साल का इंतज़ार

साल का इंतज़ार
किसलिए हो रहा था
पता नहीं था
लकड़ियां जलाईं गईं
दोस्त बुलाए गए
कुछ अनजाने चेहरों से
मिलना हो रहा था

साल का इंतज़ार
किसलिए हो रहा था
पता नहीं था
कबाब और शराब के बीच
पनीर का टिक्का बीच बीच में आता जा रहा था
आने वाले मेहमानों को
बिठाने के लिए
पहले आ चुके मेहमानों को कुर्सी से उठाया जा रहा था
साल का इंतज़ार
किसलिए हो रहा था
पता नहीं था

टीवी ने माहौल बना दिया था
अख़बारों ने तैयारी कराई थी
दुनिया भर के होटलों में
रात काटने के लिए
देश विदेश की भीड़ बुलाई गई थी
वहां भी कबाब और शराब के बीच
पनीर का टिक्का
बीच बीच में आता जा रहा था
गोवा के तट पर
कुछ कम कपड़ों में
जोड़ों को मस्ती में उतरते देख
लाइव टीवी पगला रहा था
साल का इंतज़ार
किसलिए हो रहा था
पता नहीं था

बारह बजने के साथ ही
सब चिपके एक दूसरे से
दर्दे डिस्को का गाना
बड़बड़ता नज़र आ रहा था
जावेद अख़्तर की धुनों का
कोई मतलब नहीं था
साल का इंतज़ार
किसलिए हो रहा था
पता नहीं था

एक रिवाज सा था
इसलिए हो रहा था
कहने के लिए
मिलने के लिए
एसएमएस के लिए
उन तमाम गानों पर नाचने के लिए
जिन पर थिरकने की कुंठा
उस शाम खत्म होने वाली थी
उन लड़कियों के लिए
जिनके सामने नज़र उठ जाने वाली थी
उन दुकानदारों के लिए
जिनके माल बिक जाने वाले थे
उन बावर्चियों के लिए
जिनकी सी कबाब के साथ
शराब परोसी जा रही थी
और पनीर का टिक्का
बीच बीच में आता जा रहा था
साल आ चुका था
फिर भी स्वागत किया जा रहा था

7 comments:

रवीन्द्र प्रभात said...

आप की कवितायें सुंदर और सारगर्भित है , आपको नव वर्ष की ढेरों बधाईयाँ !

Sanjay Karere said...

नए साल की शुभकामनाएं रवीश जी.

अजित वडनेरकर said...

बढ़िया बात।
नया साल शुभ हो। जोर शोर से जारी रहे कविताई।

Nikhil said...

happy new year sir....

Ashish Maharishi said...

happy new year Ravish ji

harsh said...

Langtaa naach dikhane ka mauka aa raha tha, esliye naye saal ka intejar kiya ja raha tha. langtaa naach shuru ho chuka tha, uskaa swagat kiya ja raha tha. Kya-2 dikhayen ki Live TV bhi pagla raha tha ! Naye saal ki bahut-2 badhai, khub rang laye aapki qasbai.

shabdarnav said...

ravishji
apki kavita yathasthitivad ki vyakhya karti hai. samajik muddoin ki kuchh batein honi chahiye.