रामधन एंड मूलधन इन यूपी इलेक्शन-पार्ट ३

मूलधन,खेत के मेड़ पर बैठा शून्यगामी प्रतीत हो रहा था। रामधन भैय्या खोजते धौगते चले आ रहे थे। अरे मूलधनवा उठ न रे। ग्रैभिटी फोर्स ज़ीरो हो गइल का रे। कौन कहीस है रामधन भैय्या। अरे गांव भर के लइकन सब कहत हैं कि मूलधनवा के ग्रैभिटी ज़ीरो हो गवा है। धरती छोड़ता है कि हवा में उड़ने लगता है। इ कौन बीमारी है रे यंगर ब्रदर। रामधन भय्या। अब मूलधन भोकार पार के रोने लगता है। हम मेड़ पर के घास छोड़त हईं त हवा में उड़त लागत हईं। बे हुआ का है,बतावेगा। भैय्या हम टीवी देख लीहलीं। ओकरा में बोकरात रभीसवा बोल रहिस था कि धर्म आ जाति से ऊपर उठकर कब वोट करेगा। बस हम कहली ए भौकालेंकर महोदय(एंकर का नया नाम) देख हम उठत जात हईं धर्म आ जाति से। बस भैय्या, हल्का हो गललीं। जैसे धर्म आ जात छोड़ दिहलीं, बुझाइल कि भूचाल आई गवा है। जे जे धर्म आ जाति के धइले रहल, उस सभन ज़मीन में आ हमहीं अकेले असमाने में उड़े लगनी। कुछऊ शरीरियां में बाकिये नइखे। अब बुझाता, धर्म आ जाति केतना ज़रूरी है। धरती पर रहने के लिए। ओकरा बिना ग्रेभिटी वाला थ्योरी है न न्यूटनिया के, बेकार है।

अरे काहे रे। पोलटिक्स में फिजिक्स पढ़ता है। दिमाग की बीमारी हो गएल ह तोहकें। बुझले मूलधनवा। तू भोटर है रे। बिना जात अ धर्म के भोटर होता है कहीं। देखा है दुनिया में। दुनिया में...अरे रामधन भैय्या हम त जिनगी भर सीतापुर से बाहरे न गइलीं। इ सीतापुर में तो कउनू भोटर नाहीं है, जाति धर्म के बिना। नहीं है न त तू काहे दुन्नों के बिना हो गया। बड़का भाई के विस्वास में काहे नहीं लिया रे। देख, धर्म आ जाति न रखबे, तो कौनो पव्वो न देवेगा इलेक्सन टाइम में। बेगार करबे का रे नेतवन के। कुछऊ हमरो त मिलेके चाहीं। एहीसे कहत हईं,ऊपर उठिये त एक्के बार। देखल जाइ तब कि जहन्नुम मिलल की जन्नत। का पता ऊपरों जाय के बेरा चुनाव हो जाए आ पार्टी वालन हमके तोहकें जन्नत भेज दे।

मेनिफेस्टों का कोई भरोसा है। कुछऊ लिख देवत हैं सन। ओकरा में देखत तू कि एक्को लाइन लिखलै हैं कोई,कि धर्म या जात के बिना वाले भोटरों के लिए इ करेंगे उ करेंगे। बाप रे बाप । मूलधनवा अनरथ कईले रहले तू त। मत छोड़। धइले रह जात आ धर्म के। भौकालेंकर लोग तो बकत रहलन रात भर। बके दे ओनकरा के। देख मूलधन। बिकास के मतलब बूझ। फ्री कपड़ा लत्ता,जूता,साइकिल। इहे कूली मिलतौ। खैरात में सरकार हज़ार पांच सौ रूपये देगी हमन सभी को। लेकिन कौनो सामान बिना जात धर्म वाले के लिए नहीं है। न गांव है न रोड है न स्कूल है। जात धर्म त भोटर के श्रृंगार है। सजनी बिन घूंघट के शोभत नाहीं रे। मेलवन के लौंडिया मत बन। उघार हो जइबे,जात धरम छोड़ले त। माफी दे द भैय्या। हम सोचली कि बिकास होई जाइ।

18 comments:

nimeshchandra said...

क्या अपने ट्विट्टर और ndtv छोड़ दिया है , ndtv सोसिअल पे भी आपका पेज नहीं मिल रहा

Tarun Kumar "Tarun" said...

Maja aa gayil bhiaya

Abhay said...

हा हा हा...लेख बढ़िया है.


पी.टी. पर कल जो चर्चा की आपने तो मन में यही सब चल रहा था की जब संख्या के आधार पे ही सारा लोकतंत्र चलना है - सत्ता की कुंजी मिलनी है - शासन का अघोषित अधिकार मिलना है - कायदे- कानून बनाये जायेंगे तो...तो फिर....क्या वह लोग पागल हैं जो सरकार के नारे और समाज और देश के लिए, जनसँख्या नियंत्रण के लिए "परिवार नियोजन" करते हैं?????????

.(भले ही ये सवाल सीधा आप से है ही नहीं फिर भी...संभल के यह एक बड़ा सवाल है)

प्रवीण पाण्डेय said...

पॉलिटिक्स में फिजिक्स, डार्क मैटर तब कैसे बतायेगा रामधन...

JC said...

JC said...
न्यूटनवा तो इसाई था... इसलिए सेब के पेड़ पर लटके शैतान भूतों ने उस को धरती की ग्रैभीटी के बारे में गणित सुझाया... और भोट की राजनीति तो 'हमने' (जो पश्चिम दिशा से आते रहे) वर्तमान में तो उन्ही ईसाईयों से ही सीखी, जबकि 'भारत' में तो वट-वृक्ष, अर्थात बरगद के पेड़ के साधू भूतों ने बुद्ध को शान्ति का पाठ पढ़ाया... और उससे पहले वैदिक काल में जब भारत एंटी-ग्रैभीटी पर परीक्षण कर रहा था तो यूरोप में जंगली, गुफा-मानव, रहते थे... किन्तु काल चक्र ने हमें कंक्रीट के जंगल में पहुंचा दिया - विकासवा के नाम पर (!: ?)

February 8, 2012 6:11 PM

Suchak said...

hello sir ji, are kuch kuch samaj me hi nahi aaya...plz hindi me likha kijiye na..bhojapuri samaj me nahi aati !!!

nptHeer said...

:) kya tha ye?:) freshness dosage?:) UP politics se abhise pak gaye?:) zero gravity:) aur kay politics main physics haha kal electronics aur fir aeronotics ki baari hogi.m sure unki baari ab,haina? Jaati,dharm aur aarakshan ye sab chijen unhiko pareshan karti hai jo inse upar uthneki:) koshish karte hai...aap k villager ko atleast ek baar to itna khayal aa gaya.kyun na kiska itna sochna hi positive sign of politics maan liya jaay? Subah door nahi lagegi. Lets hope for a strong fair India.:)

Anonymous said...

रवीश जी आप उत्तर परदेश के इलेक्शन के बारे में लिखते है पंजाब के इलेक्शन के बारे में भी कभी कुछ लिखिए.

nptHeer said...

Mool dhan haar gaya aur uska bada bhai jeet gaya kyunki jeet to 'jhuth'ki hi hoti hai..nahi samjhe? Jahan election main selection ka 'sawal' ho to jawab kya ho sakta hai?simple-jhuth...oh:) i forget about ardh satya.people will escape.they will not 'vote' hahaha :)

JC said...

JC said...
जैसा आइन्स्टाइनवा ने भी फरमाया, विज्ञान की इतनी प्रगति नहीं हुई होती यदि 'प्राचीन भारत' ने जीरो से नौ तक नंबर न दिए होते (अरब निवासियों के माध्यम से प्राप्त और 'हम' वर्तमान में गर्वान्वित हो रहे हैं :)...
न्यूटनवा ने भी कहा कि ज्ञान का अनंत सागर तो अभी अपने सामने ही पडा था, उसे तो केवल सागर के किनारे में पड़े कुछ चमकदार पत्थर, शंख आदि जैसे ही मिले थे...
और वर्तमान में 'हम' भारतीय ही पश्चिम से गणित सीख उनके द्वारा मूर्ख बनाए जा रहे हैं, अर्थात जिसको अधिक भोट मिलें वो राजा भले ही फिर पांच साल सब हाथ मलते रह जाएँ और इंतज़ार करते रहे कि भोट किसी दूसरे को दें जो 'सतयुगी' हो (कलियुग में!!!)....
धन्य है प्रभु की रहस्यमयी श्रीमती 'माया देवी' और उसकी जादूगर समान हाथ की सफाई... :)
इसी तथाकठित महान देश, 'भारत' की मिटटी में उत्पन्न हुए जोगी सिद्धों ने 'परम सत्य',,, 'सत्यम शिवम् सुन्दरम' वाले, जो अनंत हैं, शून्य काल और स्थान से सम्बंधित ब्रह्माण्ड के शून्य जिसके हम सभी साकार प्रतिरूप हैं... जैसे 'हम' वसुधा अर्थात धरा ('गंगाधर शिव') के परिवार के सदस्य तोते समान कहते आ रहे हैं 'सत्यमेव जयते',,, जबकि हम सभी साकार नौग्रहों के सार से बने हैं, 'माटी के पुतले' जो शून्य में लटके हुए हैं और अनंत नाटक के पात्र हैं - पृथ्वी-चन्द्र द्वारा जनित द्वैतवाद/ अनंतवाद के माध्यम से सौर-मंडल के अन्य सदस्यों की सहायता से लिखी कहानी के आधार पर ...:( ...:)...

February 9, 2012 6:29 AM

Anonymous said...

आपका रामधन और मूलधन सीरीज पसंद नहीं आती पर कोई फर्क नहीं आपका मन है कहते रहिए हम तो पढ़ते रहते हैं ...!!

nptHeer said...

Suraj sa chamke hum,badal sa garje hum,khushboo sa mahke hum...school chale hum...ABVgovt k time aata tha ye shayad..bade logon k liye bhi likhna padhna utnahi Jaruri Hota hai.illitracy is unberable :p

Anonymous said...

sir , what ever u hav written it is exactly revelant in today's indian politics.

surbhit verma said...

are ramdhanwa kaisan ho.....sir pls wapis aa jaiye aapki leave kb khatm hogi,u 9 mai thaka nahi hu logo ko jwab de kar maine sabko kha hua hai aap jaldi he laut aynge,i think aap account verifiy karwa rahe hai but aapne kha tha leave pe hu..pls come back.miss u

surbhit verma said...

sir., kal humlog me aynge aap,i'll see you...now come back on twiiter,vanwas khtam kar dijiye..

कविता रावत said...

bahut badiya prastuti..

रज़िया "राज़" said...

फ़ेसबूक पर आपके फ़ेन आपका इंतेज़ार कर रहे है।

Shah Nawaz said...

कई महत्त्वपूर्ण 'तकनिकी जानकारियों' सहेजे आज के ब्लॉग बुलेटिन पर आपकी इस पोस्ट को भी लिंक किया गया है, आपसे अनुरोध है कि आप ब्लॉग बुलेटिन पर आए और ब्लॉग जगत पर हमारे प्रयास का विश्लेषण करें...

आज के दौर में जानकारी ही बचाव है - ब्लॉग बुलेटिन