शोक सभा
उत्तर प्रदेश में किसी एक दिन प्रादेशिक स्तर पर शोक सभा का आयोजन होना चाहिए। दसवीं क्लास में पंद्रह लाख बच्चे फेल हो गए हैं। क्योंकि इस बार स्वकेंद्र प्रणाली ख़त्म कर दी गई थी। इस प्रणाली के तहत अपने मौजूदा स्कूल में रह कर पुराने परिचित मास्टरों के निर्देशन में चोरी करने की व्यवस्था हुआ करती थी। मायावती को पसंद नहीं आई। सरकारी सख़्ती के बाद भी ये बच्चे इम्तहान देने का साहस जुटा पाए। वो जानते थे कि उनके मास्टर ने वैसा नहीं पढ़ाया न ही उन्होंने ईमानदारी से मेहनत की। फिर भी ये इंटर के उन पैंसठ हज़ार कायर छात्रों की तरह नहीं थे जिन्होंने चोरी के डर से परीक्षा छोड़ दी। अब सब फेल हो गए हैं। गीता भी तो यही कहती है। परीक्षा तय है परिणाम नहीं। तुम परिणाम यानी फल की चिंता मत करो,परीक्षा दो। फेल होने वाले ये छात्र किसी एक जगह पर जमा हो जाए तो क्या होगा। यह सोच कर मैं डर गया। इसलिए यूपी की मर चुकी शिक्षा प्रणाली की शोक सभा के आयोजन में लगा हूं। आप भी आइयेगा। उन बेपरवाह और बेवकूफ मास्टरों को भी बुलाइयेगा जो अपने छात्रों को पास करने लायक भी न बना सके। ब्लाग के कई पाठक यूपी के हैं,वो बतायें कि पंद्रह लाख फेल होने की नौबत के लिए कौन ज़िम्मेदार हैं। कोई तो यह काम करे। पंद्रह लाख में से किसी फेल होने वाले छात्र से मर्सिया लिखवा लाए। पोस्ट कर दे। आप सभी इस शोक सभा में आमंत्रित हैं।
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20 comments:
ऎ भाई रवीश जी,
हमारा मूड आफ़ मत करिये सुबह सुबह !
पूछिये काहे ? जब पूछियेगा तो बता देंगे !
वाकई यह शर्मनाक है शिक्षा व्यवस्था के लिये।
बेहद सोचनीय और शर्मनाक.
बच्चों का दोष कम है.
शिक्षकों और शिक्षा प्रणाली का ज्यादा.
मैं नहीं आ रहा हूं. मास्टरों को खोजने जा रहा हूं.
इसी सख्ती के साथ बच्चों को एक मौका अवश्य दें।
वे बेक़सूर हैं।
मास्टरों को खेत , घर और राजनीति से फुरसत मिले तब तो। :)
vaise pramod ji koi master mila ki nahee. dekhiye bagal me kahin khet na nira rahe hon, bovaee ka mausam najdeek hai na.
इसके बाद तो यही लगता है कि उत्तर प्रदेश में राजनीति में अच्छा कैरियर है...
रवीश जी, वाकई बहुत ही मुद्दे की बात कही है .. लेकिन यह तो देश के हर क्षेत्र और विभाग का हाल है ... भ्रष्टाचार का घुन तो हर जगह लगा है ... शिक्षक पढ़ाते नहीं हैं ... डॉक्टर,, अस्पताल में न जाकर प्राइवेट क्लीनिक चला रहे हैं ... इंजीनियर घूस खाकर सीमेंट खा रहे हैं ... कहां-कहां शोक सभा करियेगा ... मेरे विचार से जरुरत इस बात की है कि इन समस्याओं का कोई ठोस समाधान निकलना चाहिये ... शायद एक और सम्पूर्ण क्रांति ... जिसमें क्रांति के बाद की कार्ययोजना पहले से ही तय हो ... समय हो तो सोचियेगा और मुझे जवाब देने के काबिल समझियेगा तो कृपया मुझे भी लिखियेगा ...
ये तो होना ही था. उत्तर प्रदेश में जब तक नकल करना और कराना वैधानिक घोषित नहीं कर दिया जाता, ऐसा ही होता रहेगा. ये मुलायम-माया-कमल-हाथ वगैरह को शिक्षा के नाम से उबकाई आ जाती है. उम्मीद है माया भैणजी को यह ज्ञान जल्दी मिलेगा कि आज कल रिजल्ट दिखाने का ज़माना है.
फ़िलहाल यह बेहद खौफ़नाक लग रहा है.
बात निकली है तो दूर तलक जानी चाहिए...मैं यूपी का हूं..चार अमूल्य साल सरकारी स्कूल में बिताए.. हमारा समय टीचरों पर रिसर्च करने में ज्यादा बीता... कोई खैनी वाला था तो कोई गालियां देने मे माहिर...हमें पता था कि किस टीचर के क्या शौक हैं...कौन पीने वाला है और किसे टुण्डे के कबाब पसंद हैं...इस रिसर्च के बीच पढ़ना पढ़ाना कभी नहीं हुआ.. हमारे क्लास टीचर साहब तो साल भर केवल एटेन्डेंस लेते रहे...जानने की कोशिश में लगे रहे कि कौन कहां ट्यूशन पढ़ रहा है...अपने अनुभव पर एक कविता लिखी थी समय हो तो पढ़ियेगा जरुर... लिंक भेज रहा हूं...http://umeedhai.blogspot.com/2008/06/blog-post.html
दरअसल इतने बच्चों का फेल होना यूपी की शिक्षा व्यवस्था का एक्सरे है। वहां इत्ती खुले आम और संगठित ढंग से नकल होती थी कि देखकर शर्म आती थी यह बताने में कि यूपी बोर्ड से पढाई करके आये हैं। मायावतीती बधाई की पात्र हैं, इस मसले पर।
Yeh Azad Bharat hai janab! 60 saal tarakki ker aj school ka vidyarthi bandook le ker school ata hai – kitab nahin!
Aj se lagbhag 30 varsh pehle hi rail ke Safar ke dauran bhird ke karan kuch Bihari shikshak Patna ja rahe the aur reserved compartment mein agaye the to unka thordi door ka sath mila. Unhone baton baton mein bataya ki kaise Bihar college ke vidyarthi desk mein chakoo gard baith jate hein aur invigilator bahar corridor mein kharde ho jate hain…kaun jan ka khatra lega! Unka kehna tha ki imtihan police ki madad se hone chahiye! UP/ Bihar/ Dilli karyakshetra hein Shiva/ Buddha/ Krishna ke…Gita mein anant shrishti ka sar athva ‘essence’ hai - kewal karmaphal hi nahin…Pralaya ke bad kaun karega shok-sabha???????? Shayad sare bhoot!
ravish ji namaskar
main to delhi ko hun lekin agra me ptrikarita kar raha hun. kal khabar aai ki nikatvarti dist. etha me pichale saal 80% result tha. vahi is saal yah 22% rah gaya hai. yeh etha ka hi nahi pure uttar pradesh ka haal hai. jis pradesh 50% se jyada bachche fail ho gaye hon vaha ke liye kuch karna jarur hoga. khair is bech ek baat rahat dene vali rahi ki ladiyon ka result nahi gira. ye result keval ladkon ki vajah se kam hua hai. aap is mudde par SPECIAL RERORT karen to achchha rahega.
sushil raghav
उत्तर प्रदेश शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है यहाँ के लोग राजनैतिक पार्टियों के स्वार्थों एवं कुकर्मों के शिकार हो गए है
दुखद है. १५ लाख बच्चे! कितने बच्चे बैठे थे परीक्षा में?
पहले ये कार्य किया था बीजे पी के मुख्यमंत्री ने और इसी कारण मुलायम ने हम नकल करायेगे का नारा देकर अपनी सरकार बनाइ थी. मायावाती धन्यवाद की पात्र है आज तो.
दुखद है.
are waah aapne naya career sujha diya. ab yah patrakarita chor kar gaon jata hoon aur ban jaaonga failure logon ka neta, are bhaiya apani field mein main bhi unhi ke jaisa hoon..
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