सावदा घेवरा पर रिपोर्ट बनाने के क्रम में एक ढाबे में रूका। नज़र माचिस पर पडी। आज तक ब्रांड की लोकप्रियता पोपुलर कल्चर का भी हिस्सा है। आज तक को इस पर स्टोरी करनी चाहिए कि उसके नाम पर माचिस बिक रही है। आग भी अब आज तक से लोहा ले रही है। तीलियों की हिम्मत तो देखिये,अपना नाम आज तक रखती हैं। न्यूज़ चैनलों को गरियाने के इस काल में माचिस की डिब्बी देखकर लगा कि कुछ तो कद्र है भाई।
7 comments:
ha..ha..ha,,,gudone... :-)
हा! हा! हा!.........."न्यूज़ चैनलों को गरियाने के इस काल में माचिस की डिब्बी देखकर लगा कि कुछ तो कद्र है भाई।"
मज़ा आ गया। वैसे कुछ 8-9 साल पहले मैंने भी ऐसी एक चीज़ देखा था। उस वक़्त शक्तिमान सीरियल बहुत पोपुलर हुआ करता था। मैंने एक गुटका देखा था शक्तिमान ब्रांड का!!!
...par ek baat or hai....ki isse aag or khabriya channels ka rishta bhi jaahir hota hai....aam janta behtar bolti hai is rishte ke baare mein...
कुछ तो बहनापा है माचिस और आज...... के बिच
...or is rishtey ke baare mein or behtar janna ho to saania-shoaib se puche to koi
गणेश छाप बीड़ी बिक सकती है तो आजतक माचिस क्यों नही?
बढ़िया है जी
आज तक सबसे तेज़! रवीश जी, माचिक के पैकेट के पीछे कहीं विडियोकॉन टावर झंडेवालन का पता तो नहीं लिखा था? टीआरपी आधारित न्यूज़ चैनलों और माचिस में फर्क ही क्या रह गया है, दोनों का काम जलाना ही रह गया है...ये हमारे पर है कि दिया जलाए या घर!
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