भीड़ तुम बढ़े चलो

जो मर गया है
वहीं पड़ा रह गया
उसका बाप रास्ते में फंस गया
मुख्यमंत्री का भेजा हुआ मुआवज़ा
न्यूज़ चैनल पर चल गया
ख़बर सुन कर मां रो रही है
भीड़ आ रही है।

पुलिस ने जब लाश उठायी
भीड़ ने पत्थर उठायी
मातम न पोस्टमार्टम
पत्थर कंकड़ दे दनादन
सबकी खैर लेने
भीड़ आ रही है।

सायकिल सवार को कुचल कर
बाहुबली ट्रक भाग निकला है
पीछे आने वाले ट्रकों को
भीड़ ने घेर रखा है
जला दो मिटा दो
शहर में आग लगी है
भीड़ आ रही है।

भीड़ के खिलाफ कौन है
अंग्रेजी चैनल पर छिड़ी बहस है
चुप रहने का संस्कार
क्या भारत वर्ष का ही है
क्यों करते हैं हम ऐसा
भीड़ से अलग चुप जैसा
एंकर ने सवाल पूछा है
जवाब एक जैसा है

चुप रहने वालों की भी
एक भीड़ बनती रहती है
चुप रहने वालों की भी
भीड़ आ रही है।

कोई चुपचाप गा रहा है
पुरानी कविता का रीमिक्स
भीड़ तुम बढ़े चलो
सब तुम्हारे साथ है
पत्थर डंडा और गाली
चौराहों पर बरसात है
मां की आंखों के आंसू
गैस बन गए है
पर तुम रुको नहीं
पर तुम झुको नहीं
भीड़ तुम बढ़े चलो

3 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया खाका खीचा है आज के हालात का-


भीड़ तुम बढ़े चलो
सब तुम्हारे साथ है
पत्थर डंडा और गाली
चौराहों पर बरसात है
मां की आंखों के आंसू
गैस बन गए है
पर तुम रुको नहीं
पर तुम झुको नहीं
भीड़ तुम बढ़े चलो

ghughutibasuti said...

जबर्दस्त लिखा है । बिल्कुल सही लिखा है ।
घुघूती बासूती

pawan lalchand said...

ravishji satya vachan