चेन्नई एक्सप्रेस से सरदर्द लेकर निकला ही था कि मैकडानल्ड की खिड़की पर ईद का ये नज़ारा दिखा । ये बच्चे अपनी अपनी ईदी लेकर आए थे । किसी ने जेब से दस का नोट निकाला तो किसी ने बीस का । सब जमा कर लगा कि इतने में नहीं मिलेगा तो काउंटर छोड़ कर चले गए । थोड़ी देर बाद फिर लौटे । सब धीमे धीमे बोल रहे थे । इस बार किसी ने बटुआ निकाला और कुछ और नोट निकाले । कुल मिलाकर एक सौ बीस रुपये जमा हो गए । सबका सीना चौड़ा हो गया कि इब तो आइसक्रीम हाथ लग गई । मैं खड़ा नज़ारा देखने लगा और क्लिक करने लगा । काउंटर पर खड़ी लड़की भी यह सब देखकर मुस्कुरा रही थी । उसने बहुत आराम से बीस का नोट वापस किया और फिर सौ रुपये में से भी कुछ लौटाया । सबका चेहरा खिल गया । अब सब इंतज़ार करने लगे चाकलेट के टाॅप वाली आइसक्रीम के कोन का । एक एक कर बाहर आने लगी । आप बस इन सातों तस्वीरों को देखते जाइये । हमारे ज़हन में भी ईद होली दीवाली की स्मृतियाँ इन्हीं छोटी छोटी बातों से बनती हैं । नेता भले ही गंध करें मगर समाज उत्सवों को ऐसे ही सहेज़ कर जीता है । तीस रोज़े की एक आइसक्रीम । वाह !
10 comments:
वाकई सहेजने लायक लम्हे हैं रवीश जी । हमारी तरफ से खुशियों के ' कोन ' बांटने वाली काउंटर गर्ल को भी सलाम है जिसने इन छह हिंदुस्तानियों की खुशी में शरीक होने का मौका सबको दिया ।
बहुत खूब !
वाह, एक से छै लोग स्वाद लेंगे, कौन कहता है हम मैकडोनाल्ड खरीद नहीं सकते। बस मिलकर काम करें।
Praveen ji ke baat bilkul sahi.Icecream ka swad to mujhe bhi acha lag raha hai. Bahoot khoob.....
Aaj kal log in choti choti bato ka maja lena bhul gaye apne maja le rahe ho bahut jordar
नम्स्कार!
आजकल बच्चों (और बडों ) के लिये दुकानें और उसपर चमकते हुये सामान इस तरह के नजारे दिखाते रहते हैं.
बेहद खूबसूरत लम्हे क़ैद किये हैं आपने । बहुत खूब !!
जहाँपनाह तु सी ग्रेट हो...
Ravish sir ...abhi tak aap yo sir accha bolte likhte the lekin aap ek acche photo grapher bhe hai
Ravish,kissa dil ko choo lene wala hai par kya yeh bhi sach nahi hai k brand ki chamak ne hamare masoomo ko aisa chakachondh kar diya hai k Icecream chahiye to MacD se chahe paise kahi se bhi laye jaye.
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