राजनीति आपकी
कमज़ोर स्मृतियों के सहारे ऐसे मिथक की रचना करती है जिसका कोई व्यावहारिक आधार
नहीं होता है। हम हर पंद्रह अगस्त और छब्बीस जनवरी को जहां डाल डाल पर सोने की
चिड़िया करती है बसेरा, वो भारत देश है मेरा, सुन कर भावविभोर होते रहते हैं। पर एक पल
के लिए सोचते तो होंगे कि क्या सचमुच ऐसा कोई काल रहा होगा जब सोने की चिड़ियां
डालो पर बसेरा करती होगी। आप कहेंगे कि गीतकार ने प्रतीकों के सहारे बताने का
प्रयास किया है कि कभी भारत इतना खुशहाल और भरापूरा देश था। दरअसल तब भी यह हकीकत
के करीब नहीं हैं। स्वर्ण युग और अंधकार युग इतिहास लेखन के शुरूआती दौर की ऐसी
नादानियां हैं जिसका परित्याग करने के लिए दुनिया भर के इतिहासकारों को लंबे समय
तक संघर्ष करना पड़ा है। इतिहासलेखन में किसी दौर को देखने का यह मान्य पैमाना
नहीं रहा कि फलां युग स्वर्ण युग था या अंधकार युग । ये और बात है कि इसके अवशेष अब भी मिल जाते हैं, खासकर राजनीति में तो यह अभी भी एक दिव्य
और अकाट्य तथ्य के रूप में पेश किया जाता रहता है।
स्वर्ण युग की
चर्चा इसलिए कर रहा हूं कि रविवार को बीजेपी के प्रतीक्षारत प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी ने कहा कि वाजपेयी जी का युग स्वर्ण युग था। स्वर्ण युग का प्रमाण क्या दिया
उन्होने कि जीडीपी रेट ८.४ था। नरेंद्र मोदी ने यह नहीं बताया कि फिर भारत की जनता
ने उस स्वर्ण युग को क्यों दो बार खारिज कर दिया। क्या जनता १९९९ से २००४ के वर्तमान
में यह नहीं देख पा रही थी कि हमारे सामने से कोई स्वर्ण युग गुज़र रहा है। जिस
शाइनिंग इंडिया अभियान पर हार के बाद बीजेपी के ही नेता सवाल उठा चुके हैं एक बार
फिर से एन डी ए युग को शाइनिंग इंडिया का नया नाम दिया जा रहा है। स्वर्ण युग का।
इसके जवाब में कांग्रेस के प्रवक्ता ने भी एलान कर दिया कि एनडीए का स्वर्ण युग
नहीं था। स्वर्ण युग तो यूपीए वन का था। अरे वाह, आप स्वर्ण युग में रह रहे हैं फिर भी आप
महंगाई और भ्रस्टाचार से त्रस्त हैं। यह कैसा स्वर्ण युग है। शायद है क्योंकि आप
में से कई तीस हज़ार प्रति ग्राम सोना खरीदने लगे हैं। देश में सोना कम आए इसके
लिए वित्त मंत्री सोने का आयात रोकने के लिए आयात कर बढ़ाते जा रहे हैं। चिदम्बरम
यूपीए वन को स्वर्ण युग बताने में इतने व्यस्त हो गए कि भूल गए कि कोई यूपीए
द्वितीय के बारे में भी पूछ सकता है ।
ऐसा क्यों होता है
कि हमारी राजनीति भविष्य की तरफ बढ़ते बढ़ते अतीत की लोककथाओं से मिथकों की चोरी
सत्यकथा की तरह करने लगती है। कभी ये दल राम राज्य की बात करने लगते हैं, अचानक राम राज्य
को छोड़ स्वर्ण युग की बात करने लगते हैं। सबके भाषणों को आप सुनिये तो लगेगा कि
देश किसी अंधकार में डूबा हुआ है। भारत ने कुछ हासिल ही नहीं किया है। फिर इसी में
से कोई नेता आकर बोल देता है कि नहीं नहीं ऐसा नहीं है। ६७ साल की आज़ादी में हमने
कुछ नहीं हासिल किया मगर इसमें से पांच साल हम स्वर्ण युग में थे। दिग्विजय सिंह
कहते हैं कि इसी स्वर्ण युग में संसद पर आतंकी हमले हुए, आतंकवादियों को
उनकी पसंद की जगह तक जाकर छोड़ा गया। दरअसल इतिहासहास लेखन में भी यही होता है ।
जिस किसी कालखंड को स्वर्ण युग या अंधकार युग कहा गया है,जवाबी तर्कों के सहारे इन अवधारणों को
चूर चूर कर दिया जाता है। सही बात है कि राजनीति के पास विकल्प के नाम पर कोई
विकल्प नहीं है। यह थकी हुई और अकाल्पनिक राजनेताओं की फौज है जिसे युद्ध करना ही
है इसलिए बेमन से रणभेरियां बजा रहे हैं। खुद नहीं बजा सकते तो आजकल जनसंपर्क
एजेंसियों पर करोड़ों खर्च करते हैं कि भाई आप ये बिगुल बजाते रहो।
से उबरने में मदद मिल सके । जहां डाल डाल पर सोने की
चिड़िया बैठा करती थी टाइप । इस खोज ने हमारी पहचान की तत्कालिक ज़रूरतें तो पूरी
की मगर इसी की बुनियाद में सांप्रदायिकता के स्वर्णिम और मिथकीय बीज भी पड़ गए।
जहां से हम किसी अखंड भारत की तलाश करने लगे और किसी एक धर्म के वर्चस्व का सपना
बांटने लगे। हमारी राजनीति को ऐसी उपमाओं से मुक्त करने की सख्त ज़रूरत है। अगर
स्वर्ण युग का पैमाना जीडीपी का आंकड़ा है तो कई लोग यह भी तो कहते हैं कि जी़डीपी
के रेट से विकास की असली तस्वीर नहीं दिखती। कहां है स्वर्ण युग । क्या गुजरात में
हैं, क्या मध्य प्रदेश
में है, क्या छत्तीसगढ़
में है, क्या दिल्ली में है, क्या यूपी और बिहार में है। अगर है तो सारे दल ग्रोथ रेट के
इन गगनचुंबी आंकड़ों के बाद भी सत्तर से नब्बे फीसदी आबादी को सस्ता अनाज देने की
होड़ में क्यों है। यही लोग एक वक्त पर कहते हैं कि विकास सबके द्वार तक नहीं
पहुंचा। यही लोग मंच पर आकर कहते हैं कि हमारा वाला युग स्वर्ण युग था। कहीं ये
राजनीतिक दल अपने घोटाले और कमाई के मौके को स्वर्ण युग तो नहीं बता रहे।
अच्छा है कि हमारी
राजनीति में जीडीपी के सहारे विकास की बात हो रही है। मगर जीडीपी विकास की संपूर्ण
तस्वीर नहीं है। हो सकता है कि किसी राज्य का जीडीपी काफी हो मगर आप ध्यान से
देखेंगे कि यह रेट इसलिए ज्यादा है कि क्योंकि उस राज्य में किसी एक सेक्टर का
एकतरफा विकास हुआ है। पचास फैक्ट्रियां लग जाने से जीडीपी बढ़ सकती है लेकिन क्या
इससे सारा राज्य खुशहाल हो सकता है,यह बात गारंटी से नहीं कही जा सकती है। कुछ लोगों का कहना
है कि यह राहत की बात है कि जीडीपी की बात हो रही है। पहचान की राजनीति पीछे जा
रही है। पर ऐसा कहां हो रहा है। सबकुछ एक साथ चल रहा है. पहचान की राजनीति एक दिन
तो दूसरे दिन जीडीपी की राजनीति। जीडीपी को भी किसी सतयुग या स्वर्ण युग से जोड़कर
पहचान की राजनीति ही की जा रही है। नरेंद्र मोदी के इस बयान पर पी चिदंबरम ने कहा
कि वे तथ्यों के साथ फर्जी एनकाउंटर करते हैं तो बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा ने कहा
कि चिदंबरम तथ्यों का आतंकवाद फैला रहे हैं। दोनों अपने अपने हिसाब से तथ्यों को
पेश कर रहे हैं। आम जनता को काफी सावधानी के साथ आंकड़ों की इस राजनीतिक बाज़ीगरी
को समझना चाहिए। स्वर्ण युग एक प्रलोभन है। यह न तो कभी था और न कभी आएगा। दोपहर
के वक्त अक्सर गलियों में ठग नकली सुनार बनकर आ जाते हैं। सोना चमकाने के नाम पर
आपका असली सोना लेकर चंपत हो जाते हैं। ऐसे स्वर्ण युग के दावेदारों से सावधान
रहियेगा।
(यह लेख आज के राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित हो चुका है)
21 comments:
कनक कनक से सौ गुनी,
किसका कौन स्वर्ण,
सभी अभिशप्त कर्ण।
namaskaar sir.. aapke blogs padhta hoon aaj kl regular. achha lagta hai.
ha ji sir padha maine aapka post rajsthan patrika me aur september end hone ke chakar me late aay aqasba me...padh ke accha laga........
aapki baato se lagta hai aap Narendar modi ke virodhi hai
ravish ji,
aapko yha bhi modi ji ka virodhi btaya ja rha hai, shayad kal congress comissionkhor ki upaadhi yha bhi milni lge. Twitter to aap chod aaye, ab kya kya chodenge, mera sujhaav hai aap ye bevkuf logo ko ignore kre, aap sanjida patrkaar hai, achche insaan hai, dil khol kr likhiye, ye desh kuch badtameej aur nirlajj log nhi chalayenge ravish ji, aap media stambh ka majbuti se istemaal kre, bs yhi khna tha, meri shubhkaamnaye.
Modi ji ka yeh kahna ki NDA ka period golden period tha.Bajai iske voh yeh kahte last 25-30 years ke period kee "good"Govt. thee. Employment generate karne ke aspect se NDA period bahoot hee achha tha. Golden Quadeleteral aur PMGSY unkee "Game changer", jo "MNREGA" aur "Direct to cash" se kanhee behtar result dene wali schemes rahi.NDA Period main jitna kaam en dono yajnaon main hua uska 40% bhi kaam UPA ke 9 years main nahin hua hoga.Lucknow se Kanpur 15 years ke baad bhi 4 Lane se nahi jud paya hai.4 Laning ka aur PMGSy ka sabse jyada fayda pichde states Jaise Bihar(Motihari bhi 4 laning se jud gaya hai,lekin corruption aur poor monitoring ke wajah se NH 4 year main gadhayukt ho gaya hai(Gopalganj) aur MP ko hua(jahan Diggi babu ne apne 10 saal ke shashan kaal main 1 km bhi road nahi banwayee thee).Nakamiyaon main Gujrat riots ke baad CM ka kursi se na hanta Advaniji kee wajah se, Kandhar kand aur Parliament par attack. Rahi baat India ke dubara shine hane ke bare main to Rajiv ji 400 se jyada LS seats leke continue nahi kar paye to bichare inkee kya bisat.
swarn yug aa raha h...............
chunavi visat bichhte hi aa jayega...
bhale hi chand dino k liye aaye....
lekin aayega...aam logo k liye..
kahi sari me aayega
kahi baatly me aayega
kahi daavato me aayga
ande ki dukano pe aayega
chakhne ar namkeen layega
swarn yug aayega..bhale kuch din sahi.
lekin aayega...
बहुत खूब रविश जी |
लोग कहते है की भारत पिछले ६० वर्षों में सिर्फ बर्बाद हुआ है, अगर ऐसा है तोह हमारे साथ आज़ाद हुए पाकिस्तान को क्या संज्ञा देंगे वह |
अगर कुछ नफा-नुक्सान हुआ भी है तोह उसको हमें ही सुधारना पड़ेगा ,सिर्फ वोट देकर, न की एक दुसरे को गाली देकर |
अगर हम भारतवासी ही कांग्रेस और बीजेपी की तरह दो गुटों में बंट जायेंगे तब कोन एकजुट करेगा हमें !
हमें अपने दिल-ओ-दिमाग से काम लेना चाहिए और बेवजह फ़ैल रही नफरत को कम करना चाहिए.
भूतपूर्व बीजेपी के सदस्य हंस राज हंस जी का एक मशहूर पंजाबी गाना याद आ रहा है, वैसे वह राजनीती में आने को अपनी ज़िनदगी की सबसे बड़ी भूल मानते है शायर कहता है की "जे आपां दोवें रूस बैठे ता मनाऊ कोन वे ?"
समझा आया तोह ठोको ताली !
UPA का सुवर्ण युग NDA के सुवर्ण युग से अलग कैसे?और किसी भी राजनैतिक दल या नेता का सुवर्ण युग देश के सुवर्ण युग से अलग कैसे?
यही सवाल है शायद
और फिर इस title को भस्मासुर कहके नेताओं को वरदान तिकाके भी महादेव की तरह जान बचानी पद रही है इस बात का इशारा भी मोदी चिदम्बरम के उदहारण से दिए है आप ने ravishji?
जवाब तो एक ही हो सकता है-LokTandra लोक तंद्रा को तोडना होगा। वह नेता मीठा नहीं कडुआ होगा:)
वैसे twitter पर आप की प्रेसेंस देख ख़ुशी हुई
पत्रकार पूछने से या पब्लिक पोर्टल से दूर क्यूँ रहे....i mean i have
i mean i have read this post from twitter published in rajasthanpatrika which u've posted
respected raveeh bhaiya
ek kahani bachpan me padi thi ke ek bhikari ka baap RAJA tha.voh bhikari yeh keh kar bheek mangta ki mera baap raja tha,mujhe bheek do.usse tarah yeh politician bolte hain hindustan me swaran yug tha hume vote do.
Ravish Sir Namaskar. Logo dwara aapki alochnao ko khub sunta hu aur man hi man ye sochata hu ki kya tarkpurn aur viveki logo ka yug Bharat me samapti ki aur hai? Yaha logo ko achaiyo ke sath burai sunane ki aadat hi nahi hai. Bas kisi ko 'Hero' bana dijiye aur unke piche chalate rahiye 'Andho' ki tarah. Sir Mujhe lagat hai ki ' Heroism' hi is desh ka sabse bada durbhagya raha hai jo hame sadiyo se parosa ja raha hai taaki baaki logo ki sochne ki kshamta ko mar diya jaye. Sir aap likhate jaiye, is daur me aise vicharo ki jarurat hai.
Culprits alias Gunahgaron ko MP banaye rakhane ke baren main SC ke decision ke bare main bhi kuch likhiye. Kya yeh kadam "Yugantantkari" hai. Is kadam se hum China ke barabari kar lenge. Jaldi kariye"Khak ho jayenge hum tumko khabar hone tak".
Dear Ravisj Sir,
Generally me kisi bhi blog me comment karne se bachta hu,,,,,mai sirf ye kahna chahta hu hi ki aapme aur Raju Shrivastava me ek samanta h. dono logo ka observational power kaafi strong h....mai aapka primetime isliye dekhta hu q ki ussme aap kissi sanjida vishay me bhi comedy kar hi lete h....bhale hi mai pura show nhi dekh pata hu lekin starting k aapke baaton ko kaafi dhyan se sunta hu......mujhe aapke blog ko padh kar yahi lagta hai ki jo baate aap tv par nhi kar paate usko idhar likhte h,,,,,,,aapka style kaafi acha h bolne ka,program ko pesh karne ka.....Dhanyavaad.
Rabish ji Aapke vicharon ko sair karne ka adhikaar do. please!
ये जानते हुये भी की आप काँग्रेस के मैनेज पत्रकार है रविश की रिपोर्ट मुझे बेहद पसँद है और लँबे समय से देखते आ रहे है
ब्लाग पर भी अब आपको फाँलो करते रहेँगे
Ravish ji..aapne sacchaai bayan ki hai sir dhanyvad
Ravish ji..aapne sacchaai bayan ki hai sir dhanyvad
Namaskaar Ravishji,
Main aapke blogs aksar padhti hun.. aaj kal k journalists me shayad aapka hi aisa blog ya tweet rehta hai jo mujhe inspire karta hai.. pata nahi kyun par aapki har kahi hui baat par main yakin karne lagti hun.. par mere mann me aksar ye sawaal rehta hai ki apna blog likhne k baad kya kabhi aap unpe diye gaye comments bhi padhte hain ya nahi.. waise agar padhte hain to shayad mujhe apne iss comment ka jawab mil jayega...
aapki prashanshak
Ravish ji
Bada acha laga apka blog dekh ke..jitne prakhar aap tv pe dikhte hai utne hi blog pe bhi..waise aajkkal ki rajniti me mijhe lagta hai ki jo bhi satta me ayega wo napunsak hi raheha..mardangi to hamesha se opposotion ki hi bapauti rahi hai jab tak kurshi nahi mil jati hai...ispe aap bhi kuch tippani de to acha lagega...
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