हे दुखभंजन मारुतिनंदन...जय हनुमान

कल्याण (गीता प्रेस) का एक अंक है हनुमान। इस अंक में हनुमान कथा की विस्तृत जानकारी है। हनुमान में मेरी दिलचस्पी इसलिए भी हुई है कि वाक् पत्रिका में अभय कुमार दूबे ने हनुमान पूजा पर ग़ज़ब का एक लेख लिखा है। जानकारी से भरपूर। तब से मैं और अधिक जानकारी चाहता हूं। हनुमान जी के बारे में। कल्याण में कुछ पंक्तियां मिलीं जो मैं यहां आपके सामने रखना चाहता हूं।

हनुमान और रावण के राक्षसों के बीच संवाद हो रहा है। उसी प्रसंग पर यह संवाद हनुमान विशेषांक में छपित है। यानी छपा हुआ है।

हनुमान- याद रखो, मैं वासुदेव का पुत्र होने के कारण उतनी ही बलवान भी हूं।
राक्षस- अजी, और कहीं यह डींग हांको, पता भी है- यह रावण की लंका है, जिसमें सभी देव-दानव-मानव थर्राते हैं?
हनुमान- होगी, हमें इसकी चिंता नहीं है। एक क्या हज़ारों रावण भी अकेले मेरे सामने नहीं टिक सकते।
राक्षस- रावण के पास तोप, टैंक, मशीनगन एटमबम. हाइड्रोजन बम, राकेट आदि हैं, तुम्हारे पास तो कुछ नहीं।
हनुमान- ये सब के सब धरे रह जाएंगे। जब मैं पर्वतों, पर्वत शिलाओं, वृक्षों.महावृक्षों से प्रहार करने लगूंगा तो सृष्टि उलट-पलट हो जायेगी।

रोचक संवाद है। कल्याण के अंक में यह नहीं लिखा है कि कब का छपा है। खैर किस तरह से भक्ति मानस में आधुनिक चीज़ें चली आ रही हैं। शुक्र है इस संवाद में हनुमान जी कुछ भी ऐसा नहीं बोल रहे। वो अपने समय की क्षमता की ही घोषणा कर रहे हैं। मगर ये राक्षस तो....क्या कहें...मशीनगन और हाइड्रोजन बम?

खैर इसी विशेषांक में कई रोगों के उपचार भी दिए गए हैं। इन मंत्रों के जाप से दूर हो सकते हैं। मैंने कोशिश नहीं की है। आप चाहें तो कर सकतें हैं। मगर वैध से पूछ लीजिएगा। कहीं रिएक्शन न हो जाए।

१- नेत्ररोग- शमन के लिए
मंत्र-- ओम नमो वने विआई बानरी जहां जहां हनुवन्त आंखि पीड़ा कषावरि गिहिया थनै लाइ चरिउ जाई भस्मन्तन गुरु की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मंत्र इश्वरो वाचा।।

- कहा गया है कि आंख पर हाथ फेरते हुए सात बार मंत्र पढ़कर फूंके। व्यथा दूर हो जाएगी।

२- टीवी पर भूत प्रते का आतंक है। भूत प्रेत कवर करने वाले रिपोर्टरों के लिए यह मंत्र लाभदायक हो सकता है। फ्री में दे रहा हूं। हनुमान विशेषांक की मदद से।

मंत्र-
(बांधो भूत जहां तु उपजो छाड़ों गिरे पर्वत चढ़ाई सर्ग दुहेली तुजभि झिलिमिलाहि हुंकारे हनुवन्त पचारइ भीमा जरि जारि-जारि भस्क करे जौं तापें सींउ)

कितनी बार जाप करना है यह नहीं लिखा है। लगता है एक बार जाप करना ही काफी होगा। भूत भाग जाएंगे।

नोट- मैंने अपनी तरफ से कुछ नहीं कहा है। आस्था का मामला है। गीता प्रेस की जानकारी पर कोई सवाल नहीं खड़े कर सकता।

6 comments:

रवि रतलामी said...

इन्हें पढ़कर, मगर मैं मुसकुरा तो सकता हूँ ?

परमजीत सिहँ बाली said...

अच्छा लिखा है।

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

वाह भाई वाह! हम + पेशेवर दोस्तो का ख़याल रखने में आप यहाँ भी नहीं चूके. धन्यवाद इसके लिए.

Mogambo said...

मशीन गन के बारे में पड कर एक अजीब खयाल आया. आखिर क्य सोच कर हनुमान इतनी हेविली अर्मर्ड और आर्म्ड टु टीथ सेन क सामना करने निकले थे. अपनी बात पर इतना विश्वास था कि एक देस्पेरेट मेशर लेने को भी तैयार थे. मुझे याद नही कि उनकी पूछ मैं आग किसने लगयी थी, उन्होने खुद या किसी राक्शस ने. पर आइडिया काफि ओरिजिनल रहा होगा उस टाइम में.

आज भी कुछ लोग अपनी बात पर इत्ना विश्वास करते हैं कि पूरि सेन के साम्ने जा कर आग के गोले बन जाते हैं. हनुमां तो फिर भी बिना खरोच निकल गये, ये बेचारे तो अंजड पंजड हो जाते हैं. और सेन भि वहिं अडी रह्ती है.

DWRp_gmail said...

यह शाबरी मंत्र है जोकि छोटे प्रयासों एवं सरल तरीको से अपना प्रभाव छोड़ते है । व्‍यर्थ नहीं जाते हैं ऐसा शिवजी ने पार्वती जी से कहा था (शाबरी मंत्रों के बारे में)।

अच्‍छा प्रयास है। धन्‍यबाद सहित



प्रवीन डावर 8 अगस्‍त 2007

कविता रावत said...

(बांधो भूत जहां तु उपजो छाड़ों गिरे पर्वत चढ़ाई सर्ग दुहेली तुजभि झिलिमिलाहि हुंकारे हनुवन्त पचारइ भीमा जरि जारि-जारि भस्क करे जौं तापें सींउ)...बहुत सही....
हनुमान जयंती की हार्दिक शुभकामनायें..