उदय चंद्र सिंह पर्दे के पीछे रहते हैं । टीवी के घर में । लिखते रहते हैं मगर कस्बा के लिए बहुत दिनों बाद लिखा है । वादा किया है कि आगे भी लिखते रहेंगे । एऩडीटीवी इंडिया में काम करते हुए उन्होंने अपने दस साल से भी ज़्यादा वक्त गुज़ार दिये । पेश है उनका लेख
टीवी की दुनिया में खूब अज़ब ग़ज़ब होता है । कुछ वैसा हीं जैसा की टीवी चैनलों पर चौबीसों घंटे अज़ब ग़ज़ब की खबरें दिखती रहती है । कभी नोएडा को बंदर खा जाता है तो कभी तेल लगाने के मुद्दे पर चंदशेखर राव यूपीए से कुट्टी कर लेते हैं । ग़ज़ब तो तब हो गया जब हीथ्रो हवाई अड्डे पर एक हवाई जहाज़ ने एक पायलट को हीं कुचल दिया । खूब माथा पच्ची करने पर भी समझ नहीं आया कि पायलट ने खुदकुशी की या फिर रनवे पर दौड़ लगाते जहाज से हीं कूद गया । पत्रकार मन बेचैन हो रहा था । जिस चैनल पर खबर देखी वो भी विस्तार से कुछ नहीं बता रहा था । बस नीचे एक पट्टी दौड़ रही थी- हवाई जहाज से कुछलकर पायलट की मौत । डायनिंग टेबल पर खाना खाने बैठा तो तो भी सत्तू पराठा गले से नीचे नहीं उतर रहा था । उतरता भी कैसे ? मन में कुलबुली मची थी कि आखिर पायलट पर पूरा जहाज कैसे चढ गया वो भी हवाई अड्डे पर सबके सामने । क्या हीथ्रो हवाई अड्डे पर रांची हवाई अड्डे जैसी सुविधाएं भी नहीं है । वहां दिन में एक दो जहाज उतरता है । उतरने से पहले एक हरकारा लाल जीप ( फायर ब्रिगेड वालों की जीप) पर सवार होकर रनवे के आसपास चरती गाय भैंसो को हांकता है ताकि कोई हवाज जहाज़ के नीचे ना आ जाये ।जब मन शांत नहीं हुआ तो स्टार न्यूज़ में अपने एक साथी को फोन खड़का डाला । सोचा , आखिर दोस्ती कब काम आयेगी । पहले उसका हाल पूछा फिर पायलट की चाल का ।बात उसे भी कुछ समझ नहीं आई जबकि वो खुद टीवी न्यूज़रूम में मौजूद था । ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेगे की तर्ज पर उसने मुझे भरोसा दिलाया जल्द ही खबर की तफ्तीश कर वो मेरे अशांत मन को शांत करेगा । और उसने दोस्ती निभाई । पांच मिनट बाद हीं मेरे मोबाइल की घंटी घनघना उठी । नंबर देखा तो स्टार न्यूज वाले उसी दोस्त का था । सोचा वाह दोस्त हो तो ऐसा, कितनी चिंता है उसे मेरी । उसका फोन ऐसे उठाया जैसे गर्ल फ्रेंड का । उसने उस लाइव रिपोर्टिंग करने से पहले तो मुझसे माफी मांगी और ताजा खबर दी कि पायलट वाली ख़बर टिकर (स्क्रोल ) से हटा ली गई है। इसलिए नहीं कि खबर बासी हो गई थी बल्कि इसलिए कि खबर का अनुवाद गलत हो गया था । दरअसल पायलट की मौत हीथ्रो हवाई अड्डे से बाहर निकलते समय कार से कुचलकर हुई थी । अंग्रेजी में कहीं से कोई छोटी सी खबर आई थी और जल्दी में किसी ने ग़जब ढा दिया ।
टीवी की दुनिया में खूब अज़ब ग़ज़ब होता है । कुछ वैसा हीं जैसा की टीवी चैनलों पर चौबीसों घंटे अज़ब ग़ज़ब की खबरें दिखती रहती है । कभी नोएडा को बंदर खा जाता है तो कभी तेल लगाने के मुद्दे पर चंदशेखर राव यूपीए से कुट्टी कर लेते हैं । ग़ज़ब तो तब हो गया जब हीथ्रो हवाई अड्डे पर एक हवाई जहाज़ ने एक पायलट को हीं कुचल दिया । खूब माथा पच्ची करने पर भी समझ नहीं आया कि पायलट ने खुदकुशी की या फिर रनवे पर दौड़ लगाते जहाज से हीं कूद गया । पत्रकार मन बेचैन हो रहा था । जिस चैनल पर खबर देखी वो भी विस्तार से कुछ नहीं बता रहा था । बस नीचे एक पट्टी दौड़ रही थी- हवाई जहाज से कुछलकर पायलट की मौत । डायनिंग टेबल पर खाना खाने बैठा तो तो भी सत्तू पराठा गले से नीचे नहीं उतर रहा था । उतरता भी कैसे ? मन में कुलबुली मची थी कि आखिर पायलट पर पूरा जहाज कैसे चढ गया वो भी हवाई अड्डे पर सबके सामने । क्या हीथ्रो हवाई अड्डे पर रांची हवाई अड्डे जैसी सुविधाएं भी नहीं है । वहां दिन में एक दो जहाज उतरता है । उतरने से पहले एक हरकारा लाल जीप ( फायर ब्रिगेड वालों की जीप) पर सवार होकर रनवे के आसपास चरती गाय भैंसो को हांकता है ताकि कोई हवाज जहाज़ के नीचे ना आ जाये ।जब मन शांत नहीं हुआ तो स्टार न्यूज़ में अपने एक साथी को फोन खड़का डाला । सोचा , आखिर दोस्ती कब काम आयेगी । पहले उसका हाल पूछा फिर पायलट की चाल का ।बात उसे भी कुछ समझ नहीं आई जबकि वो खुद टीवी न्यूज़रूम में मौजूद था । ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेगे की तर्ज पर उसने मुझे भरोसा दिलाया जल्द ही खबर की तफ्तीश कर वो मेरे अशांत मन को शांत करेगा । और उसने दोस्ती निभाई । पांच मिनट बाद हीं मेरे मोबाइल की घंटी घनघना उठी । नंबर देखा तो स्टार न्यूज वाले उसी दोस्त का था । सोचा वाह दोस्त हो तो ऐसा, कितनी चिंता है उसे मेरी । उसका फोन ऐसे उठाया जैसे गर्ल फ्रेंड का । उसने उस लाइव रिपोर्टिंग करने से पहले तो मुझसे माफी मांगी और ताजा खबर दी कि पायलट वाली ख़बर टिकर (स्क्रोल ) से हटा ली गई है। इसलिए नहीं कि खबर बासी हो गई थी बल्कि इसलिए कि खबर का अनुवाद गलत हो गया था । दरअसल पायलट की मौत हीथ्रो हवाई अड्डे से बाहर निकलते समय कार से कुचलकर हुई थी । अंग्रेजी में कहीं से कोई छोटी सी खबर आई थी और जल्दी में किसी ने ग़जब ढा दिया ।
टीवी की दुनिया में ऐसी ग़लतियां खूब हो रही है । कुछ जाने तो कुछ अनजाने । एनडीटीवी इंडिया हो या या जी न्यूज़ या फिर स्टार या सहारा हर कहीं काम करनेवालों के पास अपनी गलतियां ढंकने एक हीं बहाना है- टीवी न्यूज़रूम में बहुत प्रेशर रहता है भाई । शिफ्ट खत्म होने के बाद दफ्तर से निकलता हूं तो लगता है कि स्कूल की छुट्टी हुई है । ठीक है भाई । प्रेशर तो मुझे भी लगता है सुबह सुबह। अब इसका मतलब यह तो नहीं कि बिस्तर हीं गंदा कर दूं ।
अब टीवी पर अगर यह पट्टी दौड़ती दिखे कि नोएडा को बंदर खा गया तो भला कौन नहीं चौकेंगा । पूरे नोएडा को भला एक बंदर कैसे खा सकता है ?लेकिन इस ख़बर ने मन बेचैन नहीं किया । दिमाग़ दौड़ाया तो समझ आ गया माज़रा किया है । दरअसल नोएडा को बुलंदशहर से जोड़ने के खिलाफ उस दिन नोएडा को बंद रखा गया था । बंद शब्द के साथ रखा का र जोड़ दिया गया है और खा को अलग कर दिया । नतीजा वाक्य विन्यास हुआ- नोएडा को बंदर खा गया ।
चलिये हड़बड़ दरबड़ में गलती हो गई । लेकिन पूरे दो मिनट तक बंदर नोएडा को खाता रहा और टीवी न्यूज रुम में तैनात कोई पत्रकार अपना आउटपुट या इनपुट देने सामने नहीं आया । हद तो तब हो गई जब एक न्यूज रीडर ने हंसते हंसते हमें यह खबर सुनाई- तेल लगाने के मुद्दे पर टीआरएस नेता चंद्रशेखर राव ने यूपीए से अलग होने की धमकी दी । माथा घूम गया लेकिन बात समझ नहीं आयी । आखिर चंद्र शेखर राव को तेल लगाने का इतना शौक कब से हो गया कि वो उसके लिए अपना राजनीतिक करियर हीं दांव पर लगा दें । खैर पड़ताल करने पर पता चला कि एक बिंदी ने चिंदी कर दी । आउटपुटवालों ने हेडलाइन लिखते समय तेलंगाना पर बिंदी तो छोड़ी हीं, कंप्यूटर के की बोर्ड में स्पेस का माथा भी कुछ ऐसा पलटा कि उसने तेलगाना को तोड़ कर उसे तेल गाना बना दिया । ऐन मौके पर न्यूजरीडर ने टेली प्रोंपटर देखकर ख़बर पढ़नी शुरु की तो उसे कुछ समझ नहीं आया ..उसने अपनी बुद्दि बल का प्रयोग करते हुए आनन फानन में वाक्य को अपने मन से संपादित करते हुए पढ़ा- तेल लगाने के मुद्दे पर टीआरएस नेता चंद्गशेखर राव ने यूपीए से अलग होने की धमकी दी । वाह रे टीवी पत्रकारिता ।
टीवी में ऐसे एक्सीडेंट रोज होते हैं लेकिन गुनहगार पकड़ा नहीं जाता । पकड़ा जाता है भी तो जनता की अदालत में पेशी नहीं होती । जनता अपना गुस्सा एसएमएस भेज कर निकालती है । अब उन्हें कौन बताये कि स्पेशल नंबर पर अपना गुस्सा निकल कर वो अपनी जेब से भी काफी कुछ निकाल रहा है ।जेब तो टीवी चैनल वालों का ही भरता है ।
अब टीवी पर अगर यह पट्टी दौड़ती दिखे कि नोएडा को बंदर खा गया तो भला कौन नहीं चौकेंगा । पूरे नोएडा को भला एक बंदर कैसे खा सकता है ?लेकिन इस ख़बर ने मन बेचैन नहीं किया । दिमाग़ दौड़ाया तो समझ आ गया माज़रा किया है । दरअसल नोएडा को बुलंदशहर से जोड़ने के खिलाफ उस दिन नोएडा को बंद रखा गया था । बंद शब्द के साथ रखा का र जोड़ दिया गया है और खा को अलग कर दिया । नतीजा वाक्य विन्यास हुआ- नोएडा को बंदर खा गया ।
चलिये हड़बड़ दरबड़ में गलती हो गई । लेकिन पूरे दो मिनट तक बंदर नोएडा को खाता रहा और टीवी न्यूज रुम में तैनात कोई पत्रकार अपना आउटपुट या इनपुट देने सामने नहीं आया । हद तो तब हो गई जब एक न्यूज रीडर ने हंसते हंसते हमें यह खबर सुनाई- तेल लगाने के मुद्दे पर टीआरएस नेता चंद्रशेखर राव ने यूपीए से अलग होने की धमकी दी । माथा घूम गया लेकिन बात समझ नहीं आयी । आखिर चंद्र शेखर राव को तेल लगाने का इतना शौक कब से हो गया कि वो उसके लिए अपना राजनीतिक करियर हीं दांव पर लगा दें । खैर पड़ताल करने पर पता चला कि एक बिंदी ने चिंदी कर दी । आउटपुटवालों ने हेडलाइन लिखते समय तेलंगाना पर बिंदी तो छोड़ी हीं, कंप्यूटर के की बोर्ड में स्पेस का माथा भी कुछ ऐसा पलटा कि उसने तेलगाना को तोड़ कर उसे तेल गाना बना दिया । ऐन मौके पर न्यूजरीडर ने टेली प्रोंपटर देखकर ख़बर पढ़नी शुरु की तो उसे कुछ समझ नहीं आया ..उसने अपनी बुद्दि बल का प्रयोग करते हुए आनन फानन में वाक्य को अपने मन से संपादित करते हुए पढ़ा- तेल लगाने के मुद्दे पर टीआरएस नेता चंद्गशेखर राव ने यूपीए से अलग होने की धमकी दी । वाह रे टीवी पत्रकारिता ।
टीवी में ऐसे एक्सीडेंट रोज होते हैं लेकिन गुनहगार पकड़ा नहीं जाता । पकड़ा जाता है भी तो जनता की अदालत में पेशी नहीं होती । जनता अपना गुस्सा एसएमएस भेज कर निकालती है । अब उन्हें कौन बताये कि स्पेशल नंबर पर अपना गुस्सा निकल कर वो अपनी जेब से भी काफी कुछ निकाल रहा है ।जेब तो टीवी चैनल वालों का ही भरता है ।
उदय चंद्र सिंह
9 comments:
अच्छी और जरूरी खिंचाई मीडिया वालों की... लेकिन ये वाकया रुकेगा नहीं .. होता रहेगा ऐसा
बहुत सही उदय भाई,
झकास लपेटा है।
यार पोस्ट का शीर्षक ही होना चाहिए था, "नोएडा को बंदर खा गया"।
उम्मीद है रवीश आपको पकड़े रखेगा।
रवीश बहुत अच्छा किया उदयजी को यहाँ लिखवाकर, अब समझ आया न्यूज चैनल की ऊटपटांग खबरों का राज, उदयजी मजा आ गया पडकर
उदय जी लेख पढ़ा,मुझे भी कई बार ऐसे वाकयों से दो चार होना पड़ा है. एक नैशनल न्यूज चैनल के लिए रन बनाते हुए एक बार मैंने हेडलाईन बनाई..
"संसद में .... मुद्दे पर गतिरोध जारी... आम सहमति के लिए अध्यक्ष बुलाएंगे सर्वदलीय बैठक"
हेडलाईन तो ये थी भाई.लेकिन हमारे एंकर ने पढ़ी..
"संसद में .... मुद्दे पर गतिरोध जारी... आम के लिए अध्यक्ष बुलाएंगे सर्वदलीय बैठक"
और भी कई उदाहरण हैं....कभी फिर....।
Manish.
मीडिया में सेंध मारने के बाद आपका नाम तो काफ़ी सुना था। लेकिन लिखा पढ़ा तो हंसते-हंसते बुरा हाल था। ग़लतियां ख़ूब होती हैं। लगभग सभी चैनलों पर और अख़बारों में भी। लेकिन आपने समस्या को सामने रखने के लिए जिन वाक़यों को चुना वो क़ाबिल-ए-तारीफ़ है। फिर उसे कहने में भी आपकी कलाकारी दिखाई दी।
वैसे एनडीटीवी जॉब साइट पर हाल ही निकली जॉब ऑपरच्यूनिटीज़ में भी प्रेशर सिचुएशन में काम करने में महारत होने का ज़िक्र था। प्रेशऱ मुझ भी हावी रहता है, अब शायद पछाड़ दूं उसे।
बहुत सही लिखा है।
उदय जी, मजा आ गया। वैसे नोएडा को ही नहीं, न्यूज चैनलों को भी बंदर खा रहे हैं।
udai, Tumhe bahut dino baad padha. Maza aaya. print media me bhi bevkuphi ke aise kisso ki kami nahi. Asha hai pressure se nijat pakar likhte rahoge.
shambhu, Ranchi
Pahle to Uday ji ko mera Salaam.
Uday ji lekh padha achchha laga abhi main naya paathak hoon zyada nahin likh paunga ..
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