रवीशजी,आपके चित्र लाजबाब होते हैं ,आपने भीतर बहुत सरे राज को छिपाए बस बोलना ही चाहते हैं ,वो सारी स्पर्श जो हम देखते तो रोज है ,लेकिन महसूस तो आप ही करते हैं
रवीशजी,आपके चित्र लाजबाब होते हैं ,आपने भीतर बहुत सरे राज को छिपाए बस बोलना ही चाहते हैं ,वो सारी स्पर्श जो हम देखते तो रोज है ,लेकिन महसूस तो आप ही करते हैं
7 comments:
वाह, चित्रावली।
abhee bahut hai. khatam hi nahee ho rahee hai. kya karen. aur koi kaam nahee hai jivan me isliye tapaa-tap post karte rahta hun.
आदमपुर थाने का हौव्वा सिर चढ़कर बोल रहा है.
मोटरसाइकिल लगाकर गुप्त रूप से निगरानी रखें...
हाहाहा... और कोइ काम नहीं बचा है करने को...
aapki report kabhi hi miss hoti hai...'dhara 144' jehan mein hai..asal jindagi to vahi hai...sabse jyada touchy reporting thi..!
रवीशजी,आपके चित्र लाजबाब होते हैं ,आपने भीतर बहुत सरे राज को छिपाए बस बोलना ही चाहते हैं ,वो सारी स्पर्श जो हम देखते तो रोज है ,लेकिन महसूस तो आप ही करते हैं
रवीशजी,आपके चित्र लाजबाब होते हैं ,आपने भीतर बहुत सरे राज को छिपाए बस बोलना ही चाहते हैं ,वो सारी स्पर्श जो हम देखते तो रोज है ,लेकिन महसूस तो आप ही करते हैं
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