इस्तीफ़े से उन लोगों पर भी असर पड़ा है जो दिल्ली में अरविंद को वोट देने के बाद केंद्र वाली दिल्ली के लिए मोदी को वोट देना चाहते थे । अब इनके लिए मोदी के पाले से लौटा लाना आसान नहीं होगा ।अरविंद का लोकसभा चुनाव न लड़ने का बयान भी घातक हो सकता है । कई लोग मानते हैं कि इससे आप की दावेदारी की गंभीरता कम होती है । जब अरविंद ही नहीं लड़ेंगे तो क्यों वोट देंगे । ये वो तबक़ा है जो बात कर मुखर माहौल बनाता है । विधानसभा चुनाव में लक्ष्य की जो स्पष्टता थी वो लोकसभा चुनावों के संदर्भ में कम है ।
छुट्टी पर होने के कारण इस्तीफ़े से जुड़ी ख़बरों पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया लेकिन आप को लेकर लोगों की इस तरह की प्रतिक्रिया बढ़ती जा रही है । आप में से कई कह रहे थे कि मेरा नज़रिया क्या है। इसीलिए नहीं लिखा क्योंकि टीवी देखा न पेपर पढ़ा । जिस दिन अरविंद इस्तीफ़ा दे रहे थे उसी वक्त मुंबई से दिल्ली उतरा था । हवाई अड्डे पर लगे टीवी सेट पर सुरक्षाकर्मी और एयरपोर्ट स्टाफ़ और कर्मचारी जुटे हुए थे । इस तबके में अरविंद की गहरी पैठ हैं । ज़्यादातर ने कहा कि सही किया है । एक सिपाही ने कहा कि इनको ज़रा बाँदा ले आइये । वहाँ भी ज़रूरत है । अगले दिन ब्रेड लेने निकला तो दुकान पर सब पेपर पढ़ रहे थे । इस तबके की यही राय थी कि कांग्रेस बीजेपी की मिल़ीभगत से बंदा लड़ रहा है । रिलायंस की राजनीतिक छवि के कारण अंबानी पर हमला करने से इस तबके में पार्टी की छवि मज़बूत हुई है लेकिन मध्यमवर्गीय तबके के एक हिस्से को यही अच्छा नहीं लगा । अगर नीचला तबक़ा अरविंद के साथ खड़ा रह गया तभी वे अपने आधार का बचाव या विस्तार कर पायेंगे लेकिन अरविंद उस तबके के प्रति उदासीन नहीं हो सकते जिसका उन पर से विश्वास हिला है ।
हो सकता है कि अरविंद ने अपनी बात लोगों तक न पहुँचाई हो कि क्यों इस्तीफ़ा दिया । लेकिन इन लोगों की दिलचस्पी कारण में ही नहीं है। दूसरा इनमें से कई मोदी समर्थक भी हैं । जिन्हें अरविंद को एक बार के लिए मौक़ा देना था । लोकसभा में वे मोदी को देंगे । साफ़ साफ़ नहीं कहते मगर यह ज़रूर गिनाते हैं कि आप से क्यों निराशा हुई । इसलिए दूसरा चांस नहीं देंगे ।
आज ही लिफ़्ट में एक महिला ने कहा कि आप का क्या हो रहा है तो मैंने सवाल उन पर डाल दिया कि आप बताइये आप को वोट देंगी ? जवाब था फिर से ? मतदाता आप को छोड़ बीजेपी या कांग्रेस की तरफ़ अगर जा रहा है तो अरविंद को सोचना चाहिए । क्या वे अपने से दूर गए मतदाता को समझा पायेंगे कि आपने कांग्रेस बीजेपी को बारी बारी से कितनी बार वोट दिया लेकिन कभी ये कहा़ कि फिर से । उन्हें और ठोस रूप से समझाना होगा कि इस्तीफ़ा क्यों दिया । बहुमत होते हुए भी अल्पमत जैसी सरकार क्यों चलाना ज़रूरी नहीं समझा । लोकसभा चुनावों में अपनी गंभीरता को और स्पष्ट और सुनियोजित करना होगा । कांग्रेस विरोधी तबके म़ें आप और मोदी को लेकर अंतर्विरोध कम दिख रहा है । बीच में इसका बड़ा हिस्सा आप की तरफ़ गया था मगर इस वक्त पलड़ा मोदी की तरफ़ झुका हुआ है । कुछ मात्रा में ज़रूर मोदी पर उनका सीधा हमला समर्थक से आलोचक बने आप मतदाताओं को खुराक दे रहा है मगर इसकी संख्या नाराज़ तबके में कम है । नीचले तबके में ज़्यादा है । यही अब अरविंद की नई ताक़त है लेकिन बिना मध्यमवर्ग के मुकुट नहीं मिलता । गुरुवार को दिल्ली की सड़क पर उनकी कार देखी । तस्वीर लेने के दौरान ग़ौर से देखा कि केजरीवाल निश्चिंत बैठे हैं । इत्मिनान से । मुझे देख मुस्कुराते हुए हाथ भी हिलाया ।
मैं यह लेख चंद लोगों से हुई बातचीत के आधार पर लिख रहा हूँ । मिलने वालों में कुछ की आस्था आप में इसलिए बढ़ गई है क्योंकि अरविंद ने कुर्सी छोड़ दी है और कुछ की इसी कारण घट गई है । मध्यम वर्ग का एक तबक़ा अभी भी साथ में हैं लेकिन उसके बराबर का एक तबक़ा ख़िलाफ़ हो गया है । ख़िलाफ़ से ज़्यादा उदासीन हो गया है । निम्न मध्यमवर्गीय और नव मध्यमवर्गीय तबके में ख़ास प्रभाव नहीं घटा है लेकिन इस तबके में लोग आप के ख़िलाफ़ नहीं हुए हो यह मैं नहीं मानता । मुस्लिम मतदाता में भी आप का विस्तार हो रहा है मगर यह इस बात पर निर्भर करेगा कि किसका उम्मीदवार बीजेपी को हरायेगा । कई लोगों को यह भी लग रहा है कि लोक सभा का चुनाव आप का नहीं है । सरकार तो बना नहीं सकती तो वोट क्यों ख़राब करें । देखते है तेईस की रैली से अरविंद लोगों में आई उदासीनता को पलट देते हैं या नहीं । यह सब सोचते सोचते उनकी कार ट्रैफ़िक में ओझल होती दिखी क्योंकि जहाँ जहाँ जगह मिल रही थी रफ़्तार पकड़ लेती थी ।
115 comments:
"कहो दिल से मोदी फिरसे" ( Guj-20120) हो सकता है तो अरविन्द के लिए क्यों नहीं ?
प्रिय रवीश भाई,
मैं आपको उन गिनेचुने पञकारों में मानता हूं, जिनके हर गुणा भाग का पुख्ता आधार होता है. जो पञकारिता की विश्वसनीयता के लिए निहायत आवश्यक गुणों में से एक है. आपका हर विश्लेषण कहीं न कहीं आपके व्यापक शोध की उपज होती है.
बावजूद इसके मैं आपके इस ब्लाग में दिए गए तर्क से सहमत नहीं हूं. क्योंकि केजरीवालजी की आज तक की रणनीति हर शोध, हर परिणाम और हर कयास को फेल कर चुकी है. चाहे इस तरह के
कयास समर्थकों ने लगाए हों, या विरोधियों ने.
वैसे आपका सुझाव अच्छा है. इस पर आप पार्टी अमल करे, तो
उन्हें लाभ हो सकता है.
धन्यवाद.
रविश सर,ये सच है कि अरविन्द केजरीवाल जी को कुछ बातें जरूर क्लीयर करनी चाहिये. मैने गौर किया है कि जो auto ड्राइवर उनको लेकर बहुत अधिक उत्साह में रह्ते थे आजकल वो भी पस्त लग रहें हैं.सब चुप रह्ते हैं.पार्टी के बारे में कुछ पूछ्ने पर कह्ते हैं के कुछ समझ नही आ रहा है कि क्या हो रहा है.जबकि पह्ले वही रास्ते भर आप की बातें ही किया करते थे.सब्जी वाले और गोलगप्पे वालो की बातें भी मैंने सुनी सबकी लगभग वही स्थिति है
दूसरी पार्टियों को इतना वक़्त दिया,तो इसे क्यों नहीं!....... मुझे लगता है लोग जीतनी तेजी से विश्वास करते हैं उतनी ही तेजी से विश्वास खोने भी लगते हैं......... धैर्य रखना चाहिए.
आप ने पूरे आलेख में प्रचलित नाम केजरीवाल जो एक समुदाय को इंगित करता की जगह अरविन्द लिखा, एक पिछले आलेख में भी मैंने ऐसा ही पाया। ये काबिले तारीफ है। जहाँ तक अरविन्द जी बात है। उसने वो लोग ज्यादा नाराज है जो उनके हर फैसले पर अपनी राय रखते है। हवा-हवाई विश्लेषण करते है और फेसबुक में फ़ोटो चिपका देते है। अरविन्द या कोई और हमेशा सही फैसला लेगे ये अपेक्षा तर्कसंगत नहीं। फैसला गलत या सही हो सकता है। पर फैसला लेने दिया जाय । हर बात पर निंदा करना उचित नहीं होता। आलोचना जरूर की जा सकती है । समय दिया जाय स्वायत्तता दी जाये तो बेहतर काम कर सकेगे।
m also belong to upper middle class,I support his decision, AAP is not what u expect from a traditional party, so ready for jolt, but that imp for democracy now,, wese bhi iss desh mein abhi 30-40 saal taq gareeb tabka hi sarkar banayega, middle class malls mein jata hai at the day of voting .
m also belong to upper middle class,I support his decision, AAP is not what u expect from a traditional party, so ready for jolt, but that imp for democracy now,, wese bhi iss desh mein abhi 30-40 saal taq gareeb tabka hi sarkar banayega, middle class malls mein jata hai at the day of voting .
आपने कांग्रेस बीजेपी को बारी बारी से कितनी बार वोट दिया लेकिन कभी ये कहा़ कि फिर से ।
Every voter should reflect on this!
logo ko ummeed jyada hai AAP se,sab ke man me ek khayal ata hai ki agar mujhe moaka milta to sab thik kar deta,wahi jab AAP galti karti hai to dar lagta hai ki kahi ye bhi sab jaisi to nhi ho jaegi... ... ...or ha AAP galti to karti hai lekin kejriwal ji ko bataye kon????
Ravish babu vishleshan sahii hai sochne ki jaroorat hai.Mai bihar ke ek chote se gaon se hoon jo purnea me hai aapke gaonn ki tarah bijli abhi tak nahi aayii aadivasi bahul gaon hai ..nitish jee ke voter dikhte nahii hain shayad bijli abhi tak nahii aaye....AAP bahut jaldiii me dikhi bhai ek din me aapsab nahi badal sakte pahle apne wade pure karne ki kosis karte...Kejri fox lagte hain mujhe. Unhe mallom tha ki unka Janlokpal kanoon nahi ban sakta naahi wo lok lubhawan wade pure karne me sakham the isliye bhag gaye..Dharya jaroori hai kyonki system ko change karne me samay lagega...imandari ka certificate aapko log denge Aap usee khareed nahi sakte naa hii apne imanfari ka dhol pitne se wo milega...Kaam bota hai pahle kaam karte maine bhi socha tha AAP ke bare me bt hawa nikal gaya...yahan to kuch bhi nahii haii i dont knw bt middle n upper middle class...aise hii likhte rahiye..badhiya lagta hai...baki ek salah baa...kabhi hawa ke sath bah mat jaihaa je dili me chalataa....dukh hoi agar aaisan kuch hoi taa
Ravish Bhai,
Janta ko poori tarah maloom tha ki inke manifesto pure nahin honge. Par janta ne isse bhi badi vadeon ki dhajjiya udte dekhin hai.
The biggest challenge stems from the euphoria created. ChandraGupta Maurya sans Chankya tried many a things at a go. The essence of first sermon was based on principle of consolidation and concentration (not losing the focus). AAP seems to do encore .How the idealouge of AAP has agreed on fighting more than 200 seats surprises even their own supporters. Though scorn on conventions have been AAP’s biggest asset so far but this is taking too much too far.
Limiting itself to a couple of state assembly elections and Lok Sabha seats in only those pockets or Urban areas may be a better strategy. One can not forget that the old guards of present system are still lurching and surging. These old guards have greater chance to fail further and loose credibility if left to themselves. Better option can be to give these old hands of present order to fall deeper into pits and bid for time.
Lord forbid ,if the experiment fails . The swarming army of cynics will rise. The concept of innovation and experiment will take a back seat. The biggest sufferer of this will be the youth and exodus of talent will be spiral. The old guard political system will treat the citizens in much less dignified way than ever in Independent India.
Many of the people movement groups did not wish this experiment to occur. Some brave hearts got over the fear of failure. Unknowingly they also hijacked the credibility of People Movement groups as a whole. If these brave hearts succeed the usher of new dawn is on horizon ,if they fail the Gennext loses decades...
मुराद ऐ नाचीज़ ,आप की मुश्किलात बढे ;; रब्बा खैर बाकी और मंज़िलें जितना आप चढ़ें।
Murad -e nacheez aap ki mushkilat badhe::rabba khair baki aur manzilen jitna app chadhen
muafi , itna lamba comment .jab asha tootti deektee hai , to bahut dukh hota
Sir, Arvind jee ne hamesa se hatt kr politics ki h lekin usi leak se hatt kr krne ke kosis me kuch galtiya bhi kr gye.bhut se log resign ko shi mante h bt mai nhi aakhir ek aise mudde pe resign dena jispe piblic ke bich bhi Ashmati ho.or is karan se hi log puch rhe ki AAP ko phir se??jb kisi mudde pe ek rai hoti to resign dena muskil nhi hota lekin yhi Arvind Modi se haar gye.Modi agar aaj kuch glat bol de ya kr de to unko support krne wale defend kr lenge kyu ki Modi ke piche 12 saal ka pahad sa kiya huya karye h.log us devlopment pr sawal utha sakte h bt ye sbhi mante h ki haa modi ne kuch kiya to jarur h lekin Arvind ki ek galti unpe bhari pd sakti h.pahle unke pass khone ko kuch n tha bt abb subkuch h.or aap ne ek jagah kha ki Arvind syad bata nhi paye ki kyu resign kiya agar yhi baat h to fydemand h uke liye kyu jaise hi log iski gahrai ko janenge Arvind se dur hone walo ki sankhya badegi.Arvind sirf Ambani ke sahare modi se nhi ladd sakte or 49 din ka sasankal bhi unpr bhari pd sakta h.pahle virodhiyo ke pass bolne ko itne hathiyr nhi the or abb agar Modi unpr aisa hamla krte h to AAP ko niklna muskil hoga.Mere kuch dost bata rhe the 3hr line me lagne ke baad vote diya tha is tarah ek mudde pe bhagne ke liye nhi unke area me meter bhi nji lga h pani ka kuch mil sakta tha wo bhi nhi mila.ab Agar modi jaisa aadmi samne khda ho to kaise Arvind ko vote diya jaye..Syad middile class me Arvind ke core supporter hi unke liye phir se 3hr line me lge.
Ravish babu vishleshan sahii hai sochne ki jaroorat hai.Mai bihar ke ek chote se gaon se hoon jo purnea me hai aapke gaonn ki tarah bijli abhi tak nahi aayii aadivasi bahul gaon hai ..nitish jee ke voter dikhte nahii hain shayad bijli abhi tak nahii aaye....AAP bahut jaldiii me dikhi bhai ek din me aapsab nahi badal sakte pahle apne wade pure karne ki kosis karte...Kejri fox lagte hain mujhe. Unhe mallom tha ki unka Janlokpal kanoon nahi ban sakta naahi wo lok lubhawan wade pure karne me sakham the isliye bhag gaye..Dharya jaroori hai kyonki system ko change karne me samay lagega...imandari ka certificate aapko log denge Aap usee khareed nahi sakte naa hii apne imanfari ka dhol pitne se wo milega...Kaam bota hai pahle kaam karte maine bhi socha tha AAP ke bare me bt hawa nikal gaya...yahan to kuch bhi nahii haii i dont knw bt middle n upper middle class...aise hii likhte rahiye..badhiya lagta hai...baki ek salah baa...kabhi hawa ke sath bah mat jaihaa je dili me chalataa....dukh hoi agar aaisan kuch hoi taa
रवीश क्या इसके लिए हम सब कही न कही जिम्मेदार नहीं है | मुझे तो लगा मै हु और सच कहु तो ट्विटर भी इसलिए ज्वाइन किया था | पता नहीं क्यों ऐसा लग रहा था कि एक चकविहू रचा जा रहा था AAP के खिलाफ | पर हो सकता है शायद ये मेरी सोच हो कही न कही मै अपने आप को AAP का ब्लाइंड supporter मानती हु | मेरे घर में लोग एहि कहते है | पर ट्विटर पर तो लोगो का जुलुम है आप के पक्ष मै | और वो आप आप हो गया |
अभी कुछ दिन पहले लखनऊ शताब्दी मै थी | फर्स्ट क्लास डब्बे मै | कही न कही हम इस डब्बे के लोगो को सभ्य और सुशिल मानते है | एक आदमी ने बात शुरू की एक पार्टी को लेकर सब उसी के साथ हो लिए | सोचा बोलना बेवक़ूभी है जिसका जो विचार है वो रहेगा ही क्यों अपना माथा खपाऊ | पर कुछ देर बाद नहीं रहा गया जब एक आदमी ने ये दलील दी की अरविन्द केजरीवार सोमनाथ भारती को इसलिए नहीं हटा रहे है की उसने अरिवंद का एक विडिओ बना रक्खा है और उससे उसे बल्कमैल कर रहा है | अरविन्द उसे कभी हटा ही नहीं सकता | अपने आप को रोक न सकी पूछ ही डाला आपको ये खबर कहा से मिली | बोले व्हाट्सप्प पर आया था | मेरा पास भी सुबह से शाम व्हाट्सप्प से एसी मेसेज आते है पर मै तो ऐसा नहीं मानती | अपनी बात को रखती गई दलील देती गयी | जब बोलना सुरु कर ही दिया था तो रुकना क्या | पर देखा लोग मुझे सुन रहे थे और कुछ धीरे धीरे मेरी बातो को मनाने भी लगे | मेरा स्टेशन बीच मै था | कहा अब उतरना है - देखा सबकी निगाह मेरी तरफ थी | एक बुजुर्ग से आदमी ने जो की इस दौरान बिल्कुक चुप था ने कहा - मम आप उतर रही है अच्छा लगा आपको सुनकर | एक अजीब सी संतुस्ठी मिली | हमेशा ट्रैन से चुप चाप उतर जाती थी पहली बार सबको बाय बोला और जबाब भी मिला | उस दिन से जब मौका मिलता है बोलती हु | किसी पार्टी के खिलाफ नहीं पर अपने कुछ तथयो पर |
मै जहाँ काम करती हु उसके आज कल के प्रेसिडेंट एक बहुत ही बड़े अख़बार के मालिक है |उनकी बातो में AAP की खिलाफत बिलकुल झलकती है | बुरा नहीं लगता है क्योकि लोकतंत्र है सबको अपनी बात रखने का अधिकार है | पर बुरा तब लगता है जब वो बोलते है और लोग उनकी हा में हा मिलने के लिए कुछ भी उलूल जलूल तथेय पेश कर देते है | पिछली मीटिंग में जब सुनते सुनते नहीं रहा गया तो मैने अपने बात की शुरुआत मजाकिया तरीके से की , सर में तो आप की ब्लाइंड सुप्पोर्तेर हु !!!! अरविन्द केजरीवाल कुछ भी करता है मुझे अच्छा लगता है | एकदम गुस्से में आ गए और बोले आप जैसे लोग ही स्टेबल गवर्मेंट नहीं बनने देंगे | और फिर वही हा में हा | क्या ये स्टेबल गवर्मेंट इतना इम्पोर्टेन्ट है की इसके लिए हम अपने विचार से अलग हो जाये ? अभी सब जगह एक स्टेबल गवर्मेंट का नारा चल रहा है | और ये में अपने पर्सनल एक्सपीरियंस से कह रही हु | जिन लोगो की मै बात कर रही हु वो उच्च मधयम वर्ग या उच्च वर्ग के है | इनका असर मधयम वर पर साफ पड़ रहा है | कहते है न सौ बार बोला झूठ सच हो जाता है |
अभी एक वोटर अवेयरनेस ड्राइव चलाया था | वोट डालने के लिए | लोग अजीब से सवाल करते थे | हम किसको वोट डाले ? आप अपनी समझ से डाले | ये शायद वो लोग थे जो भाषा और भाषण के प्रभाव में आ गए थे | money और mascle पॉवर के नहीं | अखबार पढ़े, टी वि देखिये, अपने आस पास की जानकारी रखे | पर क्या मेरा जवाव सही था ! बिलकुल नहीं | मीडिया के उस चेहरे को भी जानती हु जो मेकअप के पीछे बहुत ही घिनौना है | लोग कहते हम अपना वोट waste नहीं करना चाहते है | लोगो की नज़रो मै हारने वाली पार्टी को वोट नहीं देना चाहिए | जवाव तो देती की वोट waste नहीं होते है | हवा के साथ चलना हमेशा सही नहीं होता है | पर जवाव से खुद को संतुस्ठ नहीं कर पाती थी |
पर सही कहु तो अरविन्द की स्ट्रेटेजी अच्छी लग रही है | हेड ऑन कोलिसिओं वाली | ईमानदार होना जितना जरुरी है उतना ही ईमानदार दिखाना | शायद वक्त के सात aap इसमे निपुण हो जायेगे | जो भी हो अपनी बात को रख कर मे खुश हु | वैसे सुबह साढ़े नौ बजे से कम्पुटुर पर हु अभी ख़तम हुआ यह लिंक मेसेज के लिए तो ठीक है पर लम्बे लेख के लिए नहीं | काफी गलती होती है जिसे सुधरे मे वक्त लगता है | अगर आप इसमे कोई सुझाव दे सके तो कृपा होगी |
आज छुट्टी है पर पता नहीं ऐसा लगता है छुट्टी मर्दो की लिए है | महिलो को तो इस दिन डबल काम | पुरे हफ्ते का काम इस दिन पर जो छोड़ देते है | समय मिला तो ब्लॉग पर भी आउंगी | लिखते रहिये पढ़ कर अच्छा लगता है |
यह भी है कि कोई भी दल आज तक अरविंद पर ठोस आरोप नही लगा पाईा जितने भी आरोप हैं वे राजनीतिक चोचले हैं सिर्फ एक को छोंडकर जिसमे उन्होने अपनों के बिजली बिल और जुर्माना माफ किया था वो तो सरासर गलत था यह भी कि अरविंद के आने के बाद कितने पढे लिखे और सोचने वाले लोग मोदी के कथित फैन हुए और कितने लोग मोदी के कुनबे से गाजियाबाद कूच किए हैं संख्या जांच का विशय है
ha, anita jha ne akdum sahi likha hai . jyadatar log ha me ha milate hai. last month up. jana hua. vaha ak function me hamare parivar ke ak sdayas arvind ji ke samrthan me bol rahe the. sab ha ha kar rahe the.thodi der bad ak guest ne kaha ki chahe kuch bhi ho congres ko hi jitana chahiye. kahane lage ki sallery badhane ka kam to isi ne kiya hai. aaj har kisi ko acche paise mil rahe hai .sab accha kha rahe hai ,pahen rahe hai, iske bad log phir ha ha karne lage,aur thodi der bad mera chota bhai modi chap 2-3 tsirt le aaya . bus phir kya tha..........
यह भी है कि कोई भी दल आज तक अरविंद पर ठोस आरोप नही लगा पाईा जितने भी आरोप हैं वे राजनीतिक चोचले हैं सिर्फ एक को छोंडकर ( ritesh kumar said...
तो इस केजरीवाल ने भी जो आरोप लगाये ? उनका ( शीला के सबुत )कया हुआ या ?????
नहीं निगाह में मंजिल तो जुस्तजू ही सही नहीं विसाल मयस्सर तो आरजू ही सही.
अनीता जी, मैं आपसे सहमत हूँ... वैसे आपका "तुम" कहना अच्छा लगा....
ओ लेख December २००७ का है -' प्रणाम सर ' ..........मजेदार है .मैंने बहुत पहले पढ़ा था .....सर और जी के बारे में है......उनका कमेंट भी पढियेगा.
मुझे लगता है कि आप ने पहले लोगों में जरूरत से ज्यादा उम्मीदें जतायी फिर यह कहना शुरू कर दिया कि हमारे पास कोई जादू की छड़ी नही है जो सब ठीक कर दे । इसका संदेश गलत गया ।
जब प्रवृत्ति का मार्ग चुना था, तो निवृत्ति पर आस्था क्यों?
AAP se nirash hokar AAP me hi rahega .usake prashn ka uttar kisake pas hai .bijli ,pani ,madical facility par kya aam adami ka adhikar nahi hai,basic needs ko nkar kar devlopment ki pribhasha puri ho hi nahi sakati .stable government ki bat lakar logo ko bhrmit kiya ja raha hai . pahale to keval congrees ya bjp nahi hai ,ye UPA and NDA hai.after poll NDA v UPA ka kunba ghatne v badne wala hai .ab to menifesto ke aadhar par voter judge karega ???ye keval AAP per lagu hai ??kya NOTA ka option keval vote ki barbadi hai
इस्तीफा से दिल तो कईयों का टूटा। पर कुछ कदम पीछे इसलिए भी बढ़ाये जाते हैं ताकि आगे बढ़ा जा सके। उस शाम आपको विदा करने के बाद जब न्यूज़ फ़्लैश देखा तो सोचा कि अगर ये समाचार पहले पता होता तो आपसे इस बारे में बात हो जाती। खैर, हमारे AC दफ्तर में ऐसे कई लोग हैं जो बीजेपी के कट्टर हैं जिन्हें में प्यार से 'मोदीवाला' कहता हूँ वो भी अरविन्द के बारे में अपडेट रहते हैं उसकी चर्चा करते हैं और पानी पी कर कोसते भी हैं पर AAP के बारे में सोचते जरुर हैं। कांग्रेस तो गायब ही है। अरविन्द ने कम से कम लोगों को राजनीति के बारे में सोचने को मजबूर किया है। मेरे कई मित्र जो राजनीति में जरा भी दिलचस्पी ना रखते थे आज कहते हैं कि मोदी को 272 कैसे मिलेगी। और ये सब अरविन्द के कारण ही हुआ कि पढ़े लिखे लोग आज राजनीति समझने की कोशिश में हैं। ये बात जरुर है कि AAP को maturity लाना होगी। 14 ना सही 19 सही।
रवीश जी हमारे देश में भ्रष्टाचार इतना ज्यादा है कि जो उसे ख़त्म करना चाहेगा उसे खुद ही ख़त्म होना पड़ेगा।
और केजरीवाल कि ये गलती है कि उसने प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस, नेता और बिज़नस मैन सभी से एक साथ लड़ाई शुरू कर दी। और फिर ये सब उसके खिलाफ एक हो गए। और अब मीडिया भी उसकी गलतियां निकलने में लगा है।
जनता के सामने ऐसा माहोल बनाया जा रहा है जैसे केजरीवाल कोई जोकर हो। .....
hi अमृता सही में ब्लॉग पढ़ कर मज़ा आ गया | और ब्लाक से ज्यादा कमेंट पढ़ कर |अब समझ आया सर जी सर जी से क्यों परेशान है | पर सर जी कई बार ये माहौल का भी फर्क होता है | कॉलेज में अपने सीनियर को दीदी कहने से डॉट पड़ती थी | नाम से बुलाओ | और ऑफिस में नाम से बुलाया तो कहा गया अपनी ये पशिमी सभ्यता से बहार छोड़ आओ | आज भी अगर अपनी ननद को रंजू दीदी कहा तो सास से डॉट पड़ती है | नाम लेना जरुरी है | तो क्या कहु ? छोटी दीदी कहो पर नाम मत लो| ससुराल में आते ही मेरा नाम बदल दिया गया | पूछा अनीता में क्या बुराई है तो बोले मायेके का नाम नहीं लिया जाता | वो बात और है कि सास को छोड़ हर कोई मुझे पुराने नाम से हि बुलाता है | अजीब उलझन है समझ नहीं आता कि सामने वाला क्या चाहता है |
पर अमृता मेरा ध्यान कही और है तुम सात साल से रवीश को पढ़ रही हो और तुम्हे याद भी है वो लेख | पता नहीं आज तुम्हारे सामने अपने को इतना छोटा महसुश कर रही हु | ये भी नहीं पता तुम महान हो या रवीश | सच कहु तो मेरी नज़रो में रवीश से कही ज्यादा तुम | कई बार लोगो के कमेंट पढ़े - सर अपने हमे ट्विटर पर ब्लाक क्यों किया ? फेस बुक पर क्यों ब्लाक किया ? आप प्राइम टाइम पर कब आयेगे | पूरा कमेंट ख़तम हो जाता रवीश का कही कमेंट नहीं होता | अगला लेख शुरु | अच्छा नहीं लगता देख कर | मन करता में हि रिप्लाई दे दू | रवीश ने आपको नहीं अपने को ब्लाक किया है | रवीश २४ तारिक से प्राइम टाइम पर आ रहे है | मानती हु रवीश आपके लिय ये उबाऊ हो बार बार बोलना पढ़े | पर क्या चाहते है ये लोग -सिर्फ आपके द्वारा लिखा उनका नाम |
पता नहीं में आपकी जगह होती तो क्या करती ? पर एक बात तो जरुर करती अगला लेख लिखने से पहले दो लाइन लिख देती | बार बार वही उबाऊ लाइन एक बार एक लेख के लिए | शायद लोग धीरे धीरे इस बात को समझ भी जाते | सच कहु तो इन लोगो को पढ़ कर हि जाना के आप प्राइम टाइम अच्छा देते है | कभी प्राइम टाइम पूरा देखा हि नहीं | जब देखना कहा तो आप छुट्टी पर चले गय |किसी भी चैनल का प्राइम टाइम मुझे सबसे बोगस टाइम लगता है | हर तरफ शोर शराबा | और जो एंकर कहता है हम शांति से कहते है वो खुद ही शोर मचाना शुरु कर देता है | अभी कुछ दिन पहले IBN पर आपके एक पुराने पत्रकार के आने वाले प्रोग्राम का प्रोमो देखा | प्रोमो बहुत हि अजीब लगा पर सोचा कोई बात नहीं प्रोग्राम देख लू | एक मिनट नहीं झेल पाई चैनल चेंज कर दिया |
में आपको ये सब क्यों बता रही हु | कहना चाहती हु इन लोगो को पकड़ कर रखिये | अमृता जैसे लोगो को | अमृता ने कहा तो आपका पुराना लेख ब्लॉग पर पढ़ा सच में बहुत अच्छा लगा | किसी ने यू tube पर कहा तो आपका एक aap पर प्राइम टाइम में इलेक्शन कम्पैन देखा सच में बहुत हि अच्छा लगा | सोच भी नहीं सकती थी प्राइम टाइम में ऐसा भी आ सकता है | आप अच्छा लिखते है आप अच्छा बोलते भी है | पर एसे दुनिया में बहुत लोग है | पर उन लोगो में और आप में सिर्फ अमृता का अंतर है | और शायद इसलीय ये लिख रही हु | लग रहा है अगर मेरे पास एक अमृता हो तो मेरी जिंदगी सफल हो जाये--अपके पास तो लाखो है |
आप कहते है आप पढ़ते है मानती हु आप पढ़ते है | पर फिर भी कहूँगी आप और कुछ जबाब मत दीजिये पर वो बोगस और उबाऊ जबाब जरुर दीजिये | कई दिन से सोच रही थी लिखूंगी अमृता ने मौका दिया | थैंक्स अमृता अगेन | प्लीज ये मत कहियेगा बाकी लोग ऐसा नहीं करते | आप बाकी लोग नहीं है | और बाकि जैसे बनीय भी नहीं | आप हि ने कहा न लिख डालो | लिख दिया | बुरा लगे तो तहे दिल से सॉरी |
AAP ne jo bhi kia vo sahi kia aj tak kisi bhi party ne kisi khul ke sacchai nahi batai...manta hu ki ye nai hai but inke irade nek hai...is aam insan ki wajah se businessman hai ..businessman se desh nahi
tamashe tamasho main khaas se aam ho gayi AAP
Hi Anitaji mujhe pata nahi aap kaun hai par aap ko pad kar aacha laga.
Mujhe likhte hue sankoch ho raha hai par apne aap ko rok nahi pa rahi hu.
केजरीवाल ने एक बिन्नी को पार्टी से निकाल दिया। भाजपा के पास ३२ थे। और तिन बिन्नी आप पार्टी में तैयार हो रहे होंगे और भाजपा के ३६ होने को समय नहीं लगता था। केजरीवाल को शायद यही डर सता रहा था। इस्तीफा देना उचित समझा।
केजरीवाल ने एक बिन्नी को पार्टी से निकाल दिया। भाजपा के पास ३२ थे। और तिन बिन्नी आप पार्टी में तैयार हो रहे होंगे और भाजपा के ३६ होने को समय नहीं लगता था। केजरीवाल को शायद यही डर सता रहा था। इस्तीफा देना उचित समझा।
I wish ki wo wapas ayein with full energy and solid facts...as they are the only one who again ingnites a hope that this rotten system can be changed
Ravishji aachanak se aapke FB ur Prime Time se gayab ho Jane par kuch
samajh me nahi aaya phir pata chala aap chutti par hai.
Aapne blog likh kar sab Kasar puri kar di.
):-
वाह?????? रवीस जी,,कितना गहरा शोध है,,,,,, आम आदमी पार्टी को मंथन करना चाहिए ,,,,,,इन बातों में कितनी चिंता झलकती है,,,,,,,,,,,परन्तु रवीस जी आप के हाथ में माइक नहीं है कि जिधर चाहे घुमा दे;;;;;;;;;
Ravish ji ap ndtv se kio gayab ho gaye ? Kahi paid media se bachne ke lia to ap chutti par chale gaye?
अनीता जी, आपको अच्छा लगा .....ख़ुशी हुयी. मैं पिछले सात सालों से तो नहीं उसके कुछ साल बाद से पढ़ रही हूँ.जब से इस ब्लॉग के बारे में मुझे पता चला.........जब भी मैं वक़्त निकाल पाती थी रवीश के पहले के भी पोस्ट पढ़ती रहती थी ...........बहुत सारे आर्टिकल हैं जो बहुत ही बढ़िया हैं ....पर मैं कमेंट करना आजकल शुरू करी हूँ ..... रवीश जी से रवीश तक आने में मुझे भी थोरा वक़्त लगा था .......आप तो जानती हैं,हम ऐसे ही होते हैं....
बहुत सरे लोग होंगे जो लम्बे वक़्त से फॉलो कर रहे होंगे.......जब रवीश की रिपोर्ट आती थी मैं घर में सबको दिखाती थी..मुझे अंदर तक परेशां कर जाती थी. आपको कभी मौका मिला तो देखिएगा . you tube में सब नहीं है.NDTV की साईट पे रवीश कुमार का पेज है उसपे प्राइम टाइम,हमलोग,रवीश की रिपोर्ट ,स्पेशल रिपोर्ट की 550 से ज्यादा एपिसोड उपलब्ध है.
सभी कमेन्ट पढ़ा,अच्छा लगा,एक एसा क़स्बा, जहा अलग दुनिया रहती है.एक रोमांटिक दुनिया जहा ,ऑफिस ,ट्विटर, फेसबुक,गंभीर लेखन ,यहाँ की विशेसताये है मुद्दों पर बहस करना यहाँ का फैसन है यह वर्ग न्याय की बात करता है ;न्याय होता ही नहीं तो न्याय कैसा ??राजनीति क रस्ते एक छोर पकड़ कर चलते है ,,, आप ने भी एक छोर पकड़ा है जबकि उद्देश्य एक है
अनीता मैडम ''''''आप की ब्लाइंड सुप्पोर्टर,,,trevelling ac first class??????????एक ac first class टिकेट से कितने स्लीपर क्लास के लोग यात्रा क्र सकते है,,,,six persons....
ravish ji,ap kabhi media ke bare me q nhi likhte... ...naam nhi lena chahunga aise news channels ka... ...
...iss par ap bhi apne vichar rakhne chahiye....
hi नीलू अच्छा लगा कि आपको मेरा लिखा पसद आया | में कौन हु इससे क्या फर्क पड़ता है |हम लोग एक द्सरे को नहीं जानते अच्छा ही है | शायद रवीश भी हम लोगो को नहीं जानते | इस अनजानेपन में जो जान पहचाह छुपी है वही तो इसकी सच्चाई है | और जब हम एक दूसरे को जान गए तो संकोच कैसा ! अमृता टाइम निकलर सही में जरुर देखूंगी | और खासकर इसलिय देखूंगी के तुम ने कहा है |
विजय ब्लाइंड सुप्पोटेर होने का मतलब ये नहीं है की में फर्स्ट क्लास में आना जाना छोड़ दू | वैसे भी टिकट ऑफिस देता है | पर सच कहु तो येही सोच बदलनी है | गांधी जी के सुप्पोटेर का मतलब नहीं की आप सिर्फ धोती ही पहने | अभी अभी आप लोग से दोस्ती हुई है | बहस में पड़कर इसे ख़राब नहीं कारन चाहती | और लिखने लगूंगी तो फिर ये लम्बा हो जायेगा | आज अपने को रोक रखा है | फिर वही कहूँगी अच्छा लगा रहा है आप सबसे मिलकर |
हम इस प्लेटफार्म पे बीना किसी स्वार्थ के एक दूसरे से जुड़ते हैं ,इससे अच्छी बात क्या हो सकती है!
एक केजरीवाल के बस की बात नहीं हैं। बहुत सारे केजरीवाल चाहिए। अभी हमें।
SIR AAPKA TWITT PADHA THA KI ISTEFE KA YE MATLAB NHI HOTA KI HUM ZIMMEDARI SE BHAG RAHE HAI ISTEFA TO SHASHTRI JI NE AUR ATAL JI NE BHI DI THI...padh ke accha laga, aapko sunke aur dekh ke padh ke aaj bhi aisa jarur lagta hia ki kuch to hai media me jo sahi me ek apne taraf se kosis kar raha hai dekh raha hu ki aaj kal media bahut hi chalaki se arvind ke baare me ulta sidha dikhana suru kar diya hai. aapne wo iitdelhi ke meeting me shi kaha tha ki media ke sahare rahoge to kab muh ke bal giroge pata bhi nhi chalega...aapki baate sochne pe majboor karti hai kuch to hai jo andar tak jaati hai aur kayi bar bilkul hi bichlit ho jata hu lekin kya karu sir hum wahi log hai jo padosi ke ghar bhagat singh chahte hia baat to sab kuch badalne ki karte hai but wo badle koi ravish kumar ya arvind kejriwal hum nhi hume to bas bana banaye khane me aur kisi ke honesty pe kichad uchalne me maja aata hai, hum wo hai jo waqt ke saath badalte hai prakati ka niyam keh ke but prakirti hume jin mulyo se bandhti hai kabhi us pe charcha nhi karte hai...aapke blog interview aur pt ki bahut sari bate hai jo humesha sach lagti hai aur bahut hi gehrai se kahi gyi hoti hai jaise aapne kaha tha ki koi ravish kumar agar bolne wala hai to us se itna question karo ki samne wale ko ye lage ki sach me chor ayhi hai esi tarah se agar koi Arvind hia jo es burai se ladta hai to usko itna ghasit do ki wahi galat lagne lage...sach me sir you tube pe jitni bhi baar aapka madhu ji ke saath can you take it ravish dekhta hu utni bar dil se aawaz aati hai ki aapki ek ek baat sach hai aur jiske dil me thodi si bhi imandari ahi usko impresskarti hai, sir aap hume bahut hi motivate karte ho pichle 2.3 year se aapko dekh raha hu kabhi tv pe to akbhi blog pe but aaspki bato pe soch ke reh jata hu jawab nhi hota aapke sawalon ka aur bas padh ke khud ko itna tassali deta hu ki mai khud wo na karu jo dusro me galat lagta hia....har din qasba pe 2 baar aana hi hota hia aapko dhundhte hue ki shayad aapne ab koi nya post likha hoga padh ke dil ko sakun milta hai.shukriya
Dear Ravish Kumar ji lajawab our bahut hi balance blog ..
अनिता आपकी कॉमेंट अच्छी लगती है आपको थॅंक्स की आपके बताए लिंक के कारण मै भी हिन्दी मे आज लिख रही हूँ मै भी रविश के ब्लॉग की नियमित पढ़ती हू.मै भी ट्विटर पेर रविश जी को ही सबसे पहले फॉलो की आपकी तरह और आपकी तरह ही केजरीवालजी की ब्लाइंड सपोर्टर हू अच्छा लगता है जब एक तरह के विचार वाले लोग मिल जाते है एक बार फिर से लिंक के लिए थॅंक्स
वेसे तो मैं किसी पार्टी या व्यक्ति को सर्वेसर्वा नहीं मानता ।लेकिन जब आज किस पर भरोसा कर सकते है। ये सवाल मन में आता है तो वह aap ही है। क्यों की cong या bjp को बहुत अवसर दे चुके है।
अनीता जी मै आपके विचारों का सम्मान करता हु ,,,,गाँधी जी ने इसलिए आधी धोती पहनना सुरु किया कि देश गरीब था कपड़ो की कमी थी उस समय यही जनता का नसीब था जिसके लिए गाँधी जी लड़ाई लड़ रहे थे ,,,,आम आदमी की लड़ाई लड़ने वालो को पहले आम आदमी की तकलीफ जननी होगी .....'ब्रह्म राक्षस' बनने से अच्छा पडोसी या जरूरतमन्द की मदद अच्छी है
जब तक अंजाम देख ना लेंगे तब तक अरविंद का support करेंगे . सच देखने और समझने के लिए मुझे किसी दूरबीन की ज़रूरत नही. ऐसा भी नही की मे कोई fanatic हू किसी का या अंधभक्त हू . जो लोग hopeless है वो कभी भी अरविंद को support नही करेंगे, वो बार बार यही बोलेंगे 'अरे कुछ नही हो सकता' और कूड़े - कचरे जैसे लोगो से संतुष्ट रहँगे. मे हमेशा नया और बेहतर खोजने की कोशिश मे रहता हू. लोग टीवी और मोबाले खरीदने जाते है तो ज़रा कोई बेतुका सा feature भी कम हुआ तो reject कर देते है, बाकी सब जो इतना important है उसमे सब चल कैसे जाता है.
कविता बहुत बहुत धन्यवाद | सच में पढ़ा तो एक सुकून सा लगा | लग रहा था मुझे ही aap का पागलपन चढ़ा है पर मेरे जैसे बहुत है |और भी अच्छा लग रहा है कि लिंक लोगो के काम आ रहा है | और अब में इस लिंक में फ़ास्ट टाइप भी कर पा रही हु | कुछ गलतियाँ भी कम लग रही है शायद इसकी अब आदत पड़ जायगी |
पर सोच रही हुँ कि क्या रवीश के ब्लाक में सब aap हो गया है | पर रवीश अचानक एक ख्याल आया है | अगर हम कमेंट करने वाले यूनाइट हो जाये और स्ट्राइक पर चले जाये तो क्या होगा | सीरियसली यह सोचिये ???? अजीब अजीब ख्याल आ रहे है | अगर लिखने लगु शायद १० पेज भर जायेगा | पर सोचा है कमेंट छोटा रखूंगी | शायद आप ही इस पर लिखे |
कविता एक बार फिर से धन्यवाद की तुम्हारे कारण में फिर से ब्लॉग पर आ गई | सच कहु तो लग रहा था इतना नहीं कमेंट करना चाहिए | कुछ ज्यादा ही हो गया है | पर चलिए इस बार सही !!!
विजयजी "आप" का समर्थक होने के लिए साइकिल se या पैदल चलना जरूरी नहीं है . उसका समर्थक Airbus-380 वाला भी हो sakta hai. अनीता जी ne फर्स्ट क्लास का इस्तेमाल, उस क्लास सफ़र करने वालों के मनःस्थिति को रेखांकित करने के लिया कीya . इसमें दिल पे लेने वाली कोई बात नहीं hai. सन्डे के दिन इतना व्यस्त दिनचर्या के बावजूद अनीता जी आपने तीन बार प्रतिक्रिया व्यक्त kee. आपके muhale में काम waliya नहीं है kya.
2.यह Hindustani भी बड़े अजीब होते hai. भाई कोंग्रेसी ५० साल से राज कर रहे हैं उनसे हिसाब नहीं माँगा , शीलाजी १४९५ दिन shashan में रही उनसे कभी हिसाब नहीं माँगा बेचारी कजरी बाबू ४९ दिन में क्या कर देंगे " वोह तो हर रोज रूलाते हैं घटाओं की तरह हमने इक रोज रुलाया तो bura मन gaye"
3. दूसरी लाइन क़स्बा परिवार की janib" कहीं तो यह दिल कभी mil नहीं pate, कहीं से निकल आये जन्मो के नाते /बड़ी थी उलझन पर अपना मन ,अपना भी होके सहे दर्द paraye- Yogesh. सासुजी को pranam कहियेगा aaj क्या है कि मूड बहुत अचछा hai. सोनपुर के रिमझिम ढाबे से मछली leke aaya hoon बस चावल kee seetee मारनी hai.
4. अनीता सिंह जी, अपने देश में बहुतायत ऐसे logo की hee है " बिना पेंदी का lota"
सॉरी विजय जी कमेंट करते समय तक आपका कमेंट नहीं पढ़ा था | और महेंद्र जी आपका भी बहुत बहुत धन्यवाद पर अब कोई कमेंट नहीं ..........
केजरीवाल बाबा की जय ??????????????????????????faith and belief,not reason??????????
Hamesha ki tarah lekh se sahmat.
log hme arvindji ka blind suppoter kehte hai..lekin sachhai to ye hai ki log BJP ke blind suppoter hai…unko bhrstachar , system ,kaun kitna beiman hai kuch lena dena nahi hai….unko samjha pana mushkil hai,,,,kai bar koshish ke fact ke sath samjhaya ..wo bhi sahi mante hai..lekin vote to bjp ko hi dege..me unse kehta hu bhai mere ya kisi ke kehne per arvind ji ko vote do...pehle ache se jach lo parakh lo sabhi ko phir vote do...per lagta ye nahi badlege ..isiliye mene unse discuss karna hi chode diya
रवीश दा... कल का 'हम लोग 'देख कर बहुत निराशा हुई। अरिंदम चौधरी जैसे लाखों रुपये ले कर फर्जी डिग्री बाटने वाले शख्स को आम आदमी का प्रतिनिधि बना कर बैठा दिया।वह कितने बड़े नकली आत्म-घोषित बुद्धजीवि हैं इसका प्रमाण उनके परमाणु ऊर्जा सयंत्र के बारे में दिए गए पुराने बायनों से पता चलता है। परमाणु ऊर्जा विभाग से जुड़े होने के खातिर पूरी जिमीदारी से कह रहा हूँ, अगर आप मुझे ईमेल बता दें तो सबूत भी दे सकता हूँ। मेरा ईमेल है। मैं "आप"का समर्थक हूँ और मुझे बहुत ख़ुशी होती है जब उनकी आलोचना होती है क्यूंकि यही बातें उन्हे और परिपक्व बनाएंगी । पुरोषत्तम अगरवाल जी ने जो मुद्दे उठाए वह काफी हद तक ठीक हैं और समय आने पर मुझे उम्मीद है कि उन्हें निराशा नहीं होगी। आप से प्रार्थना है की प्राइम टाइम और हम लोग में लौट आइए।
मेरा ईमेल है srivastava801@gmail.com
विजय सोचा था कमेंट नहीं करुँगी | पर ऐसा लग रहा है आप मेरी शराफत को मेरी कमजोरी समझ रहे है | ब्लाक पर कई दिनो से हु पर रवीश का इंट्रो कल पढ़ा | पता नहीं क्यों कमेंटबाज शब्द अजीब लगा | लगा जैसे हम सड़क छाप मज़नू हो | सोचा कम कमेंट करुँगी | कमेंटबाज नहीं बनुगी | पर आपने मजबूर कर दिया |अब अपनी दोस्ती का हनीमून पीरियड ख़त्म | कहा न AAP कि सुप्पोटेर् हु और हेड ऑन collision के लिए तयार हु | रवीश अब मुझे झेलो में पूरी तरह कमेंट बाज बन गई हु | हो सकता है जल्दी ब्लॉग का स्पेस बढ़ाना पड़ेगा |
विजय, बच्चपन में मेरी माँ मुझे थेथर बुलाती थी | मतलब ढीट | सोचा ये थेथर शब्द का मतलब खोजू | पता चला एक पौधा है जिसको जितना भी काट लीजये वो फिर उग आता है | इसी थेथर शब्द का इस्तमाल आज कल हम लोग मतलब मेरा परिवार एक दूसरे रूप में खूब कर रहा है और वो है थेथरोलॉजी | जब भी टी वि पर कोई बकबास करता है हम सब उसे कहते है क्या थेथरोलॉजी दे रहा है |
पता नहीं क्यों आपका कमेंट भी इस थेथरोलॉजी का पार्ट लग रहा | और ये भी जानती हु में कुछ भी दलील दू आप फिर कोई और थेथरोलॉजी के साथ आ जाय़ेगे | तो में ये क्यों लिख रही हु | आप के लिए नहीं | पर उन लोगो के लिए जो पढते है शायद सुनते भी है | मैने प्रेसिडेंट के साथ जिस मीटिंग के बात की थी उस मीटिंग में मै बिलकुल अकेली पड़ गई थी | सिर्फ एक दो ही दलील दे पाई थी | वैसे भी आप बॉस से कितना बहस कर सकते है | मीटिंग के बाद अपने ऊपर दया भी आ रहा था | पर कुछ दिन पहले मेरे दो मेंबर मुझे मिले जो उस मीटिंग में थे | और मिलते ही कहा हम आपकी बात से पूरी तरह सहमत है | अरे ये क्या ? में तो सोच रही थी क्यों बोला और ये मेरे साथ ! अजीब लगा वो मीटिंग में चुप थे पर अच्छा भी लगा की वो मेरी बात समझ रहे है | में जानती हु में अपने प्रेसिडेंट क़े विचार नहीं बदल सकुंगी शायद वो भी मेरी तरह ब्लाइंड सुप्पोटेर् है | पर कोई तो मेरी बात सुन रहा था | मेरा बोलना बेकार नहीं गया |
विजय अगर आप की थेथरोलॉजी का जबाब थेथरोलॉजी से दू तो कहूंगी अगर आप मोदी या राहुल क़े सुप्पोटेर् है या इन में से किसी एक की भी सुप्पोटेर् है तो प्लीज शादी मत कीजिये | क्यों ???? अरे आप इनके फोल्लोवेर है न ! क्या बकवास है! यही सचाई है | हम अपनी बातो को सिद्ध करने के लिए कुछ भी बोले देते है कुछ भी ! आप ने सही कहा गांधी जी ने कपडा कम पहना क्योकि देश में गरीबी थी | पर कुछ चीज़े सिंबॉलिक होती है | एक गांधी की कम कपड़े पहने से कितने लोगो को कपड़ा मिल गया ! अगर प्रैक्टिकल हो कर कहे तो शायद एक को क्योंकि गांधी जी एक ही जन का कपड़ा पहन सकते थे | पर इसका असर लोगो पर हुआ | और बहुत बड़े पयमाने पर | पर सोचिये अगर सब गांधी जी की तरह कम कपड़ा पहनते तो कैसा लगता अजीब सा लगता है सोच कर- पूरा देश अध् नंगा दिखता है |
में आपके विचार से पूरी तरह सहमत हु कि आम आदमी कि लड़ाई लड़नी है तो आम आदमी कि तकलीफ जाननी होगी | और आम आदमी की सबसे बड़ी तकलीफ कि उसको पता ही नहीं है उसको कैसे लुटा जा रहा है | उसे तो अपनी घर गृहति से ही फुरसत नहीं है | नेता उनको बेवकूफ बना रहे है और ओ उसी नेता का गुणगान कर रहे है | चीजे इतनी प्लांड वय में होती है की कुछ पता ही नहीं चलता | वो अपनी मोबाइल tarrif के एक रूपए कम होने से इतना खुश हो जाता है कि उसे उसके पीछे का अरबो खरबो का सौदा नहीं देख पता | ये एक ऐसा चक्रवुः है की जिसमे जीतन घुसिए उतनी ही घबराहट होती है | हम बेवकूफ बन रहे है क्योंकि लोग यानि हमारे नेता लोग हमे बेवकूफ बना रहे है | और बेवकूफ हम सिर्फ पैसे या डर से नहीं बनते कई बार प्यार से भी बन जाते है | इस पर जरुर सोचिये | ब्लाइंड सुप्पोटेर् होने के कारन भी बनते है |
अगर में फर्स्ट क्लास में नहीं भी ट्रेवल करू तो क्या हो जायेगा ? कुछ भी नहीं | में अरविन्द केजरीवाल नहीं हु लोग मुझे नहीं देख रहे है | और किसी कि तकलीफ जानने का का मतलब ये नहीं होता है आप तकलीफ सहते रहिये | कई बार हम दुसरो कि तकलीफो से भी सिखाते है | अच्छा ये नहीं हुआ कि फर्स्ट क्लास के कुछ लोगो को आम आदमी के मुस्किले बता पाई | मै तो इससे खुश हु | आज चाह कर भी नौकरी नहीं छोड़ सकती | अपने ऊपर हम लोगो ने एक दिखावे की जिम्मेदारी का बोझ ले रखा है | एक घर, एक घर हुआ तो दूसरा घर, दूसरा घर हुआ तो दुकान | पता नहीं क्यों लगता है कि बुढ़ापे को सुरक्छित करने की लिए हम अपने वर्तमान से इतना क्यों खिलवाड़ कर रहे है | पर खैर जो है सो है | जहाँ हु जिस जगह हुँ कोशिस कर रही हु कुछ करू और अब अपने से कुछ संतुट भी हुँ |
लिखने मे समय का पता ही नहीं चलता है | अब बंद करती हु | विजय एक रिक्वेस्ट है जो भी दलील देना पर हो सके तो logically देना | जब कमेंट बाज बन ही गयी हु तो कमेंट से डरना कैसा | एक मीटिंग में जाना है पता नहीं कब आ पाऊँगी | पर नौ बजे से पहेले जरुर आ जाउंगी | पहली बार रवीश को प्राइम टाइम सीरियसली देखूंगी | देखती हु रवीश आप सही में अच्छे है कि लोगो ने आपको चढ़ा दिया है | और हा तैयार रहिये में AAP कि ब्लाइंड सुप्पोटेर् हु आप कि नहीं !
अच्छा जबाब दिया आपने अनिता.मेरे भी ऑफीस मे एक नेता के फॉलोवर काफ़ी लोग है|मै और कुछ तो नही कर सकती लेकिन लोगो तक सही बात समझा तो सकती हू.अपनी बात जब सही तरीके से रखती हू तो कुच्छ प्रभाव तो ज़रूर पड़ता है .कुच्छ लोग तो कुच्छ सुनना ही नही चाहते है.उनका मानना है की बड़ा चोर से अच्छा छोटा चोर है .अब आप क्या कहेंगी.खैर आपके विचार जान कर मुझे भी नॉलेड्ज एक्सट्रा मिल गई. आप बहूत ही अच्छे तरीके से अपनी बात रखती है.ऐसे ही कॉमेंट की आपसे उम्मीद करती हू.
agar rajniti mein parivartan laana hai toh arvindji ka aana bahut jaruri hai.....sirf dilli ke election se itna fark pada hai toh desh ke election se kaafi sudhaar aaega...acchi chhavi wale netaon ka naam bhi sun ne milega.. lekin ek baat khha jaati hai ki brashta netaon ki tadaat zyada hai aur woh sab ab saath dikhai padne lage hain ...ekta mein shakti hoti hai na... ye woh sab jaante hain....isliye jo immandaar hain unka bhi ek hona bahut jaruri hai....agar aaj middle class/ service class ko arvind ke baare mein second thoughts aane lage hain toh ye aur kuch nahi bs cong-bjp ki chaal kambayab hoti dikhti hai....woh jaan laga denge ki arvind is system se bahar rahe ....aur unhe defame karenge....par jo arvind se jude hain woh jaante hain ki agar desh ko bachana hai toh political system ka sudhaar sabse jaruri hai.....law and order strong karne ki jarurat hai jo ek acche political leader se hi hoga..
Anita jiiii. Aapko pad ke b wahi feeling aaaai jo ravish jii ko pad ke aai.. main to qasba ke post ke sath sath comments hamesha padta hu... kitna kuch bhara hai hamare man me naa...likhte rahiye..
Hahahaaa..anitaa jii... main ab har post par aapke comment dhund raha hun...seriously (aapka wala seriously) padke maja aa raha.or sabse jyada tab jab har dusre comment par aap likhte hain ki likhne ko bahut kuch hai..
Likhte rahiye..or han main b kuch dino se AAP hone laga hun..
Mujhe lagta hai jo insaan agar rajneeniti ke bare me sochta ho or kahe ki main kisi party ko follow nahi karta- meri najar me wo jhoot bolta hoga..raajneenti me aapka kisi na kisi party se connection ho hi jata hoga..personal experience hai...
Aap aise hi lamba wala likhte rahiye....or meri pasandida line jarur daaliye- "likhne ko bahut kuch hai"...hahaha
अनीता जी, आप तो छ गईं........सीरियसली आप को पढ़ के बहुत ही अच्छा लगता है....
और हाँ, पिछले पोस्ट में अखिल राज जी ने एक लिंक भेजा था google input tools का . आप उसे यूज़ कर रही हैं क्या .....उससे हिंदी लिखना बहुत ही आसान है....
अरविंद के सफल होने से क्या बुरा हो जाएगा ये सोचिएगा .. साथ साथ ये भी सोचिएगा की आप लोगो मे स्थूलता और स्थिरता इतनी आ गयी है की एक नया experiment करने की भी हिम्मत नही है. वैसे भी यहा के लोगो को कॉपी करने की आदत है , experiment करने का culture ही नही है. वैसे ज़रूरत क्या है अमरीका और यूरॉप मे जो चीज़े बनती है , हमे तो मिल ही जाता है ना.
this is my first comment here..and only to thank Anita jha..kamal hai ..ek ravish ke blog mai kitne ravish bahar nikal ke aa rhe hai ..bahut khoob..anita ji "tether" meri maa ka bahut common word hai..aapne to usse kisi aur level pe hi laa diya..bas ye hindi likhne wali problem hai ..warna shuru to hum bhi hona chahte hai ..ekddum ..head..on ..ek aur blind supporter !!
aisa mauhal ho gaya ab ki poochiye mat..anita ji ne humko bhi kooda diya hai ..lijiye humne bhi likh dala..http://talk2avi19.blogspot.nl/
कविता बिलकुल सही कहा अगर हम अपनी बात सही तरीके से रक्खे तो लोग सुनते है और समझते भी | पर हमे अपने में एक और आदत डालनी है और वो है सुनने कि | कई लोगो को देखती हु वो अपनी बात कहने में इतने इक्छुक होते है की सुनने को तैयार ही नहीं होते | जब हम दुसरो को सुनते है तभी तो सही ढंग से जबाव भी दे सकते है | मेरे विचार से आपको क्नोलेज मिला, मतलब मेरा लिखना सार्थक |
अमृता पता नहीं तुम हमेश मुझे सोचने को मज़बूर कर देती हो | अखिल राज का लिंक देख था सोचा ट्र्य भी करुँगी पर जब लिखने लगी तो वही पुराण लिंक ले लिया | और जब तुमने कहा तो सोचा ट्र्य क्यों नहीं किया | अभी भी पुराने लिंक पर ही हु पर अगला लेख उसी से लिखूंगी | हम सबो की मनोदशा ऐसी ही है हम कुछ चीज़ जानते है समझते भी है पर पता नहीं क्यों हे उस पुराणी चीज़ के इतनी आदत पढ़ जाती है की छोड़ना नहीं चाहते | येही हाल आज कल देश के मौहोल का है | लोग दुविधा में है जानते है समझते भी है पर ट्र्य करने से डरते है | एक अमृता के जरूरत है जो कह दे लिंक अच्छा है और देखिय लोग पुरे विश्वास से नय लिंक पर काम करना शुरू कर देंगे |
विजय पवार ( अब दो विजय है ना ) आपको मेरी लेखनी में रवीश की झलक आई ! रवीश आपका कपटेटर आपके ब्लॉग में ! ये बहुत बड़े खतरे की घटी है ! वैसे सी सोच रही हु क्या आप ब्लॉग में हमे ब्लाक कर सके है | पक्का पता है जबाब नहीं आयेगा पर आज अपने वेबसाइट वाले से पूछूंगी | और विजय में लिखती रहूंगी | क्यों ? क्योकि मेरा लिखना विजय को अच्छा लगता है !!!!
अविनाश आप हिंदी में लिख सकते है | कोशिश कीजिये रोमन में लिखंगे और वो देवनागरी हो जायेगा पर अब नय लिंक को ट्र्य कर बोलूंगी |और आपने मेरे कारण ब्लॉग पर कमेंट किया और अच्छा लगा | पर सही में मातृ भाषा की कुछ शब्द बहुत अच्छे लगते है | एक शब्द है बासी में अपने नॉन बिहारी दोस्तों को इसका मतलब तो बता देती हु पर भाव नहीं दे पाती | बासी- पुराना , नहीं वो बात नहीं है |
रवीश आप मौनी बाबा है बने रहिय हमे बात करने के लिए दोस्त मिल गए है| घर में जिसके लिए में दरवजा जरुर खोल दूंगी | सोचा था मोदी वाले लेख पर लखूंगी पर अब ऑफिस जाना है नहीं तो देर होजायेगी | और ये क्या अपने तो राहुल पर भी लिख दिया | पर में मोदी पर लिखूंगी वैसे भी AAP का मुकाबला मोदी से है राहुल से नहीं | पर पता नहीं कब लिखूंगी आज भी मीटिंग और वही देर वाली मीटिंग | पर अब सच में मीटिंग अच्छा नहीं लगता हर बार एक ही दलील | मन करता है सिर्फ AAP पर बोली और लिखू | पता नहीं में AAP की बात सही तरीके से लोगो तक पंहुचा पा रही हुँ कि नहीं | कोई बात नहीं कहा ना हम ब्लाइंड सुप्पोतेर है | अपना काम कर रहे है |
वैसे आपका कल प्राइम टाइम देखा सीरियसली अपनी भाषा में कहु तो so so ..... था | wow !!!! नहीं था | वैसे आपका ईंटो कौन लिखता है | अगर अपने लिखा तो अच्छा था और किसी और ने तो उसे इस कमेंट बाज का मेसेज convey कर दीजियेगा गा |
बहुत ही अच्छा लग रहा है रोज नय दोस्त बनते जा रहे है | bye everyone till I catch you again .....
न किसी का पक्ष लेंगे न किसी के विरोध में बोलेंगे बोलेंगे तो सिर्फ एक आम आदमी के लिए की क्या देश एक आम आदमी की जरुरत पूरी कर रहा है या नहीं आप लोगो को नहीं लगता की सरकार सिर्फ अमीरों की और सरकारी कर्मचारियों तक सिमित है आप तो बड़े बड़े लोग है बड़े लोगो की बड़ी बाते
ARVIND JAROORI HAIN ! ''SADAGEE''
KO FAISON BANA DIYA ! SABHI IMANDAR
BAN RAHE HAIN . ARVIND KA FAIL MAR
JAANA BAHUT BADA NUKSAN HOGA .
UNHE HADBADANA NAHI CHAHIYE . YA TO SARKAR NAHI BANANA CHAHIYE THAA , YA
JAB BANA HI LIYA TO IMANDAR BANE RAHAKAR BHI GHAGH BANE RAHANA CHAHIYE THA !
आप और ndtv का अच्छा गठबंधन है......अब कोई तमा बुराइयों के बीच अच्छाई ढूंढे तो क्या किया जा सकता है? अरविन्द के जगह कोई दूसरा होता तो कहते पलायन कर गया ,वादें पूरे न कर पाने की डर से इस्तीफा दे दिया ,जनता को मझधार में छोड़ दिया ...पर क्या करें आप आपके समर्थक जो ठहरे...गलत करने के बावजूद भी आपकी गलत न
कह पाने की मजबूरी भी समझी जा सकती है...
अनीता जी , जब भी आप मेरे बारे में कुछ कहती हैं .....मुझे ढेर सारी पॉजिटिव इनर्जी दे जाती हैं.....
प्राइम टाइम में रविश का इंट्रो वही लिखते हैं......जो 4 से 7 मिनट का होता है....और सब उसपे फ़िदा हैं..
Sawaal to bhot saare hai. Main Ludhiana se hu.. Yaha bhi hawa to Arvind ji Ki hi hai coz bjp hai nahi akaali cong. Vs AAP hai....akaali cong ko,to,log vote,dekh Kr de chuke hai kuch naya hai AAP,main to mostly log,kejriwal Ki taraf jaa rahe hai maano ya na maano kuch to alag hai..fir b alochko ke swaal,bhot hai ye swaalo ke jvaab LS2014 hi dega... Par yuva josh,aur aam,aadmi to,AAP ke sath dikh,rha hai
केजरीवाल रहे या जाए पर अब लोग बोलने लगे है . बदलाव सबसे ज्यादा विरोध क्यों झेलता है , पता नहीं शायद हमे आदत हो गई है भ्रष्टाचार कि . मुझे लगता है कि हमारा वोट ही आप पार्टी कि ताकत बन सकता है , ठीक है ५ साल और सही . लोग अब केह रहे है कि समय कहा है , अरे! ६६ सालो में ये नहीं सोचा कभी ? शायद इस सोच कि वजह भी केजरीवाल ही है . मैंने कभी वोट नहीं किया था , पता था सब एक ही है कम बुरे को वोट किया भी तो क्या . पर शायद अब करुँ , अपने वोट में इतनी ताकत पहले कभी नहीं दिखी मुझे .
कुछ साथियो से भी बात हुई , केहने लगे आप पार्टी कौन सी अच्छी होगी इससे तो मोदी को ही चुनो, कयास पे भक्ति . बुरा लगा , कितनी मायूसी और नाउम्मीदी फैली है मेरे देश में . जो उम्मीद जगाता है उसे वोट न दो पर जिसका पता है कि बेईमान है उसे ही चुनो .
किसी को ईमानदार कहो तो भरोसा ही नहीं होता , जैसे न्यूज़ में आता है कि अब ये दिन २०० साल बाद आएगा . जंगल में मोर नाचा किसने देखा . शायद इसी लिए फिल्मो में नेताओ को ही विलेन दिखाते है , क्यों कि वो सब को पता है यथार्थ के करीब .
हेम जी आप भी मेरी तरह ब्लाइंड हो गए है प्यार में, में अरविन्द में तो आप मोदी में | मुझे कैसे मालूम ? आपका मोदी वाले लेख पर कमेंट देख | NDTV बाले सवाल पर तो रवीश जवाब दे ! दे या ने दे उनकी मर्जी पर मै तो अपने प्यार पर बोलूंगी | जब सरकार बनाई तो लोगो को दर्द हो रह था क्यों बनाई | कुर्शी के भूखे है और अब छोड़ दी तो क्यों ? ट्विटर पर एक कमेंट देखा था शेर अगर पीछे जा रहा है तो उसे पीछे जाना नहीं कहते वो बड़ी छलांग लगाने कि तैयारी कर रहा है मतलब एक स्ट्रेटेजी है | प्लीज समझो |
वैसे सही कहु तो ये पागलपन सही में बहुत ही अच्छा है | मै भी नहीं मानती थी जब कोई कहता था | पर अब जब हो गया तो समझ आ रहा है | ये कोई कितना भी बताये पर समझ नहीं आता जब तक सही में नहीं हो जाय | पर सीरियसली भगवान् से चाहती हुँ ये सबको होय एक बार ही सही | आपको भी ताकि जब लोग बताये तो समझ तो आय |
अमृता सीरियसली रवीश खुद लिखते है !!! मुझे तो डाउट है | आज कल कट पेस्ट और गूगल का जमाना है | और मेरा तो वैसे भी मीडिया पर भरोसा उठ गया है | पर तुम कहती हो तो मान लेती हुँ | बेनिफिट ऑफ़ डाउट दिया | आप भी क्या याद रखियेगा सर जी !!!!!
अनीता जी लोजिकाल्ली जबाब दूंगा,इंतजार कीजिये क्योकि मेरे कान और आँख खुले है.............क्याकि मई नहीं कहता की मुझे छोडकर सब चोर है ,क्योकि मई नहीं कहता की रिपब्लिक डे वकवास है,.......मुफ्त बिजली पानी का झोन्झुना देना मुझे देना अच्छा नहीं लगता है क्योकि यह भी एक प्रकार की रिश्वत है...राजनीत कभीं आदर्शो पर नहीं चलती अगर एसा होता तो गाँधी कभी कांग्रेस को ख़त्म करने की बात न करते , राजनीत शक्ति अर्जित करने का जरिया है,था और रहेगा . इतिहास, मनोविज्ञान सभी इस बात को प्रमाडीत करते है . केजरीवाल जी जिन अदरसो की बात करते है उनको आधार बनाकर कोई राजनीत हो ही नहीं सकती ..........टाइप नहीं कर प् रहा हु.......इंतजार कीजिये
Dear Anita ji
Please go to you tube and just search can you take it ravish kumar and you will know more about him. i also support blindingly arvind ji but due to lack of word and writing experience not able to debate here. but am sure arvind ji have change the flavor of politics and people are talking on corruption social deeds and responsibility. arvind is not just a name like m.k. gandhi he is also a idea with integrity with dignity. i love the way what he have done to our democracy. he is trying to change the game of politics.
Dear Anita ji
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विजय बहुत बहुत धन्यवाद कि आप ने कमेंट किया | मै जब भी ब्लॉग पे आती आपका कमेंट खोजती थी | जब नहीं मिलता तो निराशा होती थी | लगा शायद मैने आपको नाराज़ कर दिया और फिर उस लेख को आपकी नजरो से पढ़ा लगा सही में मैने कुछ harsh शब्दो का इस्तमाल कर दिया है | पर अगर आज आपका कमेंट नहीं देखती तो सही में आज या कल आपसे माफी मागती | हमारा देश लोकतंत्र है और लोकतंत्र के खुबसूरती ही अलग अलग विचारो में है | सब एक जैसा अगर सोचे तो सब गड़बड़ हो जायेगा | पर मेरे कमेंट से आपको अगर जरा भी दुःख हुआ है तो सीरियसली सॉरी | तहेदिल से सॉरी | मै इस परिवार की किसी सदस्य को तोढ़ने नहीं आई हुँ | विजय मै चाहती हुँ तुम मुझसे सवाल पूछो खूब पूछो | इसलेय नहीं की मै जबाब देना चाहती हुँ पर इस लिए की मै भी देखना चाहती हुँ मै कहा गलता हुँ | मै भी इंसान हुँ भगवन नहीं गलती कर सकती हुँ |
आपने सही कहा आप सबको चोर नहीं कहते, कहना भी नहीं चाहिए | हर कोई चोर नहीं हो सकता | पर मै अपनी बात कहु अगर एक संसथान मै १० व्यक्ति है तो उसमे दो भर्स्ट है, दो इमानदार और छे माहौल की हिसाब से ढलने वाले | ये दो ईमानदार और दो भर्स्ट लोग का आप कुछ नहीं कर सकते | आप इनको कैसा भी माहौल दे | ये नहीं सुधरेंगे | ये दो भर्स्ट आदमी का आप कुछ नहीं कर सकते | अरविन्द केजरीवाल क्या ? आप अरविन्द केजीरवाल का बाप ले आय ये नहीं सुधरेंगे | कोई न कोई रास्ते से ये अपना काम करेंगे | ऐसे ही वो दो ईमानदार व्यक्ति भी | इनके ऊपर आप कितना भी दवाब डाले ये अपनी ईमानदारी नहीं छोड़ सकते | ये नौकरी छोड़ देंगे पर अपना सिद्धात नहीं | पर मुझे चिंता उन छे लोगो कि है जो माहौल से बदलते है| ये वो लोग है जो अपने बॉस को देख कर चलते है | अगर इनका बॉस ईमानदार तो ये महा ईमानदार और अगर इनका बॉस बईमान तो ये महा बईमान होते है | एसे लोगो की लिए हमे अरविन्द कि जरुरत है | ये लोग अरविन्द को देख कर जरूर सुधर जायेगे | और अरविन्द ने कभी नहीं कहा सब मतलब सब भ्रस्ट है | आप उसका भाषण पूरा सुनिय उतना नहीं जितना टी वि पर आया है | अब तो यू टूबे का ज़माना है आप वहाँ पर देख लीजिये | पर उसने कहा बहुत भ्रस्ट है और सच मै मानिये बहुत भ्रस्ट है और यहा भी वही दस लोगो वाला फार्मूला है | छे अपनी पार्टी के लीये | पर आज भी हर पार्टी मै दो ईमानदार लोग मौज़ूद है और वो हमेशा रहेगे अरविन्द आय या न आए |
अरविन्द ने जिस दिन कहा की रिपब्लिक डे का क्या मायने है? उस दिन आपको पूरी बात सुननी चाहिय | वो किस सन्दर्भ मै कह रहा था | कई बार अगर आप किसी के बारे मै जानते है कि वो चोर है | और फिर वो ईमानदारी पर भाषण देता है तो कितना खोखला लगता है भले ही कितने अच्छी भाषा हो शैली हो आपको अच्छा नहीं लगता | जो लोग उसके बारे मै नहीं जानते वो उसकी तारीफ किये जाते है पर आपको उसकी हर बात थेथरोलॉजी नज़र आती है | अरविन्द भी इसी मनोदशा से गुजर रहा था | अरविन्द कुछ कोशिश कर रहा था कुछ करने कि और हमारे प्रिय नेता गण उसे नहीं करने दे रहे थे | और यही नेतागण रिपब्लिक डे कि दुहाई दे रहे थे | सही मै क्या मायने रह जाते है इस दिखवाय कि देशभक्ति का ! मेरे हिसाब से कुछ भी नहीं |
मैने कहा न हम अपने एक रुपए से कितनी खुश हो जाते है | और आप इसी एक रूपए को आप रिश्वत या झुनझुना कहते है | और कौन पार्टी ये झुनझुना नहीं देती | सोच रखा है किसी पार्टी की खिलाफ नहीं बोलूंगी | और सही मै नहीं बोलूंगी | आप जिस का समर्थन करते है आप उस पार्टी को प्लीज जानने कि कोशिस कीजिये | हम ४०० करोड़ आपको बहुत बड़ा लगता है | सच कहु तो इस अमाउंट का आधा तो मैने सब्सडी क्लीयरेंस इंडस्ट्री को पिछले साल अपनी आखो से होते हुय देखा है जब कि मै इस समुन्द्र मै बूँद भी नहीं हुँ | हम प्लांड वय मै इंडस्ट्री को मिलने वाले अरबो खरबो कि सब्सडी नहीं देख पा रहे | और ये हमारे नेता हमारे लिए नहीं अपने लिए करते है |
एक बात और करुँगी इस के पीछे कि स्ट्रेटेजी को हम लोग नहीं समझ रहे है | मेरे डैडी द्वारका में DDA फ्लैट्स में है | वह 99 % घर में वाटर मीटर नहीं है | मेरे डैडी सोसाइटी में एक्टिव है |कह रहे थे जब से अरविन्द ने वाटर सब्सिडी के बात कि है कई लोगो ने वाटर मीटर लगा लिया है | और पानी का ओवरफ्लो भी कभी हद तक कम हो गया | वाटर मीटर लगाया या नहीं लगाया मुझे फर्क नहीं पड़ता था पर पानी का ओवर फ्लो कम हुआ ये जान कर अच्छा लगा | कई बार लोगो के पानी के ओवर फ्लो को बताने के लिए में खुद ही लोगो के घर पर गई थी |एक बहुत ही casual approach दिखता था | सब एक फिक्स्ड अमाउंट दे कर जैसे पानी से मुक्ति | मेरा गोपाल (ये मेरे डैडी का सब कुछ है , शायद ये मेरे डैडी का पिता है अगर उम्र का फर्क भूल जाये तो , और जब डैडी उसे हर जगह अपना भांजा ही इंट्रोडके करते है जब कि खून का रिस्ता दूर तक नहीं है |और उसका surname भी झा है) ने कहा दीदी वाशिंग मशीन आज नहीं चलते है कल चलाएँगे तो पूछा क्यों तो बोला कोशिश करते है बिजली बचाने कि शायद हम ४०० से कम यूनिट इस्तमाल कर सके | हैरानी हु ये वही गोपाल था जिसे मै सुबह से शाम लाइट बंद करने के लिए कहती थी | ये ४०० मीटर कि सब्सिडी ने हमारे गोपाल पर इतना असर डाला | ये स्ट्रेटेजी जो मुझे दिखा मुझे नहीं लगा कि लोग देख पा रहे है |
एक बात और करुँगी इस के पीछे कि स्ट्रेटेजी को हम लोग नहीं समझ रहे है | मेरे डैडी द्वारका में DDA फ्लैट्स में है | वह 99 % घर में वाटर मीटर नहीं है | मेरे डैडी सोसाइटी में एक्टिव है |कह रहे थे जब से अरविन्द ने वाटर सब्सिडी के बात कि है कई लोगो ने वाटर मीटर लगा लिया है | और पानी का ओवरफ्लो भी कभी हद तक कम हो गया | वाटर मीटर लगाया या नहीं लगाया मुझे फर्क नहीं पड़ता था पर पानी का ओवर फ्लो कम हुआ ये जान कर अच्छा लगा | कई बार लोगो के पानी के ओवर फ्लो को बताने के लिए में खुद ही लोगो के घर पर गई थी |एक बहुत ही casual approach दिखता था | सब एक फिक्स्ड अमाउंट दे कर जैसे पानी से मुक्ति | मेरा गोपाल (ये मेरे डैडी का सब कुछ है , शायद ये मेरे डैडी का पिता है अगर उम्र का फर्क भूल जाये तो , और जब डैडी उसे हर जगह अपना भांजा ही इंट्रोडके करते है जब कि खून का रिस्ता दूर तक नहीं है |और उसका surname भी झा है) ने कहा दीदी वाशिंग मशीन आज नहीं चलते है कल चलाएँगे तो पूछा क्यों तो बोला कोशिश करते है बिजली बचाने कि शायद हम ४०० से कम यूनिट इस्तमाल कर सके | हैरानी हु ये वही गोपाल था जिसे मै सुबह से शाम लाइट बंद करने के लिए कहती थी | ये ४०० मीटर कि सब्सिडी ने हमारे गोपाल पर इतना असर डाला | ये स्ट्रेटेजी जो मुझे दिखा मुझे नहीं लगा कि लोग देख पा रहे है |
और ये क्या !! आप कह रहे है राजनीती आदर्शो पर नहीं चलती | प्लीज बुरा नहीं मानियेगा ये थेथरोलॉजी का पार्ट लग रहा | अरविन्द कहते है ना राजनीति हम सिखाएगी ये तो दलाली करते थे | सही कहते है अब तक देश मै सिर्फ दलाली चल रही थी | राजनीती सिर्फ और सिर्फ आदरसो से कि जाती है | और गांधी जी ने कांग्रेस ख़त्म करने कि क्यों बात कि फिर लम्बा हो जायेगा | अब थक गई हु लिखते लिखते |पर संछेप मै कहु तो उनका सिद्धांत था कि जिस पार्टी कि स्थापना भारत को स्वतंत्रा दिलाने के लिए हुए उसे जब अपना मकसद मिल गया तो ख़त्म हो जाना चाहिय | विजय इसे कल जारी रखूंगी | सीरियसली थक गई हु रवीश आपको भी कुछ कहना है पर कल | good night and take care.
आपका आभार अनीता जी की आपने मेरे कहे को माना। :P
ऐसे ही उकसाते रहिये रवीश जी को कभी न कभी तो करेंगे कमेंट। वेसे कहते है की सारे कमेन्ट पढ़ते हैं।
ओर हाँ # उन सभी को धन्यवाद जिनकी वजह से मैं भी हिंदी में लिख पा रहा हूँ। कितना महत्व बढ़ जाता है न हिंदी लिखे में।
मुझे तो ब्लॉग की दुनिया में दो मास्टरपीस लगते हैं- कस्बा के रवीश जी और लहरें में पूजा उपाध्याय जी। जहाँ रवीश जी को पढ कर दुनियादारी सीखने की कोशिश है वहीँ पूजा जी को पढ़ कर प्यार के अहसास की गरिमा पता चली।
रवीश जी मैंने यहाँ लगभग सभी लोगो को आपकी तारीफ़ करते देखा है लेकिन अनीता जी मुझे पहले शख्स लगे जो आपकी आलोचक हैं। और ये सबसे जरुरी था आपके लिए की आप और बेहतर करें। सच मानिये मैंने आपको तब ज्यादा पसंद किया था जब आप रवीश की रिपोर्ट किया करते थे। टीवी के रेगिस्तान में मीठे पानी का तालाब था वो।आपके द्वारा जीबी रोड की जिंदगी पर किये गए प्रोग्राम ने जिंदगी की प्रति मेरा पूरा नजरिया बदल दिया। तो कृपया समय निकाल कर उसे फिर से शुरू कीजियेगा क्योंकि ये ज्यादा अपीलीय है।
अनीता जी टाइम का आभाव है प्राइवेट जोब में हु,टाइपिंग भी धीमी है शनिवार तक इंतजार कीजिये.आप 'उदाहरण' और 'लोजी' बनाकर रखिये सब का जबाब है मेरे पास.
और एक बात आप की बातो को काटने के लिए मुझे किसी गुमराह करने वाली थियरी की जरूत नहीं.
अमित देखिये आप भी झा है | पता है जब मै स्कूल में थी पुरे स्कूल में एक भी झा नहीं था | अचानक एक दिन मेरे से सीनियर क्लास में एक लड़का आया जो झा था | अपने को रोक नहीं सकी चली गई उससे मिलने | कहा से हो किस गाव से हो | हम दोनों मैथिली नहीं बोल पाते थे | पर दोना मिथिलांचल से वाक़िभ थे | आज भी अपने उन रिस्तेदारो से लड़ती हु जिन्होने अपना झा हटा कर वत्स्य, भरद्वाज, यानि अपना गोत्र को उपनाम रख लिया है | वो कहते है तुम नहीं समझती झा से लोग बिहार का ब्राहण समझते है और में कहती आपको समझाना जाहिए | मेरी छोटी बहन ने किसी और caste मै शादी कि है पर आज भी वो अपना झा रखे हुई है | कई बार जरुरत होता है तो अपना और अपने पति दोनों उपनाम लगा लेती है पर झा नहीं छोड़ती | रवीश प्लीज इसे जात से मत जोड़िएगा | ये शायद मुझे अपने पिता कि पहचान लगाती है जो मै खोना नहीं चाहती | और अमित अगर आप एक आदमी पर भी असर डाल रहे है तो भी ठीक | ये मत सोचिये आप को एक्सपीरियंस नहीं है शुरू कीजिये एक्सपीरियंस भी हो जायेगा |
विजय ( पवार ) अच्छा लगा आपको पढ़कर | सही मै हमे अपने साथ आलोचक भी रखने चाहिए नहीं तो हम बहकावे मै आ जाते है | कई बार लगता है रवीश भी फुले जा रहे है लोग उनको इतना जो फुला रहे है | और आप उकसाने कि बात करते है इतना रिक्वेस्ट अगर मै सलमान खान से भी करती तो वो भी मुझसे शादी करने को तैयार हो जाता ( मै पूरी तरह safe हुँ मेरे पतिदेव ये ब्लॉग नहीं पढ़ते ) | खैर रवीश कोशिश जारी है | पर सीरियसली रवीश आपके परसो का प्रोग्रम्म below average था | अगर आपको जानने कि कोशिश नहीं कर रही होती तो चैनल चेंज कर देती | कई चीज तो बाउंसर थी सर के एक फीट ऊपर से निकल गयी | पर कल का अच्छा था means slightly above average | आज का देखते है कैसा होगा | पर विजय के कहने पर आपक जी बी रोड कि जिंदगी पर प्रोग्राम देखा और साथ मै newslaundry वाला इंटरव्यू | अपनी भाषा मै कहु तो too .....good ......| वो खाप पर लेडीज वाला जो आपने इंटरव्यू मै कहा - मैने खोजा नहीं मिला | पर खोज लुंगी | मतलब लोग कई जगह सही भी है |
विजय सही मै इंटरव्यू सुनते समय आपकी बात समझ आई | इंटरव्यू से रवीश को बहुत से करीब से जान पा सकी |लग रहा था मै रवीश को कॉपी कर रही थी | नहीं गलत रवीश मुझे कॉपी कर रहे थे | मैने तो उन्हे पहले नहीं सुना था | और कॉपी ही नहीं कर रहे है पर अच्छी स्ट्रेटेजी के तहत पब्लिसिटी भी ले रहे है | पर रवीश अच्छा लगा आप ने तो हमे सड़क छाप मजनू बाना दिया है पर आप तो actual मै सड़क छाप मजनू थे | श्रीमान ब्लॉगबाज़ ! आपने हमे कमेंटबाज़ कहा तो मै आपको ब्लॉकबाज़ कहूँगी | श्रीमान क्यों ? मेरी मर्ज़ी कुछ भी लगायूँगी | औरोतों के बारे मै आपके विचार अच्छे लगे | आपने मिक्सी कहा- मिक्सी नहीं मैक्सी बोलते है | देखिये आपको किसी ने नहीं कहा होगा | और है कॉपी करते रहिय मुझे, मैने आपके ब्लॉग के तरह कॉपी राईट अपने पास नहीं रक्खा है |
विजय (श्याम ) मै ने कहा न मेरी माँ मुझे थेथर कहती थी और सही मै थेथर हुँ | माँ तो अब नहीं है पर मेरी सास मुझे लबड़ी कहती है | जब भी मै उनसे बहस करती हुँ और जीतने लगती हुँ कहती है - दूर लबड़ी तोरा से नहीं बात कर्बाउ | मतलब मै जीत गई | वो शब्दो से नहीं कहती वो हार गई , कह भी नहीं सकती सास है न ! वैसे मुझे लगता है मैने काफी लिख दिया है और अब नहीं | नया आया तो फिर नया कुछ | वैसे भी आज मेरा मूड रवीश कि खिचाई करने का है | लोगो ने इतना चढ़ा दिया है कुछ धरती पे उतारना है |
श्रीमान ब्लॉगबाज़ अपने मीडिया पर लिखा है उसपर अगर लिखू तो आज रात छोटी पड़ जायेगी | पर आपने कहा न नेता हमे मैट्रिक पास समझते है पर आपकी मीडिया तो हमे दूसरी पास भी नहीं मानती | आप लोग को लगता है आप का जन्म देश कि सुधार करने के लिए हुआ है | पूरी धरती को अपने ऊपर उठा रखा है और आप नहीं होते तो हमे पता नहीं कौन लूट लेता है | नहीं विश्वास होता- आप अपने प्रोग्रामो और एंकर का प्रोमो देखिये | राहुल और मोदी इनके आगे छोटे नज़ार आते है | ध्यान आता है एक बार आपका भी देखा था NDTV के ऐड मै सब एंकर थे आप हाथ बांधे हुए विवेकांनद स्टाइल मै | याद है क्योंकि तब भी हशी आ रही थी | खैर मीडिया को आप मुझे से ज्यादा जानते है | बस एक रिक्वेस्ट है मीडिया हमे खबर दे विचार न थोपे | पहले तो सिर्फ प्राइम टाइम मै बहस बाज़ी होती थी अब तो जब टी वि खोलिए एक प्रोग्राम मै कुछ लोग और वही थेथरोलॉजी | खबर कहा गायब पता नहीं |
और है अब मै leave पर तभी कमेंट करुँगी जब AAP पर कमेंट आय या आपने AAP par लिखा | इतनी भी फ्री नहीं हुँ कि हर लेख पर लिखू न ही इतनी बड़ी आपकी फैन | प्रोग्राम भी देख रही हुँ और टाइप भी कर रही हुँ | ईंटो मै आज सही मै मज़ा आ गया | डाउट होता है आपने लिखा है | खैर जो भी हो सुनने मै अच्छा लगा | लिखते रहिये अच्छा लगता है पढ़कर |
अनीता जी नमस्कार मेरे कुछ अंतिम विचार .....आपके लिए ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
राजनीतिक दलालीः
हाँ अनीता जी, केजरीवाल जी सही कहते हैं, अब तक राजनीति नहीं दलाली होती थी, रानीति तो वे (केजरीवाल) सिखायेंगे। अब तक के हमारे नेता दलाले थे दलाली से ही अब तक भारत में लोकतन्त्र कायम है। बहुभाषी, बहुधर्मिक, बहुसांस्कृतिक भारत में लोकतन्त्र को जिवित रखना और एकता एवं अखण्डता को बनाये रखने जैसे महत्त्वपूर्ण काम इन दलालों ने ही किया है। 1950 के बाद विकासशील देशों में भारत एकमात्र ऐसा देश हैं जहाँ लगातार लोकतन्त्र कायम रहा, इन्हीं दलालो की बजह से। पं. जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुरशास्त्री, श्रमति इन्दिरागाँध्ी, राजीव गाँध्ी अटल बिहारी बाजपेयी, मनमोहन सिंह देश के सबसे बड़े दलाल रहे हैं, । चलो अच्छा है अब केजनीवाल जी आगये है और दलालों से मुक्ति दिलायेगें। वर्तमान पीढ़ी में ममता बनर्जी, मनोहर पर्किकर, शिवराज सिंह चैहान, डाॅ. रामन सिंह, नितिश कुमार भी दलाल है। अपने कौडर तथा ईमानदारी के लिए प्रसिद्ध तथा 30 वर्षों तक बंगाल में शासन करने वाला वाम कैडर भी दलालों की पफेहरिस्त को लंबा करता है। केजरीवाल की 21 दिनों की सरकार ने यह दिखा दिया कि वे दलाली नहीं करते राजनीतिक करते है।
राजनीति और आदर्श:
अनीता जी अपने कहा कि राजनीति आदर्शों पर चलती है। यदि वैश्विक स्वतंत्राता संघर्षों को छोड़ दिया जाय तो संसार का कोई भी राजनीति आदर्शवादी नहीं बल्कि व्यवहारिक रहे है। राजनीतिज्ञ, राजनीति को सत्ता प्राप्त करने का माध्यम मानते है, जिसमें वह अपनी नीतियों, विचारों को क्रियान्वित कर सकें। प्रत्येक राजनीति ऐसी नीतियाँ अपनाता जिसमें वह सत्ता में बना रहे, और अध्कितम लाभ प्राप्त कर सके। गाँध्ी जी इस सामान्य नियम को समझते थे इसलिए उन्होंने राजनीति में प्रवेश नहीं किया तथा कांग्रेस को समाप्त करने की बात कही। कांग्रेस राष्ट्रीय आन्दोलन की लड़ायी में सभी वर्गों,धर्मो, जातियों का प्रतिनिध्त्वि करने वाली संस्था थी, गाँधी जी जानते थे कि अब देश व्यवहारिक राजनीति के रास्ते पर जायेगा जहाँ आपसी टकराव,सामूहिक राजनीती के से रास्ते निकाल कर आगे बढे़गा।
राजनीति और स्ट्रैटजीः
हाँ अनीता जी प्रत्येक कार्य भी स्ट्रैटजी होती है राष्ट्रीय आन्दोलन में हमारे नेता अंग्रेजों से लड़ने की स्ट्रैटजी बनाते थे। आर्थिक विकास के लिए नियोजन की स्ट्रैटजी बनायी गयी। हमारे नेताओं सहित विश्व के सभी नेता चुनाव जीतने की स्ट्रैटजी बनाते हैं, आपने सही कहा कि केजरीवाल को भी ऐसी स्ट्रैटजी बनानी चाहिए जो सब पर भारी पड़े, परन्तु स्ट्रैटजी का जीतने में कितनी भूमिका होती है। यह समक्षना आवश्यक है? स्ट्रैटजी से ही चुनाव नहीं जीते जा सकते। स्ट्रैटजी का चुनाव जीतने में केवल 2 से 3 प्रतिशत भूमिका होगी अथवा स्ट्रैटजीबाज ही प्रधनमंत्राी बनतें। स्ट्रैटजी उनके लिए होती है जो समानान्तर होते है, न कि उनके लिए जो सबसे नीचले पायदान पर हो। केजरीवाल चाहे जितनी स्ट्रैटजी अपना ले, फिरभी भी वे आने वाले 20 वर्षों तक ‘समानन्तर की स्थिति में नहीं आ सकते है।
जरीवाल का उद्दभव ;
केजरीवाल संयोग की संतान है। विश्व एक आन्दोलन के रास्ते पर है जिसमें वैश्वीकरण के यंत्र (;तकनीक-ज्ञान-विज्ञान) ईधन का कार्य कर रहा है। यह आन्दोलन भ्रष्टाचार तथा लोकतन्त्र हेतु है। अरब देशों, थाईलैण्ड, स्पेन से लेकर लैटिन अमेरकी देशों की जनता भ्रष्टाचार तथा शोषण को समाप्त करने हेतु लोकतन्त्र की दूहायी दे रही थी। नयी पीढ़ी को सोसल मीडीया ने वह शक्ति प्रदान कर दिया जिससे वह टैंकों, बमों, बन्इको से डरने वाले नहीं थे। तानाशाहों को हटाना तथा अपने अध्किारों को प्राप्त करना, इन आन्दोलनों को ध्येय था। ये ऐसे देश थे जहां लोकतन्त्र का अभाव था, यदि कहीं लोकतन्त्र था की तो वह, धर्मिक लोकतंत्र या संरक्षित लोकतन्त्र के रूप में थे, इन देशों में लोकतन्त्र में लोकतंत्र को प्राप्त करना एक उद्देश्य था भारत में भी सोसल मीडीया में युवाओं ने जोश का संचार किया कि वे कोल आवंटन, 2 जी स्पेक्ट्रम में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलापफ उठ खडे़ हो। भारत में भ्रष्टचार के खिलापफ माहौल बनाने का श्रेय ‘कैग’ को दिया जाना चाहिए। ऐसी स्थिति में अन्ना जी का ‘जन लोकपाल आन्दोलन’ भारत में एक रोमांटिक सुहानी शाम लेकर आया जब देश भर के यूवा बिना किसी राजनीतिक दल की छतरी के इस आन्दोलन में सम्मिलित हए। जिसमें एक मैं भी था, साथ ही मेरे कई दोस्तों ने भी कुमार विश्वास की गायकी का आनन्द उठाया था। परन्तु इस आन्दोलन में सम्मिलित लोगों को यह उमीद नहीं थी कि वहाँ कुछ लोग इस ‘रोमान्टिक आन्दोलन’ का फायदा उठाने का प्रयास कर रहें है। परन्तु उन्हें मालूम नहीं था कि या रोमान्टिक केवल एक सामान्य दुश्मन ‘भ्रष्टाचार’ के खिलापफ है। जबकि राजनीति, समूह हित होती है और विभिन्न विचारधराओं से संचालित होती है। अंततः अरविंद जी ने अपनी पार्टी बनायी तथा कांग्रेस प्रचलित ‘आम आदमी’ के नाम चुनाव अपनी पार्टी के लिए किया। अततः चूनाव हुआ और आमआदमी पार्टी के आम आदमी सदस्यों ने जीत हासिल किया। जिस दिन चूनाव परिणाम आया मैने भी अपने दोस्तों को बधयी दिया कि यहाँ कुछ सकारात्मक बदलाव हो रहा है।
केजरीवाल के कारनामें:
चुनाव परिणामों के बाद किसी दल को बहुमत नहीं मिला, सभी दलों ने सरकार ने बनाने की बात कही। यह भारतीय राजनीति में पहली बार हो रहा था कि पार्टिया सरकार नहीं बनाना चाह रही थी यह चाहे लोकसभा चुनावो के भय से हो रहा था या फिर अपने चूनावी वादों के भय से। पिफलहाल केजरीवाल जी ने ‘एक चोर’ के समर्थन से सरकार बना लिया। यह भी एक महत्त्वपूर्ण तथ्य है कि यह भारत का पहला गठबंध्न था जिसमें दोनों दल एक दूसरे को नंगा करना चाहते थे।
1. सब्सिडीः
अनीता जी केजरीवाल के सब्सिडी की ‘रिश्वत’ को आपने उदाहरणों के माध्यम से समझाने का प्रयास किया था याद नही है,पर शायद अपने कुछ अपने पिता जी के अनुभवों के बारे में बताया था। पहली बात तो मैं यह स्पष्ट करना चाहता हुँ कि आप उदाहरणों का सहारा लेकर लोगों को गुमराह करने का प्रयास करती है। उदाहरण से सामान्य सतय कभी नहीं निकलते है। ‘उदाहरण’ एक ‘कुए में मेढ़क’ के समान है। जो कभी सागर की परिकल्पना नहीं कर सकते है। उदाहरण हमेशा एक तथ्य को इंगित करते है, जिसे सभी पर न तो लगू किया जा सकता है न हीं कोई निष्कर्ष निकाले जा सकते है। मैं आप से अनुरोध् करता हुँ कि आप इस प्लेटोनिक विधि को छोड़ दीजिए तथा अरस्तु के रास्ते पर चलिए ज्यादा तार्किक बसह कर सकेगी। बाद में यह आपके राजनीतिक कैरियर के लिए भी अच्छा होगा। खैर हम मुद्दों पर आते हैं- सब्सिडी रिश्वत है चाहे यह भाजपा द्वारा प्रदान किया जाय या कांग्रेस के द्वारा या आम आदमी पार्टी के द्वारा। सब्सिडी सार्वजनिक धन की बर्वादी है। जो सक्छ्म है उसे क्यों सब्सिडी दी जाय। सब्सिडी देने से भ्रष्टाचार में भी वृद्धि होती है। उत्पादकों द्वारा अर्जित धन को अनुत्पादकों पर कहाँ तक और कितना खर्च किया जाय यह बहस का विषय है, सामान्यतः इस बात पर सहमति है कि सरकारी धन सर्व भौमाशिक्षा, सर्वभौम स्वास्थय, तथा सामाजिक प्रावधनों का लागू करने हेत खर्च किया जा सकता है। परन्तु कोई भी सरकार या दल अपने तुकलगी चूनावी ऐजेडंको लागू करने के लिए सरकारी धन का उपयोग नहीं कर सकती है, यह जनता के खून पसीन की कमायी है।
धरना कांड ;
केजरीवाल ने अपने ‘राजनीतिक धरने ’ से लोगों को जागरूक बना दिया। उन्हें उम्मीद की थी वह ‘जनलोकपाल’ आन्दोलन वाल जादू कर सकते है, जिसमें सरकार घुटने टके दे परंतु ऐसा नहीं हुआ बदले उनके ही हाथ पाँव बस्त हो गये। घरने के पहले उन्होंने कहा कि आम जनता घरने में सम्मिलित नहीं होगी क्योंकि इसमें समस्याये खड़ी हो सकती है। जब उन्हें लगा कि केन्द्र सरकार उनसे समझौता करने को तैयार नहीं है तो उन्होंने जनता से धरने में सम्मिलित होने की अपील किया और चेतावनी दिया कि वह यहा जनसैलाब बहा देंगे। निष्कर्षतः कुछ नहीं कर पायें और अपने गुरू के प्रयासों से हज्जत बचा पायें।
दिल्ली की हैसियतः
‘दिल्ली’ के संवैधनिक दर्जे को लेकर केजरीवाल साहने ने जनता को खूब बेवकूपफ बताया है। वे कहते है कि दिल्ली की जनता ने मुझे चूना है तो शिंदे ;गृहमंत्राीद्ध कौन होते है मुझे निर्देश देने वाले। गृहमंत्रालय क्या है। अनीता जी आप उनसे पूछना कि क्या गृहमंत्रालय संसद के अध्ीन नहीं है? क्या संसद भारतीय जनता के अध्ीन नहीं है। अगर देश के किसी समूह में आपकों थोड़ा जनमत दे दिया तो क्या आप देश से बड़े हो गये। इस आधार पर कोई राज्य कह सकता है कि केन्द्र कौन होता है मुझे नियंत्रित करने वाला, मै केन्द्र के के अध्ीन नहीं हूँ मुझे स्वतंत्रात किया जाय क्योंकि मुझे स्थानीय जनता ने चुना है। बरहहाल, केजरीवाल की मंडली के ही एक वकील ने कश्मीर को अलग करने की माँग किया है। हो सकते है ये लोग देश को कई भागों में करना चाहते हो जहाँ की जनता माँग करें।
दिल्ली विश्वविद्यालय में आरक्षणः
दिल्ली विश्वविद्यालय समस्त देश केे लिए गौरव का विषय है, बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान जैसे राज्य हेतु यह विश्वविद्यालय पढ़ायी का सर्वोत्तम केन्द्र है। आदर्शी राजनीति की बात करने वाले तथा राजनीति दगें को दलाल कहने कहने वाले केजरी बाबू और उनकी मंडली हिन्दी पट्टी को इस विश्वविद्यालय से बेदखल कर देना चाहती है। यहाँ केजरीवाल महोदय 90 फीसदी आरक्षण लागू करना चाहते हैं।
थेथरोलौजीः
तर्को के बाजय शब्दों से प्रहार करने का अच्छा उपाय है आपका जिसें आपने अपने उदाहरणें से पुष्ट करने का प्रयास किया है।विरोधी को अंतर्मन पर प्रहार करने का अच्छा तरीका था
केजरीवाल पंथः
मुझे केजरीवाल पंथ की सदस्यों से सहानभूति है उन्हें कलियुग में भगवान विष्णु मिल गये है, जिनकी वंदना और मार्ग पर चलते हुए वे इनकी परम्पराओं (धरना , गाली, इत्यादि) को आगे बढ़ायेगें। इन्हे विवेक की जरूरत नहीं है क्योकि इन्हें भगवन का सानिध्य प्राप्त है
धन्यवाद
विजय बहुत ही अच्छा लगा आपको पढ़कर और भी अच्छा लगा जब देखा इतना लम्बा लेख | सही में समझ सकती हु कितना टाइम लगा होगा | पर सही में आपके जनून को भी सलाम कि आप आये | पार्टी या नेता के लिए ही सही | पर बुरा मत मानिये आप BJP के सुप्पोतेर है | क्यों क्योकि में हर BJP वोलो के इन सवालो कि आदि हो जुकी हु | हर जगह जाबव भी दे चुकी हु | और आज आपको भी दूंगी पर बुल्कुल संछिप्त में कोशिश करुँगी | रवीश आपके एक write up पर highest कमेंट कितने है मुझे लगता है इस पर सब रिकॉर्ड टूट चुके होगे | और highest का नहीं तो lengthiness का तो में 100 % sure हुँ सारे रिकॉर्ड टूटे होगे |
पर आपके सवालो का जबाब देने से पहले इतना जरुर कहूँगी कि जितना सवाल हम अरविन्द केजरीवाल से कर रहे है उसका अगर एक चौथाई हमने इससे पहले अपने नेताओ से कि होती तो आज देश कही और होता | जितना आपने अरविन्द को लेकर किया उसका सौ गुना ज्यादा में आपके नेताओ से कर सकती हु राहुल हो या मोदी | उनकी पालिसी पर या पालिसी नहीं निभाने पर | पर नहीं करुँगी कहा न सिर्फ मुद्दो पर बात करुँगी | कम से कम केजरीवाल पर सावल कर हमने सवाल तो करना सिख लिया है आपने नेताओ से | भले ही अभी हम इसमे अभी कुछ biased है | आप रवीश का "मोदी का संकेत और ........" ( २८ फरबरी ) पढ़े | रिटेल FDI पर AAM आदमी कि सरकार का कितना विरोध हुआ था | पर जब वसुंधरा राजे ने इसे किया सब बिलकुल चुप | रवीश अब अपने विचार मुझे आपके लेख में बिलकुल झलकते है, मै कई बार पहले लोगो को ये बोले चुकी हु | आपके कई पुराने विडियो मै भी लगा अरे ये तो मै बोलती हु खैर | मतलब साफ़ है अरविन्द ने किया तो शोरे मचाओ कुछ भी करो पर फिर फॉलो भी किया |
अपने पहले के नेताओ के बारे मै सही कहा है वो राजनीती करते थे | चाहे नेहरू हो या शास्त्री | और अरविन्द भी येही कहते है | मेने पूरा नहीं लिखा था उन्होने उस वाक्य के आगे कहा की राजनीति शास्त्री ने कि और शायद एक और नेता का नाम लिया था आप यु टूब पर देख सकते है |स्वतंत्रता संग्राम की बात देश मै राजनीती हुई वो राजनीती थी उसमे एक आदर्श था | और अपने जिस आजकल के नेताओ का नाम आपने लिया है वो दस मे से वो दो ईमानदार नेता है जो मैने कहा हमेशा थे है और रहेगे | हमे उन छह नेता के बारे मै सोचना है | और हा आपने कहा न की देश मै लोकतंत्र है| और हम विकाश शील देश है | इसमे अरविन्द या किसी का कोई योगदान नहीं हा न ही हमारे आज कल की नेताओ का | मै हमेश आपने दोस्तों को एक बात जरूर कहती हु " हमने अपनी डेमोक्रेसी को फॉर ग्रांटेड लेय लिया है " हमे इसकी कदर करनी जाहिए खासकर जब हम पाकिस्तान और बंगला देश को देखते है | पर हमारी आज़ादी को ६५ साल हो गए है और सिंगापुर जैसा छोटा देश भी हमसे कितान आगे निकल गया है | क्यों ? कभी सोचा ! नहीं !! प्लीज सोचिए बहुत जबाब इसमे मिल जायेंगे |
विजय मै फिर वाही कहूँगी राजनीति सिर्फ और सिर्फ आदर्शो पर होनी चाहिए | नहीं होती है मै भी मानती हु पर होनी चाहिए | आदर्श मतलब आपने जो कहा उस पर टिके रहिये | पर कौन उस पर टिकता है | हर नेता कहते कुछ है और करते कुछ है |नहीं विश्वास होता आप किसी भी पार्टी का मैनिफेस्टो उठा कर पढ़ लीजिय | और हम लोग पूछते भी नहीं क्यों किया क्योकि वो उस समय की जरूरत होती है हर पार्टी अपनी ज़रूरत के हिसाब से रंग बदल लेता है | और व्यवहारिकता मतलब ? व्यवहारिकता मतलब तो कुछ भी हो सकता है | मुझे अपना काम करना है तो मै उसके लिए किसी को पैसे दे देती हु | बिलकुल व्यवहारिक है हम दोनों को इसकी जरुरत है |आप इसे रिस्वत का नाम क्यों दे रहे है ! मतलब व्यवहरिकता गलत हो सकती है आदर्श नहीं | इसलिए प्लीज राजनीती आदर्शो के साथ और आदर्शो की लिए कीजिये |
और जहा तक स्ट्रेटेजी की बात है तो स्ट्रेटेजी अच्छी या बुरी हो सकती है स्ट्रेटेजी successful और fail हो सकती है पर हर चीज़ के पीछे स्ट्रेटेजी होती है | कुछ हमे दीखता है और कुछ नहीं | स्ट्रेटेजी सही मै आज कल मोदी बना रहे है | और वो इसलिए चमक भी रहे है | AAP को इसमे अभी बहुत कुछ सीखना है | वैसे मैने स्ट्रेटेजी की बारे मै अपने कमेंट "लुधियाना वाले मोदी" ( २४ फेब्रुअरी ) मै लिखी है रिपीट नहीं करना जाहूंगी | समय मिले तो पढ़ लीजियेगा | कुछ चीज़े शायद clear हो जाये |
अपने कहा के केजरीवाल सयोग की संतान है मै एक कदम आगे जा कर कह सकती हु वो इस समय की जरुरत की संतान है घनघोर जरूरत कि संतान | ये बात उन कुछ लोगो को ज़यादा समझ आयेगी जिन्होने सिस्टम मै काम किया है | मै चाह कर भी कुछ चीज़ आपको नहीं बता पाऊँगी | पर मुझे भी इस सिस्टम को बहुत करीब से जानने का मौका मिला है जो शायद आपको नहीं| इसलिए मै यह कह पा रही हु जो आप देख ही नहीं पा रहे है | बाकी आपकी बातो का जवाब बहुत philosophical जवाब हो जायेगा इसलिए अभी उस पर को छोड़ती हु पर इंतना ज़रूर कहूँगी कि राजनीती मे भी आपके एहि नेता अरविन्द को लाये है | सीरियसली अगर उस समय जन लोफ पल पास कर देते तो AAM आदमी का जन्म ही नहीं होता | इस बहुत बड़ी स्ट्रेटेजी मै हमारे प्रिय नेता फ़ैल हो गए | और ऊपर से कहने लगे की राजनीती मै आओ तो माने | ईमानदारी की राजनीती कर की दिखाओ तो माने | इतने कम पैसे मै election जीत जाओ तो माने | अब झेलो अरविन्द को उसने कर दिया |
और हा अरविन्द ने सरकार क्यों बनाई | आपकी पार्टी वाले बोल रहे थे अपनी जिमेदारी से भाग रहा है | जब सरकार नहीं बना रहा था | लोगो को कहा और जनता को दिखाया की देखो भाग रहा है अपनी जिम्मेदारी से | अरविन्द सही मे नहीं बनाना जाहते थे उन्हे पता था कि उस समय अगर election होता तो AAP क्लियर मेजोरिटी मे आ जाती | पर फिर वही प्रचार कि ज़िमेदारी से भाग रहा है | और कांग्रेस कि स्ट्रेटेजी कि घेरो इन्हे और शोर मचाना हम सपोर्ट कर रहे है | आपने उन्हे चोर कहा तो इस चोर का ओप्पोसिशन ने क्या किया कुछ मुद्दे को तो उठाया ही नहीं गया | मैने अपने शब्दो मे इसे MAC यानि Mutual Admiration Club का नाम दिया है | मे हमेशा कहती हु हमारे नेता सब MAC के मेंबर है |
विजय अपने उदहारण कि बात कि हमे स्कूल में सिखाया गाय कि उदहारण दो | उदहारण वाकय कि पूर्णता मानी जाती थी | कोई शब्द का मतलब बताया तो उदहारण दे के स्पष्ट करो |तो ये उदहारण मेढक का कुआ कैसे हो सकता है | उदहारण स्पाशिकरण है और मै उसका हमेशा ऐसा ही इस्तमाल करुँगी आप कुछ भी बोलते रहे | और प्लीज मेरे राजीनीति कैरियर कि जिंता छोड़ दीजिये - मै जहाँ हुँ जेसी हु खुश हु | जिस दिन राजनीति मै जाना होगा आपसे promise करती हु आपसे Suggestion जरूर लुंगी | खैर, जी आपने बिलकुल सही कहा जनता का पैसा है और वो उनके खून पसीने का इसका इस्तमाल सही तरीके से ही किया जाना जाहिए | तो समझाइए न अपने नेता को प्लीज सही तरीके से करे | पर एहा पर मै एक बात और कहती हु क्या गरीब लोग इस सर्कार के जिमेदारी नहीं है | आज NGO काम करे तो अच्छा पर कुछ पानी और बिजली कुछ स्ट्रेटेजी और कुछ गरीब के लिए तो गलत | क्यों ? सरकार फ़ैल हुए इसलिए NGO का भी जनम हुआ | ये नितांत मेरे अपने विचार है | और सही मै जन सैलाब उमड़ जाता | सरकार कितन भी स्ट्रेटेजी बनती -लोग सिर्फ बॉस के कारन रुके थे छुट्टी वाले दिन को देखते - नहीं विश्वास हो रहा है अगर टीवी का उस दिन का सर्वे देखिय तो पता चलेगा हर चैनल के हिसाब से 70 - 80 % लोग इस के favour मै थे | हा मानती हु बात मै कुछ लोग ने टी वी के कहने पर शायद विचार बदला है |
और संसद और संविधा के बारे मै और किस तरह हमारे प्रिय नेता लोगो ने इसकी धजिया उड़ाई है तो एक किताब लिखनी पड़ जायेगी | हर पार्टी कहती है दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज मिले हर राज्य मै है फिर दिल्ली मै क्यों नहीं | और सही मै अरविन्द केजरीवाल को चुन कर आये है | पर नहीं हम ऐसा नहीं कर सके | शोर मचायेगे पर जब वक्त आया तो खामोश ! क्योकि हम फायेदे मै है | ये दलील तो अपने टी वी पर सुनी होंगी जब खिड़की टूटे तो १२ लोग ससपेंड पर अरविन्द कहे तो दो को ससपेंड नहीं | आप नहीं समझे ये केंद्र और राज्य का नहीं और न ही संविधान का सवाल था ये था थेथरोलगी का नतीजा | और हा एक बार एक व्यक्ति ने कहा हम कश्मीर मे जमात चाहते है तो आप शोर मचा रहे है | वैसे भी लोकतंत्र है कहा न अपनी बात को करने का सबको हक़ है | पर सौ बार अरविन्द कह रहे है ये पार्टी का विचार नहीं है, पर हम सुनाना नहीं चाहते | हम जो देखना चाहते है वाही देखेगे और जो सुनना जाहते है वाही सुनेगे |
और एक चीज़ मुझे मनाने मै कही दिकत नहीं जब मैने भी इस college के reservation के बारे मै सुना था तो अच्छा नहीं लगा था | मै खुद बिहार से हुँ और बहुत लोगो को जानती हुँ जो पढने आये और दिल्ली के हो गए | ये एक अच्छी संस्कृति है दिल्ली कि | पर फिर जानने कि कोशिस कि पता चल कुछ शायद दस बारह कॉलेज इस श्रेणी मै आते है जिनको दिल्ली सरकार से भंड मिलते है ये सिर्फ उन्ही कॉलेज के लिए है इससे पाँच से दस गुना ज्यादा कॉलेज जो केंद्र सरकार दिल्ली मै जला रही है उसके लिए नहीं है ( ये हमे नहीं बताया गाय था ) और उनके लिए जिन्होने दिल्ली से बारवी पास किया है इसमे domicile का इशू नहीं आता | क्या दिल्ली सरकार की जिम्मेदारी दिल्ली के लोगो के प्रति नहीं होनी चाहिए | एक बात और नॉएडा गाजिअबाद मै पहेली से ही कॉलेज है कॉलेज मै 85 % था नहीं मालूम था न मीडिया शोर नहीं मचा रही | मीडिया भी एक स्ट्रेटेजी के तहत ही काम कर रही है | बहुत राज्य ऐसा ही कर रहे है |
थेथरोलगी भी उसी तर्क के क्रिया का एक शब्द | जिसका शायद मैने विशलेषण भी कर दिया था | कहा न मै भी थेथर - फूल थेथर |
हमे सहानभूति नहीं सहयोग चाहिए पर बाकि आपके विचार से मै पूरी तरह सहमत हु| सिर्फ कुछ शब्द बदल दिए है | केजरीवाल पंथ की सदस्यों पर पूरा विश्वास है उन्हें कलियुग में भगवान विष्णु मिल गये है, जिनकी वंदना और मार्ग पर चलते हुए वे इनकी परम्पराओं ( अच्छी राजनीत . सुशासहान, ) को आगे बढ़ायेगें। इन्हे विवेक और विश्वास की जरूरत है क्योकि इन्हें भगवन का सानिध्य प्राप्त है | आमीन |
रवीश आपसे भी कुछ कहना चाहती थी पर अब नहीं अब मै पहले जैसी बनाना चाहती हुँ बिना उलझन और दर्द वाली, जो थेथर है | और थेथरोलगी भी कर सकती है | पर एक बात बता ही देती हुँ कुछ दिन पहले मैने उमेन्द्र भारत से बात कि सोचा कर ही लेती हु | क्यों इतना झेलू |पूछती हु क्या हुआ आपकी पार्टी का और जैसे ही फ़ोन किया अपना परिचेय दिया बोले हा अब हमने आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर ली है | ये क्या ? मैने भी शायद इसी लिए फ़ोन किया था - कहना चाहती थी आप अब AAM आदमी पार्टी ज्वाइन कर लीजिये | अपनी गलती उन्हे बताइए, आपकी स्ट्रेटेजी क्यों फ़ैल हुई ये बताइए | पर कुछ नहीं बोल पाई सिर्फ थैंक यू बोल कर फ़ोन रख दिया | पर शायद उन्होने सुन लिया |
मै आपको पढ़ रही हुँ पर कमेंट करने का मूड नहीं करता | पर विजय अगर आपने लिखा तो ज़रूर करुँगी
धन्यवाद
अनीता जी , मैं आपके कमेंट का इंतजार कर रही थी...मजा आता है आपको पढ़कर | अपनी बातों को आप अच्छे से कह पाती हैं |
अच्छा लग रहा है कि आप रवीश को जानने की कोशिश कर रही हैं ...
HI अमृता मज़ा आ गया सीरियसली मज़ा आ गया | जब भी मै ब्लॉग खोलती सबसे पहले इसी लेख पर आती और नंबर ऑफ़ कमेंट्स देखती मुझे कमेंट्स नंबर से याद होते जेसे मेरे पिछली बार कमेंट करने के बाद नंबर हो गया था 92 | कल मै घर बहुत देर से पहुँची और सुबह सुबह जल्दी निकलना भी पड़ा | पर अभी थोड़े देर पहले जैसे ही लैपटॉप खोला नंबर देखा 93 | सोचा विजय ने जवाब दिया होगा | पर जैसे देखा तुम्हारा नाम मेरी ख़ुशी दस गुना ज्यादा बढ़ गई | कोई पीछे नहीं आना चाहता | वो भी पीछे के कमेंट पढने | जिंदगी हो या ब्लॉग हम सब आगे ही जाना चाहते है | और आगे वाले लेख पर ही कमेंट करते है | ये rat race हमे कहा लिय जा रहा है मालूम नहीं ! पर ऐसा ही होता है | पर इतना पता था दो लोग जरुर पढ़ रहे होंगे | विजय ( शयाम ) और रवीश | विजय क्योकि सोच रहा होगा मैने क्या लिखा और रवीश ने तो अपनी मोबाइल पर कमेंट का अलर्ट लगा रखा है | विश्वास नहीं होता ! उनके रिप्लाई करने का तरीका देखो | जब भी रिप्लाई किया है तुरंत | पर अजीब बात है पहले तो कभी कभार रिप्लाई कर भी देते थे पर जब से मैने कमेंट किया की प्लीज रिप्लाई करो | बिलकुल बंद | एकदम बंद | पर सर जी कहा न कि मै थेथर हुँ और साथ मै लबड़ी भी |
अमृता घर मै कुछ लोग आये है और मुझे लिखना बंद करना पड़ेगा | पर मुझे अभी बहुत कुछ कहना है मेहमानो को विदा कर फिर आउंगी | आपसे और रवीश से बहुत बाते करनी है सीरियसली बहुत बाते | रवीश आपको एक लम्बा भाषण देना है | बहुत लम्बा | और इसी write up के कमेंट पर करुँगी | हॉस्पिटल से घर आते हुए पूरे रास्ते मै सोच रही थी, सोचती रही थी कैसे करुँगी सोच लिया है बस समय लिखने को चाहिए | मेहमानो को विदा कर जल्दी से शुरू करुँगी | पर इसे पोस्ट कर देती हुँ नहीं तो डिलीट हो जायेगा एक बार पहले भी भुगत चुकी हुँ |
अनीता जी सभी कमेंट का निष्कर्ष दुगा लेकिन टाइम लगेगा क्योकि बिना निष्कर्ष के बहस बेकार है ,यह काम आप पर नहीं छोड़ना चाहता क्योकि भक्त के लिए भगवान ही सब कुछ होता है,और मै पूरी तरह से 'राजनीतक नास्तिक' हु.हो सकता है आपको मै मोदी का समर्थक लगू.परन्तु मै मतदाता हु,किसी को वोट करता,क्यों किसी को वोट दू और किसी को न दू यह जानकारी रखनी जरूरी है इसीलिए तर्क करता हु. हो सकता है कभी केजरीवाल के लिए के लिए भी लिखू परन्तु इसके लिए मुचे जबाब ढूँढने होगे, हो सकता है यह जबाब मिले या कभी न मिले,देखते है क्या होता है.thanks of all
अनीता जी लीजिये आपने यह भी सिखा दिया करना ! आप ये क्यों सोचती है कि सब रेस मैं ही भाग रहे है मैं भी हूँ उन् गिने चुने मैं से हूँ जिन्होंने इस पोस्ट पे ईमेल अलर्ट लगा रखा है ,मजा आ जाता है आपको पढ़ के !.विजय भाईसाब भी समझ गए है "thetherlogy"
भी क्या चीज़ है ! आराम से सोचिये विजय भाई कोई जल्दी नहीं है ,बस वो SRK का डायलाग याद आ रहा है "don't underestimate the power of a common man " आपने ताव मैं खामखा भड़का दिया अनीता जी को ! अनीता जी रवीश जी को बक्श दीजिये ऐसा लगता है जाने कौनसे धर्म संकट मैं जी रहे है वो ..पहले काफी कूल नजर आते थे सोशल मीडिया पर आजकल हर चीज़ नाप तोल के करते है लगता है ! पूरे मीडिया कि जिम्मेदारी का भार लिए रहने दीजिये उन्हें हम लोग काफी है इधर ! कम से कम पढ़ के सोचते तो होंगे ही !
इस कुनबे से मुछे कोई परेशानी नहीं,भक्तों का टोला है ...................एक विशेष प्रकार का भजन कीर्तन............मै जनता हु की मै किसी कबीलाई समाज में आ गया हु.......
विजय आपको देख कर अच्छा लगा | सही में ऐसा लग रहा है आप मेरे छोटे जिद्दी भाई | छोटे हो या बड़े क्या फर्क पड़ता है | छोटा कहा तो ज्यादा हक़ दिखा सकुंगी | दिल से कह रही इसके पीछे कोई स्ट्रेटेजी नहीं | प्लीज मानिये बिलकुल नहीं | बस इतना कहना चाहती हु वोट जरुर दीजिये | जिस पार्टी को मन करे दीजिय पर जरुर दीजिय | पर ये मत कहिये कि आप राजनीतिक नास्तिक है | लोकतंत्र के लिए ये सबसे बड़े खतरे कि घंटी है | जब आप वोट देते है तो आपको सरकार में एक भगीदारी नज़र आती है | और अगर सरकार गलत करती है तो आपको गुस्सा भी आता है | और अगली बार आप एक सही पार्टी को वोट देते है | पर जब आप वोट नहीं देते तो लगता ही है कि सरकार में आपकी भगीदारी हीै | आप किसी को भी उस रूप में नहीं देखते जैसे हमे देखना चाहिए| आप मेरी कोई बात नहीं मानिये कुछ भी मत | अरविन्द गलत और सिर्फ गलत कर रहा है | पर जो आपकी नज़र में सही है उसको वोट दीजिये मेरे कहने पर नहीं | प्लीज अपनी बहन के कहने पर ये बात मान लीजिए | पर है अगर हो सके तो उसे जिसे आप वोट से रहे है अरविन्द से थोडा तुलना कर वोट दे | प्लीज प्लीज प्लीज .........................वोट दीजिये | इससे आपको बहस के मुद्दे भी मिल जाएगे | और जिसे मर्जी दे | तुलना भी नहीं करे| पर दे |
अविनाश सही में आपको पढ़कर अच्छा लगा | लगा कोई तो सुन रह है | मै यसे ही नहीं लिखती जा रही हु | और मान ली आपकी बात रवीश को बक्श दिया |अब उनकी कोई खिचाई नहीं करुँगी | पर अरविन्द मुझे अपनी बात कहनी है कल से समय नहीं मिल पा रहा | रवीश में मुझे उमीद दिखी है में अपनी बात कर सकती हु | रवीश समझेंगे और जरूर समझेंगे | कुछ फैक्ट्स और फिगर्स देने है जिसपे वो स्ट्रोरी कर सकते है | अगर नहीं बोलूंगी तो पागल हो जायंगी | कल जोर से रो पड़ी | पति सोच रहे थे डैडी के लिए रो रही हु | नहीं डैडी के लिए नहीं वो जो गलत हो रहा है उसके लिए | डैडी के लिए जो हो रहा है कर रही हु | जितना हो रहा है कर रही हु | पर लगता है समय नहीं निकाल पा रही हु लिखने के लिए | गुस्सा आ रहा है खुद पे |
रवीश विश्वाश नहीं हो रहा है ना | आज भी सुबह साढ़े चार बजे उठी हु | खाना बनाया है | कल गोपाल हॉस्पिटल में बोल रहा था हॉस्पिटल का खाना फीका लगता है | उसे चट पट खाने कि आदत है | सोचा जब वो इतना कर सकता है तो मै इतना भी नहीं कर सकती | सुबह सात बजे खाना लेकर घर से निकली | कमेंट देख लिया था | सोचा जबाब दूंगी तो लेट हो जाउंगी | डैडी के डॉक्टर से मिलना चाहती थी | जानना चाहती थी उनको ये प्रॉब्लम क्यों ? गोपाल ने कहा दीदी नौ बचे आ जाइयेगा डॉक्टर राउंड पे होते है | सब डॉक्टर मिल जाएगे | पति भी है पर उनको कुछ काम है | कल वो सारा दिन मेरे साथ थे | आज कहा मै अकेले मैनेज कर लुंगी | आप चले जाइये अपने काम पर | पति नेय अपनी गाड़ी दे दी कहा तुम लेय लो | मेने पूछा आप बोले मैनेज कर लूंगा | एक गाड़ी हॉस्पिटल मै गोपाल के पास है | उसे बहुत भागा भागी करनी पड़ती है | खुद ड्राइव कर के आई हु | पर पहली बार लगा कि अगर मनो दशा ठीक ना हो तो गाड़ी नहीं चलना चहिये | पता नहीं किस ख्याल मै कहा मुड़ गई है | थोड़ी आगे गई तो ध्यान आया गलत रास्ता है | डेढ़ घंटे के रास्ते को दो घटे मै पूरा किया | पर शुक्र है नौ बजे पहुच गई | डॉक्टर से मिल पाई | और ये क्या गोपाल के लिए खाना बनाया और गोपाल का तो आज मंगल है | आज वो सिर्फ फल खाता है |खुद पर गुस्सा भी आया | पता होता तो एक घंटे और सो लेती | वैसे नीद आखो से जैसे गायब है | पर फिर भी | चलते समय लैपटॉप ले लिया था सोचा समय मिला तो विजय को जवाब दे दूंगी | मुझे आपको कुछ बताना है | है कुछ चीज़ो के लिए आपका मेल id लुंगी पर कुछ इसी ब्लॉग पर लिखूंगी | चाहती हु लोग पढ़े | मेल id प्लीज जर्रूर दे दीजियेगा पर अभी नहीं जब मांगूंगी | वैसे खोजना चाहू तो खोज भी लुंगी पर फिर वही समय लगेगा | घर पर रहती हु तो पूरा घर गन्दा दिखता है | गोपाल करता है पर अपनी नज़रो के हिसाब से | वो तो वहाँ से आया है जहा उसे घर का जाला भी नोरमल लगता है | पर कुछ बदलाब तो आया है उसमे |और है मुझे दया नहीं चाहिए मै अपने इस काम करने से खुश हु | क्यों कारण भी लिख दूंगी अगले लेख पर | और पहली बार लिख रही हु प्लीज रिप्लाई नहीं दीजियेगा | तब तक नहीं जब तक मै नहीं बोलू | हो सकता है मै एक बार मै नहीं लिख पाऊ | पर समय निकाल कर थोडा थोडा लिखूंगी |
अनिताजी एक मै भी हु जो इस पोस्ट को केवल इस लिए खोलती हु की शायद आपने कुछ लिखा होगा। बहूत धर्य है आपको। लगता है आपसे काफी कुछ सिंखुंगी
दोस्तों वैसे तो मैंने किसी को व्यक्तिगत रूप से कुछ नहीं कहा हु,केवल अपने विचार रख रहा था, अनीता जी ने मुछे भाई का सम्बोधन दिया अच्चा लगा, परन्तु अनीता जी सहित किसी को मेरी बातो से दुःख पहुंचा हो तो उससे मई हार्दिक रूप से माफ़ी मांगता हु..............this is my last post,,,,,,,,,,,,,kejriwal ji ke liye bhi subhkamanaye............parntu is bar vot to modi ko hi.......bbbbyyyyyyyyyyyyyyyyyy
रवीश लिखना शुरू किया तो सोचा ये ब्लॉग आपका है मै क्यों इतना लिख रही हु | हो गया जवाब देना था दे दिया | इतना लिखना ठीक नहीं है | आपने ब्लॉग पर शुरू मै लिखा "कहने का मन करता है" | मेरी येही मनोदशा है | पर ये लास्ट टाइम आपके ब्लॉग पर | बाद मै अपनी बात कहने का कोई और रास्ता निकाल लुंगी | पर ये लास्ट सीरियसली लास्ट एक बार और झेल लीजिये मुझे, प्लीज | और फिर बात को समझाने के लिए अपना ही उदहारण दूंगी | मै अपने को ही जानती हु क्या करू ! कोशिश करुँगी छोटा लिखुंगी | पर आपने लिखना सिखा दिया है वो भी काम चलाऊ भाषा मे | तो लिखना शुरू करती हु तो लिखती ही रहती हु | पर सीरियसली कहती हु सोचती थी इस काम चलाऊ भाषा मे सीरियस लिटरेचर नहीं लिखा जा सकता | हॅसी मज़ाक के लिए तो ठीक पर सीरियस लिटरेचर के लिए नहीं | मै गलत थी लिखा जा सकता है | विजय (पवार ) ने जब पूजा उपाध्याय जी कि लहरें ब्लॉग के बारे मै कहा तो पढ़ा सही मै बहुत अच्छा लगा पढ़ कर | इतने सीरियस थॉट और कामचलू भाषा मै | पता नहीं क्यों उनकी लिखाई मै भी अपने का देखती हु |और लग रहा था मै भी लिखू | अपनी अभिवक्ति अपने विचारो कि | कल लिख रही थी तो बहुत बेचैन थी | पर आज मन शांत है बिलकुल शांत | लग रहा है लिखो तो मन शांत हो जाता है | पर पूजा उपाध्याय जी कि लहरें ब्लॉग पर कमेंट नहीं करती | एक जगह कमेंट बहुत हुआ | ऐसा नहीं कि जो अग्रेजी के शब्द लिख रही हु उसकी हिंदी नहीं कर सकती | कर सकती हु बहुत आराम से | हिंदी को भी जी लगा कर पढ़ा था पर क्यों करू ? लिखने दो उस भाषा मै जिसमे सोच रही हु बिना टेंशन बिना प्रेशर के | नॉर्मल तरीके से | फिर देखिये क्या कर रही हु.... | अनीता कण्ट्रोल सीरियसली कण्ट्रोल | यू नीड़ टू बी precise . Precise इसका कुछ और लिख कर आ रहा है | इसलिए precise |
परसो कहा ना पति मेरे साथ पूरे समय थे | उन्होने मेरी बेचैनी देख ली थी | कहते इतना टेंशन ठीक नहीं तुम्हारे सेहत के लिए नुकशान है | खुद ठीक होगी तोहि डैडी का देख पाओगी | वो मेरी हर परेशानी को डैडी के परेशानी से जोड़ कर देख रहे थे | बात बदलने के लिए कहा, अरविन्द को तो मालूम ही नहीं होगा उसकी इतनी दीवानी भी कोई हो सकती है | पता होगा तो बेस्ट दीवानी का अवार्ड मिल ही जायगा | हॅस पड़ी Z बोली नहीं उसके पास मेरे से ज्यादा दीवाने है | बोले नॉमिनेशन तो पक्का है बेस्ट दीवानी कि अवार्ड केटेगरी का | बोला है नॉमिनेशन बनता है| ज़रूर बनता है इस बात से मै भी सहमत थी | फिर बोले तुम लोगो का स्ट्रेटेजी वाली बात क्यों बोलती हो | सिर्फ जन लोकपाल पर रहो | तुम ही कहती हो लोग वही सुनते है जो सुनाना चाहते है वो स्ट्रेटेजी वाली बात याद रखते है और जन लोक पाल भूल जाते है | इतना सच बोलना जरुरी नहीं है | बात मै तो दम है बहुत दम | मै कहती थी अरविन्द सिस्टम चेंज करने आये है और जन लोकपाल सिस्टम का चेंज करने का टूल | जब वो सिस्टम चेंज कर नहीं सकते तो कुर्शी पर बने रहने का क्या मतलब | उनकी ये स्ट्रेटेजी है कि देखो मै सिस्टम को चेंज करने के लिए कुछ भी कुर्बान कर सकता हु | कुर्सी भी | पर आज से सीरियसली सिर्फ जन लोकपाल के बात बोलुँकी, कुर्सी कि नहीं, और स्ट्रेटेजी कि भी नहीं | लगता था मेरे पति को मेरा आप पर बोलना बहुत बोलना अच्छा नहीं लगता है पर गलत थी | वो सुन रहे थे | पर समझ सकती हु उनको मेरा अकेले चार लोगो से बहस करना अच्छा नहीं लगता होगा और उस चार मै एक पक्का थेथर्रोजी पर उतर जाता है | है ट्विटर के गली गलौज कि भाषा पर नहीं उतर सकता क्योकि येहा एक पहचान थी उसका नाम था असली का नाम | ट्विटर कि तरह नहीं बेनाम चेहरा, बेनाम नाम, जो मर्ज़ी बोलो, गाली दो, कुछ नहीं होगा | कोई कुछ नहीं कर सकता |पर मुझे नहीं याद कभी बोला मत बोलो | कहा समय देख कर बोलो | आज वो मेरी ही तरह AAP के दीवाने है | जब टी वी सिर्फ मोदी को दिखता है तो नाराज़ और अरविन्द को देख बच्चे के तरह खुश जैसे कौन सा नया खिलौना मिल गया | बोले डोनेट क्यों नहीं करती कुछ पैसा आप को | हर महीने कुछ पैसा | सही मे मैने इस बारे तो सोचा ही नहीं | मैने कहा आप कर दीजिये बोले बात एक ही है | पर मै सोचता हुँ तुम करो तुम्हे तस्सली मिलेगी | फिर बात मै दम था और देखिये अभी तक नहीं किया | लिखने के बाद पहला काम येही करुँगी और वो पैसा हर महीने जब तक केजरीवाल नहीं बोले देते नहीं जाहिए |
आज लगा मेरे पति मुझे अच्छी तरह से समझते है | पर हमेशा से ऐसा नहीं था | हमारी अरेंज्ड मैरिज थी | शादी से पहले सिर्फ एक बार उनसे मिली थी | शादी कि क्योकि डैडी ने कहा करो कर लिया | हम तीन बहने है विचार तीनो के एक पर अभिवक्ति तीनो की अलग अलग | दीदी वही बोलती है और वही करती है जो डैडी चाहते है | मै बोलती अपने मन कि पर करती जो डैडी चाहते | और गुड़िया कहती भी अपने मन कि और करती भी अपने मन कि पर डैडी को मना लेती | शुरू से जानती थी डैडी जितने भी मॉड हो पर चाहते थे उनकी बेटी अपनी जाती मै ही शादी करे | इसलिए इसके आगे कभी सोचा भी नहीं |पर आज उनके विचार एसे नहीं है | उन्हे इंटरकास्ट मैरिज भी caste मैरिज जैसे ही अच्छे लगते है | राजेश्वर ने उनकी सोच बदल दी है | राजेश्वर गुड़िया का पति | पर मेरे पति भी अलग है बहुतो से अलग और बहुत ही अच्छे | मै शादी की कई साल पहले से नौकरी करती थी | शादी हुई किसी ने पूछा नहीं करोगी या नहीं | छोड़ने का भी किसी ने नहीं कहा, करती रही | पर शादी की बाद जब पहली सैलरी मिली सोचा पतिदेव पूछेगे कितना कमाती हुँ क्या करोगी | नहीं उन्हे तो मेरी सैलरी से कोई मतलब ही नहीं था | हैरान थी क्योकि सुना था पति पैसा ले लेते है मांगते है | और ये घर मेरे घर जैसा नहीं था मुझे कन्ज़र्वेटिव टिपिकल बिहारी घर लग रहा था | और ये पूछ नहीं रहे | ख़ैर एक दिन बोल दिया मुझे सैलरी मिल गई है बोले ठीक है | मैने कहा घर खर्च मै नहीं चाहिए | बोले तुम्हारा पैसा है जो करो | और है घर खर्च कि जिंता छोर्ड़ दो मै कर लूंगा | कई बार डैडी के हॉस्पिटल का लोखो का बिल मैने दिया है | डैडी का जबकि डिफेन्स का ECHS (Ex-servicemen Contributory Health Scheme ) कि फैसिलिटी है पर कई बार हम लोग ने बहार इलाज़ कराया है | पैसा जिंदगी के आगे बहुत ही छोटा है | बहुत ही छोटा |डैडी कहते भी वो पैसा ले लो | मै बोलू उससे पहले बोल पड़ते | मेरा नहीं आपकी बेटी का पैसा है | वो कमा रही है जिस तरह मेरे पैसे पर मेरे माता पिता का अधिकार है वैसे ही अनीता की पैसे पर आपका | सोचिये भी नहीं | उल्टा मुझे ही कहते बहुत बिल आ गया है | पैसा चाहिए कहती नहीं मेने क्रेडिट कार्ड से पेय किया था | मैने उसे EMI मै कॉन्वेट करा लिया है मैनेज कर लुंगी | मेरा भी स्वाभिमान है| है ना ! सोचती येसे पति का कभी विश्वाश नहीं तोड़ूँगी | पर अगर मन कि कुछ करो तो विश्वास तोड़ना तो नहीं होता | अब इस उलझन से निकल चुकी हु | नहीं बिलकुल नहीं होता इस पर आगे | पर इतने ढेर सारे विश्वास के बदले वो क्या चाहते है | इतना ही न कि में उनके माता पिता का ध्यान रक्खू | कुछ ज्यादा तो नहीं माँग रहे है|
आज भी ऑफिस से घर पर घुसते ही सास कि फरमाइश | राकेश के हाथ का चाय पि कर जी उब गया है | तुम अपने हाथ से चाय बनाओ | राकेश गोपाल के तरह मेरे घर यानि मेरे ससुराल में है | गुस्सा आता उनको मेरा आना नहीं दिख रहा है में भी तो ऑफिस से आई हु | थकी हु | मेरा भी मन है राकेश चाय दे और में पियु | एसी क्या बात है मेरे चाय में जो राकेश के चाय में नहीं |पर नज़र पति पर जाती और फिर उनका प्यार याद आता | खुशी खुशी किचेन में चली जाती चाय बनाने | सोचती जब महीने के अंत में मिलने वाले सैलरी के लिए पूरे महीने अपना तन और मन खपा सकती हु तो | प्यार के लिए अपने शारीर को क्या थोडा कस्ट नहीं दे सकती दे सकती हु बिलकुल दे सकती हु और देती हु हमेशा देती रहूंगी | पर मेरी सास के लिए औरत होने का मतलब रसोई और सिर्फ रसोई | उनको इसके आगे कुछ दिखाई ही नहीं पड़ता | उनकी पूरी इक्छा रहती कि जब तक में घर में हु रसोई में राहु और कही नहीं | वो समझ ही नहीं पाती कि में भी कुछ और करना चाह सकती हु | ऊपर से मुझे ही भाषण नौकर से घर नहीं चलता | ये लोग घर डूबा देंगे | सोचती राकेश अगर तीन किलो तेल के बदले अगर चार किलो तेल खर्च कर ही देता है तो कितना बजट बिगड़ जायेगा |और अगर मुझे ही काम कारन है तो राकेश के क्या ज़रूरत है | कई बार अपनी नौकरी के कारन और कई बार डैडी के कारन में महीनो घर से गायब हुई तब तो ये राकेश ही करता था | मान क्या नहीं लेती में घर पर नहीं हु | पर क्योकि में हु मुझे काम करना है | कई बार डैडी के घर से राकेश फ़ोन करती | माँ कुछ नहीं पूछती मेरे बारे में | बोलता नहीं बोलती है | ये क्या तरीका है इतने दिनों तक कोई घर नहीं आता बगल में रहते हुए | पर सर जी ( मेरे पति को गोपाल और राकेश दोनों सर जी ही बोलते है सर जी !) कहते है उसकी जरुरत डैडी को ज्यादा है | तुम्हे जो चाहिए मुझे बोलो | पति के लिए इज़ज़त और बढ़ जाती | उनकी बहुत से चीज़े है जो बता सकती हु पर बस अभी इतना |मेरे पति बहुत अच्छे है | अच्छे है न सर जी |
देखिये फिर क्या लिखना चाह रही थी क्या लिख दिया | ये कि पति को कैसे बदला | नहीं बदला नहीं अपने को बोलना शुरू कर दिया | मेरी शादी दिल्ली में हुई पर शादी के तुरंत बात ही मेरे परिवार मतलब मेरे ससुराल का परिवार के साथ गाव गई | इस परिवार में एसा ही होता है | मधुबनी के एक गाव | और अपने 25 दिन की अपनी अनुभूति लिखू तो अच्छा भी लगेगा | जब अपनी बहनो को बताती हु तो उनका हसते हसते पेट फूल जाता है | लिखूंगी और अगर किताब लिखा तो शीर्षकः होगा मेरा हनीमून | वो हनीमून जिस में मै जोर से हॅस भी नहीं सकती थी | कनिया थी ना | कनिया मन मन में हसती है जोर से नहीं | ख़ैर जब वापस दिल्ली आई तो सोचा सब नॉर्मल हो जायेगा | अपनी माँ यानि मुझे जन्म देने वाली माँ को भी येसे ही देखा है | गाव मै किसी और रूप मै पर शहर आते ही बदला हुआ रूप | सोचा मुझे भी एसा ही मिलेगा | पर मेरे साथ एसा नहीं था | वापस दिल्ली के घर जिसमे मै, मेरा पति, मेरे सास ससुर , मेरे देवर और मेरा जाउत यानि मेरे जेठ का बेटा मेरा घर था | पर चीज़े मेरे घर से अलग थी | बहुत अलग |
पहली बार जब खाना बनाया तो जैसा कि हमारे घर मै होता है पूरा खाना बाहर ले आई एहा dinning टेबल नहीं था इसलिए पूरा खाना जमीन पर लगा दिया और सब के लिए प्लेट गिलास भी | पर जब खाने कि बारी आई तो सास पूछ बैठी इंतना प्लेट किस लिए | सबके लिए |हैरान हो गई जब बोली नहीं हमारे घर मै एसा नहीं होता मर्द के खाने के बाद ही औरते खाती है | अरे ये क्या बात, हम तो दो औरत है सात क्यों नहीं खा सकते | बोली ससुर के साथ तुम तो नहीं ही खा सकती | ससुर क्या पिता नहीं है | मैने तो उनमे देखा है अपने पिता का दर्द | वो दर्द जो डैडी मै देखा था | जब भी रोई और उन्हे पता चलता मै रो रही हु चुप चाप किसी बहाने मेरे पास आते और प्यार से सर पर हाथ रखते पर आखो मै पानी भी होता था | वो कितना भी छुपाते मै देख लेती थी | उनका एसा करना कही दिल को छू जाता था | कमरे से बाहर निकलती आखे उन्हे ही खोजती | और जब उन पर नज़र पड़ती तो लगता कह रहे हो सब ठीक हो जायेगा कुछ दिन बस झेल लो | और इस पिता के साथ मै खाना नहीं खा सकती थी | क्यों क्योकि वो मेरे ससुर है | गुस्सा आया गुस्से मै सब कुछ रसोई मै रख दिया | और रूम मै बैठ गई | सास ने सबको खाना पसोसा | पर दाल शायद कुछ कम था सास देख रही थी कम है पर जब देवर ने माँगा तो नहीं बोली जितना था दे दिया | सब खा के उठ गए | सबने कहा अनीता खाना कहा लो | गुस्से मै ही सही पर गई खाने पर ये क्या दाल तो नहीं था | सास से पूछा तो बोली है कम था ख़तम हो गया | तो बोल देते सबको इतना भर भर के परोसने कि क्या जरुरत थी | नहीं वो भूखे कैसे उठाते | और मै क्या कुछ नहीं मेरा भूखा रहना कोई मायेने नहीं रखता | नहीं हम सब्ज़ी के साथ खा लेगी | बाकि समय खा भी लेती पर उस समय नहीं, गुस्सा किसी और बात पर आया था और निकाल किसी और बात पर रही थी | नहीं मै दाल बनाउंगी | साढ़े ग्यारह बजे रात मै है | हाँ साढ़े ग्यारह बजे | सास भन भन कर रही थी | बाकी चुप बिलकुल चुप | सो मैने कुकर चढ़ा दिया | और रात के साढ़े ग्यारह बजे कि कुकर कि सिटी कह रही थी मै सब कुछ वैसा नहीं रहने दूंगी जैसा चल रहा था | अपने पैसे से घर मै सबसे पहले dinning टेबल ख़रीदा | मैने ससुराल को बदल दिया है इस पर भी बहुत लिख सकी हु पर बहुत लम्बा हो रहा है |
एक बात और बता देती हु कुछ लम्बा हो रहा है पर शायद कुछ और स्पष्ट हो जाय | मै मायेके मै जब किसी बात से नाराज़ होती तो रात मै खाना नहीं खाती थी | झूठ कह देती बहार खा लिया है | पर ममा समझ जाती कहती कोई बात नहीं | एक रोटी और दूध पि लो रात को बिना खाये नहीं सोते | खा लेती थी भूख गुस्सा थोड़ी देखता है | ससुराल मै भी यही किया | किसी बात बार गुस्सा- बोला ऑफिस से खा कर आई हु | पर एहा तो सब मान गए | किसी ने ममा कि तरह नहीं कहा कोई बात नहीं खा लो | दो बार भूखी सो गई | फिर तीसरी बार - उस दिन दोपहर का खाना भी ठीक से नहीं खा पाई थी | रात मै भूख से नीद अलग नहीं आ रहा था | रो पड़ी पहले धीरे रोती थी पर उस दिन जोर से | चाहती थी पति उठे | वो उठ भी गए पूछा क्या हुआ पूरी बात बताई | वो हैरान थे उन्होने माँ को इससे कही अधिक अपनी भाभी से बोलते हुए देखा है और भाभी को कभी बुरा नहीं लगा | उठ कर रसोई मै गय फ्रिज से जो था लेकर आय मैने खाना भी खाया | पर पेट सही मै उनकी बातो से भरा | बोले इस तरह तुम्हारी तबियत ख़राब हो जायेगी अपनी बातो को बोलो | एहा तुम्हरी माँ नहीं है जो मौन भाषा भी समझ जाये | अच्छा किया माँ को नहीं बोला पर मुझे बोला | बात मन मै मत रक्खो नहीं तो पागल हो जाओगी | जितना गुस्सा है निकाल लो मुझपर पर निकालो | उस दिन से सास कि लगने वाली हर बुरी बात पति को बताती हु और वो उसे अपनी ही शैली मै जस्टिफाई भी करते है | क्या कोरोगी माँ ने येही देखा है | वो पहले से बहुत बदल गई है | अरे भाभी के समय देखती तब तो तुम उनको कच्चा चबा जाती |
रवीश इस भूमिका के पीछे कहना चाहती हु आप भी कुछ चेंज करे | क्यों प्राइम टाइम मै वही आर्गुमेंट एक तरह का आर्गुमेंट | आप जितने भी तरह से सवाल पूछे जवाब तो एक ही मिलाता है जो हर चैनल मै | मानती हु इंट्रो अच्छा है पर पच्चास मिनट के प्रोग्राम मै ४-७ मिनट का इंट्रो | नहीं आप प्रोग्राम को जस्टिफाई नहीं कर रहे है | आप अलग कर सकते है प्लीज अलग करिये | मत मानिये अपने ससुराल कि पुराणी परम्परा | एक सिटी से सुरुआत करिये | प्लीज .....|जब मै छोटी थी तो World this Week आता था | आपके डॉ प्रोन्नोय रॉय ही करते थे | डैडी कि पूरी इक्छा कि उनके बच्चे ये प्रोग्राम देखे | मुझे याद है एक बार दीदी ने ;कहा डैडी कल एग्जाम है | बोले कोई बात नहीं आधा घंटा और देर तक जग जाना पर ये प्रोग्राम देखो | आज एसा कोई प्रोग्राम नहीं जहा मै अपने घर के बच्चे को बोलू कि एग्जाम छोड़ कर प्रोग्रम्म देखो | आप अपने तरीके से अच्छा दिखा सकते है जेसे कि जी बी रोड वाला | बहुत ही अच्छा था दिल को छू गया | it was too good ....awesome | कहिये ना अपने बॉस से | जब मै अपने खूखार बॉस से कह सकती हु तो आप क्यों नहीं | आप तो कहते है उन्होने स्पेस दिया है तो इस्तमाल करिये इस स्पेस का | बोलिये वो मान जायेगे मै sure हु वो मान जायेगे | इश्यूज मिलेंगे | अमृता देगी इशू अनीता देगी इशू | जनर्ल दो तो अभी ब्लॉग पर दूंगी और दो आपके मेल पर | नाम और पते के साथ | पर स्टोरी अपने एंगल से कीजिये | मेरे कहने पर नहीं | देखिये कुछ सच्चाई और दुसरो को भी दिखाए | कुछ अच्छी कुछ घिन्नोनी | आप के पास इतने फैन है इसका फायदा उठाइये | स्पॉसर भी मिलेगी | और पब्लिसिटी भी | और मै अमृता कविता विजय अविनाश आपके फोल्लोवेर्स उसकी पब्लिसिटी करेगी | माउथ पब्लिसिटी - और मानिये मेरी बात माउथ पब्लिसिटी से अच्छा कोई पब्लिसिटी नहीं |मै AAP के लिए येही कर रही हु | आज भी हॉस्पिटल मै चार लोगो को बदल दिया है | अब वो अब AAP को और सिर्फ AAP को वोट देंगे | वो मेरी बात इस लिए भी ध्यान से सुनते है कि उनको मालूम है मै AAP कि मेंबर नहीं | सिस्टम से तंग एक आम आदमी | लोग पूछते है AAP को कितने सीट मिलेगी | कहती हु दिल्ली रिपीट होगा | दिल्ली रिपीट मतलब ! दिल्ली मै 70 सीट है और लोक सभा मै roughly 540 तो इसी हिसाब से लगा लीजिये | मतलब मल्टीप्लय थे सीट by सेवेन | BJP 231 AAP 196 और रेस्ट 113 | लोग कहते है इतना कॉन्फिडेंस तो अरविन्द मै भी नहीं जितना आप मै | कहती हु अरविन्द को आईडिया नहीं है जूनून का | कई कहते है ओवर कॉन्फिडेंस है | हाँ ओवर कॉन्फिडेस | अगर मेरे ओवर कॉन्फिडेंस से लोग मै कॉन्फिडेंस आता है तो ओवर कॉन्फिडेंस ही सही |
अरविन्द आपको नहीं पता अपने इस दीवानी को क्या दिया | इसे पब्लिकली बोलेने का ओवर कॉन्फिडेंस , दास दरभिया स्टाइल मै लिखने का कॉन्फिडेंस, इन्दीवर स्टाइल मै लिखने का कॉन्फिडेंस, रवीश स्टाइल मै लिखने का कॉन्फिडेंस ,और है अब लोक सभा इलेक्शन तक जी जान से सिर्फ और सिर्फ माउथ पब्लिसिटी | अरविन्द के लिए उस चीज़ का थोडा तो रेटर्न दू | रवीश अब इशू जो आपको देना है उसके बारे मै नेक्स्ट राउंड मै , अब थक गई हु | पर प्रॉमिस जल्दी आउंगी जब तक आपको मेल नहीं करुँगी uneasiness रहेगा | कर के चैन | मैने उठाया था वो मुद्दा पर पूरा का पूरा लोकल मीडिया मेरे खिलाफ हो गया था | आप विश्वास नहीं करेंगे एक संस्थान ने मेरे खिलाफ विनाश का हवन का प्रेस रिलीज़ जरी किया | जो वो अगले दिन करने वाले थे |हवन हुआ या नहीं मालूम नहीं कुछ न्यूज़ नहीं था मीडिया मे | मुझे लगता है आपके थ्रू एक बार फिर से | आपकी एंगल से लोग शायद समझेगें जरूर समझेगे | BYE FOR NOW AND TAKE CARE ........
Ravish G.. Behad accha lgta h aapke vichar jankar. Lagta h ki patrakarita k madhyam se bhi aaj k mahol me kuch accha kiya ja raha h jiski sakht jarurat h
अनीता जी, मुझे तो हमेशा लगता है कि आपका कमेंट और भी लम्बा हो......
रवीश, अब तो रिप्लाई दीजिये.........
अन्ना पर क्या खूब लिखा है आपने...एकदम बेबाक | कमेंट पढ़कर लगता है...सबके मन की बात आपने कह दी...
कविता थैंक्स कि आप मेरे कारण इस ब्लॉग में वापस आती है अब तो और बहुत पीछे चला गया है | पर सीरियसली थैंक्स | विजय चलो खुश हु की वोट करोगे | अमृता तुम्हे भी थैंक्स | सीरियसली थैंक्स ये भी लम्बा होगा पर शायद इसके बाद इतना नहीं | पर अब कोई रिक्वेस्ट नहीं |मै भी नहीं करुँगी रवीश को रिप्लाई देने को | बहुत हो गया | अरविन्द एक बात बोलु आप बहुत अच्छा लिख सकते है सीरियसली | रवीश को बोलना चाहिए पर क्या करू नहीं बोलते इसलिए मै बोल रही हु | आपका कमेंट लेटेस्ट लेख पर भी देखा बहुत ही अच्छा था | शायद रवीश को कॉम्पटिशन से डर लग रहा है | नहीं अरविन्द मै खिचाई नहीं कर रही हु मै सिर्फ बात बोल रही हु | आपने कहा ना बक्श दो बक्श दिया | बिलकुल बक्श दिया | पर अपनी बात तो रखूंगी जरुर| बताइयेगा मै ठीक कर रही हु या नहीं |
रवीश जिस दो इशू कि बात कर रही हु वो दो एसे इशू है जो हम सब देखते है समझते भी है |आपने भी देखा होगा | इसलिय कह रही थी ब्लॉग पर लिखुंगी | अगर किसी एक का भी सोचने का नजरिया बदल सकी तो सोचूंगी लिखना सफल हुआ | एक पॉजिटिव एक नेगेटिव | पर चाहूंगी कि आप उस पर स्टोरी करे | अपने एंगल से दिखाय | लोगो को कुछ सेंसटिव बनाए वो भी उसी एंगल से देखे जैसा कि हम दिखाना चाहते है | और इसके बात वो ही पुराना रिक्वेस्ट कि मेल वाला | मेल पर सीरियसली एक व्यक्ति का से जुडी दो घटना | और घटना इतनी तेज़ी से बदल रही है कि लगा कही लिखने मै लेट तो नहीं कर रही हु | इस बीच बहुत कुछ हो रहा है | पर शायद अच्छे कि लिए ही हो रहा है | पर स्टोरी सीरियस होगी | इस ब्लॉग कि तरह जनरल नहीं | और अरविन्द को प्रॉमिस किया है ना कोई खिचाई नहीं बिलकुल नहीं | सिर्फ और सिर्फ सीरियस बात मेल पर | और है फिर अपनी कहानी से ही शुरू |
घटना दो तीन साल पहले कि है | वैसे मै शुरू से कुछ ऐबसेंट माइंड कि हु | एक दिन ATM से पैसा निकला और डेबिट कार्ड ATM मै ही भूल आई | आते ही मीटिंग था फ़ोन को साइलेंट मोड मै किया और मीटिंग मै एक्टिव || जेसे ही मीटिंग ख़त्म मैने मेसेज देखा |किसी ने इस बीच मेरे डेबिट कार्ड से 30000 कि शॉपिंग कर ली थी | अपनी गलती का एह्सास हुआ | पर जब तक कार्ड बॉल्क होता लगभग ३२००० कि शॉपिंग हो गई थी | बैंक गई CCT फुटेज देखा वो व्यक्ति दिख रहा था जिसने मेरे बाद ATM से पैसे निकले थे | उसका डिटेल भी बैंक को मिल गया था | पर बैंक को एक्शन लेने के लिए एक FIR चहिये था | एक साधरण सा बैलेबल FIR एक अनजान व्यक्ति कि खिलाफ | सोचा आराम से मिल जायेगा इसमे क्या मुश्किल है | इससे पहले मै कभी पुलिस स्टेशन नहीं गई थी | अगर एक्सपीरियंस कि बारे मै लिखना शुरू करू तो बहुत लम्बा होगा जायेगा | संक्षिप्त मै मुझे एक साधारण सा FIR लिखवाने मै तीन दिन और कमसे काम चार लोगो से बहश करना पड़ा | बहस नहीं लड़ाई करनी पड़ी | आपका पता कुछ है | ATM सेण्टर किसी और जगह | बैंक कही है | झल्ला गई थी अंत मै SHO पर लगभग चीख पड़ी थी | इतनी साधारण से चीज़ कि लिए इतना प्रॉब्लम | पर उस समय मेरे नज़र कुछ एसे लोग पर पड़े जो सुबह से शाम बहार खड़े थे | भगवन ने मुझे शक्ल और शायद कुछ अक्ल भी दी थी पर ये लोग वो थे जिनकी कोई पहचान नहीं था | एक व्यक्ति से बात किया वो पिछले लगभग पंद्रह दिनों से आ रहा था | कुछ गुंडों ने उसका घर हड़प लिया था उसके पच्चास गज का घर | उसके पूरे जीवन कि कमाई थी वो घर और वो घर कुछ गुंडों ने हड़प लिया था ये कह कर पेपर उनके पास थे | वो कुछ पेपर जो उसके पास थे उसका फोटोस्टैट करवा कर घूमता रहता | दो शब्द मैने उससे प्यार से क्या बोले दिए उसको मुझमे सारी उम्मीद नज़र आने लगी | घंटो घंटो वो मेरे ऑफिस कि आगे बैठा रहता | एसा नहीं कि मैने कोशिश नहीं कि | बहुत कोशिश कि | SHO से लड़ी SHO ने पेपर दिखाया और अपनी मज़बूरी बताई | जिस भी NGO को जानती थी उनको फ़ोन किया | कुछ पत्रकार मित्रो को फ़ोन किया | विधायक से भी मिली | पर कुछ नहीं कर सकी | इतना जानती थी उस आदमी कि पेपर गलत हो सकते थे पर ओ आदमी झूठ नहीं बोल रहा था | और जब ज्यादा खोला तो पता चला जिस विधायक के पास गई थी उसी ने उसे वो जमीन बेचीं थी और फिर उसी कि गुंडे उसे खली करवा रहे थे | पर धीरे धीरे उसकी उम्मीद मुझसे भी टूट गई | उसका तो कोई फ़ोन नंबर नहीं था वो ही मुझे फ़ोन करता था | पर आज भी उसका चेहरा याद है | जेसे कह रहा हो आपने कुछ नहीं किया | मै बेबश थी | आज सोच रही होती कि सोशल मीडिया मै उस समय एक्टिव होती तो एक और कोशिश करती | हो सकता है यहा भी नाकाम ही होती पर कोशिश तो कर सकती थी | क्यों मैने अपने को सिर्फ फेसबुक मै ही अपने सिमित लोगो के साथ रखा | आपको ब्लाक पर भी दे सकती थी | हो सकता आप भी कुछ नहीं करते | पर ये भी एक कोशिश होती | अपनी कोशिश का दायरा तो बढाती |
प्लीज रवीश आप एसे स्टोरी कीजिये | समाधान मत दीजिये पर परेशानी तो दिखाइये | एसे लोग आपको हर पुलिस स्टेशन पर मिल जायेगे | इसके लिए आपको अमृता अनीता या कविता कि कोई जरुरत नहीं है | इनकी कोई नहीं सुन रहा | अगर किसी ने प्यार से गलती से बोल भी दिया तो समाधान नहीं दे पायेगा | अपने ३२००० तो मैने बैंक से वापस ले लिए पर इसका ५० गज ज़मीन नहीं दिलवा पाई | आज भी मन अंदर तक कचोटता है | क्यों नहीं कुछ किया ? क्यों नहीं ? पर क्या करती | उस व्यक्ति ने मुझसे कभी शिकायत नहीं कि | पर आज भी मुझे आपने से शिकायत है और शायद जिंदगी भर रहेगा | ऐसा नहीं है कि सिर्फ नेगेटिव ही है पॉजिटिव स्टोरी भी है | अगर नज़र उठा कर देखे तो बहुत पॉजिटिव स्टोरी है |
RSS को मै हमेशा मोहन भागवत और परेशान करने वाली संसथान मानती थी | है पूरी तरह आतंकवाती नहीं मानती थी | उससे एक स्टेप नीचे | जस्ट एक स्टेप नीचे | पर RSS के प्रचारक का एक रूप मैने जो देखा वो आपकी मीडिया ने मुझे कभी नहीं दिखाया | अभी सेवा भर्ती कि प्रोग्राम मै मुझे दो प्रचारण मिले | मैने उनका वो रूप देखा जो मुझे नहीं दिखाया गया था |ये प्रचारक मर्द थे | और उन्होने शादी तक नहीं कि थी | औरोतों का शादी नहीं करना समझ आता है | क्योकि हर कायदा हर कानून औरोतों के लिए पर मर्द उन्हे तो पूरी छूट है जिस तरह जीय | पूरे कार्यकर्म के लिए उनकी मेहनत दिख रही थी | पर जब कार्यकर्म हुआ तो डाईस पर नहीं आय | बोला क्यों ? बोले हम डाईस पर नहीं आ सकते | प्रचारक डाईस नहीं शेयर करता है | कार्ड में भी कही उनका नाम नहीं था | मदर ट्र्रेस से एक बार मिल चुकी हु | लम्बी लाइन के बात मिलने का मौका मिला था | पर मेरी नज़र में आज ये आरएसएस के प्रचरक बहुत महान है | मेरी नज़र में आज मदर टेरेसा से भी महान है | उस दिन BJP कि रैली भी थी | कहा आप लोग रैली में नहीं जायेगे बोले वो BJP कि रैली है RSS कि नहीं | हैरान थी अगर ये बात मीडिया ने कही होती तो कहती मीडिया झूठ बोल रही है | ऐशा हो ही नहीं सकता | पर ये में अपने आख से देख रही थी | मेरे सामने ये हो रहा था |पता चला एसे 2000 प्रचारण है देश में | कभी भी उनका फ़ोन आता है मुँह से अपने आप निकल जाता है हा भाईसाब बोलिये | भाईसाहब शब्द का मतलब मुझे इन RSS के प्रचारको ने दी है | एक काम कहते और मै है पूरी तरह से उसमे लग जाती हु | दिल से लग जाती हु |रवीश इन दो हज़ार प्रचारको की कहानी दिखाइये | मै अरविन्द कि दीवानी हु पर इस दीवानी को दिखता है इन प्रचारको का जूनून | और वो भी गुमनाम रह कर | रवीश को मालूम होगी इन कि कहानी | क्योकि रवीश खबर खाते है और खबर मै ही सोते है और खबर मै ही रहते है | पर अनीता को नहीं मालूम उसे तो घर और ऑफिस से फुर्शत ही नहीं | शायद अमृता या कविता को भी नहीं मालूम | हो सके तो हमे ये ज्ञान भी दीजिये | सीरियस वाला ज्ञान |
रवीश अब आपका मेल आई डी चाहिए | कुछ बताउंगी | नाम और पते के साथ | सीरियस कहानी है पता नहीं क्यों लग रहा है आप करेंगे | जरूर करेंगे | घटना चक्र इतनी जल्दी बदल रही है कि जल्दी लिखना चाहती हु | मैने लिखने मै देर कर दिया है पर प्लीज आप मत कीजियेगा |क्या होगा एहि ना कि आपके मेल पर अब चार कि जगह चालीस मेल आयेगे | कुछ दीवानी कुछ ज्यादा ही मेल लिख देगी | पर हो सकता है उसमे कोई अनीता हो जिसे लिखना नहीं आता हो हिंदी मै और अब वो लिखना रोक नहीं पाती | लिखती है तो बस लिखती है | कुछ प्रेम पत्र अगर आपने पढ़ ही लिए तो क्या होजायेगा | कुछ नहीं | वैसे भी आप घोर पारिवारिक है | पता नहीं अचानक ध्यान आया कि आपकी बीवी क्या सोचती होगी | खासकर हम लेडीज कमेंटबाज़ के बारे ;मै | ब्लॉग तो वो पढ़ती होगी | पक्का पढ़ती होगी | पति पत्नी कि कुछ चीज़े नहीं जानते, जानना भी नहीं चाहते है पर पत्नी नहीं | उन्हे तो पति कि हर स्टेप का ज्ञान होता है | कहती होगी पता नहीं क्यों सब के सब मेरे पति ही के पीछे क्यों पड़ गए है | हाथ धो कर पीछे पड़ गए है |प्लीज जानिए उनका ये angle भी | मैने भी अपने पति से एक बार यु ही पूछ लिया | पर मेरे पति को सिर्फ सलमान खान से डर है बाकी किसी से नहीं | बिलकुल नहीं | उन्हे पूरा विश्वाश है मै शादी शुदा और अपने से उम्र मै छोटे व्यकि पर फिदा नहीं हो सकती | हो ही नहीं सकती | शादी शुदा से क्योगी मै किसी का घर बर्बाद नहीं कर सकती | और अब सारे कुवारे मुझ से उम्र मै छोटे हो गए है | पता नहीं सबको शादी करने कि इतनी क्यों पड़ी रहती है | और मेरी ! क्या करू उम्र है बढती ही जा रही है | रुकती ही नहीं चाह कर भी अब sweet sixteen नहीं रह सकती | पति से जब भी नाराज़ होती हु कहती हु भाग जाउंगी सलमान खान के साथ | सलमान प्लीज प्लीज प्लीज .......शादी मत करना मै अपने पति को ब्लैकमेल फिर कैसे करुँगी |
और आपकी बेटी वो क्या सोचती होगी | दस साल कि ही सही बच्चो मै बहुत ज्ञान आ जाता है | मै उसकी मनोदशा कुछ समझ सकती हु | मैने भी ये भुक्ता है उस समय मै थर्ड क्लास मै थी | मतलब सात या आठ साल की होंगी || एक बार डैडी को एक पार्टी मै देखा था चारो तरफ औंटिओ से घिरे | और एक तरफ मम्मी चुप चाप खाड़ी | गुस्सा आ रहा था वो मेरे डैडी है मेरे डैडी | मेरी मम्मी के लिए सिर्फ मेरी मम्मी के लिए | आप अपने पति के पास क्यों नहीं जाती | और डैडी पर भी गुस्सा, आपको दिख नहीं रहा मम्मी अकेले खाड़ी है | क्यों नहीं उनको अपने पास बुला लेते | और मम्मी पे भी गुस्सा क्यों नहीं डैडी के पास जा कर खाड़ी हो जाती है | ऐसा नहीं था मम्मी मर्दो से बात नहीं करती थी पर बात करने का दायरा सिमित था | कैसे है | बच्चे कैसे है | क्या चल रहा है | डैडी कि तरह हसी मज़ाक नहीं बिलकुल नहीं | पर ऐसा भी नहीं उन्हे हॅसी मज़ाक नहीं आते थे | वो डैडी से ज्यादा हाज़िरजवाब थी | डैडी और मम्मी का नोक झोक आज भी मुझे कही अंदर तक गुदगुदा देता है | और मैने हमेशा डैडी को बहश मै हारते ही देखा है | हसाने मै ही | पर मम्मी का ये मज़ाक सिर्फ और सिर्फ डैडी के लिए था | किसी और मर्द के लिए नहीं | उनकी तो पूरी जिंदगी डैडी के लिए थी और सिर्फ डैडी के लिए | हम लोग मै करवा चौथ नहीं होता है | पर मम्मी करवा चौथ भी करती तीज़ भी करती | वो हाथ मै चूड़ी के साथ बंगाली वाली संखा और पोला भी पहनती | वो हर वो चीज़ करती जिससे ये लगता कि उनका सुहाग रहे | उनको आज तक मैने बिना सिन्दूर कभी नहीं देखा है |नहा के आती और सीधे भगवन के पास सिन्दूर लगाती | कुछ भी हो पर इसमे कोई बदलाव नहीं होता था | कई बार स्कूल को देर हो रहा होता दो कहती मेरा टिफ़िन दो सिन्दूर बाद मै लगा लेना | पर मम्मी नहीं बिलकुल नहीं | सिन्दूर के साथ कोई समझोता नहीं | पहले सिन्दूर फिर कुछ और | कई बार जब डैडी टूर पर होते तो स्कूल से आओ वही सब्ज़ी जो सुबह था | कहती ये क्या तरीका है | बोलती डैडी नहीं है मन नहीं किया बनाने का | ये क्या बात, डैडी होते तो सुबह कुछ दोपहर कुछ और रात मै कुछ और बनता है हम बच्चे आपकी जिंदगी मै कोई मायेने नहीं रखते | रखते थे बहुत रखते थे | पर डैडी का स्थान डैडी का ही था | पर ऐसा नहीं कि डैडी को मम्मी कि याद नहीं आती है | आज मम्मी को गुजरे चौदह साल हो गए है | पर डैडी कि हर बात मै वो झलकती है | कभी साम्भर अच्छा बना तो बोलते आज तो मम्मी कि तरह साम्भर बनाया है | कभी केक सॉफ्ट बना तो अरे आज तो बिलकुल मम्मी कि तरह का केक | कभी लाल साडी पहनी तो बोलते आज मम्मी कर कलर पहना है | है लाल मम्मी का फेवरिट कलर था | आज भी मम्मी का ध्यान आता है है तो वही लाल साडी , लाल चूड़ी और वही लाल सिंदूर | और एक मै हु सिन्दूर मन हुआ तो लगाया नहीं तो नहीं | अगर ड्रेस के साथ चलता है तो ठीक नहीं तो नहीं | मतलब सिन्दूर भी मेरी नज़रो मै फैशन के चीज़ | कभी सास कहती भी है कि सिन्दूर क्यों नहीं लगाया | तपाक से फिर प्रशन , क्यों सिन्दूर लगाने से प्यार बढ़ जायेगा | या पति कि उम्र बढ़ जायेगी |पति तो कुछ नहीं लगाते | सास भी सोचती किस लबड़ी से पाला पड़ा है | एक बोलो और दस झेलो | चुप हो जाती बिचारी | मै ना करवा चौथ करती हु ना ही तीज़ | पति ने भी नहीं कहा करो | सास ने कहा मैने अनसुना कर दिया | मुझे ये ढकोसला लगता है प्यार दिखाने का | पर अब मम्मी को सोचती हु तो नहीं था ये ढकोसला | मेरी मम्मी बहुत ही सुन्दर थी | बहुत ही सुन्दर रवीश | इस लिए नहीं कह रही हु कि उनकी बेटी हु |पर सही मै थी | डैडी को लोग बोलते आप ने कश्मीरी से इंटरकास्ट मैरिज किया है | लोगो को लगता बिहारी इतने सुन्दर नहीं हो सकते थे | डैडी इस बात मे मम्मी को चिढ़ाते भी थे | पर मम्मी के पास उनके हर सवाल का जवाब होता था | पता नहीं क्यों आज मम्मी कि बहुत याद आ रही है बहुत ही | लगता है वो मुझे कही मिले और उनके गोद मै सर रख कर खूब रोउ | क्यों रोउ एय भी नहीं मालूम पर रोउ | देखिये फिर क्या कर रही हु | स्टॉपों स्टॉप स्टॉप ....
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Dear Anita ji
mai apna sir name jha hia usko kyu chhipau kya jha hona brahman hona ya bihari hona galat hia jo bhi aisa karte hai shayad unke man me koi doubt hogi aur khud pe khud ke identity pe bharosha nhi hoga, mai har dharm har jaati ka respect karta hu lekin sirf koi mujhe mere sir name se bihari na samajh jaaye es wajah se apna sir name change kar du to pata nhi hume zindgi me kitni chige change karni padegi...karm se to mai brahmin hone ka adhikari nhi hu but jaati majhab se hu aur jis tarah se mujhe dusro ke jaati majhab se koi problem nhi hai usi tarah se dusro ko bhi mere jaati majhab ya prant se koi problem nhi honi chahiye..ab aata hu ki mailikhta kyu nihi hu jyada eske piche week education hai class 10'th tak hindi medium se padhai ki kabhi goverment school nhi gya ghar pe maar kha leta tha school jaane ke liye lekin jaane ka man nhi hota tha jab dusre doston ko dekhta tha private school me jaate hue to man hi nhi karta tha ki goverment school me jau par economically strong family nhi thi income ke hissab se so nhi jaa paya, jaha tution padht ath awaha sirf science padhate the literature aur arts kabhi padha hi nhi na hi man lagta tha bus utna padha jitne se pass ho jau uske baad 12'th me science rakha english medium se yaha ek baat aur bata du 10'th me english me sirf 8 number hia pata nhi wo bhi kaise aa gya..aage ki puri padhai english medium me ki padhai ke baad job me aa gya aur ab to bas aisa lagta hia jaise life kisi gulami me kat rahi hai, bahut kucch karna chahta hu but family ki responsibility ko dekh ke koi stape lena abhi 3 saal possible nhi lag raha aur maine aapka comment usi din padha tha but unfortunately office ke tour and hospital ke chakkar me reply nhi de paya, aapne mere comment pe reply diya eske liye thanks aur maine aapko twitter pe dhundh liya and follow bhi chalu hai unfortunately facebook pe nhi mil rahi ho aap. rahi baat arvind ji ki to unke har mamle me mai ravish ji se sehmat hu aur jab bhi kuch hota hai ravish ko padh leta hu ya sun leta hu meri zigyasa khatam ho jaati hai, mai to chahta hu aur janta hu ki arvind ke upar agar ravish koi book likhe means arvind ka biography to mujhe nhi lagta ki koi ravish se behtar likh sakta hia aur na hi arvind usko chetan bhagat ke 7rcr ke tarah question karenge es se 2 faida hoga ek to hume arvind ke baare me jyada gehari se jaankari milegi and dusre wo book bhi jarur bahut bikega kyuki ravish likhenge to arvind usko jarur padhenge ravish arvind ji ke bhi favorite anchor hai aur arvind jab uspe bol denge to sach me wo book bahut bikega jis se ravish ko name fame and money sab milega and es samaj ko parivartan ki umeed jagani wale ke baare me gehrai se samajh aayegi...ravish jab book likhte hi hai aur chahte hai ki ow book bike aur log padhe to fir arvind ki biography likhne me kya problem hai.
Dear Anita ji
mai apna sir name jha hia usko kyu chhipau kya jha hona brahman hona ya bihari hona galat hia jo bhi aisa karte hai shayad unke man me koi doubt hogi aur khud pe khud ke identity pe bharosha nhi hoga, mai har dharm har jaati ka respect karta hu lekin sirf koi mujhe mere sir name se bihari na samajh jaaye es wajah se apna sir name change kar du to pata nhi hume zindgi me kitni chige change karni padegi...karm se to mai brahmin hone ka adhikari nhi hu but jaati majhab se hu aur jis tarah se mujhe dusro ke jaati majhab se koi problem nhi hai usi tarah se dusro ko bhi mere jaati majhab ya prant se koi problem nhi honi chahiye..ab aata hu ki mailikhta kyu nihi hu jyada eske piche week education hai class 10'th tak hindi medium se padhai ki kabhi goverment school nhi gya ghar pe maar kha leta tha school jaane ke liye lekin jaane ka man nhi hota tha jab dusre doston ko dekhta tha private school me jaate hue to man hi nhi karta tha ki goverment school me jau par economically strong family nhi thi income ke hissab se so nhi jaa paya, jaha tution padht ath awaha sirf science padhate the literature aur arts kabhi padha hi nhi na hi man lagta tha bus utna padha jitne se pass ho jau uske baad 12'th me science rakha english medium se yaha ek baat aur bata du 10'th me english me sirf 8 number hia pata nhi wo bhi kaise aa gya..aage ki puri padhai english medium me ki padhai ke baad job me aa gya aur ab to bas aisa lagta hia jaise life kisi gulami me kat rahi hai, bahut kucch karna chahta hu but family ki responsibility ko dekh ke koi stape lena abhi 3 saal possible nhi lag raha aur maine aapka comment usi din padha tha but unfortunately office ke tour and hospital ke chakkar me reply nhi de paya, aapne mere comment pe reply diya eske liye thanks aur maine aapko twitter pe dhundh liya and follow bhi chalu hai unfortunately facebook pe nhi mil rahi ho aap. rahi baat arvind ji ki to unke har mamle me mai ravish ji se sehmat hu aur jab bhi kuch hota hai ravish ko padh leta hu ya sun leta hu meri zigyasa khatam ho jaati hai, mai to chahta hu aur janta hu ki arvind ke upar agar ravish koi book likhe means arvind ka biography to mujhe nhi lagta ki koi ravish se behtar likh sakta hia aur na hi arvind usko chetan bhagat ke 7rcr ke tarah question karenge es se 2 faida hoga ek to hume arvind ke baare me jyada gehari se jaankari milegi and dusre wo book bhi jarur bahut bikega kyuki ravish likhenge to arvind usko jarur padhenge ravish arvind ji ke bhi favorite anchor hai aur arvind jab uspe bol denge to sach me wo book bahut bikega jis se ravish ko name fame and money sab milega and es samaj ko parivartan ki umeed jagani wale ke baare me gehrai se samajh aayegi...ravish jab book likhte hi hai aur chahte hai ki ow book bike aur log padhe to fir arvind ki biography likhne me kya problem hai.
MAI APNA COMMENT POST KYU NHI KAR PA RAHA HU YAHA PE?
अब कस्बा में रवीश जी के साथ अनीता झा जी को भी पढ़ना अनिवार्य हो गया है।
दुगुना आनंद।
anita ji aapne result to dekh liya hoga, arvind kejriwal.................
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