मानव के शायद प्रकृति का ही अनंत में से एक (महत्वपूर्ण?) अंश होने के कारण, यह प्राकृतिक है कि किसी भी समय मानव हित में विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग में लायी जाने वाली अनंत वस्तु आदि के प्रचार हेतु लायी जाने वाली प्राचीन और आधुनिक दोनों व्यवस्थाओं के हमको नज़ारे देखने को मिलें,,,भले ही किसी काल के तथाकथित बुद्धिजीवियों को उन में से कुछ हास्यास्पद लगे...मतलब तो किसी उपभोक्ता विशेष को उसकी ओर ध्यानाकर्षित करने से है...
7 comments:
शीर्षक बहुत कुछ कह गया ....तस्वीरें भी सोचने पर मजबूर करती हैं ...शुक्रिया
:)
बिना पैसे के तमाशा खूब अच्छा लगा। धन्यवाद।
YE KOUN CHITRAKAR HAI?????????
Bahut Badhiya Ravish ji
kuch hoarding NH 24 ki lagti hai
मानव के शायद प्रकृति का ही अनंत में से एक (महत्वपूर्ण?) अंश होने के कारण, यह प्राकृतिक है कि किसी भी समय मानव हित में विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग में लायी जाने वाली अनंत वस्तु आदि के प्रचार हेतु लायी जाने वाली प्राचीन और आधुनिक दोनों व्यवस्थाओं के हमको नज़ारे देखने को मिलें,,,भले ही किसी काल के तथाकथित बुद्धिजीवियों को उन में से कुछ हास्यास्पद लगे...मतलब तो किसी उपभोक्ता विशेष को उसकी ओर ध्यानाकर्षित करने से है...
जय हो भारत भाग्य विधाता.......
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