पागलनामा पार्ट सिक्स

आसमान नीला लग रहा है ।हवा आँधियों के गुज़र जाने की बाद की लग रही है । भारत की समस्याओं के दो रूप पावडर पोत पोत कर सफ़ेद होने की तैयारी कर रहे हैं। दोनों की पूँछ में कार्यकर्ता तेल लगा रहे हैं । पुष्पक विमान उड़ा जा रहा है । गरूड़ नीचे गिरे पड़े है । सत्य के दो दल हैं । दोनों दलों के दलबल हैं । दलबल में दलाल हैं । दलील ज़लील होती है । जाहिल ज़ाहिर है । सत्य माहिर है । सत्य ही सियासत है । सत्य बहुमत है । सत्य महत्वकांक्षा है । भारत की समस्याओं के दो रूप एक ही रंगमंच के दो ड्रामे हैं । दोनों का अतीत और वर्तमान एक सा है । दोनों के खाते में बराबर या नहीं तो कम बेस आरोप जमा हैं । मार मची है । आपका हर कहा ख़रबूज़ है, गिरेगा चाक़ू पर ही है । घात लगाकर बैठे दलाल आपको भक्त बना देंगे । गालियों के रोली चंदन से टीक देंगे । दोनों के झंडे में कुछ रंग समान है । दोनों के झंडे का डंडा भी समान है । एक जाता है तो सबसे पूछवाता है वो कहाँ हैं । दूसरा जाता है तो जताता है कि वो आया था किसलिए । दोनों तरफ़ देश है । दोनों तरफ़ दंगा है । तराज़ू बराबर है । निर्लज्जता बराबर है । ये मारा वो मारा । जो बोलेगा वो गिरेगा चाक़ू पर । पागलों की दौड़ है । पागलों के पास ख़ूब आँकड़े हैं । इनसे इनके अपने भी कट रहे हैं । इनसे इनके परा़ये भी लुट रहे हैं । उनसे इनका चल रहा है । अजब हिंसा का दौर है । तू इसकी हाँ कहेगा तो तेरी माँ बहन । तू उसकी हाँ कहेगा तो सबकी माँ बहन । गालियों से भारत की समस्याओं के दो रूप सजाये जा रहे हैं । सत्ता हिंसा माँगती है । सत्ता लाश माँगती है । जो मर गया वो भुन गया ।जो बच गया वो धुल गया । तो आसमान नीला लग रहा है । हवाओं मे वो कशिश नहीं है । गालियों की आँधियाँ चल रही हैं । दलीलों का भंडारा बंट रहा है । काट पर काट है । लात पर लात है । लाद पर लाश है । हर हर महादेव है । अल्लाहू अकबर है । उसके बाद ईद मिलन है । उससे पहले होली मिलन है । पुष्पक विमान उड़ रहे हैं । मंदाकिनी का हरा पानी लाल होने वाला है । दो ब्रह्मांड हैं । दोनों के चारों तरफ़ भांड हैं । हाहाकार है । टीवी बंद कर दो । पैराग्राफ़ मत बदलो । चलते रहो । दोनों रूपों के पीछे पीछे । भारत की आत्मा को मुक्त करने । रिमोट फेंक दो । असली रिमोट किसी और के पास है । गालियां दो , लाठियाँ फेंक दो । महान महान महान जपो । हर हर महादेव तज दो । भागो उसके मंदिर के पीछे से मलबा चला आ रहा है । जान बचा लो। मर जाओ तो पड़े रहना । भारत की समस्याओं के दो रूप चले आयेंगे । शांति शांति शांति । नहीं नहीं । दे गाली दे गाली । इनबाक्स में गाली । आउटबाक्स में गाली ।  गाली हवन है । गाली यवन है । गाली पताका है । गाली महत्वकांक्षा है । सत्ता गाली की साली है । 

15 comments:

S. M. Rana said...

Wah, yeh kavita kisi nayi shailli ke rass mein bhigi hai!

प्रवीण पाण्डेय said...

आपके प्रवाह में उड़ती वर्तमान की विद्रूपतायें।

Ria Sharma said...

Ravish saaar....Kalyug kee Ramayan baanch rahe hain ..!ye theek hai ...kya rakha hai PTime main ...bekaar!:)

Shikha simlply special said...

जनता और कुछ करती भी कहाँ है, बस गाली, सिर्फ गाली देकर खुद को संतुष्ट करती है, रो लेती है अपनी मजबूरियों पर, सह लेती हे जख्मों को, आवाज़ उठाने से पहले उसके अंजाम से सहम जाती है

Pankaj kumar said...

बहुत कुछ समेटे हुए वर्तमान के सच का प्रतिबिम्ब है "पागलनामा पार्ट सिक्स".

Sanjeev Parihar said...

Kuch aapko bhi dhayan me rakh kar likha jata hai ......read it :)

http://kuchmera.blogspot.in/2013/06/blog-post.html

Naz said...

هنا كل شيء ليست جيدة ولكن إدارة الامور التي تسمى الحياة. لا يمكن الكتابة كثيرا ولكن حبي لكلا وأشياء المساس ضروري

Naz said...

الابتعاد عن الغضب والعناية الذاتية الخاصة بك .. الله حافظ

Mahendra Singh said...

Ek bahoot prashanshniya alankarik bhasha yukt LALIT NIBANDH.

blogram said...

pagalnama ke 6 part ho gaye , ab man me thodi shanti hogi. ...aasha hai neend bhi aane lagi hogi.

यात्री said...

रवीश जी,
जीवन को गौर से देखेंगे तो पाएंगे कि यहाँ अब्सर्ड है बहुत कुछ,
गहरा पागलपन, आत्मवंचना और झूठ
सब तरफ, हर तरफ

हम इसके आदी हो गये हैं
फिर हमारे पास सार्थक - निरर्थक का भेद समझने की न तो समझ है, और न समय.

लेकिन,
जिसके पास भी देखने की क्षमता पैदा होती है
उसके लिए बहुत कष्ट है यहाँ
धर्मसंकट है
क्योंकि आदमी को,
जीने के लिए सच से कहीं ज्यादा, झूठ चाहिए
सच कहना बेमानी है

Ranjit Kumar said...

अदभुत...

Unknown said...

bahut khoob sir ..
kafi dino ke baad aap ke blog per aaya hu bahut accha laga. or sir ek baat facebook per aap ke naam se ek page h kya use aap operate kar rahe h????
www.facebook.com/RavishKumarFansndtv?hc_location=stream
ye link h sir uska..

Jay said...

Excellent sir..good kavita

RANG DE BASANTI said...

Raveesh ji , please give one day @ prime time about this topic


स्पॉट फिक्सिंग : क्रिकेट बनाम राजनीति
अभी हाल ही में IPL में हुए स्पॉट फिक्सिंग का मुद्दा मीडिया में बुरी तरह से छाया रहा . क्रिकेट जो की भद्र ( ?) खेलों में शामिल है , उस पर एक और दाग .... भारत के क्रिकेट प्रेमियों को बहुत बड़ी निराशा हाथ लगी इस बार और शायद इसका अगले IPL पर बहुत व्यापक असर देखने को मिलेगा . इसके चाहने वालों में भारी गिरावट आएगी .....
दिल्ली पुलिस ने जिस तत्परता से स्पॉट फिक्सिंग करने वाले खिलाडियों की नकेल कसी वो वास्तव में काबिले तारीफ है और इसके लिए दिल्ली पुलिस बधाई की पात्र है .....
पर , आखिर असलियत में IPL है क्या ....???
अब यहाँ यह कहने की जरूरत तो है नही कि किस कदर क्रिकेट को व्यवसाय का रूप देकर खुले आम खिलाडियों की बोली लग रही है और धन बल का इसमें भौंडा प्रदर्शन हो रहा है , खिलाडी अपने मालिक के लिए खेल रहा है .....
स्पॉट फिक्सिंग में हुआ ये की कुछ खिलाडियों ने अपने मालिकों के प्रति वफादारी नही निभाई और उन्हें जिस काम के पैसे दिए जा रहे थे उसमें दगाबाजी की .... मैं समझता हूँ की इसमें इससे ज्यादा कुछ नही हुआ ,क्योंकि IPL एक व्यापार से ज्यादा कुछ नही है।
इसके लिए दिल्ली पुलिस की इतनी कार्यकुशलता , मानना पड़ेगा ....
एक समय के लिए तो ऐसा लगा की स्पॉट फिक्सिंग से पूरे आ गई देश में भूचाल आ गया . मीडिया ने जिस तरह से इसे दिखाया मनो यही देश की सबसे बड़ी समस्या है .....
मैं यहाँ ये नही कहता की स्पॉट फिक्सिंग मामूली सी बात है और बेवजह शोर मचाया जा रहा है ....
पर
देश में अनवरत हो रही स्पॉट फिक्सिंगपर किसी मीडिया , किसी कनून की कोई नज़र कभी जाती ही नही ..... यह स्पॉट फिक्सिंग हो रही है राजनीती में .... अनवरत , अविरल , बिना किसी रोक टोक के ... सब देख रहे हैं पर सबकी आँखे बंद है और सभी इसे मौन स्वीकृति प्रदान किये बैठे है…
सरकार बनाने के लिए दुसरे का समर्थन चाहिए , तो चुकाओ कीमत और ले लो समर्थन , बना लो सरकार। सबने देखा की कितनी चुकाई पर फिर भी आँखे बंद है ....
किसी दल के मुट्ठी भर सांसद या विधायक हैं पर सरकार बनाने के नाम पर उन्हें मंत्री पद चाहिए .. मंत्री पद देकर कीमत चुकाओ और बन गई सरकार .... हो गई न स्पॉट फिक्सिंग ....पूरा देश देख रहा है , मीडिया में इस राजनितिक खेल पर बहस जारी है , पर सब चुप…
सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया , आंकड़े खुलेआम प्रस्ताव के पक्ष में हैं, वोटिंग हुई और प्रस्ताव ध्वस्त , सरकार जीत गयी .... सबको पता है कैसे हुआ , फिर भी।।।
हो गई न स्पॉट फिक्सिंग ....
खेल में सिद्धांत होते हैं , पैमाने होते हैं इमानदारी के , उसमे बेईमानी हमें स्वीकार्य नही पर यहाँ पूरे देश का सवाल है , संविधान की इज्ज़त का सवाल है तो भी कोई सिद्धांत ,कोई नैतिकता का पैमाना नही और सारा देश चुप .....!!
स्पॉट फिक्सिंग का सबसे ताजा उदाहरण ....
FDI पर सरकार को समर्थन चाहिए , नेताजी विरोध में मीडिया के सामने भाषण दे रहे हैं , FDI का खुल विरोध कर रहे हैं और वोटिंग में जानबूझकर बाहर ताकि सरकार जीत जाए ...
हो गई न स्पॉट फिक्सिंग ....
क्रिकेट में स्पॉट फिक्सिंग होती है तो क्रिकेट का नुकसान होता है , ( पर मेरे ख्याल से तो क्रिकेट का सबसे ज्यादा नुकसान फिक्सिंग की बजाय IPLही ने किया है ) , पर राजनीती में इस सतत फिक्सिंग से नुक्सान तो देश को हो रहा है ना,,,

हजारों हजार स्पॉट फिक्सिंग के गंदे उदाहरणों से भरी पड़ी है देश की राजनीती ...
आखिर क्यों इसके लिए कोई मापदंड नही है ? क्यों कोई पैमाना नही है ?
क्यों मीडिया क्रिकेट के स्पॉट फिक्सिंग की तरह इस मुद्दे को नहो उठती है ?
क्यों कोई पुलिस , कोई कानून इस पर स्वयं संज्ञान नही लेता है ?
और आखिर कब तक देश की राजनीती में ये स्पॉट फिक्सिंग चलती रहेगी ....???


RAHUL AGRAWAL
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