चावल ही चावल

2 comments:

honesty project democracy said...

सही है सरकारी गोदामों से सीधा यहीं तो जाता है
रवीश जी एक आग्रह है हमने दिल्ली के resident welfare association की दर्दनाक हालात पर एक पोस्ट प्रकाशित किया है / मैं चाहता हूँ आप भी इस मुद्दे की अपने तरह से जाँच कर इन association की सच्चाई को सामने लायें / आपके लिए मैं यहाँ उस अपने पोस्ट का पता भी दे रहा हूँ - http://jantakifir.blogspot.com/2010/05/resident-welfare-association.html इस नेक और जनहित के काम में सबका सहयोग आवश्यक है /

शिक्षामित्र said...

थोड़ा महंगा भी चलेगा पर क्या यहां बिना ईत्र डली वह चावल भी है जिसमें प्राकृतिक खुशबू बची हो?