फिल्म आई थी एक। सौ दिन सास के। पता नहीं आई भी थी या नहीं। लेकिन लगता है कि मनमोहन का यह कमबैक सिर्फ सौ दिन के लिए हुआ है। गुणा भाग का तात्कालिक हिसाब यह निकला कि बंधु के पास कोई १८२५ दिन है। लेकिन भाई साहब तो १०० दिन में ही सब निपटा देना चाहते हैं। लगता है इस बार वे बाकी के १७२५ दिन ऐश करेंगे। सारे मंत्री १०० दिन के टारगेट पर सेट हो गए हैं। नीतियों का एलान थोक में हो रहा है। सारे पुराने रिपोर्ट प्रेस कांफ्रेस में पढ़े जा रहे हैं। आज कल जिसे देखो वही १०० दिन की ज़ुबान में बात कर रहा है।
घर में मां कहती है १०० दिन में आईआईटी की तैयारी पूरी कर। बेटा कहता है कि मां आईआईटी की पढ़ाई भी पांच साल की नहीं होनी चाहिए। सौ दिन की होनी चाहिए। पूरे मुल्क में १०० मीटर की दौड़ मची है। बीसीसीआई ने एलान किया है कि मनमोहन के १०० दिन के प्रेम को देखते हुए अब जल्दी ही १०० ओवरों के वन डे मैच हुआ करेंगे। पहले बीस ओवर में प्रैक्टिस होगा। दूसरे बीस ओवर में प्रेस कांफ्रेंस होगा। तीसरे बीस ओवर में प्लानिंग होगी। चौथे बीस ओवर में रन बनेंगे और पांचवें बीस ओवर में स्लॉग ओवर होगा जिसमें दना दन रन बनाने की छूट होगी।
बेचारा मुन्ना २०-२०। अभी जवान ही नहीं हुआ कि सौ ओवरों के मैच से मरा जा रहा है। सारे मंत्रियों में होड़ मची है। वो लीक करा रहा है तो लीक बना रहा है। सब कुछ करते हुए दिखना चाहते हैं। सही कर रहे हैं मनमोहन सिंह। जब युवा हो तो दौड़ो सौ मीटर की रेस। काश कोई उठ के मनमोहन सिंह से पूछ देता- अंकल ग़रीबी कब दूर होगी। आनसर मिलता- सौ दिन में। बिजली कब आएगी- सौ दिन में। पानी कब आएगा- सौ दिन में। यहां एक एक दिन भारी पड़ रहा है। ये जनाब है कि सौ दिन की रट लगाये हैं।
जल्दी ही सौ दिन में लिखी जाने वाली कोई कालजयी रचना स्टैंड पर आने वाली है। कवि भी आज कल सौ दिन में संग्रह छपवाने पर विचार कर रहे हैं। सारा देश सौ दिन के टारगेट पर है। ओबामा ने भी सौ दिन का टारगेट सेट किया था। कहां है किसी को पता नहीं। मुश्किल ये है कि इस चक्कर में इतने फैसले हो जाएंगे कि लागू ही नहीं हो पायेगा।
दोस्तों। कल करे तो आज कर आज करे सो सौ दिन में कर। सौ दिन बाद सरकार क्या करेगी भाई। ये मनमोहन सरकार का अनाउंसमेंट काल है। घोषणा काल। जिसमें सिर्फ घोषणाएं होंगी। जो घोषणाएं चुनाव के समय होती थी वो अब चुनाव के बाद हो रही है। अच्छा है। टेंशन नहीं। इससे मंत्रियों की प्रैक्टिस हो रही है। वो सौ दिन की हड़बड़ी में मंत्रालय को तेजी से समझ रहे होंगे। रिपोर्ट पढ़ रहे होंगे।
प्यारे मनमोहन जी। वाह। आपने मंत्रियों को दौड़ा लिया है। उनको पता चल गया होगा कि किस भाई के चक्कर में पड़े हैं। अब एक बात और। काम भी नज़र आ जाए तो ठीक। वर्ना आपके पास पूरे पांच साल कम से कम सौ दिन के अभी सत्रह सेट पड़े हैं। है न। सिल्वेनिया लक्ष्मण का विज्ञापन हो गया है। सौ दिन में पूरे देश क बदल डालूंगा।
7 comments:
हा हा हा हा
रोचक अंदाज़ में लिखा है
एक कहावत बहुत सुनी थी की "सौ सुनार की एक लौहार की" डॉ.मनमोहन सिंह शायद अपनी सरकार के दूसरे चरण में सुनार की भूमिका में है, सौ दिन के बाद जनता लौहर की भूमिका में होगी...ये सौ दिन की लगाम है जिसे खींचकर डॉ साब 100 मीटर की इस दौड़ को पार करना चाहते है खैर हमें ये नहीं देखना चाहिए की सरकार के द्वारा किए गए इस सौ मीटर दौड़ के इस आयोजन में पांच साल से चलते आ रहे इन घोड़ों की गति में तेजी आती है की नहीं, ये 100 मीटर फर्राटा है जिसमें मनमोहन सिह ने कुछ नए घोड़े भी दौड़ाएं हैं, देखनें वाली बात यह भी होगी की 100 मीटर की इस दौड़ में नए घोड़ों और पुरानें घोडों में कैसा सामन्जस्य बैठेगा। लगाम के तेज खींचनें से कहीं पुरानें घोड़ों को तकलीफ न हो, या नए घोड़ों को शुरुआत में ही तेजी बनाने के चक्कर में यूपीए का रथ पथभ्रट न हो जाए...देखते हैं।
TRUE WORDS....
sau din chale arhai kosh
Dr. Rajesh Paswan
SACHIN KUMAR
"घर में मां कहती है १०० दिन में आईआईटी की तैयारी पूरी कर। बेटा कहता है कि मां आईआईटी की पढ़ाई भी पांच साल की नहीं होनी चाहिए। सौ दिन की होनी चाहिए। पूरे मुल्क में १०० मीटर की दौड़ मची है। बीसीसीआई ने एलान किया है कि मनमोहन के १०० दिन के प्रेम को देखते हुए अब जल्दी ही १०० ओवरों के वन डे मैच हुआ करेंगे। पहले बीस ओवर में प्रैक्टिस होगा। दूसरे बीस ओवर में प्रेस कांफ्रेंस होगा। तीसरे बीस ओवर में प्लानिंग होगी। चौथे बीस ओवर में रन बनेंगे और पांचवें बीस ओवर में स्लॉग ओवर होगा जिसमें दना दन रन बनाने की छूट होगी।" मजा आ गया......रविवार की शुरुआत शानदार हो गयी...मैं भी 100 दिन के मिशन पर लगना चाहता हूं...अब देखते है आगे....सौ दिन में क्या करना है....
Capsule course ka jamaana hai, Capsule khakar 100 Din me Pahlwaan ban jane ka jamaana hai. Mujhe to dar hai ki kahin 100dinha Bachhe na paida hone lagen!
सौ दिन में सौ काम करने की कोशिश अच्छी है...लेकिन बड़े बुजूर्ग कहते है कि जल्दी का काम टीकाऊ नहीं होता... अब देखना है काम होता भी है या नहीं या बस भौकाल पेलकर जनता को सौ दिन के सपनों की सैर कराकर फिर से पांच साल इंतजार की यात्रा कराते है.. लेकिन आईडिया अच्छा है... लगे रहो मनमोहनजी
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