के पी एस गिल चले गए हैं। हॉकी में उनकी दो दशक की मौजूदगी और सिफर के इर्द गिर्द घूमते नतीजे। जो काम चक दे फिल्म हॉकी के लिए नहीं कर सकी,ऑपरेशन चक दे ने कर दिया। लगता है कि हॉकी का कुछ भला होगा। ऑपरेशन चक दे ने फिर से बताया है कि टीवी पत्रकारिता अपनी खोई ताकत को हासिल कर सकती है। पत्रकारिता में ही टीवी की ताकत है। इससे जुड़े पत्रकार वाकई बधाई के पात्र है। सीधा पकड़ लिया जोथिकुमार को और रास्ता दिखा दिया गिल को।
मीडिया में एक आदत है। जब दूसरे प्रतियोगी की ख़बर को दिखाते हैं या छापते हैं तो उसका नाम नहीं लेते। एक टीवी चैनल या एक दैनिक लिखते हैं। बकवास लगता है। एनडीटीवी के अंग्रेज़ी चैनल ने हमेशा की तरह बकायदा आज तक का नाम लिया। उसका श्रेय दिया गया। दर्शक और पाठक को अंधेरे में क्यों रखा जाए। क्या वे नहीं जानते होंगे कि यह किसका कमाल है। इससे तो दर्शकों की नज़र में पूरी मीडिया की विश्वसनीयता बढ़ती है और आप इस शर्मिंदगी से बच जाते हैं कि दूसरों की ख़बर दिखा तो रहे हैं लेकिन उसका नाम नहीं ले रहे।
बहरहाल आपरेशन चक दे जारी रहे। तब तक जब तक चक दे फिल्म का मकसद पूरा नहीं हो जाता। यह भी लगता है कि ख़बरों के लौटना का दौर आएगा। ज्योतिष नहीं पत्रकार ही ख़बर बतायेगा। ख़बरों का असर तो होता ही है। हाल ही में जब एनडीटीवी इंडिया के प्रसाद काथे ने लगातार दो दिन में दो अलग अलग सत्ता प्रतिष्ठानों को कार्रवाई करने पर मजबूर कर दिया। प्रसाद ने पहले एक गांव की रिपोर्ट दिखाई कि दलितों का रास्ता रोकने के लिए दबंगों ने दीवार खड़ी कर दी है। अब यह दीवार गिरा दी गई है। सिर्फ एक रिपोर्ट के दम पर। दूसरे दिन उन्होंने दिखाया कि साईं बाबा ट्रस्ट अपने नाम के मंदिरों से रायल्टी लेगा। प्रसाद की रिपोर्ट के बाद फैसला वापस हो गया। झांसी से विनोद गौतम की एक रिपोर्ट आई कि एक गरीब बाप अपनी बेटी के इलाज के लिए बेटा ही बेच दिया तो सैंकड़ों लोग उसकी मदद के लिए आगे आए। उस लड़की का मुफ्त आपरेशन हो चुका है। ख़बर का ही असर होता है। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि टीआरपी में कौन कहां है। इसीलिए जब आज सुबह पीएसएलवी राकेट दस उपग्रहों को लेकर जा रहा था तो भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक एक इतिहास बना रहे थे। सितारों से बात करने का उनका हौसला नया मकाम हासिल कर रहा था। उसी वक्त कई चैनलों पर सितारों की दुनिया में ग्रहों नक्षत्रों का खेल दिखाया जा रहा था। ऐसा लग रहा था कि पीएसएलवी के दस उपग्रहों ने ग्रहों की दशा बिगाड़ दी है इसलिए उसके बारे में बताने से पहले ग्रहों से होने वाले नफा नुकसान की भविष्यवाणी ज़रूरी है। यही सारे किये पर पानी फेर देता है। वैसे निराश होने की ज़रूरत नहीं है। कोई भी यही कहेगा देखा हमने आपरेशन चक दे किया तभी गिल गए हैं। प्रसाद काथे भी यही सोचेंगे कि कुछ काम तो किया।
11 comments:
पहली बार आपके ब्लाग पर आना हुआ है.अच्छी रिपोर्ट है.इसीलिये आज की पोस्ट के साथ-साथ और भी बहुत कुछ पढने को मन हुआ. अच्छा लगा. बार-बार आने को बेचैन करेगी आपकी रिपोर्ट और भाषा.
रवीश जी एक बार आपकी रिपोर्ट को जब पढना शुरू करता हूं तो उसे खत्म करने के बाद ही चैन मिलता है। गजब की सोच है आपकी। एक बार फिर से अपनी बात दोहराता हूं कि काश कस्बे को आपकी आवाज में सुनता। आपकी रिपोर्ट पढते वक्त जेहन में आपकी आवाज गूंजती है। ऐसा लगता है आप खुद अपनी रिपोर्ट को पढकर सुना रहे हों। अपनी रिपोर्ट में अलग अगल चीजों को जोडकर एक पठनीय सामग्री बनाने की आपकी कला अदभूत है। यही वो वजह है जो मुझे कस्बे तक खींच लाती है। और सच पूछिए तो आपकी रिपोर्टस आज भी उतनी ही प्रेरणा देती हैं जिसकी आधुनिक पत्रकारिता को जरूरत है।
आपरेशन चक दे ने सच मुच एक अजुबा कर दिया. गिल साहब ऐसे चिपक गये थे कुर्सी से की मानो अब वो कुर्सी ऊनके ऊपर जाने के बाद हि खाली होती. आपके बात से काफ़ि हद तक सहमत हु कि समाचार देख कर हमारे कानुन के रखवाले जगते है. ये मिडिया का दबाव होता है या मिडिया के जरिये जनता का दबाव?
वैसे कभी कभी लोग ऐसे आपरेशन का गलत फ़ायदा ऊठाते है. ये बिल्कुल गलत होता है. ऐसे हि गलत उद्देश्य के आपरेशन के चलते जनता कभी कभी इस पर विश्वाश करने से कतराति है. वैसे आपकी प्रस्तुति अच्छी लगी.
तमाम हॉकी प्रेमियों को एक ख़ास क़िस्म की पीपरमेंट जैसी ठंडक दे गई है ये ख़बर ..ये ख़बर सब से पहले सोमवार पौने नौ बजे वाले आकाशवाणी समाचार में सुनी और एक लम्हा लगा कि काश एक साल भर पहले ये ऑपरेशन हो जाता तो हॉकी की कुछ दुर्दशा तो टल जाती ...ख़ैर देर आए..दुरुस्त आए.इस विषय को तत्परता से उठाने के लिये साधुवाद.
अच्छा लिखा। अबरार अहमद की बात कायदे गौर है। आप अपनी आवाज में पोस्ट करें।
रवीश जी आप बहुत अच्छा लिखते है, इलेक्ट्रोनिक मीडिया में ऐसा बहुत कम पत्रकार लिखते है. जब भी मैं आपके ब्लॉग पर कुछ भी पढता हूँ लगता है आप बोल रहे है. मैं चाहता हूँ कि आप अपनी कुछ न्यूज़ स्टोरी भी ब्लॉग पर डाल दिया करे. ताकि पत्रकारिता के छात्र इससे कुछ अच्छा सीख सके.
काफ़ी ब्लाँग खोजने के बाद अचानक आपका ब्लाँग मिला । आपको, आपकी अलग रिपोर्ट के लिये हम पहले से हि जानते है । अब आपके विचार भी जानने को मिल रहे है । जब भी एन डी टीवी पर आपकि रिपोर्ट आती है हम ठहर से जाते है । टीवी के रीमोट को साइड मे रख दिया जाता है। उम्मीद है आगे भी हमे ऐसी ही पत्रकारिता देखने व सुनने को मिलेगी, खास कर गरीब व कमजॊर कि आवाज आपकि जुबानी ।
जँहा तक ऑपरेशन चक दे का सवाल है हमे ऐसी ही मिडिया कि जरुरत है जो समाज कि बुराइयॊ को उजागर करे न कि अन्धविश्वास फ़ेलाये । इससे देश व समाज का फ़ायदा ही होगा ओर अगर हम समाज कि बुराइओ को जड़ से मिटाना चाहते है तो मिडिया को इसमे खास रोल निभाना होगा तभी हमारे देश कि मिडिया एक जिमेदार मिडिया कहलायेगी ।
Devender kumar
dk_geo74@hotmail.com
आपका ब्लाग देखता रहता हूं...मैं भी आईआईएमसी 96 बैच का हूं...बिहार में सासाराम से हूं....अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, ईटीवी, लाइव इंडिया के बाद महुआ न्यूज में प्रोड्यूसर हूं...आपने महुआ के बारे में बहुत अच्छा लिखा था उससे प्रेरणा मिली....
विद्युत प्रकाश मौर्य- 9990284150
aapne thik likha.. ndtv ke english channel ne to aaj tak ka naam liya par hindi channel ne?
ravish ji es men koi sandeh nahi ki aap bahut achchha likhte hain aur usse bhi jayada aap achchha bolte hain. aap ki speshal report 'kude ka taj mahal' sabse achchhi lagi. aapse pabhavit ho kar maine bhi ek blog banaya hain. yakin karta hun ki aap bhi ek bar mere blog par padharenge. blog hai merajugad.blogspot.com
Bura na mano to kahoon ki Ravishji is mein koi sandeh nahin ki aap likhte bhi achchha hain aur bolte bhi achchha hain.
Kintu itihas darshata hai ki Tulsikrit Ramayan kabhi likhi nahin jaati yadi unki patni ne unhein tana na mara hota ki jitna rujhan unka uperi maya mein tha us-se kuchh kam bhi yadi we bhagwan mein lagate to Bhagwan (Satya) ko pa jaate!
'Hindu' gyani pehle hi likh chuke hain ki Kaliyuga ‘andheryuga’ hai. Jiske bhiter swayam bhagwan ka niwas hai, kal ke saath Maya ke karan, aadmi narak ki ore hi jata dikhai dega…Satyam Shivam Sunderam! Aur yeh bhi satya hai ki her vyakti ‘inferiority complex’ ke karan hi bura manta hai…
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