ए ओबामा- फिर मिलेंगे

शुक्रिया ओबामा भारत आने और यहां से जाने के लिए। महान और महाशक्ति होने की ग्रंथि में जी रहे एक मुल्क की मेहमानवाज़ी से अघा कर। अपने भाषण में विवेकानंद,रबीद्रनाथ टैगोर और डॉ अंबेडकर का ज़िक्र कर आपने भारत महान के अदने से लोगों को अनुगृहित किया है। आप आशाओं के प्रतीक हैं और आशंकाओं के संकेत। संसद में जाने कैसे आप हज़ारों शब्दों के भाषण को बिना देखे बोल गए। भगवान जाने टेलिप्रांप्टर कहां लगा था। ऐसा लग रहा था कि जिधर महामहिम देख रहे थे, शब्द उधर ही हवा में तैरते हुए आ जा रहे थे। हम अदने से भारतीयों के कंधा से कंधा मिलाने के काम में अपने देश अमेरिका को लगा गए हैं। ज्ञानी बकबक विशेषज्ञों को आपने सॉलिड खुराक दिया है। एंगल पत्रकारिता चरम पर थी। एंगल पत्रकारिता में किसी एक मुद्दे या घटना के असंख्य एंगल ढूंढे जाते हैं। दिमाग के कारखाने से वाक्य विन्यासों का उत्पादन होने लगता है। मुद्दे का भुर्ता बना दिया जाता है। आज सोमवार आठ नवंबर की शाम भारत और अमेरिका जिस ऐतिहासिक युग में प्रवेश कर गए हैं उसमें न चाहते हुए हम भी ठेला गए हैं। पता नहीं कहां जा कर निकलेंगे। इतिहास में या फिर कूड़ेदान में।

आपने भारत के संयमित सांसदों के समक्ष खूब लंबा भाषण दिया। देने के बाद ऐसे निकल कर चले गए जैसे कुछ कहा ही न हो। आपका भाषण भारत की महान उपलब्धियों पर ठीक तरह से लिखा गया था। ऐसे भाषणों की लच्छेदारिता यूपीएससी का कोई परीक्षार्थी ज्यादा समझेगा। आपने ही कहा कि भारत उदित होने की प्रक्रिया में नहीं है बल्कि उदित हो चुका है। महाशक्ति तो नहीं मगर विश्वशक्ति कहा। सुपरपावर की कुंठा में कई सहयोगी नागरिकों को आराम मिलने की उम्मीद की जा सकती है। आप भारत की महान विरासत का सम्मान करते हैं इसिलए यकीन दिला रहे हैं कि दोस्ती हो सकती है। ज़ीरो भारत की देन है। मनोज कुमार के गाने को आज आपने मान्यता दी है। देता न दशमलव भारत तो चांद पर पहुंचना मुश्किल था। पता नहीं उस गाने में ज़ीरो था या नहीं। ख़ैर। बाद में सुन कर इस पंक्ति में यथोचित संशोधन कर दूंगा। महात्मा गांधी का नाम तो इस देश में दो अक्तूबर और तीस जनवरी के अलावा कभी लिया ही नहीं जाता। आपने महात्मा गांधी को नाम लिया है कहा कि मार्टिन लूथर किंग पर गांधी का असर था। आप पर भी था।

आपने कहा कि अमेरिका और भारत बुनियादी मानवीय मूल्यों में यकीन रखने वाले देश हैं। यह वाक्य विन्यास की चतुराई के अलावा कुछ और नहीं है। दोनों देशों में घोर सामाजिक अन्याय का वातावरण रहा है। घंटा मानवीय मूल्यों की बुनियादी बातों का सम्मान हुआ है यहां। इराक,ईरान और अफगानिस्तान में जिन मानवीय मूल्यों का आपने सम्मान किया है,उसकी तारीफ खुद के बजाए कोई और करे तो अच्छा लगेगा। खुद की तारीफ खुद ही करेंगे तो बकबक विशेषज्ञ कहेंगे क्या। इंडिया को बिजनेस दे दो और पुरानी दलीलों पर सबको चुप करा दो। अमेरिका खलनायक नहीं रहा। अमेरिका अब सहनायक हो गया है। सुपरपावर फिल्म के ये दो को-स्टार लगते हैं। विनोद खन्ना और अमिताभ बच्चन। अब डायरेक्टर तय करेगा कि आखिरी सीन में मरेगा कौन।

जिस हरित क्रांति की आपने तारीफ की उसकी वजह से आज पंजाब के खेतों में कैंसर की पैदावार होने लगी है। आपने इसका ज़िक्र नहीं किया। आपने यह ज़रूर कहा कि भारत ने विज्ञान के क्षेत्र में तरक्की की है। हकीकत यह है कि इसरो ने कमाल का काम किया है। डीआरडीओ फिसड्डी रहा है। परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भारत ने आपके बिना काम करके दिखा दिया। आप अच्छे वक्ता है। अपने पैतृक शहर शिकागो को विवेकानंद के भाषण से जोड़ दिया। फिर बखान पुराण को आगे बढ़ाते हुए कि कहा कि मैं आज आपके सामने इसलिए खड़ा हूं क्योंकि अमेरिका का हित और उसका भारत के साथ जो हित है वो पार्टनरशिप में काफी आगे बढ़ चुका है। अमेरिका अपने मित्र राष्ट्रों की सुरक्षा और समृद्धि का आकांक्षी है। इक्कीसवीं सदी के दो दशक गुज़र जाने के बाद आपने भारत को इस सदी का दोस्त बताया है। अभी भी अस्सी साल है। कम नहीं है मौज के लिए। पर मैं यह सोच रहा हूं कि अगर भारत वाकई अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सही जगह हासिल कर रहा है और आप इस ऐतिहासिक मौके को गंवाये बिना दोस्ताना संबंध बनाना चाहते हैं तो ये उज्ज्वल आइडिया बाकी देशों को क्यों नहीं आ रहा है। आप कह रहे हैं कि आप और भारत मिलकर संरक्षणवाद का विरोध करेंगे। आप का मुल्क चाहता है कि भारत न सिर्फ पूर्व की तरफ देखे बल्कि पूर्व के साथ रिश्तेदारियां भी कायम करे ताकि इलाके में शांति कायम हो सके। अब इस तरह की लटपटिया बातों पर हम कुछ नहीं कहेंगे। फ्री का ब्लॉग है तब भी नहीं।


आपके भाषण का एक मूल सार यह है कि भारत और अमेरिका दोनों बेहद अच्छे मुल्क हैं। दोनों में कोई बुराई नहीं है। दोनों महान हैं। एक महान और एक महान मिलकर दो दुकान की जगह एक दुकान ही खोले रखें तो अच्छा रहेगा। मैं आज खुद को किस्मत वाला समझ रहा हूं। आपको सुना। देखा। जिस तरह से आपने वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिये किसानों से मुलाकात की,उसी तरह हमने लोकसभा टीवी के ज़रिये आपको देखा। कैमरा एंगल और टेलिकास्ट का प्लान सबसे बेहतर लोकसभा टीवी का ही रहा। कार से उतरने से लेकर भाषण देने और मंच से उतरने से लेकर कार में बैठने तक को बेहतरीन कैमरावर्क के ज़रिये दिखाया गया। इसके लिए लोकसभा टीवी वालों को बधाई।


ओबामा जी हमारे निरीह भारत को आगे भी महान बनाए रखिएगा। हम दिन रात यही सोचते हैं कि कब सुपरपावर बनेंगे। उसी कुंठा और बेसब्री में सत्तर पचहत्तर हज़ार करोड़ की लूटपाट कर देते हैं। मगर दिल से हम देशभक्त हैं। सत्तर फीसदी गरीबों के लिए कानून बना रहे हैं ताकि उनको अनाज मिल सके। गरीबी रहेगी क्योंकि वे अब अनाज के लिए गरीब बने रहेंगे। यह कमाल भारत ही कर सकता है कि इतनी बड़ी आबादी गरीबी रेखा पर लटक रही है और वो विश्वशक्ति बन चुका है। अमेरिका ने उसे आइएसओ सर्टिफिकेट भी दे दिया है। मैं उम्मीदों से लबालब हूं। बस इस तरह की बातें इसलिए लिख दी कि पुराने युग को मिस कर रहा हूं। नोस्ताल्जिक हो गया हूं। आखिर नए ऐतिहासिक युग में आपके साथ एक झटके में प्रवेश कर जाने से थोड़ा सैटिल होने में टाइम तो लगेगा न।

खै़र,आप आए,खाए,नाचे,गाए और बोले। अच्छा लगा। फेनू आइयेगा। अबकी मरतबा आपको मोतिहारी ले चलेंगे। वैसे आपके जाने के बाद बकबक विशेषज्ञ भी बड़ी रोयेंगे। उन्हें अपने साथ ले जाइये। किसी और देश में जाइयेगा तो इंडिया से विशेषज्ञ ले जाइयेगा। आपके लोग तो किसी चैनल पर बोले ही नहीं। ई लोग बोल बोल के बम-बम कर देंगे। ईरान को एतना न पका देंगे कि झट से गोड़ पर गिर जाएगा औउर कहेगा कि भाई साहब कहो क्या करना है। ई तुम अपने दौरा का लाइव टेलिकास्ट करा कर भेजा मत फ्राई करो। मिशेल मामी को प्रणाम कहियेगा। इंडिया के कल्चर में भगिना के किसी बात का बुरा नहीं मानते। मामू लोगों की यही मजबूरी होती है।

20 comments:

Anand Rathore said...

saari baate kar li.. jitna ji mein aaya..likh dala..padhne ke baad bada confuse sa ho gaya hoon..ki kya kahun...lagta hai obama kuch zyada hi ho gaye hain... bas ab apni reporting kijiye vo zyada achchi lagti hai mujhe kab aa rahi hai nayi report..bahut din se TV nahi dekh raha..

Dhirendra Giri said...

रविश सर प्रणाम

...बड़े कमाल के वक्ता है ओबामा जी ..अब उन्हें वक्ता कह ले या बकता ...जो भी हो जी ओबामा जी ने भारत में सैर सपाटे का मज़ा ले लिया ...इंडियन प्राइम मिनिस्टर के साथ पिकनिक भी मना ली .... हमारे नेताओ को बता दिया की गाँधी के नाम का उपयोग हम भी जानते है .......पर ओबामा साहब ..आप बड़े कमाल के गाँधीवादी है बुरा देखते भी है ..बुरा सुनते भी ..बस बुरा बोलते नहीं .....क्योंकि आपको ऐसा करने की ज़रुरत नहीं .....काम हो जाता है बिना बोले

केवल राम said...

रबीश जी , आपने ओबामा की चाटुकारिता को पहचान लिया , सिर्फ शब्दों का हेर फेर रहा ओबामा का भाषण ...आपने अपना फ़र्ज निभाते हुए उनके भाषण का सही विश्लेषण प्रस्तुत किया ...."आपने कहा कि अमेरिका और भारत बुनियादी मानवीय मूल्यों में यकीन रखने वाले देश हैं। यह वाक्य विन्यास की चतुराई के अलावा कुछ और नहीं है।" बिलकुल सही कहा आपने ..सोचने पर विवश करती पोस्ट

शेखर मल्लिक said...

रवीश जी, असलियत की कलई खोल दी आपने... बहुत अच्छी तरह से.

Deepak chaubey said...

मेरे एक मित्र जो गैर सरकारी संगठनो में कार्यरत हैं के कहने पर एक नया ब्लॉग सुरु किया है जिसमें सामाजिक समस्याओं जैसे वेश्यावृत्ति , मानव तस्करी, बाल मजदूरी जैसे मुद्दों को उठाया जायेगा | आप लोगों का सहयोग और सुझाव अपेक्षित है |
http://samajik2010.blogspot.com/2010/11/blog-post.html

JC said...

जो ओबामा की चमत्कारी खासियत मीडिया द्वारा प्राप्त हुई वो है उसका बिना पढ़े घंटों बोलते जाना,,,और इस सन्दर्भ में याद आइ एक गाने की लाइन, "कसमे, वादे, प्यार, वफ़ा सब बातें हैं, बातों का क्या?"
'भारत' में अनादि काल से मान्यता चली आ रही है, "अतिथि देवो भव" (देवता = गिफ्ट देने वाला?) जिस कारण अतिथि सत्कार - भले ही काल के प्रभाव से (अज्ञानतावश?) वो एक 'परंपरा' भर ही क्यूँ न रह गयी हो... (मैंने एक अंग्रेज़ लेखक के नोवेल से पहली बार जाना था कि जब एक 'हिन्दू' दूसरे को हाथ जोड़ 'नमस्ते' कहता है तो वो उसके भीतर स्तिथ भगवान् को नमन कर रहा होता है! और, वैसे भी कहा जाता है कि 'मतलब के समय तो गधे को भी बाप बनाया जा सकता है'!)...

कुमार राधारमण said...

बर्मा और ईरान के बारे में तो एकाध चैनलों ने ओबामा की अपेक्षा को ग़लत बताया मगर पहली बार आपने ही कई अन्य ज़रूरी मुद्दों की ओर ध्यानाकर्षण ठीक समझा। सुरक्षा परिषद् में सीट मिल भी जाए तो भी ग़रीबी,भ्रष्टाचार,बेरोज़गारी और महंगाई से हमें आंतरिक स्तर पर ही निपटना होगा और उसके बगैर विकास का कोई भी दावा शब्दजाल ही होगा।

Dipti said...

manoj kumar ke gaane me zero ka zikra hai.

सम्वेदना के स्वर said...
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सम्वेदना के स्वर said...

रवीश भाई!

मामू मीठी गोली दे गया
अपना अंडा देकर हमारा बकरा ले गया

Neeraj said...

'ओबामा ने सुरक्षा परिषद् की सदस्यता के लिए भारत के दावों का समर्थन किया'

ये खबर बहुत बड़ी खबर है| सुरक्षा परिषद् में आते ही मंहगाई कम हो जाएगी| गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों के लिए राशन कार्ड की तर्ज पे सुरक्षा परिषद् में शामिल देशों में जीवन यापन करने वालों के लिए राशन कार्ड बनेगा| राशन कार्ड पे लिखी राशन पूरी पूरी मिलेगी, और वो भी बिलकुल शुद्ध| जाहिर है, राशन अमेरिका खिलायेगा|

प्रवीण पाण्डेय said...

तत्व के अलावा जो कुछ भी आदान प्रदान हुआ उस पर एक अच्छी फिल्म बनायी जा सकती है। काम की बातें तो एक नैपकिन में छापी जा सकती हैं, जब तक वह उपयोग में न आये।

प्रवीण पाण्डेय said...

तत्व के अलावा जो कुछ भी आदान प्रदान हुआ उस पर एक अच्छी फिल्म बनायी जा सकती है। काम की बातें तो एक नैपकिन में छापी जा सकती हैं, जब तक वह उपयोग में न आये।

Unknown said...

बेहतरीन बहुत बेहतरीन व्यंग्य...पढ़ते हुए लगा रवीश की रिपोर्ट उनके वॉयस ओवर के साथ चल ही है...

Rituparna Mudra Rakshasa said...

badiya chutki li hai aapne, Ravish ji...

'jai ho... hey obama...'

गलियारा said...

ravish sir ko is nachij ka pranam...
apne sahi kaha,,,obama ke jane ke bad sabhi channals ko bakbak karne ka mauka mill jayega...ya u kahe ki apne man ki bhadas nikalane ka mauka....obama ke daure par bakbak or hota lekin bich me aa gaya maharastra...maharastra ki satta me aye ulatpher ki vajah se obama par charcha thoda pahle hi dam tod diya...nahi to ek adh hapte or chalta....akhir me mai yahi kahunga ki aapne obama ko motihari bula kar aachha kiya....

Anonymous said...

Ravishji, Aapne Obama visit ki jo commentry ki hai woh sarahniya hai. Obama Sahib ke bhasan ki jo kendriya nadi aapne pakdi hai usase main impressed hoon. Ek truti (shayad truti hi hai!) ki ore ishara karna chahta hoon, yadi bura na maneye to. Appne ek paragraph me likha hai ki "ikkisween shatabdi ke do dashak beet chuke hain aur assi baras aur bache hain". Vastav mein abhi kewal ek hi dashak beetne ko hai. Aap shayad truti thik karna chahen.

निशांत बिसेन said...

हमेशा की तरह बहुत बढ़िया।

aa said...

OBAMA JEE AGAR ISKA ENGLISH TARZUMA READ LETE to PAZAMA GEELA HO JATA
obama bhi jante hai ki bhartiye currency per GANDHI ji ko phtu hai so importence to JAG jahir hai
praise poverty ko zinda rakhti hai
aap marial (thin) man ko macho kahkar kai hours masssage karwa sakte hai
Dhanye hai bharat
jaise koi vegiterian pandit jee kisi kasai ko recrute kar le or apni sampannta ke sapne le

aa said...

A desh ke budhijiviyo kyo tea pee
pee kar dimag chalate or dil jalate ho mahan bharat desh varsho se gadrbh chlisa read raha hai or ab unki prrthna se prasann ho sabhi sabhao(lok/rajya /vidhan )
gadhrbh raj sthapit ho gaya hai
JAI HO SARV GADHARBH SAMAJ
Garabh chamatkari prani
Desh mai kamata swiss main khata
kafan/ tope/ telephone sab kuch pahata
itni siyasat ka gyata oppositaion main hota to sirf muskurat bari aane per shooru ho jata dharm /jati/kom /jo bike bechta
sabko bhai batlata ahinsa guru gandhi jee ke shapathh le le kar
JHOOT ko sajata
Dhanye hai mera desh gadarbh dev
100 crore ka bhagye vidhata