दक्षिण दिल्ली के मूलचंद से जब आप डिफ़ेंस कालोनी होते हुए ओबेरा़य से ठीक पहले फ़्लाइओवर से उतरते हैं तो बायीं तरफ़ एक मस्जिद है । यहाँ पर बीजेपी की इस होर्डिंग से लगा कि बीजेपी ने आप से बाज़ी मार कर निशुल्क पानी की व्यवस्था कर दी है । नज़दीक़ जाकर देखा तो पता चला कि प्याऊनुमा वाटर कूलर लगे हैं । तीन । वाटर कूलर या प्याऊ दिल्ली में कई लोग लगा देते हैं मगर उसे निशुल्क तर्ज़ पर पेश करने लगा कि बीजेपी भी इस नीति को लेकर आप से होड़ कर रही है ।
इस होर्डिंग का ख़र्चा वाटर कूलर की तुलना में कितना कम ज़्यादा है मालूम नहीं लेकिन मस्जिद के दरवाज़े पर साफ़ सुथरे स्टील के दो दो वाटर कूलर लगे हैं । नगर निगम ने दिखने के लिहाज़ से ही वाटर कूलर लगाया है वर्ना किसी स्कूल कालेज या बस स्टाप के पास लगता तो ठीक रहता । इस छोटी सी मस्जिद के पास पाँच पाँच कूलर । मगर विज्ञापन ऐसा कि लगे कि पूरी दिल्ली के लिए है । यह भी साफ़ नहीं है कि एम सी डी वाली बीजेपी किसी नीति के तहत कर रही है या किसी के द्वारा पावर्ड बाई कूलर पर अपना ठप्पा लगा रही है ।
9 comments:
:)i guess in delhi der is only rule now a days is perception ...n AAP wale is perception wali running mein bhot aage hai atleast in delhi...ye pyaaooo ..bus stop wagrah UP mein to bhot kaam karte hai..but i dunt think tat these kinda deeds will work in delhi in current scenario
रवीश जी आप ने वादा किया था हमारा ख़त (नया सवेरा नई उम्मीद http://nayasaveranayiumeed.blogspot.in/ )पढ़ने का । मैं मानता हु के आप के पास समय नहीं है लेकिन थोडा समय निकल लिजिए ना। धन्यवाद
Bapahi-Putahiki tarah lagta hain.Khair Khaksar ka kya paani to mil raha hai pyason ka.
Lagen rahiye Ravish Babu,
Kya aapko lagta nahi ki kabhi kabhi hum sab cynicism jyada farma rahen hain?
m to kahta hu election har mahine hone chahiye, desh ka vikas bus election k time he jo hota h, jiase kuch student saal bar nahi padte, per exam k ek din pahele sab shuru ho jate h ,ye neta b use parvarti k h....
m to kahta hu election har mahine hone chahiye, desh ka vikas bus election k time he jo hota h, jiase kuch student saal bar nahi padte, per exam k ek din pahele sab shuru ho jate h ,ye neta b use parvarti k h....
कुछ बचा नहीं दुनिया में चापने के लिए?
गरीबी रेखा वाली बहस देखी आज. आजकल मुद्दा फिर गरम है... आजकल कतई फुल मूड में हैं साहब.. कल नेताओ की क्लास लगाओ.. तनिक इनको गरीबी तो समझाओ.. वैसे भी चुनावी माहौल में ही उन्हें यह सब याद आता है..
पानी वाले तनिक पानीदारी भी सीख लें।
सर बहस तो सही रखी थी पर मुझे लगता है आप प्रवक्ता गलत उठा लाये...
बीजेपी के प्रवक्ता कहना क्या चाहते थे?? किस बात के लिए इतने गुरुर के साथ हंस रहे थे..? बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है हमारे देश के लिए... !!
दुनिया भर के जो १६ पॉइंट(जो की बहुत ही मामूली से हैं... बल्ब, टीवी, घर वगेरह सभी १६ न होना वगेरह जैसा उन्होंने बताया, जो मैं मान के चलता हु की ३५ रुपये रोजाना वाले नहीं जुटा सकते)) वाले २२ लाख लोग हैं उनके अलावा ११ लाख और लोग गुजरात में हैं जो ११ या १७ रुपये वाली गरीबी रेखा के नीचे हैं जिनके पास मान लेते हैं एक बल्ब ही होगा जिस कारण से वो २२ लाख में ना आ पाए होंगे...!!....
मैं बस कल्पना ही कर सकता हूँ की अगर ये आंकड़ा तेंदुलकर समिति वाली परिभाषा से लिया जाता तो कहीं पचासियो लाख लोग और न आ जाते.... !!!! ६ करोड़ की आबादी वाला एक छोटा सा प्रदेश और कहना पड़ेगा विकास वाला प्रदेश!!.. और वहां की गरीबी का यह हाल है और जो आंकड़ो के रूप में बढता दिख रहा है...!! और अगला आदमी हँसते हुए अपने आप को सही साबित कर रहा है.. अपनी गेंद को प्लानिंग कमीशन के उप्पर डालने की कोशिश कर रहे थे... बस..!!
और दुर्भाग्य की बात तो ये है की इसी गुजरात के नाम पर दुनिया को पगला दिया गया है.. बात करते हैं "समावेशी विकास" की..!!
खैर.. आपका बहुत बहुत धन्यवाद बहस रखने के लिए.. :)
रवीश जी,
सादर नमस्ते,
राजनीति हमारे समाज में बहोत निचले स्तर पर जा पहुंची है किन्तु यदि कुछ लोग अपने नफा के ही चक्कर में कोई पहलकदमी करता है तो इसमें बुरा क्या है, आखिरकार कुछ लोगों को तो फायदा मिले इस बहाने, कहीं न कहीं हम सब भी तो यही चाहते हैं कि कुछ तपकों को तो मुनाफा पहुंचे, किन्तु मै समझता हूँ कि इस देश में हर कोई अपना उल्लू सीधा करता है, गरीब कि मूलभूत समस्या का किसे ध्यान। वो तो ज्यो का त्यों अपनी स्थिति में पड़ा हुवा है , मै अपने गाव में अपने बचपन से जो स्थिति लोगों कि देखता हूँ उसमे रत्ती भर कि तबदीली मेरे समझ में नहीं आती जबकि कई सरकारे मेरे बचपन से लेकर जवानी तक बदली हैं.
मै आपसे कुछ उत्तर कि आशा करता हूँ। धन्यवाद !!!!
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