अब तुझ से बेज़ार हैं लोग
ख़ुद अपनी सरकार हैं लोग
अब अनदेखी मत करना
मरने को तय्यार हैं लोग
ज़ालिम रेत का टीला है
लोहे की दीवार हैं लोग
खून है सब की आँखों में
यह न समझ बीमार हैं लोग
अब क्या ख़बरें रोकेगा
अब ख़ुद ही अख़बार हैं लोग
तुझ पर थूक नहीं पायें
कब इतने लाचार हैं लोग
पहले कितने आसां थे
लेकिन अब दुशवार हैं लोग
पहले नींद का ग़लबा था
लेकिन अब बेदार हैं लोग
देख इन्हें हाँ देख ज़रा
हर लम्हा इनकार हैं लोग
तुझ से प्यार नहीं करते
नफरत का इज़हार हैं लोग
तेरा काम ही छीनेंगे
यह जितने बेकार हैं लोग
यह है 'मुनव्वर' की दुनिया
जिसका कुल संसार हैं लोग....
20 comments:
.PUKKU@GMAIL.COMख़ुद अपनी सरकार हैं लोग
अब अनदेखी मत करना
मरने को तय्यार हैं लोग.
बहुत खूब सर जी ....
क्या तस्वीर उकेरी है मिस्र की, वह की जनता अब जाग चुकी है.
अब भारत में ऐसे ही प्रयास करने होगे !
बहुत खूबसूरती से कही अपनी बात
अपने मुल्क में भी ये सैलाब आये,
बहुत सह चुके अब इन्कलाब आये.
यही तमन्ना है
अब क्या ख़बरें रोकेगा
अब ख़ुद ही अख़बार हैं लोग
ये हुयी न बात,रवीश भाई!
ऐसी सामयिक बोध वाली गजल बहुत कम पढ़ने को मिलती है। बहुत खूबसूरत रचना। तहसीन मुनव्वर जी की शायरी का फैन हूँ। पत्र पत्रिकाओं में कहीं भी उनकी शायरी पर नजर पड़ती है तो पढे बिना नहीं रहता। बड़े जज्बाती शायर हैं मुनव्वर साहब।
सरकारी बोध, आजकल मिश्र की यात्रा पर है।
भारत में भी महंगाई और भ्रष्टाचार से बेजार हैं लोग
मन्नू...मैडम भले ही न कुर्सी छोड़ें
तख्त हिलाने को तैयार हैं लोग....
बहुत जानदार........
waah!
बहुत बढ़िया ....
पहले नींद का ग़लबा था
लेकिन अब बेदार हैं लोग
बहुत ख़ूब !
रवीश भाई आपको देखना जितना अच्छा लगता है उतना ही अच्छा लगा आपको पढना... समसामयिक विषय पर सुन्दर ग़ज़ल... जैस्मिन क्रांति नई रौशनी लेके आये...
dekhte hain kb tk aisa sailab hindustan ke sarakari mehakmo ke khilaph aata hai........
ग़ज़ल को पसंद करने के लिए सभी का शुक्रिया...
आपका
तहसीन मुनव्वर
jitna kaha jaye sayad kam hai
धोबी घाट की समीक्षा का मन बनाइये, मुझे अच्छी लगी, लेकिन आपका नजरिया जानना चाहता हूँ.
taheseen munavvar jee ki yah ghazal mishr kee tasveeron se kam nahi hain...
बहुत खूब, बहुत खूब, बहुत खूब,.........
ओ नौजवान, आज का दिन है तुम्हारे नाम
उठाओ आवाज़, अब न थकान हो, न गहरी नींद
ये वक़्त है तुम्हारा, तुम्हारी है ये जगह
न्योछावर करो हम पर अपना हुनर, अपनी जद्दोजहद
हम चाहते हैं कि मिस्र के नौजवान डटे रहें
हमालावरों और अत्याचारियों के हर हमले का मुक़ाबला करें...
- मिस्र के कवि इब्राहीम नाजी (1898-1953)
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