की चाय? इतने में तो दो टेम की भरपेट पेटपूजा हो सकती है बकौल सांसद महोदय..

sachin said...

सुंदर ! बचपन की बात है, जब घर के बर्तन (पीतल), आदि धातू को पिघलाकर मूर्ती बनाने वाले अक्सर हमारे मोहल्ले में आया करते थे। घंटों खड़े होकर उनकी जादूगरी देखा करता था। ये तस्वीर देखकर अचानक वो याद फिर ताज़ा हो गयी।

sure376 said...

Sir lalu ji ne ek achcha kam kiya tha jo railway mein kulhar wali chai chaloo kiya tha par mmp (mamta malik pawan) ne lalu ke ish ek kaam ki bhi redh mar di

बिहार एक मुस्लिम कि नजर said...

Sir
sayad 2050 mai kisi sangrlay mai ye meeti ke bartan rakhe milge

आशुतोष कुमार पाण्डेय said...

चलो लालूजी का शुरू किया गया काम कहीं तो चल रहा है।

Unknown said...

KFi khubsurat glasses hai. Mumbai mai to gharo me bhi plastic cup me chai pite he.

sushmita pandit said...

Nice post on clay glass....would love to follow u.....please add a follower gadget on ur blog... Thank u

I'm not handicaped, I'm just LAZY! said...

n

Unknown said...

bhaiya apki ki yeh simpal bate bahut acchi lagti hai duniya sidhi lagne lagti hai