बहुत अच्छी सड़क है
घर में है बिजली
फिर वो क्यों अपने
घर में दबा सहमा है
कोई गरीब नहीं
सब अमीर हो गए
फिर वो क्यों अपनों
से खौफज़दा है
गुजरात में कितना कुछ है
पांच करोड़ गुजराती खुशहाल हैं
फिर क्यों पांच करोड़ में
मुसलमान शामिल नहीं है
अहमद की आंखों में इनदिनों
वो खौफ का मंज़र क्यों हैं
ज़ुबेर की ज़बान पर इनदिनों
इस बार अल्लाह खैर करे
हर बार क्यों हैं
दूर से चमकता है गुजरात
अच्छा लगता है गुजरात
इतना विकसित गुजरात का
इतना छोटा सा दिल क्यों है
मोदी को सिर्फ नज़र आता है
विकास और पांच करोड़
इस तंगदिल नेता का गुरूर
कुछ कम होता क्यों नहीं है
गया गुजरा नहीं गुजरात
चालीस करोड़ हिंदुस्तानियों के लिए
एक गांधी निकला था गुजरात से
उसी गुजरात से अब निकला मोदी
सौ करोड़ को डराता क्यों है
पांच करोड़ की बात कर
यह गुजराती गुर्राता क्यों हैं
12 comments:
अच्छी कविता :)
आपकी यह कविता सच्चाई के कितने करीब है इसका सही सही आकलन तो मैं नही कर सकता लेकिन हा एक बात कहना चाहूँगा की अब तक मैं गुजरात ३ बार जा चुका हु. पहली बार वडोदरा दुसरी और तीसरी बार अहमदाबाद. मेरा जाना गोधरा से पहले हुआ था. तब मैं महज १९-२० साल का था. तब मैंने गुजरात और गुजरातियों को जितना समझा मुझे लगा की गुजराती बड़े अच्छे होते हैं और बहुत हद तक मेरा विचार बदला नही है. लेकिन मोदी के बारे में मेरा विचार दिन ब दिन ख़राब होता जा रहा है. अगर लोग मोदी को चुन रहे हैं तो क्या आम गुजराती भी मोदी के तरह ही सोचता है? मोदी विकास चाहते हैं ये तो समझ में आता है लेकिन उन्हें मुसलमानो से इतनी नफरत क्यों? इरफान पठान के मामले में हम लोग इसे देख चुके हैं? राज्य को समृद्ध करना है तो अपनी मानसिकता भी उदार रखनी चाहिए
And then Modi comes to 'summits' and invokes the Mahatma and talks about communal harmony. Makes my blood boil. And whats worse, he gets away with the charade!
कविता अच्छी है.
आप बिल्कुल सही कह रहे है ! गुजराती की भाशा सिखो - यह एक सन्देश है ! आपने देख होग कैसे आपके चहेते "राज्दीप" ने उनको भावी प्रधान्मन्त्री बन दिया ! हम "बिहारी" कब तक युन ही सबका रस्ता देखते रहेन्गे !
सचमुच गुजरात का दिल बहुत छोटा है रवीश जी, जहां पर आप लोगों के बीच नहीं रहते बल्कि अपनी जाति वाले और समान उपनाम वाले लोगों के बीच रहते हैं। अगर आप हिन्दू नहीं है ऊंची जाति वाले नहीं है तो गुजरात आपके रहने के लिए नहीं है। ऐसे गुजरात में लोग सहमे नहीं होंगे तो क्या होंगे...
सही सवाल सरल अंदाज़ में..
गोधरा के अलावे मुझे नही पता कि मोदी ने कौन सा ऐसा जुर्म किया है जिसके चलते रविश भाई को वो इतने ज्यादा नापसंद है। वैसे, मुझे नही पता कि लालू और मोदी मे से किसने ज्यादा बेकसूर लोगों को मारा है। हर साल बिहार मे बाढ़ के चलते कम से कम १००० लोग मारे जाते हैं। १५ साल तक गद्दी पर रहने के बावजूद लालू ने इसका कोई हल नही निकाला। क्या ये नरसंहार नही है?
पिछले 4-5 सालों मे असम, जम्मू, पंजाब मे ना जाने कितने बिहारी मजदूर आतंकवाद कि भेंट चढ़ गए। क्या बिहार का आर्थिक रुप से पिछ्ड़ा होना इसका मूल कारण नही है? और क्या इसके लिए लालू दोषी नही हैं?
फिर क्योंकर communalism गरीबी से बेहतर option नही है? मैं communalism का समर्थक नही हूँ पर मैं ये मानता हूँ कि गरीबी और बेकार कानून व्यवस्था इससे कंही ज्यादा खतरनाक हैं।
जितने मुस्लिम मोदी के डर से गुजरात छोड कर कंही और जा बसें हैं उनसे ज्यादा (शायद कई गुना ) लोग बिहार कि गरीबी और दुर्व्यव्स्ता से ऊब कर और डर कर बिहार से बाहर हैं..... आप और हम खुद भी तो उन्ही लोगों मे से एक हैं.... दूसरों का दर्द तो आपको दिख रहा है जो कि अच्छी बात है पर अपने जख्मों को क्यों भूल रहें हैं?
किसे बुरा कंहू मैं ? और किसे चूनुं सापनाथ और नागनाथ मे से?
मनोज
मोदी की इतनी आलोचना ठीक है क्या....सेकुलरिज्म की चर्चा को मोदी बिरोध तक सीमित करना उचित नहीं।...
this is far away from truth !!!
U write about the only one aspect of gujarat...
U forgot tht the muslims burn the ghodhara train...
plz. write something avout that also
delete the comet of nilima arora
and the violenece inciicdent is done in aal over india ... u can not blame on only GUJARATI !!!
जिस चैनेल की चाकरी आप करते हैं, वहां रहते हुए ऐसे वैचारिक जुलाब आना स्वाभाविक है |
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