NDTV का नया वेबपेज
social.ndtv.com क्लिक कीजिए। आपको कई चेहरे और नाम मिलेंगे जिनके साथ आप उनके कार्यक्रमों के बारे में बात कर सकते हैं। बस आपको करना है-social.ndtv.com/ravishkumar । अगर मेरा नाम जोड़ कर क्लिक करेंगे तो मेरा पेज खुल जायेगा। इसी तरह आप कई लोगों के नाम के साथ पेज ओपन कर सकते हैं। ये फेसबुक की तरह है। लेकिन अगर मैं यहां अपडेट करूंगा तो एक साथ फेसबुक और ट्वीटर पर भी अपडेट हो जाएगा। अलग से फेसबुक पर अपडेट करने की ज़रूरत नहीं है। इस पेज पर ब्लॉग करने की भी सुविधा है जिसमें पांच हज़ार कैरेक्टर आ जाते हैं। सोशल पेज पर अपडेट के लिए १४० कैरेक्टर की सुविधा है। यहां आप किसी भी क्रायक्रम के बारे में जाकर अपनी राय दे सकते हैं। जब से फेसबुक का खाता बंद हो गया है,मैंने अपनी नेटवर्किंग की दुकान वहीं खोल ली है। मन का रेडियो वहीं बजाता हूं। नेट-नागरिक बिना नेटवर्किंग के नहीं रह सकते। लिखित वार्तालाप आधुनिक क्रिया है। कंप्यूटर आया तो लोगों ने कहा कि लिखना खतम हो जाएगा। उल्टा हो रहा है। बोलना खतम होने जैसा लगता है। मन की बात कहने के लिए लोग लिख रहे हैं। बोल नहीं रहे हैं। जब तक फेसबुक का खाता वापस नहीं होता,सोशल पेज पर ही मिलूंगा।
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14 comments:
अच्छा किया आपने बता दिया। वैसे आपके यहां तो पहले भी गया हूं। अब देखता हूं कि बाकियों के पास जाने की जरुरत पड़ती भी है या नहीं। इन दिनों तो मेरा मन करता है कि एनडीटीवी पर संसदीय कार्यवाही की तरह मिनिट्स लिखूं। दुखी हूं,परेशान हूं फ्रस्ट्रेट हूं। हमें उसका कुछ भी दिखाया जाना बुरा नहीं लगता क्योंकि हमने अपने मन की ट्यूनिंग बहुत ही उत्तर-आधुनिक अंदाज में कर ली है। जो बात सूचना के स्तर पर होती है उसे मेरा मन खबर समझता है और जो बाहियात होता है उसे मनोरंजन और टाइम पास का हिस्सा समझकर पचा जाता है। लेकिन व्ऑइस ओवर इंडिया टीवी की तरह क्यों करने लगे हैं यहां के लोग? ओफ्फ..बहुत बेचैन रहता हूं। आपने रास्ता दिखा दिया है तो लिखा करुंगा कुछ-कुछ।..बाकी आप फेसबुक पर आ जाइए न,नया अकाउन्ट खोल लीजिए। आपके नहीं रहने से टुअर(अनाथ) जैसा लगता है।
dhanywad raveesh ji..iske liye.wese facebook par naya account bhi khol sakte hain..!!
पेज समस्या बता रहा है।
ravish ji apke man ka jaal-panna kuch takniki khamiyo ki vajah se khul nahi pa raha hai, shayad ravish ke man ka panna hai isliye khulte khulte sa khulega,...bakioyon ka to pehle spandan se khul jata hai....
PADH KAR TO ACHCHHA LAGA. KARKE DEKHENGE TO PATA LAGEGA.
VAISE KUCHH TOO KARTE JI RAHNA CHAHIYE. LOGO KO KAAM TO MILEGA.
VAISE BHI TO LOG KHALIH.
achchhi suchna di aapne. abhi dekhta huN.
आदरणीय रवीश जी,
social.ndtv.com/ravish पर जाने पर error 404 बता रहा है, तथा निम्नलिखित सन्देश आ रहा है
Oops! There was a problem!
Sorry, but we can't find what you were looking for right now.
The content may have been removed, or is temporarily unavailable.
क्रपया तकनीकी विभाग को सूचित करें.
चारुल शुक्ल
http://dilli6in.blogspot.com/
चारुल जी,
अगर आप अपने ऑफिस से इस पेज को विज़िट कर रहे हैं तो इसी तरह का त्रुटि संदेश आएगा। दरअसल कॉर्पोरेट नेटवर्किंग सिस्टम में कई तरह स्क्रिप्ट्स वगैरह प्रतिबंधित होती हैं। यही कारण है कि पेज डिस्प्ले नहीं हो पाता। वैसे एक बार इंटरनेट ब्राउज़र की प्रॉपरटीज़ पर जाकर हिस्टरी, कुकीज़ और टेंपररी फाइल्स डिलीट करें और फिर प्रयास करें। संभवत: इस तरह का संदेश न आए...
दरअसल समस्या कुछ और ही निकली, मैंने प्रयास किया social.ndtv.com/ravish पर जाने का, जैसा रवीश ने ऊपर लिखा, पर सही पता social.ndtv.com/ravishkumar है.
Hello, Ravishji
Aapki report ganna kisano ke marm ke thoda kareeb jati hai.
Ganna kisano ko Dilli ke log nahi jaante par sayad tab jaroor yaad karte honge jab bazar se 40 Rs kilo chinni late honge.
Angrezi meadia ki reporting ke saath badi vidambna hai.Angreji schoolo se Mass comm kar ke unhe siwai elite india ke sayad kuch aur nahi dikhta.
चलिये अच्छा है नई जानकारी मिली ।
रवीशजी आपका कहना है, "कंप्यूटर आया तो लोगों ने कहा कि लिखना खतम हो जाएगा। उल्टा हो रहा है। बोलना खतम होने जैसा लगता है। मन की बात कहने के लिए लोग लिख रहे हैं। बोल नहीं रहे हैं।"
बुरा न मानना, एक और पहलू भी हो सकता है: शायद लोग लिख नहीं रहे हैं - 'की' कर रहे हैं...और सुना है कुछेक के कुछ अंग भी दिन भर कंप्यूटर के सामने बैठे रहने से प्रभावित हो रहे हैं..और हो सकता है कि यद्यपि सब जानते होंगे कि 'कूड़ा अंदर तो कूड़ा ही बाहर' आयेगा, ज्यादातर कूड़े (स्पैम या होक्स) का ही आदान-प्रदान हो रहा है :) अब अपने से ही बोलते हैं सभी, भले ही मन ही मन...:)
और, यदि गूगल, या अन्य सोफ्टवेअर, न होता तो सब अंग्रेजी या रोमन में ही लिखते दीखते...और समय का सवाल नहीं होता तो कोई कंप्यूटर का इस्तेमाल ही नहीं करता क्यूंकि पहले ६ पैसे में ही 'कूड़ा' अथवा 'मक्खन' भेज सकता था...:)
ravishji, aap jahaan jahaan rahenge wahin aapke vidyarthi pahunch jaayenge...waise page socila.ndtv par upload nahi ho raha hai...kindly look into this...regards
Peeyush Srivastav
http://interviewwithconfidence.blogspot.com/
Jinko error aa raha hia.... unke liye... Please go to http://social.ndtv.com/ravishkumar site...
Aaj Ravish Ji aapne mast bola... ki.. ndtv.com mai jayeye and tirchi line dalkar ravishkumar type kijiye.... Tirchi line ke baad aap ko bolna chahiye.... ki samne ki taraf tirchi line..... This is not critics but....
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