उसने कहा था यकीन करने के लिए
हम भी यकीन करते रहे कहने के लिए
वो कहते रहे दो कदम चलने के लिए
हम भी चलते रहे चलने के लिए
उसने कहा था तुम दोस्त हो मेरे
हम भी समझते रहे दोस्ती के लिए
मेरा सामान लेकर उसने अपना दाम लगा दिया
हम भी देखते रहे चुपचाप सरे बाज़ार के लिए
रवीश कुमार
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