जीवन का ज्ञान

आज कार के एक पहिये का पंचर बनवाने गया था । पेंचर वाले से बात करने लगा कि यार ये गाड़ी पेंचर( पंचर नहीं ) बहुत होती है । वो गंभीर मुद्रा में जवाब देता है कि हाँ बरसात में ज़्यादा पेंचर होता है । बरसात में ? हाँ वो ज़मीन से एलिमेंट बाहर आ जाता है न उससे । एलिमेंट ? हाँ बारिश से मिट्टी धुल जाती है । मिट्टी के नीचे जो कील दबी होती है बाहर आ जाती है । लोहे के टुकड़े छिटक कर सड़क पर आ जाते हैं और पेंचर के केस बढ़ जाते हैं । 

18 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

हम अभिभूतित हैं..

Unknown said...

Papi pet ke liye.........

S. M. Rana said...

kuch palle nahin pada....

nptHeer said...

ज्ञान pevment से penchar तक :)
महानुभाव four wheeler से fortune wheel तक
राजनीती ज्ञान से महानुभाव तक

Unknown said...

परतें उखड़ेगी तो कुछ न कुछ तो बाहर आयेगा ही ! बाइ द वे 'पंक्चर' शब्द अंग्रेजी भाषा में है ही नही । डिक्शनरी में भी नही है । फ्लैटर्टड् शब्द है तो यह पंक्चर शब्द कहाँ से आया रिसर्च का विषय हैं ।

Unknown said...

परतें उखड़ेगी तो कुछ न कुछ तो बाहर आयेगा ही ! बाइ द वे 'पंक्चर' शब्द अंग्रेजी भाषा में है ही नही । डिक्शनरी में भी नही है । फ्लैटर्टड् शब्द है तो यह पंक्चर शब्द कहाँ से आया रिसर्च का विषय हैं ।

sachin said...

जीवन का ज्ञान लेने के लिए बाबाजी के पास जाने की ज़रुरत नहीं। वो कहीं से भी, किसी से भी मिल जाता है। बस नज़र -नज़र की बात है !

रवि रतलामी said...

जीवन का थोड़ा ज्ञान लगे हाथ हम भी बांट दें -

पेंचर की समस्या से बचने (पूरी तरह से छूट पाने के लिए नहीं,) के लिए कुछ उपाय -

ट्यूबलेस टायर या फिर पेंचर रोधी टफ़अप ट्यूब का उपयोग करें.

आजकल पेंचर रोधी सीलेंट मिलता है जिसे ट्यूबलेस टायर या ट्यूब में डलवाने से छोटे मोटे पेंचर खुद ही से ठीक हो जाते हैं - (हाँ छेद होता है वहाँ से ये बाहर निकलने की कोशिश में छेद बंद कर देते हैं)

Unknown said...

aaj k jamane me sabhi sanjdar hai

Unknown said...

कम से कम बरसात के बहाने ही पेंचर वाले की कमाई बढ़ जाती है...।

Vivek Garg said...

Gopal Girdhani.. please update your dictionary... maine search kiya hai ye shabd hai dictionary me.

nitin arya said...

sir aaj humlog ka topic kya hai, kahin update kar dijiya kijiye

Mahendra Singh said...

Achchi khoj hai.

USB said...

Ravish ji, ek acchi baat to hai ki log apne subject me thoda bahut research karte hi hai aur karna bhi chahiye, chahe profession koi bhi ho. Hum to dekh rhe hai reporting aur electronic media me hi tez paroshane ki itni jaldi hoti hai ki koi research nhi karta. aap exception hai bahut baar.

Dhyanendra Singh Chauhan said...

chhoti Magar Gyaan Ki Baate..

Parveen said...

यह जीवन ज्ञान है जो इसी तरह मिल सकता है. आपको पढ़कर-जानकर ये विश्वास और प्रगाढ़ होता है कि जड़ से मिले रहना चाहिये. मिट्टी से जुड़े ग़रीब भी अनुभव के अमीर होते हैं.

Unknown said...

बहुत बढिया ।

Unknown said...

बहुत बढिया ।