पहला (विश) अंग्रेज़ी और दूसरा (विष) संस्कृत का शब्द । टीम इंडिया को इतना विश किया गया कि वह विष साबित हो गया । देश भर के स्ट्रींगरों ने शहर के कुछ आवारा किस्म के साधुओं, हर कीमत पर टीवी पर आने के लिए बेचैन आत्मों से हवन पूजन करने के शाट्स मैनेज कर भेज दिए । हर चैनल पर चला । मैं इस ब्लाग के माध्यम से जानना चाहता हूं कि वाकई आपके घरों में टीम इंडिया के लिए हवन होता है । क्या टीम इंडिया के लिए कोई नया हवन मार्केट में आया है जो चौराहे पर ही होता है घर में नहीं । कई मैच से देख रहा हूं । हवन और दुआओं का धंधा । टीवी एक और काम कर रहा है । हर किसी को लग रहा है कि वो टीवी पर है मैं क्यों नहीं । जिन कव्वालों को कोई पांच सौ रुपये भी नहीं देता, जो सिर्फ राजनेताओं के होली मिलन के मौके पर गाते रहते हैं वो भी होड़ में शामिल हो गए । विश्व कप २००७ में बड़ी संख्या में कव्वालों ने गा गा गाकर टीम इंडिया को विश किया । विष बन गया । मैं इसकी जांच करवा रहा हूं । मुझे शक है कि हवन में शुद्ध सामग्री का इस्तमाल नहीं हुआ । टीवी कैमरे के लिए युकिलिप्टस के पत्ते हवन कुंड में डाले गए । जिसकी वेदों में चर्चा तक नहीं । घी की जगह पल्सर बाइक से पेट्रोल निकाल कर आ लगाई गई । पंडित की जगह चौराहे पर मिठाई वाले गुप्ता जी खुद बैठ गए । कव्वालों ने किसी फटीचर का लिखा गाना गा दिया । ख़ानकाहों की परंपरा तोड़ कर । कैमरे के लिए इन कव्वालों ने अपने सनम खुदा को बदल दिया और क्रिकेट को माई बाप बना लिया । तभी बैकफायर हुआ है । बांग्लादेश जीता है । इस बार टीवी में जब हवन के शाट्स आएंगे तो उनका हुलिया देखियेगा । बड़ी बेचैनी से वो दिखाने के लिए बेचैन भी रहते हैं । बांग्लादेश ने हरा दिया है तो अब प्रदर्शन भी होंगे । कौन लोग जाएंगे । तो इसका जवाब रिपोर्टर जानता है । मोबाइलधारी सड़क छाप लोग बैनर लेकर सहवाग हाय हाय करेगे और ये तस्वीर सभी चैनलों पर हेडलाइन हो जाएगी या हो चुकी होगी । हर शहर में अब कुछ लोग ऐसे हैं जो बात बात में दिखने या छपने के लिए प्रदर्शन करते हैं । इन्हीं लोगों की वजह से पिछले दो महीने से टीवी पर क्रिकेट का माहौल बना हुआ है । या बनाया गया है । कोई गा रहा है या नाच रहा तो इससे टीम पर क्या फर्क पड़ता है ? क्या टीम इंडिया सुन रही थी ? हमें बोर करते रहे ।
एक और इंटरेस्ट ग्रुप इस दलदल में आ गया है । ज्योतिष ग्रुप । सारे फटीचर ज्योतिष क्रिकेट की भविष्यवाणी कर रहे हैं । कोई कार्ड निकाल कर बता रहा है कि कौन चलेगा कौन नहीं चलेगा । अरे भाई नतीजा पहले ही पता करना है तो मैच क्यों खेलते हो ? क्यों देखते हो ? घर बैठो न ।
भाई ये क्या है ? क्रिकेट में कहीं लिखा है कि आप किसी से हारेंगे नहीं । दिखाइये तो ज़रा । बांग्लादेश या आयरलैंड को किसी ने कहा है कि आप खेलेंगे मगर जीतेंगे नहीं । किसी शेयर बाज़ार वाले से पूछो कहता है कि सभी अंडे एक टोकरी में मत डालो । बार बार मना करता है । फिर टीवी और बाज़ार के चक्कर में आप सिर्फ क्रिकेट पर ही दांव लगाते रहे । टोकरी गिर गई और अंडा फूट गया । दुआएं प्रार्थनाएं फेल हो गईं । लगता है देवता गण देश छोड़ कर भाग गए हैं । क्रिकेट से तंग आ कर ।
रोना छोड़िए । प्रतिक्रियाएं बंद कीजिए । खेल को खेल की तरह लीजिए । अपनी प्रतिक्रियाओं में बांग्लादेश को बधाई दीजिए । वेल डन बांग्लादेश बोलिये । कमाल आयरलैंड बोलिये । नए का स्वागत कीजिए । किसी का भी घमंड टूटे अच्छा होता है और जो तोड़ दे वो भी अच्छा होता है । अब आप राष्ट्रवाद को मत ले आइयेगा । राष्ट्रवाद पुरान पड़ चुका है । सीमाएं टूट गईं हैं । और आज़ाद भारत वर्ष की रचना इसलिए नहीं हुई थी कि हम क्रिकेट के लिए देशभक्त होने लगे । घंटा क्रिकेट राष्ट्रवाद है इस देश में । क्या कीजिएगा बांग्लादेश ने हरा दिया तो सेना बुलायेंगे । हम भी देखते हैं आपका क्रिकेटिया राष्ट्रवाद । क्रिकेट भारत नहीं है । ये वैसा ही भ्रम है जैसा कि सिर्फ अमिताभ बच्चन ही स्टार हैं । भारत एक महान नहीं सामान्य देश है । यही एक सबक है । और सामान्य होना महान होने से ज़्यादा बेहतर होता है । इसलिए भाई की जीत पर खुशी मनाइये जो कभी हमारा ही हिस्सा था । जहां के लोगों ने भारतवर्ष की आज़ादी के लिए मिल कर लड़ा था । और बाद में जिसके लिए हम भी लड़े थे । बांग्लादेश आज भी टैगोर का लिखा सोनार बांग्ला गाता है । बशर की टीम को बधाई ।
13 comments:
हा हा । अरे आप वीकेंड ब्लागिंग कर रहे हैं । मैं विदर्भ से लौट आया हूं । अब उत्तर प्रदेश जा रहा हूं । चुनाव के लिए ।
वेल डन, रवीश कु. एंड कमाल बांग्लादेश, आयरलैंड... जिनको तकलीफ हो रही हो वो सुबह-सुबह ज़रा काली कॉफी के चार घूंट पी लें।
ravishji,
pranam. aapke blog me is 'virus' ka pahla sandesh....kyaa karein jarurat aan padi..apne desh ke ekmatra 'manyataprapt' dharm par sawaal khade kar diye.....
are hum to bharatiya hain naa...shuru se hi dariyaadil....baangladesh se to hum yu hi haar gaye...bhai og hain humaare...ab hume to haarne-jeetne se koi fark padtaa nahi..puraani aadat hai... ....banglaadesh ko pad saktaa tha....emotional log hain......
khair, ghotaale ki jaanch kar rahe hain to thik se dekhiyegaa...kahi sehwag-sachin log yahi to nahi rah gaye....koi dusraa pahuch gaya unki shakal mein.....khel dekh ke to aisa hi lagtaa hai.helmet lagaa ke aate hain aur spinner aane se pahle hi laut jaate hai.pahchanna bhi mushkil.....
lage raho india........bhai indian team to aise hi khelegi....BAAKI AAPKI SHRADDHA.....
बढि़या है। जब हमारे क्रिकेटरों की आरती गायी जायेगी तो ऐसा ही होगा। आरती देवताऒं की गायी जाती है। देवता खेलने-कूदने के लिये, पसीना बहाने के लिये नहीं होते, पूजा करवाने के लिये होते हैं।
निखिल जी
ठीक कहते हैं । ये तो प्रमोद जी के उपन्यास के पात्रों वाला मामला है । बीस साल बाद ब्लाग और रवीश कुमार की कहानी सा । जिसमें कई किरदार के डबल्स हैं । हो सकता है कि कल का मैच टीम इंडिया के डबल्स बांग्लादेश के ओरिजनल से खेल गए । मगर उनके खेलने से ज़्यादा तो हम टीवी वाले खेल रहे हैं । हम भी उनके डबल्स हो गए हैं
sach mein bangladesh se har ke bad ek pal to aisa laga ki ye kya ho gaya. har tv channel ke anchor aur hamare bare cricket lover indian player ko dosh de raha hai, par kisi ne bhhi bangladesh ke khilariyon ki prasansa nahin ki. aisa kyon hota hai, are cricket ke pyare premiyon, khel to khel ki tarah hi dekho, kuchh to ismen jan rahne do. maine mana ki aap bare wo ho, par iska matalab ye nahin ki aap kisi ke sachchi prasansa mein bhi kotahi barten.
सुबह-सुबह एक अच्छी और एक बुरी खबर मिली… अच्छी यह कि पाकिस्तान बाहर हो गया और बुरी यह कि भारत भी लगभग बाहर हो गया है (अब हमें बरमूडा को अच्छे मार्जिन से पीटना पडेगा… जो कि ये गधे शायद ही कर पायें और साथ-साथ ही श्रीलंका को भी पीटना पडेगा) दोनों काम तो इनके बाप से भी होने से रहे… इसलिये हम भी बाहर… इसे कहते हैं सद्भावना...पडोसी बाहर तो हम भी बाहर… कम से कम अब तो पाकिस्तान को हमसे सम्बन्ध सुधार लेना चाहिये…
सही कह रहें हैं रवीश जी, खेल को सिर्फ खेल की तरह ही लेना चाहिये.
बांग्लादेश ने अच्छा खेला, जीता. इसपर इतना हमारा माथा-छाती कूटना क्यों ?
खेल सिर्फ खेल हैं और धार्मिक अनुष्ठानों से इनका संबन्ध केवल बाजार को बढ़ाने के लिये है.
क्या लोगों ने भारत में आह ऊह इन्डिया करने वाले कोल्ड ड्रिंक वालों के पाकिस्तान के बाजारों में दिये गये एड देखे हैं?
आज भी मैच हारने के बाद नज़ारा कुछ ऐसा ही हंगामेदार था। इधर टीम इंडिया मैच हारी नहीं कि रांची में लोग धोनी की ख़बर लेने पहुंच गए। इलाहाबाद में अपने घरों में सजे पोस्टर लेकर दौड़ पड़े सड़क की ओर। लगाया मीडिया में अपने सगे संबंधियों को फोन- भाई, यही मौक़ा है तुम्हारी ख़बर हो जाएगी, हमारी फोटो चमक जाएगी। इधर भोपाल के लोगों ने देखा हम पीछे न रह जाएं। जो जहां मिला चल पड़ा। पोस्टर, घर में संभाल कर रखे फटे जूते और कई दिनों से इस मौक़े के लिए बना कर रखे पुतले लेकर। सौ लोग नहीं जुट पाए तो क्या हुआ? क्लोज़ शॉट ले लेंगे। अप-डाउन पैन हो जाएगा। कैमरा मैन को इसी करामात के तो पैसे मिलते हैं। और भोपाल भी तैयार था पांच लोगों की अपार भीड़ और दुनिया भर की नाराज़गी लेकर।
ख़ैर ये तो हुई मीडिया की पसारी गई नौटंकी। जिसमें लोग महज़ चेहरा दिखा देने की शर्त पर भरपूर सहयोग दे रहे हैं। लेकिन एक बात और है यहां। क्या जब ओलंपिक या एशियाड में हम फिसड्डी साबित होते हैं तो हमारा दिल कसोटता नहीं है? क्या हम व्यवस्था ना होने की दुहाई नहीं देते हैं? हम खेल को खेल भावना से ही लेते हैं। लेकिन क्या हम खुश होना चाहिए कि भारत से कई गुना छोटे देश झोली भर भर के मेडल जीत रहे है? हल्ला-हंगामा जायज़ नहीं है। मैं भी इसकी वकालत कभी नहीं करुंगा। लेकिन हारने से खुश क्यों हो जाएं? बात बांग्लादेश की जीत की चलेगी तो ज़रूर कहेंगे उन्होंने काफ़ी अच्छा खेला। भारत को इससे सीख लेनी चाहिए। जिस पिच में हम सौ ख़राबियां निकाल रहे हैं, वो उनके लिए भी था। लेकिन उन्होंने हमें हरा दिया। कई लोग हैं बांग्लादेश से हारने से दुखी नहीं हैं बल्कि शर्मनाक हार से दुखी हैं। सारी सुविधायें हैं आपके पास, तमाम पैसे हैं आपकी झोली में, लेकिन आप ऐसे हारते हैं। ऐसी हार पर शर्म तो आएगी ही दुखी तो होंगे ही। चाहे बांग्लादेश से हारें या ऑस्ट्रेलिया से।
अरे यहाँ अमरीका में भी कुछ मित्रों ने हवन करवाया है, और हमसे पूछ रहे थे की न्यूज़ में लाने के लिए क्या करें। मूर्खों का कोई गाँव नहीं होता रवीश जी, सब जगह बराबर मात्रा में मिलते हैं।
यही सब देख कर हम दुआ कर रहे थे टीम इंडिया हार जाय लगता है हमारी दुआ उन सारे हवनों पर भारी पडी ;)। ये भी हो सकता है कि हमारी दुआ मीडिया ने कवर नही करी इसलिये कारगार सिद्ध हुई ;) हमने भी यही कहा ऊंची दुकान फीका पकवान
ravish bhai,Namaskar
Aap vastav me yuva patrakar ke liye ek mishal hain. Aaj jabki har Yuva ptrakar chahta hai ki jaldi se jaldi shikhar par chale pahunch jain. Lekin pahrne-likhne se kaphi yuva aaj-kal katrate jahle hain.Jabki bina pahre-likhe kaise patrakarita hogi.
shukria.
Main Nagesh DD NEWS se,
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