भोत गल्त बात है । इतनी गल्त बात है कि लंबी चिट्टी का मूड नहीं बन रहा । नागपुर से लौटते वक्त कल हवाई जहाज़ में टाइम्स आफ़ इंडिया में एक ख़बर पढ़ी । परेश रावल को तो जानते हैं न आप । बहुत अच्छी एक्टिंग करते हैं और सिनेमा में सरदार पटेल भी बने थे मगर अपनी बड़ी बड़ी कामेडी वाली आँखों को सीरीयस बनाकर कबाड़ा कर दिया था( निजी राय) ।
अगर परेश रावल मोदी समर्थक और प्रचारक हैं तो क्या प्राब्लम । पिछले चुनाव में परेश भाई की एक ही मेजर ड्यूटी थी । नमो चैनल में बैठकर मोदी की वकालत करना और विरोधियों को धाराशाही करना । आप जानते हैं कि मोदी जी अपने मंच पर एक्टर वैक्टर टाइप के लोगों को रखना पसंद नहीं करते । उनकी इस बात का मैं भी समर्थक हूँ । पूरे गुजरात चुनावों के प्रचार में सिर्फ एक ग़ैर राजनीतिक आदमी को मंच पर रखा था । इरफ़ान पठान को । उनके कंधे पर हाथ भी रखा था । कहाँ तो लोग सिर्फ टोपी में ही फँसे हैं । खैर ।
अब यही परेश रावल एक नाटक कर रहे हैं डियर फ़ादर । अहमदाबाद में । आपके समर्थकों को लग रहा है िक इसमें आपकी कहानी है । डियर फ़ादर राहुल गांधी की कहानी है । मैं नहीं जानता असल में क्या है । उससे मुझे मतलब भी नहीं । लेकिन जब एन एस यू आई के लोग जाकर नारेबाज़ी करें और नाटक रोकने का प्रयास करें तब तो सीरीयस आपत्ति है । (ख़बर के मुताबिक़) । आप तो वही कर रहे हो जो एबीवीपी और बजरंग दल के लोग करते हैं । तभी लोग कहते हैं कि आप दोनों एक हैं ।
आपको परेश रावल का सम्मान करना चाहिए । आपकी जगह मैं होता तो प्ले देखने चला जाता । लोकतातंत्रिक होने का महत्तम प्रमाण देना पड़ता है सर । आपने क्या नई राजनीतिक संस्कृति बनाई है जो पहले से अलग है । अगर एतराज़ ही करना था तो एन एस यू आई के कार्यकर्ता नाटक देखते और वहाँ मौजूद लोगों को पर्चे देते । थियेटर के बाहर एक पोस्टर लगाते । ये सब क्यों नहीं करते आप लोग । नहीं कर सकते । कांग्रेस बीजेपी के पास इतनी सत्ता है सिर्फ सरकार ही नहीं पार्टी के भीतर भी कि उसके दम पर ये लोग नाटक पेंटिंग रोकने फाड़ने चले आते हैं ।
और ये एन एस यू आई वाले कहाँ थे जब आपको मोदी के नेटी घुड़सवार पप्पू कह रहे थे । क्या आप नेट पर ऐसा कर सकते थे । क्या आपके पास एक भी एक्टर नहीं है जो मोदी पर नाटक लिखकर मंचन करे और आप मोदी को देखने का न्यौता देते । कितना मज़ा आता । दरअसल आप दोनों निहायत ही अलोकतांत्रिक होते जा रहे हैं ।
मेरी राय में जिस तरह से आपकी पार्टी के नेताओं ने आपको शहज़ादा कहा जाना स्वीकार किया है, पप्पू कहलाना स्वीकार किया है उसी तरह डियर फ़ादर को भी स्वीकार करना चाहिए । जब मोदी शहज़ादा कहते हैं तो आपकी पार्टी में सबका ख़ून सूख जाता है । आपके पास तो मोदी के लिए कोई चुनावी पुकार नाम ही नहीं है । जब रचनात्मकता और राजनीति की घोर कमी हो जाए तो उसकी भरपाई पोस्टर फाड़ कर नहीं की जाती है । मुक़ाबले का पोस्टर बनाना पड़ता है ।
और हाँ हो सके तो मोदी जी के पाँच सवालों में से एक का तो जवाब दे दीजियेगा । भ्रष्टाचार, आई एस आई में से किसी पर । मोदी फ़्रट फ़ुट पर खेलते हैं और आप हैं कि बैकफ़ुट की आदत हो गई है ।
आपका,
रवीश कुमार ' एंकर'
( मैं ब्लाग पर एक पत्रकार के रूप में नहीं लिखता । ये भाषा भी किसी पत्रकार की नहीं हो सकती । चूँकि यह अनौपचारिक माध्यम है इसलिए मैं अपने मूड के हिसाब से लिखता हूँ । जिन मूर्खों को लगता है कि यहाँ मैं पत्रकारिता कर रहा हूँ वो न पढ़ें । )
51 comments:
Sir , aap rahul nahi hai phir bhi natak (play) dekhene to aahi sakate hai ...:)
Aur rahi bat actor ki to COngress ke pass hai na Raj babbaer ( dhabe wale) #Rs12 !
ye dono kisi bhi lihaj se ek dusre se alag nhi hai, jab jab jaha jaha jisko bhi mauka mila usne loot machane me kasar nhi chhodi, congress jyada purani parti hai raj jayda kiya hia esiliye usne jyada aur bjp ne kum kiya hai but kum wo bhi nhi hai, bjp congress ke 2g coalgate aur aadars pe to bolta hia but apne kaam kaj me jo hua tha usko muh pe bhi nhi late, modi bolte hai ki congress cbi ka use kar rahi hai unhe darane ke liye, but kal jab bjp aayeg to congress bhi yahi blame karegi, na to modi aur na hi rahul cbi ko free karne ki baat karte hai, bas dono me andar hi andar settings hai ki tum mere damad ko bachao aur mai tumhare wale ko, dono ek hi hai, mujhe to kisi bhi mamle me ek dusre se alag nhi lagte hai...dono ko pata hai janta purani galti bhool jaati hai aur nyi galti ke upar vote deti hai, modi scams ki baat to kartehia but scams ko rokenge kaise ye nhi batate, wo job creation ki baat kartehia ha job hona chahiye but aah tak ka example hai ki en corporate sector ne jitna kamaya hai uska 10 persent bhi aam logo ke pocket me nhi aaya hai...bas dono samajhte hia ki janta unpadh hai aur esiliye education me village ka level high nhi karte hai na hi es mamle me reforms ki baat karte hia kyuki aur log padh likh gye to fir ense sawal puchenge aur enhhe jawab nhi sujhega..that's all......
Good Morning to you Ravish Kumar
Have a nice sunday
see u in hum log.
Thanks
Best regards to you.
Sir stage pe aur bhi the...Jethalal ( Tarak maheta ) aur anupam kher ( May be) during swearing ceremony
Sirji, kuch bi boliye maja to aa rha hai aj kal.
Odi aur T20 chal ra hai politics me... Abi do main team hai..
Baki bi jald hi qualify krke ayengi maidan me...
Jai ho
Ravishji "Dear Father" ke script kee ke bare main bataiyega.Murkhon vali baat kuch samajh main kam aayee.uske likhne kee kya zaroorat pad gayee.
एक टीवी इनटरव्यू मेँ सुब्रमण्यम स्वामी ने राहुल गाँधी को "बुद्धु" कहा और तर्क द्वारा सिद्ध करने की बात भी कही। एक दूसरे इन्टरव्यू मेँ रामजेठमलानी ने कहा- " लोग राहुल को पीएम बनाना चाहते हैँ, मैँ उसे अपने दफ्तर मेँ क्लर्क रखना भी पसन्द नहीँ करुँगा।"
अब रामजेठमलानी और सुब्रमण्यम स्वामी जैसे लोगोँ से लड़ने की ताकत तो "नेताओँ" मेँ बिल्कुल नहीँ है। हाँ, परेश रावल से जरुर युद्ध कर सकते हैँ ये लोग।
रवीश जी एक लेख तो इस पर भी बनता है की राहुल जी अपने ननिहाल के बारे में भी बताये....दादी, पापा के बारे में तो हो गया....नानी भी याद आनी चाहिए...nation want to know.
लिख्ते रहिए ह्म भि लिख्ते रहेगे जी,अछा लगता है.
जे बात !
रविशजी,
गांधीजी की भी हत्या ही की गई--उनके घर से अब तक तो 5 प्रधान मंत्री मिल चुके होते अगर उनके रिश्तेदारों ने उनकी हत्या को encash किया होता(चुनावों मैं)....
सरदार पटेल ने अपनी वसीयत मैं लिखा है की उनके नाम से,उनका नाम लेकर या उनके नाम का इस्तेमाल कर के कोई भी राजकीय या राजनैतिक चाल या घटना को उनके रिश्तेदारों द्वारा आकार न दिया जाय(वे नहरू की कुटुंब पोषक राजनीति के कट्टर विरोधी रहे है)...
केतन महेता--जिन्होंने 'सरदार' का डायरेक्शन किया...गुजराती होने के नाते,सरदार पटेल के native district से होने के नाते--सरदार पर केतन महेता ने काफी न्याय किया है(मेरे पसंदीदा director hai) baaki paresh raaval भी शायद यही कहेंगे की उन्होंने काम सिर्फ 'सरदार' मैं किया है बाकी 'कमाई' :)
आप इस तरह से अपने पाठकों को emotional blackmail कब से करने लगे ravishji?:-p :) क्या?:) ये पत्रकार वाली बात कुछ 'जिल्ल-ए-इलाही' type नहीं लग रही?:-p :) बोले तो! आप दिमाग तो पत्रकार वाला ही चलाते हो न?(चाहे दिल हो हिंदुस्तानी)? :)
रही बात father नाटक की--नहीं देखा ।जो भी पढ़ा आप से । तो हुई न पत्रकारिता सिद्ध?:)
(waiting for HumLog--last HL (asim trivedi) was very good + informative and last to last (k.c.tyagi & chaariji) was also very funny +creative(politically) :)
ravishji एक correction mood के हिसाब से भी और समय(काल) के हिसाब से भी कर दीजिये (जिनको पत्रकारिता लगती हो वह दो बार (twice) पढ़े :) क्या करूँ,गुजराती हूँ,फायदा पहले दीखता है.... :)
जब मैं विश्वविद्यालय में था तो सबसे अधिक एन एस यु आई के लोगो से जूझना पड़ता था.इस संगठन में किस तरह के तत्व होते हैं कहने की जरुरत नहीं. सफ़दर हाशमी की हत्या उसी संस्कृति का हिस्सा है.मेरी समझ से कांग्रेसी बौखला गए हैं.राहुल गाँधी के बालने पे मुझे अपने विद्यार्थी जीवन की एक बात याद आती है.हमारे साथ एक बहुत ही सुन्दर एवं हाई प्रोफाइल लड़का रहता था.जब हम कही समारोह में जाते थे तो उसे पहले कह देते थे अपना मुह बंद रखे, उसकी गरिमा बनी रहेगी.मुह खोलते ही भेद खुल जाता था. राहुल गाँधी जब बोलते हैं तो उसकी याद आ जाती है.खैर राहुल गाँधी पे अब सिर्फ तरस खाया जा सकता है.मोदी के भाषण का क्या content होता है पता है. उसे भी बकवास से ज्यादा क्या कहा जा सकता है.
सर बहुत सही कहा आपने। वे लोग जो मूरख है और अपने को विश्लेषक समझते है उन लोगों के लिए qasba नही है। जिनको रवीश सऱ की patrakarita से problem है ।वे लोग पेड news चैनल देख सकते है। उन लोगों के मन की patrakarita उसमें होती है।
इ मोदी जी का बढ़िया से चिरिये फादिये ना |
बहुत कुछ पटना में बोलिस है | राजनीती का स्तर
देख के शर्म आती है |
देश में आलोचना के प्रति सहिष्णुता की बेहद कमी हो गई है। कबीर फालतू कह गए निंदक नियरे राखिए..... लोग आजकल निंदक के पीछे जूता लिए खड़े रहते हैं।
चौंका ही दिया आपने :)
आपकी बात बारह आना खरी है, ये लोग केवल एक दूसरे की टोपी उछाल गेम खेल रहे हैं, क्या किया है, और कैसे क्या क्या कर सकते हैं, ये कोई बात नहीं कर रहा, इनको लगता है कि जनता अब भी ६० साल पुरानी वाली है, हो सकता है कि इस बार के चुनाव सारी राजनैतिक पार्टीयों के लिये अच्छा सबक साबित होंगे ।
likhte rahiye...accha lagta hain..
to bhaiya kise banayen PM. Asmanjas ho gaya ye to badiya wala!
रविश, आप बात बात मे इन नेताओ को प्रोग्राम के दौरान थोड़ा थोड़ा morality और discpline का पाठ पढाते रहिए. थोड़ा तो शर्म आएगा इनको.. बहुत बढ़िया..
जो बात आप "खैर" कह के छोड़ देते हैं, वही बात ख़ास भी होती है ! :)
डियर फादर का मंचन बंगलोर में देखा है, पारिवारिक पृष्ठभूमि की कहानी है, ससुर, बेटे और बहू की। आपसी मनमुटाव और फुहारों की। उसमें राजनैतिक व्यक्तित्व कहाँ से टपक पड़े? आप भी देख लीजिये. यदि अवसर मिले, नहीं तो अन्य लोग अवसर ले जायेंगे।
रवीश, ये जो आपने अंत disclaimer लिखा है, फाडू है..उससे कई तो बोल्ड गए। "डियर फादर" का Climax भी शायद आपके disclaimer जैसा हो। सभी घटनाएँ/पात्र काल्पनिक और अनौपचारिक हैं। तथा वास्तविक समय ने नहीं घटी हैं।
bhiya apki last wali bat acchi nahi lagi isme ghamand ki bu aa rahi hai jo apke simpal nature ko shobha nahi deta
MODI ki patna waali rally par kuch likhiye.. ppl want
Sir, ek chiththi Nitish Kumar ko bhi banti hai. Umeed karta hu jald hi likhenge aap.
Regards
Aap ka letter chhup chhup ke padhne wala ek paathak
अंग्रेजी में एक कहावत प्रचलित है - A vulgar man always wants vulgar amusement. ("एक अशिष्ट आदमी हमेशा अभद्र मनोरंजन चाहता है"।
कहेने का तात्पर्य यह है कि किसी व्यक्ति विशेष के विरोध में जब निम्न स्तरीय भाषा को इस्तेमाल किया जा रहो हो तो इस तरह की शब्दावली का प्रयोग करने वाले को हम किस नाम की संज्ञा दे । क्या हम ये बात मान ले कि विरोधियों को ऐसी अशोभनीय भाषा का प्रयोग करने का हक बनता है ।
अपनी मातृ भाषा भोजपुरी में अगर कहूँ तो ये तो यही बात हुई कि - " चाल से बेचाल चली , अपना मने चिकनी । गाँव के लोग तमाशा देखे , हम ता भाई अइसहि ॥ "
यह तो सर्व विदित है कि - “ख़राब ग्रह की पूजा तो सभी करते है ” | शायद हम भी इसी कहावत की पृष्ठभूमि में उन महाशय (मोदी जी) की ख़राब से ख़राब बात पर ताली बजा रहे है |क्या करे आज कल यही चलन है - जिस तरह कम कपडा पहेंन्ने को लोग फैशन शब्द से इंगित करते है उसी तरह भाषा में अनैतिक शब्दों का इस्तमाल को वाक्-पटुता (इंटेलिजेंस और विट) की संज्ञा देते है । और जो इन व्यवहारों से अच्छुते है " उनको हम पप्पू कहते है ।
ये बात तो आपने खूब कही - "जिस तरह से आपकी पार्टी के नेताओं ने आपको शहज़ादा कहा जाना स्वीकार किया है, पप्पू कहलाना स्वीकार किया है उसी तरह डियर फ़ादर को भी स्वीकार करना चाहिए ।"
अचम्भे की बात यह है कि आज के इस पोलिटिकल महा मुकाबले में (कांग्रेस बनाम बीजेपी ) में मीडिया और जानकारों ने तो खुद को कमेंटेटर या फिर थर्ड अंपायर के ही सीट पर बिठा दिया है और अपने अपने तरीके से मैच का व्योरा दे रहे है|
मोदी फ्रंट - फुट पर खेलते है और राहुल बेक-फुट पर । वाह क्या विवेचना है ! कहने का मतलब है कि प्लेयर फ्रंट - फुट पर खेले या फिर बेक - फुट पर फर्क पड़ता है क्या ? फ़र्क़ तो तब पड़ता है जब प्लेयर लम्बी पारी खेले या फिर पिच पर देर तक टिका रहे | और इतिहास देखे तो पप्पू पक्ष के लोगों का ही पलड़ा भरी लगता है ।
अगर लोग पॉजिटिव रचनात्मकता कि बात कर रहे है तो इसमें तो मोदी जी भी सामिल नहीं किये जा सकते | क्योंकि उनके दलीलों से तो ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हें तो बस नकारात्मक राजनीती कि भाषा समझ आती है । ( पचास करोड़ कि गर्ल फ्रेंड ; कुत्ते का पिल्ला बैगराह बैगराह ) । नेगेटिव मार्केटिंग स्ट्रेटेजी के तो जैसे वे ब्रांड अम्बेस्डर है । हाँ ऐसी सृजनता की कमी पप्पू में जरूर है । ऐसे मुक़ाबले में तो वो मुक़ाबले का पोस्टर भी नहीं बन सकता |
( यहाँ मैं किसी कि भावना को ठेश पहुँचाने के लिए नहीं लिख रहा । अगर मेरे लिखे से किसी के मन में अवसाद उत्तपन होता है तो माफ़ कृपया किजियेगा )
Cool. Just found your blog.
mai aapko padhta or praim time me sunta rha hun. boli,sharirik bhasha me aapka jodidar dusra nhi hai.bihari hindi vaise bhi sunne pdhne me maza deti hai.kai bar bina bole darshko ko mesej de dete hai .aapka pankha .
pukhraj chopra--bikaner (rajsthan)9414138776
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aapko nahi lgat ki congress ka electon agenda MODI ki burai karna hai.........
jabki wo to 10 saal se performing player hai... performance ki to koi baat hi nahi ki.
hamari class me ek ladka tha jiska naam AMAN tha. Uski mummy teacher thi, isliye uska ek alag "tasan" tha. wo dikhne me bhaut intilegent tha bas number achche nai aate the. jab bhi rahul ji ko sunta hu AMAN ki yaad aa jati hai!!!!!!!
Sirji!! Twitter pe aa jao wapis..
Accha likhte hain aap, naisadak ka naam raushan kar rahe hain aap.. :)
रवीशजी आप ब्लॉग पर पत्रकार के रूप में नही लिखते इसीलिए तो हमेशा पठनीय है ! सरल भाषा और बिना चापलूसी से लिखा आपको पढ़ते है तो लगता है बात भेजे में बेठ गई और गहरे तक पेंठ गई ! किसी को क्या लगता है और कोन मुर्ख है इस पर काहे सर खपाते है ! बस हम देखने पढ़ने वालों को मज़ा आता है ये जान लीजिये !
रवीशजी आप ब्लॉग पर पत्रकार के रूप में नही लिखते इसीलिए तो हमेशा पठनीय है ! सरल भाषा और बिना चापलूसी से लिखा आपको पढ़ते है तो लगता है बात भेजे में बेठ गई और गहरे तक पेंठ गई ! किसी को क्या लगता है और कोन मुर्ख है इस पर काहे सर खपाते है ! बस हम देखने पढ़ने वालों को मज़ा आता है ये जान लीजिये !
सर यकीन मानियेगा हमें भी बहुत अच्छा लगता है एक पत्रकार की निजी राय जानते हुए आखिर आप भी तो लोगो से उनकी राय पूछते पूछते थक गए होगे....
लिखते रहिएगा बड़ी उम्मीद के साथ आपका ब्लॉग पढ़ते है हम...
Sir Aapki bolchal ki bhasha Hame Atal ji ki yaad dilati hai.
waah Ravish ("ji" nahi likh raha hun).. Mazaa aa gaya padh ke..
waah Ravish ("ji" nahi likh raha hun).. Mazaa aa gaya padh ke..
इस नाटक संबंधी सारे कार्यक्रम में विश्वसनीयता क्या उसी स्तर की होगी जिस स्तर की विश्वसनायता से अतुलनीय (ये शब्द ना लगाओ तो लोग देशद्रोही समझते हैं) मोदी जी ने माननीय पटेल साहब की अंतिम यात्रा का जिक्र किया थाा
pls sir read my blog
http://anokhiinajar.blogspot.in/
Hi Ravish
Achanak qasbe se gujaran hua...laga aadmi jaan-pehchaan hai...
I am an adman...Ek Int, advertising agency mein Creative director hoon... Hindi mein sochta hoon...Hindi mein hi likhta hoon...phele Desh ke sabse bade Angrezi akhbaar mein likhta tha phir ye likh ke patrakarita hi chhod di ki...mera likha bika nahin, kyonki main bika nahin...phir bhaut saal Civil Services se juda raha...phir Mumbai ne bula liya ... aapki kahani mein mujhe apna kirdaar dikhta hai...Kabhi Mumbai aana ho toh ... mileinge...aur agar main Delhi aaya toh aapse ...aapka neelesh jain. yoursaarathi.blogspot.com
Hi Ravish
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भाई साहब.. और लिखिए न.. २००७ से अब तक का सारा पढ़ चुका..आप धन्य हैं..
Very nice.
लिखो लिखो ! धर्म निरपेक्षता की आड़ में कुछ भी पेलो, कौन सुनता है! AC रूम में बैठ के लिखते हो चाचा इसलिए देश के साथ एक मज़ाक और सह सकते हो. कांग्रेस और बीजेपी दोनों में हमेशा क्यूँ मुकाबला करवा देते हो? विडियो नहीं यू tube पे जिसमे आपकी ही एक एंकर ने कहा है कांग्रेस की तरफ से defend कर देना? जाओबे NDTV और रविश दोनों एक ही जैसे है, "स्तरहीन" !
बहुत खूब राहुल गांधी के नाम के आगे आदरणीय , अच्छी बात है , कभी मोदी के नाम के आगे भी लिख दीजियेगा
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