पंद्रह अगस्त
पांच बजे
नित्य कर्म
छह बजे
स्नान ध्यान
सात बजे
झंडा गान
आठ बजे
भाषण आख्यान
नौ बजे
जलेबी जलपान
दस बजे
चाय की दुकान
ग्यारह बजे
अख़बार की चर्चा
बारह बजे
राष्ट्र गुणगान
एक बजे
ग़रीबी का ध्यान
दो बजे
दाल भात तरकारी
तीन बजे
नींद आई सरकारी
चार बजे
मेरा भारत महान
पांच बजे
समोसे की दुकान
छह बजे
सूरज अस्त
बीत गया
पंद्रह अगस्त
19 comments:
तथ्यात्मक और सच . पर दुखी करने वाला वर्णन .
15 अगस्त ऐसे ही बीतता है. किसी को बुरा लगे या भला सच्चाई यही है. कवित्त में ढाल देने से यह सुंदर बन पड़ा है.
अरे वाह। वाह भई वाह। आप तो कविता भी लिखते है!!
सुन्दर रचना। बधाई।
यथार्थ अभिव्यक्ति
यही आपका दायित्वबोध है? छहै बजे राष्ट्रभक्ति से हाथ झाड़के खड़े हो गए? जबकि अभी छै बजा भी नहीं है! और आप सुबह-सुबह बोल रहे हैं बीत गया-बीत गया? नहीं बीतेगा! पंद्रह अगस्त नहीं बीतते?
apke kahne se 15 aug ka mahatav kam nahi hoga ravish....dont degrate this yar
savatantrata diwas ki hardik shubkamnaye jo apne likha waisa sarkari diwas to roz hota hai per humhari nayi generation ajj bahut badal gayi hai wo log chahe ise masti ka din hi mane per pure utsah se mana rahe hai aj humhare ghar ke aas pass kai bachho ke hato me rashtiya tiranga dekha wo khush the aur mujhe bhi aacha laga wo sab tirange ko patang ki tarah aasmaan me udana chaha rahe the aur humko unka sath dena hai
so dusre ka din nahi apna dil dekhte hai ki humare liye ye din kab bita
vande matram ravis ji aur
humhare sabhi hindustani sathiyo ko mubarakbad.
...और इसके अलावा आप क्या चाहते हैं भाई जान। छह नहीं तो सात बजे सूरज को ढलना ही है, तिरंगे को सम्मान सहित उतरना ही है। लेकिन ये सोचना तंगदिली होगा कि इसके साथ ही जश्ने-आजादी का जज्बा भी खत्म। वैसे भी मादरे-वतन से मोहब्बत का इज़हार किसी तारीख़ का मोहताज नहीं होता।
वाह। इसी प्रतिक्रिया का इंतज़ार था। पंद्रह अगस्त देशभक्ति और समारोह के बीच एक शपथ भी है। जो इसे नहीं बीतने देता है। मगर १६ अगस्त से फिर क्या। जश्न और ज़िम्मेदारी साथ साथ नहीं चलती। कल से लोग देर से दफ्तर जाएंगे। आज दफ्तर खुला होता तो आज के दिन भी नौजवान पीढी के माता पिता रिश्वत ले रहे होते। टैक्स चुरा रहे होते।
लेकिन इन सब के बीच कई लोग ईमानदारी से पंद्रह अगस्त मना रहे होते हैं। आज झंडा फहराने गया तो ऐसा ही लगा था। कई लोगों को जानता हूं जो अपने धंधे में जमकर चोरी करते हैं। मगर खूब भावुक थे। समझ नहीं पाया कि इन पर देश के लिए क्या गुजरती है। ये किसके लिए भावुक हैं। खैर उसी से उकस कर लिख दिया। मगर कविता में सब है। जश्न भी है। जज्बात भी है। आलोचना भी है। अहसास भी है। सवाल भी कि एक दिन के लिए पंद्रह अगस्त है या हमारे लिए हर दिन पंद्रह अगस्त
चलिये, अब तो बीत ही गया.
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें.
Ravish Jee ,
Maine aaj Mohyal "Sri Rakesh Vaidh" ki Pakistna yatra aur "teen Bahan ka Milana" wala report dekha ! aapaka JAB bhi aisa report aata hai , Hum sabhi bahut PASAND karate hain ! Achchha Lagata hai ! kahiye , Bahut Achchha Lagata hai !
Kaam karate rahiye ! "PAISA BAHUT KUCHH HAI , LEKIN SABKUCHH NAHI ! BAHUT ke LIYE SABKUCHH NAHI KHONA HAI !!
aapaka
Ranjan R Sinh , NOIDA
सुंदर सुंदर और सुंदर
सभी से मेरा कहना है कि दिल पर ना ले.. जैसे आज हम अग्रेजो के त्योहार अपना रहे है मना रहे है..माता का दिन पिता का दिन दोस्ती का दिन..ठीक वैसे ही मनाले आजादी का दिन.इतने गंभीर ना हो रवीश जी
Ravish ji,
sahyogi News ZEE TV ki patrakar Sobhna ki mouth ko dusrey Chennelo ne jis halkey dhang se liya dukh hua, apney kathin kam ke duran mari gai thi , kisi chennel ne patrakaroo ke kam per talk show nahi kiya , ZEE ki too wo thi hi, baki sab chennelo ne kis kadar is Badi Kahbar se picha chudaliya..../
kisi abhinetri ki muth hui hoti too Mobile ke footage bhi " sirf Hamare Chennel er " chal rahey hotey,
Sir aap ki tipannai chahuga is pe.
बब्लू बाबा , रविश कुमार , जात्-पात मे विस्वास नहि रखते है ! सो , कैसे एक पत्रकार कि मौत पर दुख व्यक्त कर सकते है?
kya kahna...
मुझे लगता है कि शोभना की दुखद मौत का मजाक उड़ाया जा रहा है। जात पात में विश्वास नहीं रखते तो कैसे एक पत्रकार की मौत पर दुखी होंगे। मुझे लगता है कि मजाक है। हमारे चैनल पर भी शोभना का दुखद समाचार फ्लैश हुआ था। चला था। मेरे कहने से नहीं अपने आप ही चला था। आप लोगों ने देखा नहीं होगा। व्यक्तिगत तौर पर भी दुखद हूं। हमपेशा होने का थोड़ा बहुत मुझे भी अहसास रहता है। मुझे लगता है कि आपका जवाब मिल गया होगा। जिस दिन यह खबर आई थी उस दिन मै्ने टीवी देखा ही नहीं। अगले दिन पता चला। जब ब्लाग पर आपका सवाल देखा तो पता किया था कि चला है या नहीं। सबने यही कहा कि क्या बात करते हैं। इसमें भी कोई भेदभाव करेगा। ज़ाहिर है वह जी की संवाददाता थी तो वहां ज्यादा चला होगा। चलना भी चाहिए। यह भी मालूम हुआ कि आज तक और स्टार पर भी फ्लैश हुआ
bablooravish sir,
Thanks , aapney hmey jabab diya . per mera matlab Sobna ki mouth per sirf fls chalney se nahi tha , vo to chala hi per koi badi kahber ki tarah nahi...., koi story nahi, ghar walo ki koi byte nahi, na hi ,koi talk show ki patrakar kis tarah kam kartey hai.
thanks again 4 reply
Are Ravish Bhai, 15august ke practical experience ko shabdo me pironey par haqiqat pata chalti hai. kamaal ka sochtey hain aap.
Mubarak aapko.
Irfan
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