रात भर नींद नहीं आई । सोते सोते जागता रहा । दिमाग़ में यही बात घूमती रही कि सोमेश को कम से कम प्राथमिक उपचार तो मिल जाता । उत्तर प्रदेश के ख़ुर्जा और अलीगढ़ का कोई डाक्टर तो होता जो कह देता कि मैं बचाने का प्रयास करता हूँ । रेलवे के कोच से लेकर हाल ही में लाँच मुलायम एंबुलेंस सब सोमेश को मार देने की योजना पर काम कर रहे थे । रेलवे के उस स्टेशन मास्टर और अलीगढ़ के उस अस्पताल के सीएमओ को सामने लाओ भाई, ज़रा उनके ज़मीर की बनावट देखें । माननीय अखिलेश यादव जी लानत है आपके पिता के नाम पर बने एंबुलेंस पर जिसके नाम से भी अस्पताल को अहसास नहीं हुआ कि जो जान बच सकती थी, उसे बचा लें ।
घटना 5 फरवरी के दिन में करीब बारह सवा बारह की है, जब दिल्ली आ रही पुरुषोत्तम एक्सप्रेस से जेपी इंस्टिट्यूट नोएडा सेक्टर 62 के चालीस से ज्यादा बी-टेक फर्स्ट और सेकेंड ईयर के छात्र आईआईटी खड़गपुर से वापस लौट रहे थे। घटना डांवर के पास किसी जगह की है, खुर्जा से ठीक पहले का स्टेशन।
सोमेश ने अपने साथ वाले दोस्त को ब्रेक फास्ट दिया फिर थोड़ी देर बाद ब्रश करने चला गया। लेकिन वाश बेसिन पूरा लबालब भरा हुआ था और उसके नीचे पूरा पानी फैला था। बेसिन सीधा भीतर की तरफ ना हो कर थोड़ा तिरछा लगा था । जहाँ सोमेश फिसल गया और कोच से बाहर जा गिरा ।
थोड़ी देर बाद एक आदमी जो शायद पहले से गेट के पास मौजूद था दौड़ता हुआ आकर बताया कि कोई आदमी गिरा है। इनलोगों ने चेन खींच दी, ट्रेन रूक गई, पुलिस भी आई और केस करने की धमकी देने लगी मुश्किल से चालीस सेकेंड बाद ही ट्रेन खुल गई। इतनी देर में दोस्त तय नहीं कर पाए कि इनका कौन सा साथी मिसिंग है। क्योंकि लड़के दो डिब्बे में थे एस वन और एस टू। थोड़ी देर में इन्हें पता चला कि लापता लड़का सोमेश है फिर उन्होंने उस चश्मदीद को फोटो दिखा कर पूछा तो उसने तस्दीक किया कि गिरने वाला वही था। तबतक ट्रेन खुर्जा से आगे निकल गई थी. चार पांच दोस्त वहीं अगले किसी स्टेशन पर उतर गए।
जब उन्होने स्टेशन मास्टर की मदद से संपर्क किया तो खुर्जा के स्टेशन मास्टर ने कहा कि मामूली चोट है लड़का ठीक है, उसने 108 नंबर की मुलायम एंबुलेंस को फोन कर दिया। साथ कोई अकरम नाम का एक पोर्टर भी लगा दिया है। मामूली चोट ? स्टेशन मास्टर ने इतनी मामूली थी और थी तो एंबुलेंस को भेजा कहाँ ? क़ुली के कंधे पर डालकर कहाँ चले गए ।
एंबुलेंस सोमेश को लेकर अलीगढ़ पहुंची । उन लड़कों ने फिर एक कैब किया और अलीगढ़ पहुंचे। मुलायम एंबुलेंस मरीज को लेकर करीब चार घंटे बाद अलीगढ़ के सरकारी मलखान सिंह अस्पताल पहुंची लेकिन अस्पताल ने हाथ खड़े कर दिए वहां कुछ नहीं था।
फिर वहां से ये लोग एएमयू मेडिकल कॉलेज पहुंचे। तबतक हादसे के पांच घंटे बीत चुके थे, इन पांच घंटों में उसे फर्स्ट एड तक नहीं मिला था, सारे घाव खुले थे और ब्लि़डिंग जारी थी, वहां डॉक्टरों ने पंप वगैरह किया लेकिन बचाया नहीं जा सका।
अब आइये सोमेश के साथ गए नालायक बच्चों पर । ये लोग जाने किस महान हिन्दुस्तान के पारिवारिक संस्कार की औलाद थे अपना अपना फ़ोन बंद कर बैठ गए । सोमेश के फ़ोन पर घर से फोन आ रहा था किसी ने नहीं उठाया । कुछ दोस्त फोन स्विच ऑफ कर चुप्पी मार गए। लड़कियों ने बताया कि सीनियर्स ने फोन करने को मना किया था । किसी भी सीनियर ने घरवालों को संपर्क नहीं किया । कालेज ने तो औपचारिक सूचना तक न दी ।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट बता रही है कि पांच जगहों पर गहरे कट है, लेकिन उनमें से कोई भी जानलेवा नहीं लग रहा था, मौत पेल्विक बोन फ्रैक्चर से हो रही ब्लिडिंग से होने की गुंजाइश सबसे ज्यादा है, जहां सबसे ज्यादा खून बहा होगा। हर्ट की हालत बता रही है कि जिस्म में खून नहीं था।
पाँच घंटे तक कोई उपचार नहीं । इतने में वो ख़ुर्जा से नोएडा आ जाता । नाकामी से बड़ी तकलीफ़ कुछ नहीं होती । हम सब ऐसे ही समाज और सिस्टम में रहते हैं और तब तक बेख़बर रहते हैं जब तक कोई अपने ही क़रीब का शिकार न हो जाए । वो बच्चा बच सकता था सोच सोच कर करवटें बदलता रहा हूँ । जागता रहा हूँ आज फिर मुलायम एंबुलेंस में कोई सोमेश जान बचाने के लिए इन जगहों पर अस्पताल दर अस्पताल भटक कर मर जाएगा । मर गया होगा । मार दिया जाएगा । मार दिया गया होगा ।
58 comments:
bahut hi dukhad hai..
yahan to hamesha hi koi n koi is samaj aur system ki bhet chadh jata hai.. aur hm dukhi,pareshan hone ke alawa kuch kr nahi sakte.......
उम्मीद है आप के ब्लॉग के पाठक शायद इसे पढ़कर अपने या अपने किसी चाहने वाले के साथ ऐसा नहीं होने देंगे। और सबसे महत्वपूर्ण बात की अपने बच्चो/मित्रों को विप्रीत परिस्थितियों में थोड़ी समझदारी या कॉमन सेंस से निर्णय लेने के लिए प्रेरित करेंगे ।
ओह। बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण ।
kal ke prime time se unhen jawab mila hoga jo aapke kaam pr ungali uthate hain. main kuch abhi ke comment padh rahi thi.....agar koi aapke bare me ek dharna bana le to alag baat hai....pr bahut dukh hota hai.....
samaj aur tantra kis taraph agrasar hain yeh jhalakta hain.
maine aapki "larger issues" ko neglect karne ka chupa abhiyog lagaya tha. Use wapas le rahan huin.
Niyam kannon,suvidhayen, ilm agar kisi masoom ki jan nahi bacha pate hain to kis kam ke
Ghatna dukhad aur sharmnak hai. Is so called nai generation ke bare main soch ke hairani hotee hai.Yeh students bade babu sahib jaison ke honge. Unhe sanskar me kuch mila nahi hoga.
dear sir , i am big fan of your work.
i read all your blogs & show interview regulary. thanks a lot for this. i watch G B Road reporting of you. you have capture all element & problem of that area which faces by other people that residence also.
waha rahne wale apna address bhi dusro ko nhi bata sakte .
It is incidents like these that just keep diminishing my faith in the integrity of the people of my country.
Most of these cases are a consequence of someone not having done his or her job properly and with sincerity. The sleeper class coaches are just not meant for human- beings to travel. This doesn't mean that the AC coaches are any better - they catch fire and people die there ,too. Buses catch fire because of the negligence of someone who doesn't take her/his job seriously.
We are or already have morphed into a nation of selfish, lazy, unethical white and blue-collared professionals.
This incident is a shame! Shame on us as Indians!
As a society we are becoming very insensitive and self centric. We desperately need a social change more than a political change.
निश्चय ही आहत कर जाने वाली घटना।
Sir, aap to behatar jaante he is system ko aur un logo ko... Aur aap jaise dusre bhi he. Lekin time kanha he kisi k pas aapne likha achaa laga tarif karne ka man he lekin shabd nahi he. baki aap jaise jo dusre he unhe interest he Virat ki Gf me, Samlan ki Movie me aur baki bache unhe 84,92-93 me...
Sir ek badi request he, Ek badi bahas ho jaye is Election ke mele me Rahulji ko bulaye, Modi ji ko bulaye, aur ho jaye bahas "Aarthik Aadhar Par Aarakshan" Ke liye.
Inhe bataye ki koi the jo mar gaye is desh ke liye aur sop gaye tumhare hatho me. Bhagat singh, Chandrashekar Aajad, Mahatma Gandhi, Ye sab kya is liye lade ki ek din ye desh bus kuch Farzi Income Certificate ke Aadhar par Reservation dega Scholarship dega.....
Kya yanhaa General me Paida hona Paap he....
Sir gussa bhara pada he aam aadmi me wo dhakayee ja raha he, na ye log samajh rahe he na samajhne ki koshish kar rhe he.
Wese bus ab kya likhe.......
In bde logo ko invite kare sir bahas ke liye fir agar ye na aaye to is news ko breaking news dikhaye ki mene bulaya ye nahi aaye... Pata to lage is desh ko ki sirf munch se zor se nikalne wali aawaze asliyat me kitni dhimi he....
Sir 84,92-93 bhulne do na yaar.. Election aaye ki done fir se yaad dilane sab ke sab milkar...
Aur aapke reply ka wait rahega sir...
Sir pata nahi ki itna kyu likh diya kuch hoga ki nahi pata nahi lekin bus likhe ja rha hun. Hum to yunhi dukhi he Cylinder lana he, Pani Bharna he, Fee Pay karna he,
Lekin aaj thodi si frustration baahar aayi to likh diya..
Kanha bolne jaye kisase bolne jaaye.
Agarbathiyo se to kuch hone se raha jo laga laga kar Pollution hi badhaya he hamne. Ek raasta ye tha to wo bhi kar diya aapke alawa kisi ko bhejne ka mood nahi ye sab..
buss aap hi kar skte ho kuch aesa lagta he lekin hoga kuch yaa nahi ye nahi pata,, bus likh diya ab dekhte he........
भाई, आक्रोश के आंसू फूट पड़ने के आलावा कुछ नहीं सूझा। ये तो सिर्फ एक घटना है देश में कितने लोग रोजाना चिकित्सीय सुविधा के अभाव और सरकार की लापरवाही अक्षमता ( भरा हुआ बेसिन) से मरते हैं उसका कोई हिसाब नहीं। आपने इस घटना को इतनी तवज्जो से लिखा काश मुलायम और सभी नेता कुछ करें ऐसा भरोसा तो नहीं है. अखिलेश मुम्बई
रुला दिया(औरों के दुःख पर आंसू आए होते तो एक स्मिली ऐड करती-पर स्वार्थी हूँ शायद)
और क्या कहूँ...:-(
सोमेश के घर के लोग बहोत lucky है...
सोमेश का चेहरा तो देख पाए उसका निष्प्राण ही सही शरीर उसके अपने घर तो पहुंचा...देखो ना:-( अपने देश में मुर्दों के पास भी नसीब का होना जरुरी है...
मेरा कोई एक दम अपना मैंने ऐसे ही खोया है...
दोस्तों को तो फिर भी कोस लो-खून के रिश्तेदार को कैसे कोस ले कोई या प्रशाशन की बेपरवाही को?...
अब टाइप नहीं हो रहा...
आप को thanks कहूँ अहसास को वाच देने के लिए या सुना दूँ कुछ हमेशा ओझल हो गए उस अपने के चेहरे का दर्द याद दिलाने के लिए?
नहीं पता..लेकिन आप की भी क्या खता?
thanks ही कह देती हूँ मदद की आवाज़ उठाने के लिए:)
Sahi me bahut hi afsosjanak aur piradayak khabar thi ye ... iske manwiya pahluwon ke itar ek sawal hai jo bar bar uthna chahiye par ek bar bhi nahi uthta hai, hamare yahan sabse bari samasya accountabilty ki hai, is maut ke liye koi na koi kahin na kahin accountable ghoshit hona chahiye aur usko iski paryapt saja milni chahiye baki manavta wagairah ki hum indians sirf bat karte rahenge par bagal me marte hue insan ki nabj thamne ka bhi waqt shayad hi 10% indians ko hoga
आज के भ्रष्ट्राचार से इलेक्ट्रोनिक मीडिया भी अछुता नहीं है, आपने भले ही आज जनसंचार में PH.D क्यों न कर रखी हो लेकिन आज का इलेक्ट्रोनिक मीडिया तो उसी फ्रेशर को नौकरी देता है जिसने जनसंचार में डिप्लोमा इनके द्वारा चालए जा रहे संस्थानों से कर रखा हो .. ऐसे में आप जनसंचार में PH.D करके भले ही कितने रेजिउम इनके ऑफिस में जमा कर दीजिये लेकिन आपका जमा रेजिउम तो इनके द्वारा कूड़ेदान में ही जायेगा क्यों की आपने इनके संस्थान से जनसंचार में डिप्लोमा जो नहीं किया है ..आखिर मीडिया क्यों दे बाहर वालों को नौकरी ? क्योंकि इन्हें तो आपनी जनसंचार की दुकान खोल कर पैसा जो कमाना है .आज यही कारण है की देश के इलेक्ट्रोनिक मीडिया में योग्य पत्रकारों की कमी है. देश में कोई इलेक्ट्रोनिक मीडिया का संगठन पत्रकारों की भर्ती करने के लिए किसी परीक्षा तक का आयोजन भी नहीं करता जैसा की देश में अन्य नामी-गिरामी मल्टी नेशनल कंपनियाँ अपने कर्मचारियों की भर्ती के लिए परीक्षा का आयोजन करती है. यह महाबेशर्म इलेक्ट्रोनिक मीडिया तो सिर्फ अपनी पत्रकारिता संस्थान की दुकान चलाने के लिए ही लाखों की फीस लेकर सिर्फ पत्रकारिता के डिप्लोमा कोर्स के लिए ही परीक्षा का आयोजन कर रहा है. आज यही कारण है कि सिर्फ चेहरा देकर ही ऐसी-ऐसी महिला न्यूज़ रीडर बैठा दी जाती है जिन्हें हमारे देश के उपराष्ट्रपति के बारे में यह तक नहीं मालूम होता की उस पद के लिए देश में चुनाव कैसे होता है? आज इलेक्ट्रोनिक मीडिया के गिरते हुए स्तर पर प्रेस कौसिल ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष भी काफी कुछ कह चुके है लेकिन ये इलेक्ट्रोनिक मीडिया की सुधरने का नाम ही नहीं लेता ….
देश के महाभ्रष्ट इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (महाभ्रष्ट इलेक्ट्रॉनिक मीडिया इसलिए क्यों की उसका उल्लेख मैं अपने पूर्व के ब्लॉग में विस्तारपूर्वक कर चूका हूँ अत: मेरे पूर्व के ब्लॉग का अध्यन जागरणजंक्शन.कॉम पर करे ) के उन न्यूज़ चैनलों को अपने गिरेबान में झाँक कर देखना चाहिए जो न्यूज़ चैनल के नाम के आगे ”इंडिया” या देश का नॉ.१ इत्यादि शब्दों का प्रयोग करते है. क्यों की इन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कुँए के मेढक न्यूज़ चैनलों का राडार या तो एन.सी.आर. या फिर बीमारू राज्य तक सीमित रहता है. कुए के मेढ़क बने इन न्यूज़ चैनलों को दिल्ली का “दामिनी” केस तो दिख जाता है लेकिन जब नागालैंड में कोई लड़की दिल्ली के “दामनी” जैसी शिकार बनती है तो वह घटना इन न्यूज़ चैनलों को तो दूर, इनके आकाओं को भी नहीं मालूम पड़ पाती. आई.ए.एस. दुर्गा नागपाल की के निलंबन की खबर इनके राडार पड़ इसलिए चढ़ जाती हैं क्यों की वो घटना नोएडा में घटित हो रही है जहाँ इन कुँए के मेढक न्यूज़ चैनलों के दफ्तर है जबकि दुर्गा जैसी किसी महिला अफसर के साथ यदि मणिपुर में नाइंसाफी होती है तो वह बात इनको दूर-दूर तक मालूम नहीं पड़ पाती है कारण साफ़ है की खुद को देश का चैनल बताने वाले इन कुँए का मेढ़क न्यूज़ चैनलों का कोई संबाददाता आज देश उत्तर-पूर्व इलाकों में मौजूद नहीं है. देश का इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जिस तरह से न्यूज़ की रिपोर्टिंग करता है उससे तो मालूम पड़ता है की देश के उत्तर-पूर्व राज्यों में कोई घटना ही नहीं होती है. बड़े शर्म की बात है कि जब देश के सिक्किम राज्य में कुछ बर्ष पहले भूकंप आया था तो देश का न्यूज़ चैनल बताने वाले इन कुँए का मेढ़क न्यूज़ चैनलों के संबाददाताओं को सिक्किम पहुचने में २ दिन लग गए. यहाँ तक की गुवहाटी में जब कुछ बर्ष पहले एक लड़की से सरेआम घटना हुई थी तो इन कुँए के मेढक न्यूज़ चैनलों को उस घटना की वाइट के लिए एक लोकल न्यूज़ चैनल के ऊपर निर्भर रहना पड़ा था. इन न्यूज़ चैनलों की दिन भर की ख़बरों में ना तो देश दक्षिण राज्य केरल, तमिलनाडु, लक्ष्यद्वीप और अंडमान की ख़बरें होती है और ना ही उत्तर-पूर्व के राज्यों की. हाँ अगर एन.सी.आर. या बीमारू राज्यों में कोई घटना घटित हो जाती है तो इनका न्यूज़ राडार अवश्य उधर घूमता है. जब देश के उत्तर-पूर्व या दक्षिण राज्यों के भारतीय लोग इनके न्यूज़ चैनलों को देखते होंगे तो इन न्यूज़ चैनलों के द्वारा देश या इंडिया नाम के इस्तेमाल किये जा रहे शब्द पर जरुर दुःख प्रकट करते होंगे. क्यों की देश में कुँए का मेढ़क बने इन न्यूज़ चैनलों को हमारे देश की भौगोलिक सीमायें ही ज्ञात नहीं है तो फिर ये न्यूज़ चैनल क्यों देश या इंडिया जैसे शब्दों का प्रयोग करते है क्यों नहीं खुद को कुँए का मेढक न्यूज़ चैनल घोषित कर लेते आखिर जब ये आलसी बन कर देश बिभिन्न भागों में घटित हो रही घटनाओं को दिखने की जहमत ही नहीं उठाना चाहते. धन्यवाद. राहुल वैश्य ( रैंक अवार्ड विजेता), एम. ए. जनसंचार एवम भारतीय सिविल सेवा के लिए प्रयासरत फेसबुक पर मुझे शामिल करे- vaishr_rahul@yahoo.कॉम और Rahul Vaish Moradabad
Dukhad...
Bahut hi dukhad ghatna hui hai jisko shabdo main bayan karna bahut muskil hai main kal is bache ki antyathi main majud tha aur pariwar ko bhi bhali bhati junta hoo yeh apne pariwar ka eklota aur bahut hi honhar chatra that bhagwan iski aatma ko shanti de aur iske pariwar ko iss ghatna se ubarne ki shakti
somesh.... bhai please wapis aja yrr..
kaha chalaga gya yr tu?
teri bahut yaaad aa rhi h bhai...
RIP..
एक छात्र इसलिए मर जाता है बिना इलाज के..क्योंकि हमने सिस्टम ऐसा बना दिया है. सर भरे शहर में कई लोग सड़क पे तड़पकर मर जाते हैं..कोई उन्हें अस्पताल तक नहीं पहुचाता..आखिर क्यों? क्योंकि उसे पुलिस का डर लगता है..पुलिस वाले ऐसे हैं की जिस अस्पताल से पैसा मिलता है..उस अस्पताल में ही घायल को ले जाते हैं..अगर वो रास्ते में मर गया तो किसी को फ़िक़र नहीं..हमने इसे ऐसा बनाया है..बदलना तो हमे ही पड़ेगा..अगर इसे हम बदल पाये तो सोमेश को ये सच्ची श्रद्धांजलि होगी
दुखद घटना, संवेद्ना हीन होते समाज का एक और चेहरा ,भगवान सोमेश के परिवार को दुख सहन करने की शक्ति दे|
दुखद घटना, संवेद्ना हीन होते समाज का एक और चेहरा ,भगवान सोमेश के परिवार को दुख सहन करने की शक्ति दे|
now we are only criticising the system and other things but we are not taking care of our neighbours and friends. How we may build up a healthy world around us. Lanat hai un doston ko jo saath gae aur apna phone band kar liya.
now we are only criticising the system and other things but we are not taking care of our neighbours and friends. How we may build up a healthy world around us. Lanat hai un doston ko jo saath gae aur apna phone band kar liya.
प्रिय रवीश भाई,
दुखद घटना है. पूरे घटनाक्रम को जानकर बहुत दुख हुआ और
निराशा भी. ईश्वर उनके परिवार को इस सदमे से उबरने की
ताकत दे. धन्यवाद.
Mera cousin tha vo nd this is really disgustic to hear jb khabar aai toh bus aisa lga ki kya hua ek dam na kuch Kr sakte na kuch Kr paye bus bhagwan unki atma ko santi se i wish i wish he was here
Lost a gem :'(
I wish he was saved i wish i was nt here reading this story i wish i was there to help i wish this never happened..!!
uski bechare ki aatma ko shanti miley or sath hi hum Bharat-vasion ki atma(jo jinda hote hue bhi marr chuki hai) ko bhi shanti mile
I am ready to take a stand but how to start, koi batao pls... R. I. P Somesh... ;, (
RIP SOMESH! :'( :'(
दुखद है...दिक्कत यही है कि हम आसपास,यार दोस्त,रिश्तेदारों की मदद करने का दम तो भरते हैं....लेकिन जब सच में किसी को मदद की ज़रूरत होती है उसी वक्त हम स्वार्थी हो जाते हैं...हम वही लोग हैं जो मदद मांगने पर मदद नहीं मिलती तो लोगों को दोष देते हैं...लेकिन क्या हम सोचते हैं कि हमने कितनों की मदद की है....
दुखद घटना है.
बेहद दुखत घटना लेकिन सभवतः नित्य सेकड़ो इस तरह कि घटने वाली घटना में से एक है
बेहद दुखत घटना लेकिन सभवतः नित्य सेकड़ो इस तरह कि घटने वाली घटना में से एक है
बेहद दुखत घटना लेकिन सभवतः नित्य सेकड़ो इस तरह कि घटने वाली घटना में से एक है
बेहद दुखत घटना लेकिन सभवतः नित्य सेकड़ो इस तरह कि घटने वाली घटना में से एक है
Hum sab parday kay is par say mook darsak ban sab dakhtay rahtay hai ahsas tab hota hai jab kuch hamaray sath hota hai
बहुत ही दुखद घटना है...ऐसे रोज़ कई लोग मर रहे है सर...कोई बचाने वाला नहीं है...
आपको करीब दस सालों से सुन पढ़ और देख रहा हूँ , ऐसी कहानी आज तक नहीं सुनी थी और पढ़ी थी, यह मानवता पर एक प्रहार है, ऐसे समाज पर एक तमाचा है जहां ऐसे सो कॉल्ड दोस्त भी साथ देने का नाटक करते हैं , आपके इस आलेख ने मुझे तो रुला दिया लगता है जैसे किसी अपने को खो दिया, आप इसी तरह लिखते रहे
दुर्भाग्यपूर्ण घटना है .हम सबको सीख लेनी चाहिए .
संवेदना शून्य होते हम और दम तोड़ती हमारी संवेदनाएँ।।।। त्रासद
ऐसी ख़बर/वृतांत पढ़कर हमेशा कुछ और ख़ाली हो जाता हूँ। सोमेश को लगी पाँच छोटों से रिस्ता खून मेरे ही अंदर कहीं जमने लगता है। हमारे कितने ही स्तरों पर नामकाम/फ़ेल हो जाने का एहसास, हमेशा अंदर ही अंदर एक चीरा और लगा जाता है। बात केवल स्टेशन मास्टर , एम्बुलेंस की नहीं। बात एक जड़ (callous) हो चुके समाज की भी है। राजनीतिक कैसे मुज़ज़फ़र नगर में ग़दर मचाने सफल हो जाती है? कैसे बरसों से चला आ रहा सामाजिक ताना-बाना कुछ १०-५० लोगों की वजह से तार तार हो जाता है ?
यहाँ बात अंदर से सड़ चुके और बरबाद हुए इंस्टीटूशन्स की भी है। और साथ ही बात है खोखले हो चुके हर इंसान की भी। जिसमें मैं भी शामिल हूँ। जिसे ब्लॉग पर कमेंट करते ही अपनी सारी ज़िम्मेदारियों को पूरा कर लेने का सुकून मिल जाता है। दुर्भाग्यपूर्ण, दुःखद जैसे शब्दों की पुड़िया हमारे झोले में हमेशा पड़ी रहती है। जहाँ ऐसा कुछ पढ़ा धन्न से दो तीन निकल के फेंक दी सामने वाली की झोली में , और अपना वज़न हल्का कर लिया। सोमेश के घर वालों पर क्या गुज़र रही होगी ये सोच के ही मन सिहिर उठता है।
जब इंसान से संवेदनाएं गाएब हो रही हो तो दिखावा ही रह जाता है.
जाने कितने ही सोमेश रोज़ अव्यवस्था और लापरवाही के शिकार बनते है। अव्यवस्था प्रशासन की होती है और लापरवाही कुछ हद तक हमारी। आज ही एक दोस्त(जो स्विमिंग से दूर ही रहता है) ने बताया कि 5वीं क्लास में उनके स्कूल ने स्विमिंग सीखने के लिए सन्डे को बुलाया और पहले ही दिन एक लड़के की मौत स्विमिंग पूल में डूबने से हो गयी। सोमेश को तो फिर भी इस प्रशासन ने बी टेक करने तक का मौका दे दिया वर्ना वो बेचारा तो 5वी क्लास में ही इस गैरजिम्मेदार प्रशासन को बलि चढ़ा दिया गया। हम भी काफी खुशकिस्मत है की आज तक जिन्दा है, हो सकता है कल कोई मुलायम एम्बुलेंस या पुरुषोत्तम एक्सप्रेस हमारी भी मौत का फरमान लेकर आ जाए तब तक यही कर सकते है कि सोमेश के लिए RIP लिख दे और अपनी बारी का इंतज़ार करे।
(काश कि सोमेश को या उस 5वीं क्लास के बच्चे कि जान हम में से ही कोई बचा लेता , सोमेश के माता पिता को ईश्वर इस दर्द को सहने कि हिम्मत दे !!)
सर कल अगर आप इस पर ही प्राइम टाइम लाए तो शायद कई जाने बच सके।
well said sir...nothing to say...
He used to live near my house...
I although i didnt know him much..
But yeah we have met i remember that innocent face....
But it is sad that an innocent child is no more
With us
R.I.P somesh
Me is vyavastha parivartan ke liye isliye nahi lad raha ki sarkar badal jaye. Par aise kitne somesh marte hai roj, in netaon aur afsaro ki laparwahi ke karan. Me to isliye bhi taiyar hu ki in netaon aur afsaron ko thoda paisa de do aur keh do, ki side me hat jao,jo log apna kaam karna chahte ho, unhe karne do. Na to shabd hai na na himmat kuch kehne ki, par aise kitne somesh marenge aur
he was my cousin.....he just had started his b.tech in electronics and i was scheduled to meet him in few days..!! a bright fellow whose promising future came to an abrupt end due to foolishness and insensitivity of our so called 'developing' nation...!! I know he can't be brought back.....but one can at-least do something so that he may find our actions soothing from wherever he is right now..!!
sachchi samvedna yahi hoti hai , varna log to apno ko bhool jaate hain .. प्रोमिस डे पर , आइये खुद से एक वादा करें हम सभी दोस्त , कि अपने भारत देश के उस वाक्य , जिस पर मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने सदा अमल किया , जिस पर ही हमारा पूरा अतीत टिका है .. उस को खुद पर - सिर्फ खुद पर अमल करेंगे - '' प्राण जाये पर वचन ना जाये " आज के दिन मैं अनिल उपाध्याय लखनऊ से , श्री अरविंद केजरीवाल से अनुरोध करता हू कि बच्चों की कसम से लेकर और भी जितनी बातें उनकी देश के सामने साफ - साफ झूठी साबित हुई हैं , उनका दोष स्वीकार करें , भाई गलती तो सबसे ही होती है , और अपने खुद के सगे प्यारे बच्चों की ही तो कसम तोडी है .. हम सबकी दुआ अरविंद जी आपके पूरे परिवार के साथ है , लेकिन अगर सहज भाव से - क्या सच में - क्यों नहीं हो पाया या बहुत सी बातों को दिल्ली में पूरा करने के बाद , अगर कुछ काम नहीं हो पाये अभी तक तो उनको भी सहज सच्ची - ना कर पाने की एक माफी टाइप की बात , पूरे देश में आपका ( पार्टी नहीं खुद आप ) का कद बहुत बड़ा कर देगी .. मेरी शुभकामनायें सत्य कर्म हेतु . सभी मित्रो को सुप्रभात ..
vry sad 2 hear dat....dos typ of ppl should b punished...unfair practices goin around every where...sme1 needs to stop it...literaaly stop it nt jst tlk abt it...totally diappointin..
Jeevan m kabhi kisi ki help nhi ki lekin shayad ab kabhi aisi ghatnaon ko ignore nhi kar paungi. All thanks to you Ravish ji
कहते हैं 'कलम ' में बहुत ताकत होती है,आपका ये लेख अगर किसी एक इंसान की आत्मा को झंझोड़ सका,तो आपकी 'कलम' को सलाम । इन बातों को समझने के लिए दिल और दिल में दर्द होना बहुत ज़रूरी है ।
आज दो, चार.... दो आँसू भर आए...
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