बाबा नाम केवलम









कुंभ के दौरान बाबाओं का स्टारडम देखने को मिलता है। सब किसी अदृश्य शक्ति से लैस फ्लैक्स के बोर्ड पर अवतरित हुए पड़े हैं। किसी को ग्लोबल वार्मिंग का ख़तरा सता रहा है तो कोई हिन्दू धर्म को लेकर टेंशन में हैं। एक बाबा का आशीर्वाद ही मिल जाए तो समझ लीजिए कि लाइफ धन्य हो चुका। एक बाबा तो कंदराओं में कैमरा लेकर जाते हैं और तपस्वी साधुओं के साथ क्लिक कराना नहीं भूलते। पता नहीं किस घड़ी में सहारनपुरवाले बाबा ने अपना नाम जहर रख लिया है। एक बाबा नो तो खुद को नेशनल लेवल का घोषित कर रखा है। बाबाओं की होर्डिंग देखने और पढ़ने लायक हैं। उनके पोज देखिये। चेहरे पर तेज बनाने की कोशिश की जाती है।

32 comments:

Apanatva said...

Marketing aur vigyapan ke jamane me sadhoogan peeche kaise rah jate......?
Thanks to Parul aapke blog ka pata chala..........

Apanatva said...

Marketing aur vigyapan ke jamane me sadhoogan peeche kaise rah jate......?
Thanks to Parul aapke blog ka pata chala..........

मधुकर राजपूत said...

बाबा खुद को विज्ञापित कर रहे हैं...विज्ञापन की महिमा समझ गए...बोर्ड पर उदित और विदित हो रहे हैं...जहर बाबा का नाम कैची है..इन्हें टैग लाइन डिज़ाइनर भी रखने चाहिएं।

Kulwant Happy said...

ब्लॉग सालगिरह मुबारक हो।

संगीता पुरी said...

बाबाजी के विज्ञापन होर्डिंगो की बुराई का परिणाम देख लिया .. इस पोस्‍ट की ब्‍लॉगवाणी पसंद -4 हो गयी है !!

Anshu Mali Rastogi said...

फिर क्यों न बाबा ही बनने के प्रयास किए जाएं, रवीश बाबू।

Archana said...

JAI HO PRABHU......
PAHLE AYE BABALOG BHAGWAN KO BECHTE THHE ....AAJ KHUD KO BECH RAHE HAIN.....AGLE KUMBH MEIN PATA NAHI ....KYA BECHENGE.....
BABA NAAM KEWALAM.....
BABA NAAM KEWALAM.....
BABA NAAM KEWALAM....

Parul kanani said...

talaash jari rakhiye sir :)

सतीश पंचम said...

ये चिन्मयानंद वाले में लिखा है कि राष्ट्रीय संत श्री...

अब तक तो नहीं पढा था, लेकिन इस बैनर को देख राष्ट्रत्व की परिभाषा पढने का मन हो रहा है :)

कुलदीप मिश्र said...

इसी तरह नए नए जायके लाते रहिये...इंतज़ार रहता है....

JC said...

माँ कहती है, "बेटा रवीश (या लल्लू, आदि) बाज़ार से एक किलो आलू ले आ!"
९९% आप सही, आलू ही, ले आओगे - बैंगन नहीं...क्यूंकि आप जानते हो 'आलू' दीखता कैसा है. किन्तु फिर भी हो सकता है आप आलू की सही किस्म न लेकर आयें, या अधिक पैसे वाला ले आये (मेरे जैसे, उदाहरण के तौर पर :)...यानि वो आलू जो माँ के दिमाग में हो, जो आपके बाबूजी कई वर्षों के अनुभव के बाद लेकर आया करते थे...

ऐसे ही हर 'गुरु' साधारणतया हर चेले को पहली नज़र में आकर्षित नहीं कर सकता जब तक वो कोई 'चमत्कार' न कर के दिखाए...अनुभव के आधार पर, यानि परीक्षा में कई बार खरा उतरने के बाद ही, हर कोई किसी गुरु विशेष का भक्त बनता है...या पहली बार ही छला गया हो तो गुरु क्या भगवान् से ही विश्वास उठ गया हो सकता है किसी किसी का तो...या १६ वर्षीया भी नक़ल कर कह उठे "मैं भगवान् में विश्वास नहीं करता/ करती..."

और भगवान्, जिसे आपने और किसी और ने भी देखा ही नहीं हो उसको कैसे समझोगे, किसी दूसरे को समझाओगे या स्वयं पाओगे? अगर कोई कहे कि वो आपके भीतर भी मौजूद है तो उसको अधिकतर पढ़े लिखे आज 'मूर्ख' ही कहेंगे - कलियुग के प्रभाव से :)

डॉ टी एस दराल said...

इतनी सुन्दर तस्वीरें देखकर मन बाबा बाबा , ओह मांफ कीजिये , बाग बाग हो गया।

डॉ .अनुराग said...

बाबा रामदेव के आश्रम की कोई फोटो मिल जाती तो? .....उसका आर्कीटेक्टचर देखने की इच्छा है

Manjit Thakur said...

रवीश जी हिंदू धर्म सुरक्षित बाबाओं के सुरक्षित सानिंध्य में है। धर्म को खतरा क्यों रहता है? किससे रहता है? हिंदू धर्म खतरे में, इस्लाम खतरे में..हे भगवान अपने अनुयायियों पर इतने खतरे न थोपो..

मुनीश ( munish ) said...

itz really pathetic ! but... real babaz are also there n' i wish u encounter them too .

मसिजीवी said...

अच्छी ब्‍लागर नजर है :)

वैसे जरा भीतरी बात भी खोजकर सामने रखिए... इन बाबाओं के पीआर मैनेजर लोगोंका प्रोफाइल क्‍या है ? हमें शक है कि उनमें कुछ जरूर मीडियाकर्मी (एक्टिव या ड्राप आउट) होंगे

anand said...

ye soham naam churaya lagta hai...ek film ayee thi banaras...jisme hero ka naam soham tha..

उम्दा सोच said...

ndtv की प्रोमो टीम से ज्यादा अच्छा क्रियेटिव वर्क है इसलिए आप को जलन हो रही है न ???

मिया कभी god tv और कभी peaceTv के बारे में भी बोला करो या डर लगता है???

धर्म तो तुम्हारा इस्लाम खतरे में है जो रोज जेहाद कर निर्दोशो का खून बहाते हो !

बवाल said...

बहुत सटीक व्यंग लिखा रवीश बाबू।

JC said...

तस्वीर के लिए पोज़ बनाये, अंग भस्म और चेहरे पर राख मले जोगी देख एक 'जोगी' की कहानी याद आ गयी (योगानंद की पुस्तक से) जिसमें एक चेले को अचानक लगा कि उसके गुरु की कोई तस्वीर कभी खिंची ही नहीं गयी थी और इस कारण उनके गुजर जाने के बाद उसके पास कोई निशानी नहीं रह जाएगी...उसकी प्रार्थना पर गुरु तैयार हो गए किन्तु रील का दोष समझ अलग अलग रील में फोटो २-३ बार खींच कर भी वो जब नज़र नहीं आए किसी तस्वीर में, वो समझ गया उसमें उनका कुछ संकेत था! उन्होंने तब उसे समझाया कि उसका 'गुरु' उनके शरीर के भीतर की अदृश्य आत्मा थी इस कारण उसकी तस्वीर उसे हर बार मिल तो रही थी!
योगानंद की पुस्तक में उन गुरु की केवल एक तस्वीर थी जो उनके अनुसार गुरु ने अंत में उस चेले को पोज़ दे कर खिंचवाई :)

khushboo said...

agar holding nahi lagayenge to logo ko pata kese chalega ki vo BABA hain.
sab moh-maya hai .......!!!

विनीत कुमार said...

इस तरह के बोर्ड भइया के साथ कभी गांधीनगर दूकान के लिए माल खरीदने जाता हूं तो खूब देखता हूं।..फटेगा नहीं,रंग नहीं जाएगा,पल्ली साइड बराबर में,प्लाट नंबर 12 बी..एकदम धार्मिक साईनबोर्डों के माफिक।.

Sanjay Grover said...

Saharanpur wale baba kafi spashtwadi lagte haiN.

मयंक said...

मंदिरों में रास रचाते पुजारियों की जय हो
दाढ़ी में खिजाब लगाते मौलवियों की जय हो
जय हो पादरियों की जो मदिरा पीकर हैं मतवाले
वोट की भीख मांगते भिखारियों की जय हो

जय हो....जय हो....
धर्म की जय हो?
अधर्म का नाश हो?

मुनीश ( munish ) said...

Even our ancient 'dharmik' literature is full of anecdotes of villains posing as sadhus and it warns us against them. Ravan posed as a sadhu while kidnapping Sita. Real sadhus do not advertise themselves like this and it is as simple as that so i do not understand as to why is there so much brough ..ha..ha !

kirtan said...

aap nay to haridwar kee nas pakliy hay.horiding tak hi dharma bacha dhikta hay.

गिरधारी खंकरियाल said...

jitne baba evam sadhugan kumbh mein aye hai haiN. ve sabhi ganga mein nahakar aur gandagi badha rahe hai haiN. es samaya per to janata aur sadhu logon ko ganga ki safai karne chahiye toh hi puNya prapt hoga. Nahane ki bajay safai par jor dena chahiye.

RAHUL SRIVASTAVA said...
This comment has been removed by the author.
Sandeep Mamgain said...

ye aaj ka india hai,
jo dikhta hai wohi bikta hai...
sab lage hain numaish mein,
baba kaun se kam hain,
ye to kahenge, YE BABA KA STYLE HAI,,,,,
Dhanya hain Hamare modern BABA

Shishir singh said...

खुद ही महन्त खुद ही श्री 1008 की उपाधि ले लेने वाले ये सारे बाबा ढोंगी है। इनको देखकर जो प्रतिक्रिया मन में आती है उसे यहां लिखना अच्छा नहीं। टीवी की शब्दावली में कहा जाए तो उसका अनुवाद होता है टीईईईईईईईईईई.......।
कन्फ्यूशियस का पढ़ा हुआ एक किस्सा याद आता है कि यह बाबा तो डाकूओं से भी ज्यादा खतरनाक होते हैं। डाकू तो सिर्फ हमारी संपत्ति पर डाका डालता है, ये तो लोगों की आत्मा पर ही डाका डाल देते हैं।

JC said...

कन्फ़्युसिअस की कहानी से सुदर्शन द्वारा लिखित एक कहानी की याद आगयी,,,कि कैसे एक डाकू ने एक बाबा का सुंदर घोडा छल से, 'अपाहिज' बन, हर लिया तो उस (सुदर्शन के अनुसार) 'सही' बाबा ने कहा कि उसने उसे छल तो लिया किन्तु इसका यह नतीजा होगा कि अब कोई किसी का विश्वास नहीं करेगा, और किसी गरीब की मदद (आज के नेता समान) नहीं करेगा! ...
किन्तु 'प्राचीन ज्ञानी हिन्दू' यह भी कह गए कि यद्यपि सम्पूर्ण जगत ही मिथ्या है किन्तु जीवन रुपी नाटक में 'सत्य' वो ही है जो काल के प्रभाव के कारण बदलता नहीं दीखता,,,इसलिए 'कलियुग' में भी सुदर्शन के बाबा का निष्कर्ष पूरी तरह सही नहीं है - आज भी 'अन्धविश्वास' या 'अज्ञानता' के कारण ठगी चलती दीखती है,,,किन्तु परमात्मा और उनका अंश, 'आत्मा' ('एनर्जी' या शक्ति समान) शास्वत है: यह पानी में नहीं घुलती, अग्नि से नहीं जलती, हवा से नहीं सूखती आदि आदि जानी गयी योगियों द्वारा - यह हरी नहीं जा सकती लम्पटों द्वारा जिनकी संख्या काल की उलटी चाल के कारण बढती दिखती है, माया के कारण :)

KARAN SINGH RAJPUROHIT said...

BABA NAM KEVALAM 1 mah mantra hai isak Arth bhagwan 1 hain.
BABA 1 sambodhan suchak shabd hai jeska bhagwan ko pukarne me kiya gya hain.
NAM ka mane pukarne ka madhaym ya pukar ne ka shabd.
KEVALAM ka arth hain sivay matra ya only.
BABA NAM KEVALAM ka arth 1 sarv manya avm nivyaktik shbd jo shridhay ko pukarne me upayog kiya jata.