जो भी हो आडवाणी के विरोध का फलितार्थ अब चुनाव के बाद ही सामने आयेगा । कोई इस मुग़ालते में न रहे कि मोदी को नंबर नहीं मिलेंगे तो आडवाणी को आगे कर सहयोगी लाया जायेगा । जो भी इस तरह की दलील दे रहा है वो यह मान कर चल रहा है कि क्षेत्रीय दलों की मजबूरी है बीजेपी को सपोर्ट करना । मुज़फ्फरनगर और चौरासी कोसी परिक्रमा से साफ है कि मोदी या बीजेपी या संघ को विकास के मुद्दे में कितना गहरा यकीन है । मोदी चुनावी मुद्दों का ध्रुवीकरण कर वोट ले आयें और कुछ सीट कम पड़ जाए तो संघ उन्हें पीछे कर देगा । हंसी नहीं आती क्या आपको । बीजेपी में मोदी का लाभ उनके अलावा किसी और को नहीं मिलेगा । जिस संघ ने मोदी को आगे किया है क्या वही संघ नंबर न आने पर आडवाणी को आगे करेगा ? राजनाथ अपना गेम चल देंगे ? मुझे यह बकवास लगता है । कोई यह तो बताए कि कौन सा दल है जो राजनाथ सिंह को नेता मान लेगा और क्यों ? गाज़ियाबाद के सासंद राजनाथ के नेतृत्व में बीजेपी की यूपी विधानसभा में सीटें और कम हो गईं । आज से अध्यक्ष के रूप में राजनाथ का काम भी समाप्त हो गया । राजनाथ मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने जा रहे हैं और नंबर नहीं आया तो इतना विरोध होगा कि राजनाथ सहन नहीं कर पायेंगे । उन्होंने मोदी की जीत के कसीदे में अपने लिए दो चार लाइनें सुरक्षित कर ली है । इससे ज्यादा कुछ नहीं । बीजेपी को कम सीटें आईं तो सबसे पहले राजनाथ का राजनीतिक जीवन समाप्त हो जाएगा । क्या राजनाथ यह कहेंगे कि जनादेश मोदी को नहीं बीजेपी को मिला है और उसके अध्यक्ष के नाते मुझे मिला है ? सब इतना सरल नहीं होता । अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी चुनाव जीत कर हार जाएगी । मोदी अकेले बहुमत नहीं ला पाये तो इस चुनाव में बीजेपी की हर संभावना समाप्त हो जाएगी ।
इसीलिए जिस तरह से आडवाणी ने बड़ा दाँव चला है उसी तरह से बीजेपी ने भी एक जोखिम उठाया । बीजेपी के पास यही जोखिम ही मौक़ा है । आज से पहले तक हुए चुनावों में नरेंद्र मोदी की राष्ट्रीय लोकप्रियता कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलता है । इसका मतलब यह नहीं कि आगे भी ऐसा ही होगा । आज तो वे लांचिंग पैड पर सेट किये गए हैं । काउंटडाउन शुरू हो गया है । आर एस एस और बीजेपी का यह राकेट आरबिट में जाएगा या नहीं यह सिर्फ वैज्ञानिकों के आत्मविश्वास पर निर्भर नहीं करेगा लेकिन यह मानना कि हर राकेट का परीक्षण फ़ेल ही होगा पूरी तरह से अवैज्ञानिक है । अगर 272 आया तो देखियेगा कि वैज्ञानिक की भूमिका में नज़र आ रहा संघ अवकाश पर चला जाएगा । ख़बरें लीक करेगा कि मोदी किसी को सम्मान नहीं दे रहे हैं । तब संघ को आडवाणी की याद आएगी ।
सही है कि गुजरात भारत नहीं है पर क्या यह सही नहीं कि गुजरात भारत में ही है । जानकार जब इस जुमले का इस्तमाल करते हैं तो क्या वे यह कहते हैं कि सारे सांप्रदायिक गुजरात में हैं और सारे धर्मनिरपेक्ष गुजरात के बाहर । मोदी ने टोपी नहीं पहनी तो क्या हुआ लेकिन जयपुर में टोपी बुर्का पहनवा कर मुसलमानों को बुलवा तो लिया । मोदी इस तरह के कांग्रेसी और सपाई नाटक खूब करेंगे । जयपुर में हुई सेकुलरिज़्म की फैन्सी ड्रैस पार्टी भी उसी तरह हास्यास्पद है जिस तरह से मोदी विरोधी पार्टियों का सेकुलर विचारधारा की जड़ें मज़बूत करने के ढकोसले । जिसे समाजवादी पार्टी की सरकार ने साबित कर दिखाया है । सेकुलर विचारधारा का नाम लेने के अलावा क्या इन दलों ने कोई ठोस वैचारिक प्रयास किया है ? क्या किया है ? सचर रिपोर्ट सेकुलरिज़्म नहीं है वो एक समुदाय के नागरिक अधिकार से वंचित किये जाने की रिपोर्ट है । विचारधारा के स्तर पर सभी समुदायों में सांप्रदायिक तत्वों से लड़ने के लिए इन दलों ने क्या किया है , इस पर खुलकर बहस होनी चाहिए ।
मोदी अपना प्रचार करने में माहिर हैं लेकिन मोदी को लाभ मिल रहा है कांग्रेस जनित परिस्थितियों के कारण । वर्ना मोदी कर्नाटक में पार्टी की हार को जीत में बदल देते । मोदी जीत की गारंटी नहीं रहे हैं । हर चुनाव पिछले चुनाव से अलग होता है मगर जानकारों की आशंकाओं को देखें तो सिर्फ मोदी के कारण अगला चुनाव पिछला जैसा होने जा रहा है । जो हो रहा है उसे तो देखने और कहने का साहस होना ही चाहिए । मोदी अपनी पार्टी में प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करते हुए एक अनुकूल समय में राजनीतिक क्षितिज पर आए हैं । जो लोग यह कह रहे हैं कि पब्लिक मोदी को वोट नहीं देगी उन्हें विश्लेषण की ख़ातिर ही कहना चाहिए कि पब्लिक कांग्रेस को क्यों वोट देगी । क्या हम यह मान लें कि महँगाई भ्रष्टाचार और लचर सरकार से कोई त्रस्त ही नहीं है । क्या लोग फिर से मनमोहन को अपना नेता मान लेंगे ? क्या राहुल गांधी खुद को नेता मनवाने की दावेदारी करेंगे ? क्या खाद्य सुरक्षा बिल चुनाव के नतीजे तय करने वाला है ? नगद हस्तांतरण को गेम चेंजर बताया जा रहा था उसका क्या हुआ ? क्या ये नीतियाँ सचमुच कांग्रेस के प्रति लोगों को सम्मोहित कर रही हैं ?
किसी को कोई मुगालता नहीं पालना चाहिए । मैं यह नहीं कह रहा कि मोदी की जीत अवश्यंभावी है लेकिन यह भी नहीं कह रहा कि मोदी की हार तय है । और जीत जायें तो किसी को हैरानी भी नहीं होनी चाहिए । ऐसा लग रहा है कि मोदी के बारे में बात करते वक्त जानकार जीतने के विकल्प पर विचार ही नहीं करना चाहते । यह चुनाव मोदी को चुनने के लिए नहीं हो रहा है । यह चुनाव हो रहा है कांग्रेस को हराने के लिए । अगर ऐसा नहीं है तो साफ़ साफ़ कहना चाहिए कि कांग्रेस के हक़ में हवा है । मोदी के प्रधानमंत्री न बनने की सारी दलीलें आप क्षेत्रिय दलों के भरोसे नहीं दे सकते । उनकी अपनी स्थिति क्या है । क्या नीतीश इस वक्त बीजेपी को चुनौती देने की स्थिति में हैं ? क्या मुलायम मोदी से विश्वसनीय लड़ाई लड़ेंगे ख़ासकर मुज़फ़्फ़रनगर दंगे के बाद ? क्या नवीन पटनायक और ममता का कुछ भी बाल बाँका न होगा । अगर ऐसा है तो नरेंद्र मोदी को आज ही ख़ारिज कर देना चाहिए । कांग्रेस ने अपनी करतूत से क्षेत्रिय दलों को भी मजबूर किया है कि वे बिना कांग्रेस को गरियाये चुनाव में जा ही नहीं सकते ।
एक बात और है । पिछले दो चुनावों में कांग्रेस ने एक व्यापक गठबंधन क़ायम किया था । इस बार वो बिखरा हुआ और कमज़ोर है । कांग्रेस के साथ उसके सहयोगी भी कांग्रेस विरोधी नाराज़गी की चपेट में हैं । उनकी हर सीट पर हार मोदी का लाभ है । ममता, मुलायम, मायावती, नीतीश, नवीन सब कांग्रेस से भी लड़ रहे हैं । लड़ाई कई तरफ़ा हो गई है । सेकुलर मोर्चा बिखरा हुआ है । सेकुलर राजनीति का मोर्चा बनाने वाले लेफ्ट की कोई राजनीतिक भूमिका नज़र नहीं आती । प्रकाश करात बीजेपी के साथ कांग्रेस को विपक्ष में बिठाना चाहते हैं । लेकिन दिल्ली के लिए मोर्चा का कोई प्लान है इसका जवाब भी नहीं देते । क्षेत्रिय दलों ने किसी विकल्प के लिए लेफ्ट की तरफ देखना बंद कर दिया है । प्रकाश सुरजीत नहीं हैं । इसलिए पिछले चुनाव के आधार पर कुछ भी कहना वैसा ही जोखिम है जैसा बीजेपी ने लिया है । बीजेपी ने गठबंधन तोड़ कर अपना नेता चुना है । अगर यह रिस्क है तो इस चुनाव में इस मुक़ाबले का किसी और दल ने जोखिम उठाने का न तो संकेत दिया है न साहस दिखाया है ।
मोदी के आगमन से यह तो साफ़ हो गया कि बीजेपी में आडवाणी के अलावा सब उनसे डरते हैं । मोदी ने बीजेपी जीत लिया है । अब उनके सामने लक्ष्य है चुनाव जीतने का । मोदी को समझने के लिए एक उदाहरण देना चाहता हूँ । यूपीएससी देने वालों में दो टाइप के लोग होते हैं । एक जो सोचते तो हैं मगर तैयारी नहीं करते । दूसरा जो सोचते भी हैं और तैयारी में दिन रात जुटे रहते हैं । वे पहले से लेकर चौथे प्रयास तक में जुटे रहते हैं । मोदी दूसरे तरह के विधार्थी हैं । उन्हें यूपीएससी कंपीट करना है । प्रधानमंत्री बनना है । जैसे तैयारी की गंभीरता प्रदर्शित करने के लिए यूपीएससी का विधार्थी सर भी मुंडा लेता है वैसे ही मोदी ने आज मुंडन करवा लिया । सत्ता की ऐसी चाह आपने मौजूदा समय में किसमें देखी है । मुझे सत्ता चाहिए इसका प्रदर्शन वे दिन रात करते रहते हैं । मोदी सत्ता के बिना न नेता हैं न कार्यकर्ता । उनको मालूम हैं कि उनका ग्लैमर उनका पावर है । अब नतीजा क्या होगा देखेंगे लेकिन मोदी
प्रिलिम्स से मेन्स और मेन्स से इंटरव्यू तक आ गए हैं । बीजेपी में आज का दिन नौरोज़ की तरह मनाया गया । मोदियागमन हुआ है । बीजेपी में आज सत्तापलट हुआ है तख्तापलट के लिए इंतज़ार कीजिये ।
23 comments:
hardik charan sparsh ravish ji;wakai mein aaj bjp ke liye khaas din hai aur ravish ji jaise hamein pta hai ki koi bhi din tab khaas hota hai jab woh kisi vyakti khaas se juda ho jaise ki narendra modi;khaas isliye hain ki jis dharm ko mante hain-hindu dharm usko puri shraddha aur prem se poojte hain uski(dharm) majbooti ko samajhte hain,kyunki dharm ki paribhashayein bhal hi kuchal di gayi hain ya badalti gayi hain lekin dharm ka mool hamesha hi prernadayak hai,jab mool ki talash mein nikalte hain to anguli maaal,aur swami vivekanand ji ka chicago ke bhashan jaise kai uddharan samney mil jate hain,isliye woh apne aap ko hindu rashtrawadi kehne se bhi nai chookte jo ki karodon guna behtar hai apne apko secularism ka thekedar man ne walon se jo 47 lashon ki aag mein rotiyaan sekne se nahin hichkichate(jismein bjp ke bhi kai thekedar shamil hain any partio ki tarah),isliye aaj kay liye NAMo namh! narendra modiji ka dalal-mayank chaturvedi(bjp ka nahin)
सबसे पहले मैं आपका शुक्रिया अदा करना चाहूँगा ,
के अपने मसरूफ वक़्त में से कुछ पल निकाल कर हमारे मेसेज का जवाब दिया ,
आप के ब्लॉग की तारीफ करना तो सूरज को चेराग देखना होगा लेकिन मैं इतना ज़रूर कहूँगा के ,,आप जिस तरह रविश की रिपोर्ट में ,अपनी बेबाक राय देता हैं वैसे यहाँ भी अपनी बात दिल खोल कर किया है ,,,वाकई आप काबिले तारीफ़ हैं ,हम बिहारिओं के लिए एक आइना हैं ,,बहुत बहुत शुक्रिया ,,,
Hi Ravish Ji, aaj apka Tehlaka wala Interview bh dekha Youtube par... Aap ki baat bht logical thi.. Amit Shah k aane se pehle hi UP mai bahut dange ho chuke the.. SP ne muslims k bhala karne k naam par bahut galat administartion kia hai.. Meri Wife Meerut se hai aur Meerut to Muslims ka Bahut bada garh hai.. poore Western UP mai yeh lehar hai ki SP govt mai Hindus ko darkinaar kia ja rh hai... Muslims k against koi complaint FIR nh likhi ja sakti... aakhir kab tak koi bh insaan chahe wo kisi bh dharm ka ho wo kab tak sahan karega... is polarization ko karane main BJP se jyada SP respinsible hai... aur haan koi Modi ko ya kahein BJP ko vote kyon nh dega.. kya hindustan ki janta UPA 2 k kaam se khush hai... agla chunav anti Congress election hai.. aur Congress ki nakami hi Modi k elevation ka ek bahut bada hissa hai... jaise samvedhan heen sarkar UPA 2 rahi hai... to us hisab se BJP ko ab mauka dene ka unhe test karne ka time hai...
change is inevitable keep researching in depth ,do write sometime for UPA also
मेरे हिसाब से मोदी के बारे में सबसे सटीक कारवां में विनोद के जोसे ने लिखा है ..
१ आरएसएस नेता ने मोदी के बारे में कहा है की : मोदी शिवलिंग में बेठा बिच्छु है , जिसे आप न हाथ से उतर सकते हो न जूता मर सकते हो
मोदी ka बस १ ही मंत्र है : never forget,never forgive
last para me likha hai :
"“Modi only thinks of winning—and winning all the time,” a former chief minister of Gujarat told me. “Other politicians can imagine that they will someday lose, and plan accordingly. But this attitude may get him into trouble, because in the future he can only be at one of the extremes: either he will be prime minister or he will go to jail. If I live long enough, I would be surprised to see him anywhere else—it has to be one or the other.”
यण संधि
ई + आ = य् + आ ; मोदी+आगमन =मोद्यागमन
कुछ ख्वाब बुनना चाहता है फिर ये नादान दिल ,देश के लिए वाया मोदी ☺
कुछ ख्वाब बुनना चाहता है फिर ये नादान दिल ,देश के लिए वाया मोदी ☺
Aapke lekh main meree kadee aapati ek wakya se hai ke Manmohan singh logon ke neta hai.Yeh sarasar galat hai. Haan voh dus janpath ke neta ho sakte hai. Modi ka BJP ka PM candidate banna tay hee tha.Advani ji kaun see icha bachi hai.PM banne ke liye LS main seats chahiye.UPA ke incombacy ko Modi hee cash kara sakte hai. Agar Advani ke rahte BJP 150 seats mil bhi jatee to bhee PM banna to door ke kaudi hai. PM ke liye 180-200 seats to lana hi hoga. Modi ke liye 200 ya isse jyada seats hee unhe PM kee kursee tak pahuncha sakti hai. Abhi to Akali dal, Sivsena Aur Jaylalitha hee unke ghosit dost hai, nos badhne par badh jayenge inme YSR,JDS aur BJD bhi ho sakta hai.BJP ke 180+/-10 kee situation main Advani aur Sushma ji ke liye vikalp open ho jayenge.Rahee congress ke baat to Soniyaji aur Rahul kee jeet SP ke uar puree taur par depend hai Agar SP, serious hokar election main aa jaye to SP candidate jeete na,lekin yeh dono har jayenge. jeeta Soniaji
Aapke lekh main meree kadee aapati ek wakya se hai ke Manmohan singh logon ke neta hai.Yeh sarasar galat hai. Haan voh dus janpath ke neta ho sakte hai. Modi ka BJP ka PM candidate banna tay hee tha.Advani ji kaun see icha bachi haiyeh to wahi jane.PM banne ke liye LS main seats chahiye.UPA ke incombacy ko Modi hee cash kara sakte hai. Agar Advani ke rahte BJP 150 seats mil bhi jatee to bhee PM banna to door ke kaudi hai. PM ke liye 180-200 seats to lana hi hoga. Modi ke liye 200 ya isse jyada seats hee unhe PM kee kursee tak pahuncha sakti hai. Abhi to Akali dal, Sivsena Aur Jaylalitha hee unke ghosit dost hai, nos badhne par badh jayenge inme YSR,JDS aur BJD bhi ho sakta hai.BJP ke 180+/-10 kee situation main Advani aur Sushma ji ke liye vikalp open ho jayenge.Rahee congress ke baat to Soniyaji aur Rahul kee jeet SP ke uar puree taur par depend hai Agar SP, serious hokar election main aa jaye to SP candidate jeete na,lekin yeh dono har jayenge.
aap bahut jyada poorvagrahi hain,modiji ko lekar,ho sake to koi imandar vyakhya kijiye,jisse lage ki aap wakai me ek patrakar hain.congress ke dalal nahi.
sir jee ur last para was awesome.. the example u have given is suitable in recent sitution........like upsc interview , modi's last hurdle is to crack this ... lets see.. his preperation for it......
Hindustan par raj, gandhi khandan ki bapauti nahi hai. Neta satta ke liye hi politics me aate hai. Kyoki satta hi shakti deti hai kuch karne ka, desh sewa ka ab ye aap ye neta par nirbhar hai bhaya ka bhoot dikhakar desh loote ya phir sabko saath lekar vikash ki rah chune.
यह ध्यान देने वाली बात है कि सवर्ण मध्यवर्गियों खास तौर से उत्त्तर भारतीयों और पश्चिमी प्रदेशों के नागरिकों को मोदी से अत्यधिक अपेक्षाएं बन गई हैं। मोदी का जादू उनके सर चढ़कर बोल रहा है। यह एक गंभीर स्थिति है। मेरे एक मित्र ने टाइम मैगज़ीन के उस अंक का मुखपृष्ठ मुझे मेल किया है जिस पर मोदी का फोटो छपा है और जिसपर यह कैप्शन चस्पा है 'मोदी मीन्स बिजनेस' वे इस बात से अत्यंत गदगद थे। उन्होंने स्वयं लिख दिया 'भारत के अगले प्रधान मंत्री मोदी'। मान लीजिये मोदी प्रधान मंत्री बन जाते हैं तो वे किस का भला करेंगे ? जाहिर है व्यवसायियों और पूंजीपतियों का, जैसा कि टाइम मैगज़ीन को लग रहा है। मोदी आम नागरिक के लिए कुछ कर सकेंग यह संदिग्ध है। गुजरात में भी उनके विकास का यही मॉडल है। मोदी के मुख्यमंत्रित्व में आम नागरिकों का जीवन स्तर और उसकी गुणवत्ता गुजरात में कितनी बढ़ी है यह शोध का विषय है। यह तथ्य सर्वविदित है कि गुजरात कभी भी भिखमंगा प्रदेश नहीं रहा वहां व्यवसाय की सदैव ही प्राथमिकता बनी रही अतः वहां की वित्तीय स्थिति हमेशा सुदृढ़ रही। लेकिन लोगों के मन में मीडिया और मोदी समर्थकों ने यह कूट कूट कर भर दिया है की गुजरात में मोदी काल में बहुत विकास हुआ। गुजरात में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में मोदी ने क्या किया है ? एक भी विश्व विद्यालय खुला? अस्पताल बेहतर सेवाएं दे सके? गरीबों की आय बढ़ी ? नहीं ! लेकिन लोगों में उन्माद है। इसका एक बड़ा कारण कांग्रेस की भ्रष्ट और घटिया राजनीति है जिसने देश को तहस नहस कर रखा है। ऐसा उन्माद भारतीय लोकतंत्र में यह कोई अनहोनी घटना भी नहीं है। मुझे याद है कि सातवें दशक में जब स्वर्गीय इंदिरागांधी ने बैंकों के राष्ट्रीयकरण की शुरुआत की थी, गरीबी हटाओ का नारा दिया था और भी कई प्रगतिशील कदम उठाये थे तब इंदिरा जी का जादू मध्यवर्गिय लोगों के सर चढ़कर बोलने लगा था। इन्हीं इंदिरा गाँधी को सातवें दशक के उत्तरार्ध तक पहुंचते पहुंचते घोर अलोकप्रियता का शिकार होना पड़ा और आपातकाल लगाना पड़ा।उसके बाद उन्हें बुरी तरह पराजय का मुंह देखना पड़ा था। वहीँ इसी समय सन 1977 में जयप्रकाश नारायण के छात्र आन्दोलन के उफान पर आने के बाद जयप्रकाश नारायण की लोकप्रियता शिखर चूमने लगी थी। बाद को उस आन्दोलन का क्या हश्र हुआ यह सभी को पता है। जिनका नारा था 'सिंहासन खाली करो कि जनता आती है' लेकिन हुआ यह कि कालांतर में जनता की बजाय खुदगर्ज समाजवादी सिन्घासनारूढ़ हो गए। आपातकाल के बाद जनता पार्टी की हुकूमत और स्व. विश्वनाथ प्रसाद सिंह के अभ्युदय से भी जनता ने भारी उम्मीदें बाँध ली थीं। बोफोर्स तो एक तरफ रह गया मगर वही विश्वनाथ प्रसाद सिंह जब मंडल के दलदल में फंसे तो ऐसे डूबे कि जीवन पर्यंत उबार नहीं सके। जिस व्यक्ति के लिए जनता ने नारा दिया था 'राजा नहीं फकीर है भारत की तकदीर है' वही वीपी सिंह आलोकप्रियता के उस निम्नतम मुकाम तक पहुँच गए जिस मुकाम तक भारतीय राजनीति का कोई भी व्यक्ति नहीं पहुँचा था। उनसे भी जनता को बहुत उम्मीदें थीं। अब देखिये भाजपा के शासन काल में अडवानी, अटल बिहारी के कद के बराबर पहुँच चुके थे आज उनकी स्थिति अफसोसनाक और दयनीय हो चुकी है। बीजेपी में अडवानी जी की आज कोई सुनवाई नहीं है। प्रादेशिक स्तर पर लालू यादव से बिहार की जनता को बहुत उम्मीदें जगीं थी पर बाद को लालू उनका चारा तक खा गए। दिग्विजय सिंह जब मध्यप्रदेश के मुख्य मंत्री बने तो लगा कुछ करेंगे पर उन्होंने मध्य प्रदेश का जो बंटाधार किया उस से सभी परिचित है।आन्ध्र प्रदेश में चन्द्रा बाबू नायडू हैदराबाद में हाई टेक सिटी बनाने के बाद बेहद लोकप्रियता अर्जित करते हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के लोग उन्हें नकार देते हैं और वे हाशिये पर आ जाते हैं। बिहार में ही लालू के प्रस्थान के बाद जब नितीश आते हैं तो लोगों की अथाह उम्मीदें पुनः बलवती हो जाती हैं। धीरे-धीरे उनका भी जादू टूटने लगता है। कुछ ही दिनों पहले अन्ना हजारे जब रामलीला मैदान में अनशन पर बैठे थे तब रामलीला मैदान में इतनी अथाह भीड़ उमड़ पड़ी कि वहां प्रवेश करना मुश्किल था। ऊपर मीडिया का धुनाधर प्रचार अन्ना हजारे से जनता की उम्मीदें इस कदर जग उठी जैसे उनके पास कोई जादुई जिन्न हो जो रगड़ते ही भारत से भ्रष्टाचार रफूचक्कर हो जायेगा। अब मोदी जी से जनता को भयंकर उम्मीदें बंध रहीं है कि वह सबकुछ ठीक ही कर डालेंगे इनके भरोसे जनता कुछ भी कर सकती है। लेकिन नेता अपनी स्वार्थ सिद्धि के अलावा जनता की भलाई के लिए क्या कुछ कर सकते हैं यह यह प्रश्न है। इसलिए मेरी भी मोदी जी से यह गुजारिश है जनता में भ्रामक उम्मीदें न जगाएं बल्कि वास्तविक स्थितियों को उसके सामने रखें। तब देखिये क्या होता है। मोदी लिटमस टेस्ट पर खरे उतरते हैं या नहीं।
हो सकता है मोदी का विरोध-अपने आप मैं विरोध हो ही नहीं लेकिन एक तरह से समर्थन हो?
NonUseable की राजनीति मै जगह सिर्फ प्रपंच सहने के लिए होती है इस नाते मोदी शायद through की राजनीति कर रहे है?
गुजरात मैं केशुबापा निकले तब भी यही कहा जा रहा था की पार्टी ख़तम।
जो संघ तरफी या बीजेपी वोटर है उनके लिए विकास मुद्दा है और जो इन दोनों को साम्प्रदाइक पूर्वाग्रह से देखता है उनके हाथ मैं झुनझुना थमा दिया गया है खेल करें :)
नंबर अगर न आये तो 'नंबर लाना' राजनीति हो जाएगी न या आडवाणी को लाना?क्यूंकि बीजेपी है?यह बात आप के गुरुवार वाले PT मैं भी समझ नहीं आई थी जब दुबेजी कह रहे थे।
राजनाथ अगर जीत जाते है तो कोई न कोई विपक्षी नेता की carrier ख़तम कर देंगे या फिर कोई नया विपक्षी नेता हारेगा जिसकी carrier शुरू हो रही हो :) यह 'मोदिनिति' है।:)
वैसे सही कहा....बड़ा दाँव तो है ही है ।
मोदी भी , संघ भी, और 5करोड़ गुजराती भी :) यही बात तो कहते आये है--cong सही मायने मैं तकवादी है,उसकी ज़मीनी हकीकत अलग ही है-जो कतई seculer नहीं है। आप ने तो सब को लपेट लिया!:)
cong के जितने के बाद कर्णाटक मैं उसका रंग निखरेगा :) तभी तो LS मैं आने की राजनीती ? simple! :)
ravishji cong की निर्बलता हकीकत मैं क्या नेहरू प्रेरित राजनीति का अंत है ?End of Nehru Polical era?
मुझे पता नहीं लेकिन मोदी के मार्ग मैं नितीश-नविन नहीं बल्कि ममता-जय्लालिथा ही दीखते है। :) 84 सीटों का सवाल बन जाना है जभी-तभी.....
नया हर राजनैतिक विचार congress ने coin किया है यह तो स्वीकार करना पड़ेगा - जैसे 'गठबंधन की राजनीति ' :)
( LEFT a rising options in Indian politics ऐसा कोई लेख अगर सीताराम येचुरी लिखते है तो पढ़ना interesting होगा ) बाकी पंजाब मैं तो कांग्रेस आने से रही ।
वैसे ravishji मोदी के प्रीलिम और mains क्लियर कर लेने की घोषणा आप से सुनके अच्छा लगा :)
मोदी का moral ही उनका power है यह आप feel करोगे जब PM बन जायेंगे :) i mean अगर आज उनकी पार्टी को एक अत्यंत महत्वकांक्षी नेता की जरुरत है तो मोदी "सिर्फ" वही है-कल नहीं चाहिए तो वह निकलते देर नहीं करनेवालों मैं से है--ऐसे नेता देश का सौभाग्य होते है-कल लोग भी यही कहेंगे गौरव के साथ
ravishji ये नवरोज़ समझ मैं नहीं आया :) कहा क्या वैसे? :)
yeh durbhagya hi hai ki bjp ke jeet ki neebh dango par hi rakhi jaati hai..modi abhi sirf pm candidate hain..bane nahi h..yeh baat dekhne layak hogi ki woh kaise Jammu main aur south main aur northeast m bjp ko khada karte h..asli muqabla toh isi ranbumi m hoga..kyuki pm ya government kisi ek do state ki nahi hoti..desh ki hoti h..sampoorna bharatvarsh ki..
रविश जी आप बहुत बड़े पत्रकार है आप मोदी जी की संपति का पता लगावे किसी भी नेता से कम है आपको केवल बुरे दिखती है अच्छाई नहीं
MAI KISI PARTY SE JUDA NAHI HU PAR EK BAAT KAHUNGA - MODI PM KI KURSI PE PAIR RAKH KE BAITH JAYEGA, CONGRESS IS BAAR GAYI.. RAVISH JI!
REASON SIMPLE HAI-
1. MODIA ME ROBE HAI
2. PERSONALITY ME DUM BA
3. KOI AAGE PICHHEY HAI NAHI
4. CORRUPTION PE PHAAD DEGA
5. PAKISTAN KI 'G' PHATI PADI HOGI
6. DHANDA KARNA AUR KARWANA JAANTA HAI
I LIKE UR STYLE OF WRITING AND TANZ SE BHARI KAATILANA SMILE AUR REH REH KAR 'HM HM HM HM HM KARNA... MODIA BHI AISE KARTA HAI, RAVISH,,,, FARSI WORD HAI.
Log jobs me retairment ki baat karte he....... bjp me suru ho gya....... Advani ji is not the pm on waiting...... now time for namo namo....... ab cong ko bhi manmohan ji ko aram dena chahiye aur rahul ji ,Sachin pilot, Meenakshi natrajan, samantha ji etc me se kisi ko 2014 ka pm pad ke davedar ke roop me pesh karna chahiye..... yeh 21vi sadi he yuva vichardara vale log chachiye...... 20vi sadi gai....... hame dharm. jati . mandir. masjid. etc ke bare me baat na karte hue..... gdp hdi rojgar education medical facility etc ke bare me baat karna chahiye..... desh ki 52% aabadi 35 varsh se kam he..... isliye youth ko youth vichardhara vala pm chahiye jo tajurbedar logo ke margdharsan me is desh ko phir se sone ki chidya banane ka prayas kare.... bjp ne youth ki avaj suni he .... ab cong ki bari he..... bhagvan se dua kare 2014 me vo vyakti desh ka pm bane jo desh ki aur deshpremiyo ki baat kare........ vikash ki baat kare. kyoki youth galti naa karte hue keval sushasan aur vikash ke naam par vote denga. jai hind.
hme pta hai narendra modi un doosri type mein se hai.. par kya aap btaaenge k wo pehli type waale neta kaun hai?
jaanne ki tivar ichcha ho rhi hai..
गुणा भाग के दुखद डंक हैं,
उत्तर पाते अंक रंक हैं।
क्या मोदी जी, एक सेक्युलर नेता नहीं हैं, क्या, आज एक सेक्युलर नेता सही माने, में भारतीय राजनीति का केंद्र नहीं बन गया हैं, सवाल जीत या हार का नहीं, सवाल इस बात का हें, की क्या भारत, पाकिस्तान बन जायेगा। यदि ऐसे नहीं होने देना हें, तो मोदी जी मजबूरी हें।
Ravish ji
Main apki lekhni aur andaaz se bahut prabhavit hun...pata nahin kaise apke blog tak pahunchi ..shayad apne twitter pe link diya hai...kuch log aap par congresi hone ka ilzaam bhi lagate hain par main apke vicharon nahin balki unki abhivyakti ki kayal hun...kuch kuch hari shankar parsai ji ki chhavi milti hai...modi ji ki samarthak ke bavjood mujhe apke lekh padd kar achcha laga...kuch UPA ko bhi khari khari likhiye :)
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