पहाड़गंज-कटरा राम गली
पहाड़गंज पर रिपोर्ट करने के सिलसिले में कटरा राम गली गया था। एक के ऊपर एक बने कमरे। २७ कमरों में पांच सौ लोग रहते हैं। एक कमरे में तीन शिफ्ट में परिवार सोता है। जीवन का ग़ज़ब का उत्सव दिखता है। लोगों ने जगह की तंगी के बाद भी कुत्ते पाल रखे हैं,मुर्गे हैं और छत पर सैंकड़ों कबूतर। आंगन की पूरी दीवार कपड़ों से ढंकी हुई है। एक सज्जन ने कहा कि पैंतीस रुपया किराया है। कोई वसूलने भी नहीं आता। किसी ने यह भी कहा कि मामला अदालत में है इसलिए ऐसा हाल है। लेकिन कटरों की ज़िंदगी की ख़ूबसूरती को नए सिरे से देखना चाहिए। इन तंग घरों की इतनी बेहतरीन सजावट की गई है कि क्या कहें। कोई जगह को लेकर रोता हुआ नहीं आया।
आप इनकी रसोई को देखिये। इस सजावट में सपने दिखते हैं।
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15 comments:
इन्ही स्टोरीज़ ने मार डाला है...हम लोगों तरसते हैं ऐसा काम करने के लिए...और आप हर रोज़ हम लोगों को फिर से चिढ़ाते हुए निकल जाते हैं...कि तुम लोग तरसते रहो...मैं तो कर रहा हूं....
apka najariya sochne ko badhya karta hai... hamesha...
YAQIN NAHI AATA.....
PHIR BHI LAJAWAB
भाई रवीश जी, कल बच्चे के साथ बैठकर टीवी पर भी इत्मीनान से देखा-सुना। उससे पहले तसल्ली से पढ़ चुका था। ढेरों प्रशंसाएं। आपको भी। एनडीटीवी को भी। वर्ना इन दिनो तो सानिया के अलावा बाकी को कुछ सूझ ही नहीं रहा है। भोजनालय तक पहुंच गए हैं। आपको पढना, सुनना दोनो अनुभवदायी हो जाता है। जनपक्षधर सूचनाओं के अकाल में बारिश की तरह।
Kum mein bhi flexibility or har haal mein relaxibility ke bhartiya darshan ka umda namuna hai...or un netao ke muh par .....jo in logo ke vote se vijayi hokar 2-2 acre ke bunglo mein kaabiz ho jate hai.....fir kabhi in logo ke naam par kuch karne ki baari aaye to "savida ghavra" bana dete hai
रविश जी , जो बात मैं कहना चाहता था, अपने खुद ही लिख दी।
इन हालातों को देखकर हम ही दुखी हो सकते हैं । लेकिन जो लोग वहां रह रहे हैं , वो कहाँ दुखी हैं ।
शायद विकाशशील होना इसी को कहते हैं । और हम सदा ऐसे ही रहेंगे ।
ये सबसे बेहतरीन फोटो था। लालू और आमिर के अलावा इन लोगों को भी प्रबंधन की कक्षाओं के लिए आमंत्रित करना चाहिए। आप इस सुझाव पर विचार करियेगा। हो सके तो आगे भी बढ़ा दीजियेगा।
mumbai ke liye ye aam bat hai chalo me rahane wale har dusara aadami esi tarh rahata hai sari khusi tv par dikhane ke liye thi ki chote ghar se bhi koi pareshyani nahi hai ek bar aam aadmi ban kar puchhiye fir wo apna dard batayenge ki ek hi kamare me kaise ma bap or beta bahu ek sath sote hai or bachche bhi hote jate hai un gharo ki mahilao se puchiye wo kitani ghutan me jiti hai
रवीश जी प्रणाम!, भाई वाह! "रवीश की रिपोर्ट" जैसा कार्यक्रम किसी न्यूज़ चैनल पर पहले कभी नहीं देखा...दिल्ली का लापतागंज और बस्ती को बसते देखना अविस्मरणीय था....मैं तो पूरी रिपोर्ट की विडियो के जुगाड़ में हूँ...यूट्यूब पर भी नहीं मिला...आभारी रहूँगा यदि मदद करेंगे...कुछ ना हो तो कृपया यूट्यूब पे तो डलवा ही दें...
आपके द्वारा पोस्ट की गई तस्वीर बहुत कुछ बयां करती है। हमारा यही मानना है कि जिस रफ्तार से जनसंख्या बढ़ रही है उसे देखते हुए ये अब ये समस्या पहाड़गंज कटरा राम गली की ही समस्या नहीं रह जाएगी। वैसे ये तस्वीर देखकर हमें मुंबई की झोपड़पट्टियों की याद आ गई। मुंबई के कई इलाकों में भी ऐसे ही हालात हैं। पानी, बिजली की तरह आवास की सुविधा भी बहुत बड़ी समस्या है। फिलहाल हम सभी समाधान के लिए भटक रहे हैं।
dil aashiyana ho jaye to jagah kabhi kam nahi pad sakti..
पहाड़ गंज हो या पुरानी दिल्ली से सटा दिल्ली वो इलाका जो असली दिल्ली से आपकी पहचान करवाता है, आपको हर जगह की यही कहानी मिलेगी। करोल बाग से सटा मानकपुरा, सीसामील,किशन गंज,कटरा फिस्मिस्तान सिनेमा, बाड़ा हिंदू राव,आज़ाद मार्किट का नया मोहल्ला और नवाब गंज, सब्ज़ी मंडी घंटा घर,मल्का गंज।
बहुतेरे ऐसे इलाके मिलेंगे जो कि आज़ादी के बाद आए विस्थापितों के आज बनें आलीशान मकानों(पश्चिमी दिल्ली) के सामनें असली दिल्ली को जिंदा रखे हैं।
Bahut pasand aayi thee aapki ye report!
this is very good, I like to read it
very good keep it up
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