आज कनाट प्लेस गया था । तहलका टीवी के लिए । स्टेट्समन हाउस के सामने आक्सफोर्ड बुक स्टोर जीने के लिए एक सब वे में उतरा तो इस पंखे को देख हैरान रह गया ।आप ग़ौर से देखेंगे कि पत्थर के कई स्लैब एक दूसरे के ऊपर रखे हुए हैं । इनके बीच पंखे का मोटर अटका दिया गया है । बिना जाली के ब्लेड नाच रहे हैं । मज़दूरों ने अपना टेबल फ़ैन बनाकर दोपहर की नींद का जुगाड़ कर लिया है । मुझे लगा कि पाषाणकालीन फ़ैन खोज लिया मैंने । यूरेका !
14 comments:
शानदार !!!
जुगाड़, आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है..
सच है, हम कुछ भी कर सकते हैं।
RAVEESH KUMAR YOUR IQ IS GOOD.
APNE APNI JAWANI ME IAS KE LIYE KYOUN NAHI TRY KIYA
बोले तो जुगाड़ ........
Jugad to hum har cheej kar lete hain. lekin aise innovation ka Patent nahi milta aur inkee life zyada nahin hotee. Yeh ek prakar kee Aapat arrangement hai,bus. Khoj "Samsung" jaisee hotee hai jisne S Korea ko S. Korea banaya.
पालागी !!
हिन्दुस्तान की अधिकतर लोग जुगाड़ से ही जीवन यापन कर् रहे हैं।।
हिन्दुस्तान की अधिकतर लोग जुगाड़ से ही जीवन यापन कर् रहे हैं।।
मजदूर की सुविधाएं हमारे देश मैं नहीवत है और सुरक्षितता की तो घोर उपेक्षा होती है।अगर हमारे देश मैं labour sites पर ही खाना और दवाइयां दे दिए जाय तो crime rates कम हो जाए।
Ravish Sir,
Aapse prerna lekar maine bhi blog likhna shuru kiya hai . Please dekhiyega.
http://gyanbaazi.blogspot.in
regards,
desh me sab jugad se chalta he. janab mantri se santri tak sab jugad or jod tod ka hi natiza he. fir ye to pankha he. vo bhi gya gujra....... thik desh ki arthvayvashtha ki tarah.
पता नही इसमे लोगो को जुगाड़ दिख रहा है और हमे दुर्घटना दिख रहा है. ऐसा अविसकार लोग नही करे तो ठीक, पहले से ही ऐसे अविसकार 400-500 रु मे मिल रहे है. जहा काम तरीके से होता है वाहा जुगाड़ से ना करे तो अच्छा ...
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